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विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव के घूर्णन में कार्य व स्थितिज ऊर्जा work in rotation of electric dipole in electric field

(work in rotation of electric dipole in electric field ) विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव के घूर्णन में कार्य : जब किसी द्विध्रुव को एक समान विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है तो इस द्विध्रुव पर एक बलयुग्म कार्य करता है , यह बल युग्म द्विध्रुव को विधुत क्षेत्र की दिशा में लाने का प्रयास करता है और अन्तत: द्विध्रुव , क्षेत्र की दिशा में संरेखित हो जाता है और साम्यावस्था को प्राप्त कर लेता है।
द्विध्रुव को एक समान क्षेत्र में साम्यावस्था से घुमाने में एक कार्य करना पड़ता है।
मान लेते है की द्विध्रुव परθकोण पर बल आघूर्ण का मान pEsinθहै।
अब यदि विद्युत द्विध्रुव को dθकोण घुमाया जाता है तो किया गया कार्य
dW = बलाघूर्ण x कोणीय विस्थापन
dW = pEsinθx dθ
θ =θ1सेθ=θ2तक घुमाने में किया गया कार्य

बाह्य क्षेत्र में किसी विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा (potential energy of an electric dipole in electric field )

विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के तुल्य होती है जो उस द्विध्रुव को अनंत से उस क्षेत्र में लाने में करना पड़ता है।
क्षेत्र के कारण +q पर बल qE क्षेत्र की दिशा में लगता है तथा -q आवेश के कारण बल -qE विद्युत क्षेत्र की विपरीत दिशा में लगता है।
अतः हम कह सकते है की +q पर बाह्य कार्य करना पड़ता है जबकि -q पर क्षेत्र द्वारा कार्य किया जाता है , चूँकि -q आवेश +q आवेश से 2a अधिक दुरी पर स्थित है अतः अनन्त से इसकी स्थिति पर लाने में -q पर अधिक कार्य करना पड़ता है।
अतः -q पर कृत कार्य
W = -qE x 2a = -2qaE
W = -pE
यहाँ p = द्विध्रुव
E (विद्युत क्षेत्र ) के सामानांतर रखे विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा
U1 = -pE
E के सामानांतर स्थिति सेθकोण घुमाने में कृत कार्य
U2 = pE (1 – COSθ)
अतःθकोण पर द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा
U = U1 + U2
U =-pE +pE (1 – COSθ)
U =-pECOSθ