संधारित्र का सिद्धान्त क्या है what is principle of capacitor in hindi
what is principle of capacitor संधारित्र का सिद्धान्त : चित्रानुसार हम एक प्लेट लेते है जिस पर धनावेश (+q ) उपस्थित है चित्र में इसे A से दर्शाया गया है।
संधारित्र क्या है capacitor in hindi
अब A प्लेट के पास चालक प्लेट B रखी जाये तो प्रेरण के कारण B पर A के तरफ वाले हिस्से पर ऋणावेश व दूसरी तरफ धनावेश आ जाता है।

B प्लेट के ऋणावेश के कारण A प्लेट के विभव में कमी होती है।
अब यदि B प्लेट को भू सम्पर्कित किया जाए तो B प्लेट पर उपस्थित धनावेश जिसे भू सम्पर्कित किया गया है वह भू से आवेश ग्रहण करके धनावेश नष्ट कर लेता है जिससे B प्लेट पर सिर्फ ऋणावेश ही शेष रह जाता है जिससे A के विभव में और अधिक कमी होती है तथा B पर A के कारण विभव में कमी होती है।
और हम पढ़ चुके है की विभव में कमी होने से धारिता बढ़ती है जिससे संधारित्र की धारिता बहुत अधिक बढ़ जाती है।
अतः हम कह सकते है की आवेशित चालक प्लेट के पास अन्य भू सम्पर्कित चालक लाने से चालक की धारिता में बहुत अधिक वृद्धि होती है।