WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi ?

कविराजा श्यामलदास – महामहोपाध्याय कविरा श्यालदास का जन्म मेवाड़ के कोकलिया गांव में 1834 ई. में हुआ। इन्हें मेवाड़ के महाराणा शम्भूसिंह ने राज्य का इतिहास लेखन का दायित्व सौंपा। इस हेतु महाना ने एक पृथक विभाग स्थापित किया तथा इस विभाग में उक ऐतिहासिक सामग्री की सहायता से श्यामलदा ने 1871 ई. पीर विनोद ग्रंथ लिखना प्रारम्भ किया, जो 1888 के आसपास छपकर तैयार हुआ दो खण्डों में उपलब्ध वीर बिना 2654 पृष्ठों का विशाल ग्रंथ है जिसे लिखने में 15 वर्ष लगे।

image

वीर-विनोद मुख्य रूप से उदयपुर राज्य का इतिहास है लेकिन इसमे प्रसंगवश उन राज्यों का भी इतिहास है जो किसी किसी प्रकार से उदयपुर से सम्बन्धित हुए. इस प्रकार से यह ग्र राजस्थान का सम्पूर्ण इतिहास है। महाराणा ने इन्हें कविराजा की उपाधि प्रदान की।

महाकवि सूर्यमल्ल : मिश्रण सूर्यमल्ल मिश्रण का जन्म 1815 में पिता चण्डीदान एवं माता भवानी बाई के घर में हुआ। चण्डीदा बून्दी नरेश महाराव रामसिंह के आश्रित कवि थे अपने पिता पश्चात् सूर्यमल्ल ने महाराव रामसिंह के दरबार में कवि के रूप में प्रसिद्धि पाई। उन्होनें वंश भास्कर , ‘वीर सतसई’, ‘बलवद्विलास, छंदोग मूल सती रासो आदि ग्रंथों की रचना की। महाराव की आज्ञानुस 1840 ई. में वंश भास्कर लिखना प्रारम्भ किया लेकिन किन्हीं कारणों से 1858 ई. में लेखन कार्य बंद देना पड़ा।

तत्पश्चात् उनके दत्तक पुत्र मुरारीदान ने इस ग्रंथ को पूर्ण किया। यह मूल ग्रंथ 2500 पृ का है। सूर्यमल्ल मिश्रण ने बूंदी का इतिहास लेखन प्रारंभ किया था लेकिन वंश भास्कर में राजपूत का ही नहीं अपितु उत्तरी भारत का सम्पूर्ण इतिहास समाया हुआ है। राजनैतिक इतिहास के साथ- साथ वंश भास्कर में सामाजिक और सांस्कृतिक विवरण भी विस्तार पूर्वक उल्लेखित है।

गौरीशंकर हीराचन्द ओझा : इनका जन्म 1883 ई. में सिरोही राज्य के रोहिडा ग्राम में हुआ था। ये बम्बई से हाई स्कूल की परीक्षा पास कर उदयपुर में बस गये। उदयपुर में अंग्रेजी रेजीडेन्ट ने इन्हें एक संग्रहालय के निर्माण का कार्य सौंपा। इसके पश्चात् वे अजमेर में राजस्थान के रेजीडेन्ट अन के सम्पर्क में आये अर्सकीन ने 2908 में उन्हें अजमेर बुलाकर राजस्थान म्यूजियम का क्यूरेटर बना दिया ओझा जी ने 33 वर्ष तक इस पद पर कार्य किया।

image

ओझा जी द्वारा रचित “सिरोही राज्य का इतिहास 1911 ई. में प्रकाशित हुआ। इसके बाद उन्होनें उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा तथा प्रतापगढ़ के गुहिल सिसोदिया राज्यों का इतिहास लिखा। इसके पश्चात् बीकानेर राज्य का इतिहास’ लिखा। फिर उन्होने जोधपुर राज्य का इतिहास लिखना प्रारम्भ किया, जिसकी दो जल्द ही प्रकाशित हो पायी। यद्यपि इनके द्वारा राजस्थान के सम्पूर्ण राज्यों के इतिहास ग्रंथ नहीं लिखे गये लेकिन इन्हें पूर्ण राजस्थान का इतिहासकार गौरीशंकर हीराचन्द ओझा कहा जा सकता है। ओझा जी पुरातत्ववेता थे। उन्हें लिपिमाला तथा स्थापत्य कला की विशेष जानकारी थी। उन्होनें अपने ग्रंथों के लेखन में पुरासामग्री का भरपूर प्रयोग किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *