लसीका तंत्र को समझाइए ? lymphatic system in hindi लसीका कणिकाओं का निर्माण किस प्रकार होता है

lymphatic system in hindi लसीका तंत्र को समझाइए ? लसीका कणिकाओं का निर्माण किस प्रकार होता है ?

कोरोनरी शिरा : जब रक्त कोरोनरी परिसंचरण से गुजरता है तो यह ऑक्सीजन और पोषण प्रदान करता है और कार्बन डाई ऑक्साइड तथा व्यर्थ पदार्थ संग्रहित करता है | और ह्रदय की पश्च सतह पर बड़ी vascular sinus में डालता है जिसे कोरोनरी साइनस कहते हैं | यह दायें आलिन्द में खाली हो जाता है | vascular sinus पतली भित्ति युक्त venous space है जिसमें चिकनी पेशियाँ नहीं पायी जाती हैं जो मुख्य कोरोनरी साइनस में रक्त ले जाती है , great cardiac vein कहलाती है और ह्रदय के अगले भाग से रक्त संग्रहित करती है | मध्य कार्डियक शिरा भी कोरोनरी साइनस में रक्त डालती है और ह्रदय के पश्च भाग से रक्त संग्रहित करती हैं |

जब रक्त में कोलेस्ट्रोल का उच्च स्तर होता है तो कभी कभी कोलेस्ट्रोल रक्त वाहिनियों की दीवारों में जमा होना शुरू हो जाता है | जिससे धमनियों का लचीलापन कम हो जाता है और वे कठोर हो जाती है जिसे arteriosclerosis अथवा धमनियों की कठोरता कहते हैं | इससे रक्त दाब बढ़ जाता है | यह heart attack का एक मुख्य कारण है |

फ्रेक स्टरलिंग नियम : दो महान कार्यिकी वैज्ञानिक फ्रेंक और स्टरलिंग ने कहा कि भराव के दौरान ह्रदय पेशियों में अधिक तन्यता आती है तो रक्त की अधिक मात्रा aorta में पम्प की जाती है और दूसरे शब्दों में ह्रदय सारे रूधिर को पम्प कर देता है |

लसिका तंत्र (lymphatic system)

यह लसिका , लिम्फ कोशिका , लिम्फ वाहिनी , लिम्फ नलिका और लिम्फ नोड से बना होता है |

  1. लसिका (lymph) : उत्तक द्रव्य और लसिका का संघटन रक्त प्लाज्मा के समान ही है लेकिन लसिका और ऊत्तक द्रव्य में प्रोटीन घटक निम्न होता है | ऊत्तक द्रव्य की तुलना में लिम्फ में पोषण और ऑक्सीजन की बहुत कम मात्रा होती है लेकिन कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य उपापचयी व्यर्थ पदार्थ बहुत अधिक मात्रा में होते हैं |
  2. लसिका केशिकाएं : ये रक्त केशिकाओं के समीप स्थित होती हैं लेकिन इसका सिरा बंद होता है | ये बाह्य रूप से पतली भित्ति वाली होती है | ये एण्डोथिलियल कोशिकाओं की एकल परत से बनी होती है |
  3. लसिका वाहिनी : लसिका केशिकाएँ जुड़कर बड़ी लसिका वाहिनी बनाती हैं | इनका बाह्य स्तर तन्तु ऊत्तकों का , मध्यम स्तर पेशीय ऊत्तकों का और आंतरिक स्तर एण्डोथीलियम कोशिकाओं का बना होता है | लसिका वाहिनियों में बहुत से कपाट होते हैं | आंत्रीय भाग की लसिका वाहिनी पचित वसा को अवशोषित करती है | ये दिखने में मिल्की होती है इसलिए ये lacteals कहलाती है | (लेक्टोज : दुग्ध शर्करा)
  4. Thoracic duct : बाएँ तरफ की लसिका वाहिनियाँ प्रथम और द्वितीय लम्बर कशेरुकाओं से शुरू होती हैं | ये लिम्फ को बायीं सब्क्लेवियन शिरा में छोड़ती हैं |
  5. दायीं लसिका नलिका – (right lymphatic duct) वक्ष , सिर और गर्दन की दाई ओर की लसिका वाहिनियां संयुक्त होकर दायीं लसिका नलिका बनाती हैं | ये लिम्फ को दायीं सबक्लेवियन शिरा में मुक्त करती है |
  6. लसिका गांठे : लिम्फ नोड (लसिका गांठे) लसिका वाहिनियों में एक अन्तराल पर पायी जाती हैं और ये गर्दन , बगल (armpit) और groin में पाए जाते है | लिम्फ लसिका गांठो द्वारा फ़िल्टर होता है जो कि फैगोसाईटिक श्वेत रूधिर कणिकाओं और मेक्रोफेज युक्त होता है | ये लसिका से हानिकारक सूक्ष्मजीवों और बाह्य कणों को कहा जाती हैं | लिम्फ नोड लिम्फोसाइट और एन्टीबॉडी युक्त भी होती हैं |

लसिका गति – लसिका धीरे धीरे बढ़ता है और लसिका वाहिनियों , लसिका नलिकाओं से शिरा तंत्र में गति करता है | लसिका प्रवाह में अवरोध oedema उत्पन्न कर देता है |

लसिका अंग : अंग जो लिम्फ का स्त्रावण करते हैं | लिम्फोइड अंग कहलाते हैं | लिम्फ नोड के अतिरिक्त टोन्सिल , थायमस ग्रंथि , पेयर्स पैचेज , यकृत और प्लीहा भी अन्य लसिका अंग है जो लिम्फ का स्त्रावण करते हैं |