संधारित्रो का श्रेणी क्रम और संधारित्र पाशर्व क्रम या समानांतर क्रम संयोजन combination of capacitors
संधारित्रो का संयोजन (combination of capacitors ) : विभिन्न प्रकार के परिपथों (circuits) में अलग अलग धारिताओं वाले संधारित्र की तथा विभिन्न विभव विभवांतर की आवश्यकता होती है , संधारित्रों का आपस में संयोजन करके इस आवश्यकता को पूरा किया जा सकता।
1. श्रेणी क्रम संयोजन (series combination of capacitors)
चूँकि V = Q /C अतः यहाँ
V1 = Q/C1 , V2 = Q/C2 , V3 = Q/C3
अतः यहाँ कुल विभवांतर का मान
V = V1 + V2 + V3
V1 , V2 , V3 का मान रखने पर
V = Q/C1 + Q/C2 + Q/C3
V = Q [1/C1 + 1 /C2 + 1/C3]
चूँकि चूँकि V = Q /C
अतः
Q /C = Q [1/C1 + 1 /C2 + 1/C3]
1 /C = 1/C1 + 1 /C2 + 1/C3
इसे श्रेणीक्रम में संधारित्र की कुल धारिता (C) कहते है।
सूत्र को देखकर हम निष्कर्ष निकाल सकते है की श्रेणीक्रम संयोजन की कुल धारिता का व्युत्क्रम (1/C ) , सभी संधारित्रों की अलग अलग धारिताओं के व्युक्रम के जोड़ के बराबर होती है।
श्रेणीक्रम संयोजन की तुल्य धारिता का मान परिपथ में उपस्थित सबसे कम धारिता वाले संधारित्र से भी कम प्राप्त होता है।
2. पाशर्व क्रम या समान्तर क्रम संयोजन (parallel combination of capacitor )
इस प्रकार के संयोजन में सभी संधारित्रों को इस प्रकार जोड़ा जाता है सभी संधारित्रो की प्रथम प्लेट बैटरी के धन सिरे से जुडी हो तथा दूसरी प्लेट बैट्री के ऋण सिरे से जुडी हो , इस प्रकार के संयोजन में सभी संधारित्रों पर आवेश का मान भिन्न होता है लेकिन विभवांतर का मान समान होता है।
माना चित्रानुसार तीन संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े है तीनो संधारित्र पर समान विभव V है , संधारित्रों पर आवेश क्रमशः Q1 , Q2 , Q3 है तथा इनकी धारिता क्रमशः C1 , C2 , C3 है।
अतः Q1 = VC1 ,Q2 = VC2 , Q3 = VC3
कुल आवेश Q = Q1 + Q2 + Q3
Q1 , Q2 , Q3 का मान रखने पर
Q = VC1 + VC2 + VC3
यदि संधारित्र की कुल धारिता C हो तथा कुल आवेश Q हो तो
Q = CV
Q का मान ऊपर सूत्र में रखने पर तुल्य धारिता
CV = VC1 + VC2 + VC3
CV = V[C1 + C2 + C3]
अतः
C = C1 + C2 + C3

