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रूपान्तरीय सिद्धान्त के जीव रासायनिक लक्षण , RNA संसार

RNAसंसार रूपान्तरीय सिद्धान्त के जीव रासायनिक लक्षण Biochemical Symptoms of Converted Theory in hindi

आनुवाँशिक पदार्थ की खोज:-

1 रूपान्तरीय सिद्धान्त:- फेडरिक ग्रिफिथ 1928

2 स्ट्रेेप्टोकोकस निमोनी न्यूमोकोकत प्रभेद

3 जीवाणु प्रभेद का संवर्धन क्रिया

S प्रभेद चूहे में प्रवेश चूहा मर गया

R प्रभेद चूहे में प्रवेश चूहा जीवित रहना

S प्रभेद तापमृत चूहों में प्रवेश चूहा जीवित रहना

S प्रभेद तापृमृत

R प्रभेद चूहे में प्रवेश चूहा मर गया

रूपान्तरीय सिद्धान्त के जीव रासायनिक लक्षण

 प्रस्तुतकर्ता:- क्रोलीन मैक्लिमोड

मैक्थीन मैकार्टी1933-99

ओखालु ऐवरी

S प्रभेद तापमृत

R पभेद चूहे में प्रवेश चूहा मर गया

प्रोटीन प्रोटिएमेज चुहा मर गया

RNA – आरएनेज चुहा मर गया

DNA -डीएनेज चुहा जीवित रहा

DNA ही आनुवाँशिक पदार्थ अल्फ्रेड व मार्थोचेस

चित्र

RNAसंसार:-

1 RNA पहला आनुंवाँशिक पदार्थ है।

2 RNA के रासायनिक रूपान्तरण से क्छ। का निर्माण हुआ।

3 RNA बुकरन्जजुकी होता है।

4 RNA अस्थायी होता है।

5 RNA में पेन्टोज शर्करा राइबोज पाई जाती है।

6 RNA मे नाइट्रोजनी क्षारक ।ए ळए ब्ए न् होता है।

7 RNA में अपरिवर्तन तीव्र होता है।

8 RNA अनेक क्रियाओं में उत्प्रेरिक के रूप में कार्यकरता है।

9 RNA में प्रोटीन संश्लेषणकी क्रिया होती है।

 आनुवाँशिक पदार्थ को मापदण्ड लक्षण:-

DNA vs RNA

1-प्रतिकृति

2-स्थायित

3-धीमा उत्परिवर्तन

4-मेण्डलीय लक्षणों के अनुसार अभिव्यक्ति

 DNA की अर्धसंरक्षी प्रतिकृति (semi conservation replication )

DNA से नये RNA के निर्माण की क्रिया को DNA की प्रतिकृति या DNA का द्विगुणन कहते है। कुण्डलि में द्विकुण्डलन के कारण दोनो रज्जुक अलग हो जाते है इनमें पुराने रज्नुक को मातृ रज्जुक कहते है तथा उसके सामने नये बनने वाले रज्जुक को पूरक रज्जुक कहते है। इस प्रकार नये बने DNA में एक रज्जुक मातृ रज्जुक के समान होता है। इसे ही DNA । की अर्थसंरक्षी प्रतिकृति कहते है।