B.sc प्रथम वर्ष भौतिक विज्ञान अवमंदन बल और अवमन्दन बल के प्रभाव में कण की गति Damping Force in hindi and Motion of a Particle Under the Action of a Damping Force के बारे में जानकारी और derivation ?
अवमन्दन बल एवं अवमन्दन बल के प्रभाव में कण की गति (Damping Force and Motion of a Particle Under the Action of a Damping Force)
जब किसी माध्यम में कोई कण या पिण्ड गति करता है तो माध्यम के स्पर्श से पिण्ड पर श्यान बल या घर्षण बल उत्पन्न हो जाते हैं। ये बल असंरक्षी प्रकृति के होते हैं और पिण्ड की गति में रुकावट डालते हैं। इन बलों के विरुद्ध पिण्ड को गति में कुछ कार्य करना पड़ता है। फलतः पिण्ड के वेग तथा गतिज ऊर्जा में लगातार कमी होती है और अन्त में पिण्ड स्थिर हो जाता है। इसलिए इन बलों को अवमन्दन बल (damping force) भी कहते हैं। यदि पिण्ड का वेग अधिक नहीं हो तो अवमन्दन बल पिण्ड के वेग के अनुक्रमानुपाती होता है। यदि किसी क्षण पिण्ड का वेग v है और इस पर अवमन्दन बल F लग रहा है तो
F ∝ v F =- λv
loge v = -λ t/m + C ………..समीकरण-2
यहाँ c एक समाकल नियतांक है | यदि प्रारंभ t = 0 में पिण्ड का वेग v0 हो तो समीकरण 2 से
C = loge v0
C का मान समीकरण 2 में रखने पर
Loge v = -λt/m + loge v0
अथवा loge v/v0 = -λt/m
अथवा v = v0 e–λt/m ………… समीकरण-3
अत: समीकरण-3 से यह प्रकट होता है कि अवमंदन बल के कारण पिण्ड का वेग समय के सापेक्ष चरघातांकी (exponentially) रूप से कम होता है |
समीकरण-3 में m/λ नियतांक की विमा समय आती है इसलिए τ = m/λ समय को विश्रान्तिकाल (relaxation time) कहते हैं |
यदि समीकरण 3 में t = τ = m/λ रख दे तो
V = v0/e = 0.368 v0
अत: जितने समय में पिण्ड का वेग अपने प्रारंभिक वेग का 1/e अथवा 36.8% गुना रह जाता है , यह समय विश्रान्तिकाल कहलाता है |