कीटनाशकों के प्रकार pdf ? कीटनाशक के बारे में जानकारी सबसे जहरीला कीटनाशक pesticide types in hindi meaning

pesticide types in hindi meaning कीटनाशकों के प्रकार pdf ? कीटनाशक के बारे में जानकारी सबसे जहरीला कीटनाशक ?

पीड़क श्रेणियाँ
EIL और सामान्य संतुलन स्थिति के बीच के संबंध के आधार पर पीड़कों को विरल (rare), अवसरिक (occasional), नियमित (regular) और गंभीर (serious) वर्गीकृत किया जा सकता है। हालांकि, ये श्रेणियाँ परस्पर संबंधित होती हैं और स्थानिक दृष्टि से इनमें परिवर्तन हो सकता है। किसी एक स्थान पर कुछ पीड़क किसी एक श्रेणी के अंतर्गत आते हैं तो अन्य स्थान पर वही पीड़क किसी दूसरी श्रेणी के अंतर्गत आ सकते हैं।

1) विरल पीड़क
कीटों की अनेक स्पीशीज उन समष्टि-स्तरों तक शायद ही कभी पहुँच पाती हैं जिनपर वे आर्थिक क्षति पहुँचा सके। ऐसे मामलों में EIL पीड़क की संतुलन समष्टि-सघनता से प्रायरू अधिक होता है (चित्र 5.3 क)।

इसके सुपरिचित उदाहरणों में ये शामिल हैंरू ऐल्फाल्फा पर लोबिया-ऐफिड, ऐफिस कैस्सिवोरा (Aphis craccivora), मक्के पर येलो वूली बेयर, डाईऐक्रिसिया वर्जिनिका (Diacrisia virginica), और सोयाबीनों पर पेन्टिड लेडी बर्ड बीटल, बेनेसा कार्डई (Vanera cardui)

2) अवसरिक पीड़क
इन पीड़कों की समष्टि-सघनता केवल कुछेक वर्षों में आर्थिक आरंभन-स्तरों से अधिक होती है (चित्र 5.3 ख)। ऐसा मौसम की परिस्थितियों में अपसामान्य परिवर्तनों के कारण अथवा पीड़कनाशिकों के अविवेकी इस्तेमाल से होता है। इस मामले में भी EIL पीड़क की सामान्य संतुलन समष्टि से प्राय रू अधिक होता है। समष्टि जब ETL पर पहुँचती है, तब पीड़कनाशी के थोड़े-बहुत इस्तेमाल की आवश्यकता पड़ती है ताकि पीड़क-समष्टि को बर्दाश्त करने योग्य स्तर तक कम किया जा सके। उदाहरण के लिए, कोले फसलों पर धान का हिस्पा डाईक्लैडिस्पा आर्मिजेरा (Dicladispa armigera), बगराडा क्रूसिफोरम (Bagrada cruceferarum) अवसरिक पीड़क हैं।

3) बारहमासी अथवा नियमित पीड़क
ये पीड़क नियमित रूप से प्रत्येक वर्ष पर्याप्त संख्या में दिखाई देते हैं। इस मामले में EIL पीड़क की सामान्य संतुलन समष्टि से केवल के थोड़ा ही अधिक होता है (चित्र 5.3 ग) फसल के मौसम के दौरान जबकि समष्टि ETL के समीप पहुँचने वाली होती है, कई बार नियंत्रण उपाय करने पड़ते हैं।

तोरई-सरसों पर सरसों का ऐफिड, लिपैफिस एरिसिमाई (Lipaphis erysimi) एक नियमित पीड़क है।

4) गंभीर पीड़क
ये पीड़क अत्यधिक विध्वंसकारी होते हैं और उनकी सामान्य संतुलन समष्टि EIL से अधिक होती है (चित्र 5.3 घ)। ये पीड़क आमतौर से फलों को अथवा फसल के बाजार में बेचे जाने वाले भागों को नुकसान पहुंचाते हैं। पीड़क, जैसे कि टमाटर बेधक, हेलिकोवर्पा आर्मिजेरा (Helicoverpa armigera) डायमंड बैक शलभ प्लूटेला जाइलोस्टेला (Plutella xylostella) पत्ता गोभी का हेड-बेधक, हेल्लुला अंडेलिस (Hellula undalis) इसी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए पीड़कों से निरंतर बचाने की आवश्यकता होती है।

यह बात बड़ी रोचक है कि विभिन्न फसलों पर आक्रमण करने वाले एक ही कीट पीड़क के लिए आर्थिक क्षति स्तर बहुत अलग-अलग हो सकते हैं।

ऽ ऐल्फाल्फा पर भरणपोषण कर रहा हे-जीया (H-zea) की समष्टि सघनता कभी भी इतनी नहीं पहुँच पाती कि उससे आर्थिक क्षति हो सके और वह श्रेणी 1 के अंतर्गत आता है।
ऽ कपास के बॉल बर्फ की तरह हे-जीया कपास का एक प्रमुख पीड़क है, उसका आर्थिक आंरभन 4 लारवे प्रति पौधा होता है और आमतौर से उसे कीटनाशी द्वारा वार्षिक नियंत्रण की आवश्यकता होती हैय इस प्रकार वह श्रेणी 3 के अंतर्गत आता है।
ऽ स्वीट कॉर्न (मीठी मक्का) पर भरणपोषण कर रहा हे-जीया एक गंभीर पीड़क है, उसका आर्थिक आरंभन शून्य समष्टि-सघनता के करीब होता है और इसीलिए यह श्रेणी 4 के अंतर्गत आता है।

आर्थिक क्षति-स्तर की संकल्पना लचीली होती है और इसमें, कृषि की विशिष्ट पद्धतियों के अनुसार एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में, एक प्रकार की फसल से दूसरे प्रकार की फसल में और यहाँ तक कि दो समीपवर्ती खेतों के बीच फर्क हो सकता है। ज्यों-ज्यों फसल का स्तर बढ़ता जाता है त्यों-त्यों आर्थिक क्षति-स्तर घटता जाता है, और वह उपभोक्ता-मानकों का एक कार्य भी है। उदाहरण के लिए, फलों के वृक्षों, मीठी मक्का, ऐस्पैरैगस, आलू, और पौधों से अलग किए गए फूलों, तथा गेहूँ, तथा ऐसे ही अन्य मामलों में आरंभन-स्तर बहुत निम्न हो सकता है, क्योंकि केवल एक कॉडलिंग मॉथ, स्केल कीट अथवा ईअर वर्म विध्वंसक रूप से आक्रमण करता है और जिसका प्रभाव उत्पाद के लिए उपभोक्ता की मांग पर पड़ता है। विपणन-विकास में परिवर्तित होने के कारण, जैसे कि हिमशीतित खाद्य इंडस्ट्री में तीव्र वृद्धि के और डिब्बा बंद खाद्य उत्पादों में कीट अंश की मौजूदगी का नियमन करने वाले थ्क्। के नियमों के कारण, सब्जी और फल वाली फसलों के लिए आर्थिक क्षति स्तरों में निर्णायक परिवर्तन हो सकते हैं। आर्थिक क्षति-स्तर उत्पाद के मूल्य के साथ तो प्रतिलोमित रूप से संबंधित होता है, और नियंत्रण की लागत के साथ प्रत्यक्ष रूप से संबंधित होता है।

आर्थिक क्षति-स्तर की एक विशिष्ट श्रेणी उन कीटों के लिए लागू होनी चाहिए जो पादप तथा जंतु रोगों के रोगवाहकों (ऐसे जीव जो रोगाणुओं को संप्रेषित करते हैं) के रूप में कार्य करते हैं। इस मामले में केवल एक ही कीट का संक्रमण एक महत्वपूर्ण वृक्ष, एक घरेलू जानवर, अथवा मानव की मृत्यु का कारण हो सकता है। इनके उदाहरण हैं : अपेक्षाकृत छोटे आकार की यूरोपियन एल्म बीटल, स्कोलिटस मल्टीस्ट्रिऐटस (Scolytus multistriatus) डच एल्म (Dutch elm) रोग का कारण है, सेट्सी मक्खी (tsetse fly) ग्लोसिना (Glossina) जो निद्रालु रोग का कारण है, और ईडीज एजिप्टाइ (Aedes aegypti) जो पीत ज्वर नामक रोग का कारण है।

 पीड़क अवशिष्ट को छोड़ देना
हमने इस बात पर विचार किया कि उच्चतर उपज के लिए यह जरूरी नहीं है कि पीड़कों से पूरी तौर पर मुक्ति पाई जाए, क्योंकि पौधे पीड़क से होने वाली क्षति की हमेशा ही थोड़ी-बहुत पूर्ति कर लेते हैं। इस प्रकार पीड़क-प्रबंधन सिंद्धात पीड़क-समष्टि के आर्थिक स्तर तक संदमन का समर्थन करती है न कि खेत से पीड़कों के उन्मूलन का। इस बात को ध्यान में रखते हुए पीड़कों के उन्मूलन की तुलना में अपेक्षाकृत कम कीटनाशी अभिक्रिया की आवश्यकता पड़ती है। खेत में कुछेक पीड़कों की मौजूदगी होने पर पीड़कों के प्राकृतिक शत्रुओं के बने रहना निश्चित हो जाता है, जिसके कारण कीटनाशियों पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण-संदूषण भी कम होगा।

 कीटनाशी के इस्तेमाल करने का समय-निर्धारण

पीड़क-प्रबंधन पीड़कनाशियों के आवश्यकता पर आधारित इस्तेमाल पर जोर देता है। कलैन्डर पर आधारित किए जाने वाले अथवा बचाव करने की नीयत से किया जाने वाले इस्तेमाल को आमतौर से असम्मति प्रकट की जाती है। पीड़कनाशियों के इस्तेमाल की आवश्यकता का निर्धारण नियमित मॉनीटरन करके किया जा सकता है कि क्या समष्टि आर्थिक-आरंभन-स्तर तक पहुँची है अथवा नहीं। आवश्यकता पर आधारित इस्तेमाल से पीड़कनाशी की आवश्यकता कम से कम 5% तक घट सकती है। उत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए, कीटनाशी का इस्तेमाल पीड़क की सबसे सुभेद्य अवस्था के अनावरण के साथ ही साथ होना चाहिए। उदाहरण के लिए , तना-बेधकों के मामले में, जैसे धान का तना-बेधक, मक्के का तना-बेधक और विभिन्न फल-बेधक, इस बात का नियमित मॉनीटरन बहुत महत्वपूर्ण है कि अंडे कब दिए जाते हैं। कीटनाशी का इस्तेमाल उसी समय करना चाहिए जबकि अंडोत्सर्ग हो रहा हो, ताकि अंडों में से निकलने वाले लारवे कीट नाशियों संपर्क में आएँ और मर जाएँ। अन्यथा एक बार लारवे तनों अथवा फलों के भीतर पहुँच जाएँ तब कीट नाशियों का प्रयोग करना प्रभावी नहीं होगा। फल-मक्खियों के मामलों में यही कोशिश करनी चाहिए कि इन पीड़कों के व्यस्कों का नियंत्रण किया जाए क्योंकि इनकी यही अवस्था प्रकट होती है जबकि इनके अंडे और गैमट तो फलों के भीतर छिपे रहते हैं और प्यूपे मिट्टी के भीतर।

कीटनाशियों का इस्तेमाल ठीक-ठीक स्थानों पर किए जाने से भी पीड़कों को अधिक प्रभावी रूप में नियंत्रित किया जा सकता है और साथ ही साथ पर्यावरण-संदूषण भी नहीं होता। उदाहरण के लिए, धान के हॉपर (टिड्डे) प्रधान रूप से धान के पौधों के तनों तक सीमित रहते हैं। कीटनाशियों का प्रयोग यदि पत्तियों पर किया जाएगा तो प्रभावी नहीं होगा अतः उनका प्रयोग तनों पर ही किया जाना चाहिए।

 जनसाधारण का विवेक और स्वीकृति
किसान IPM कार्यक्रमों के प्रयोक्ता होते हैं अतः इन कार्यक्रमों का विकास उनके सक्रिय सहयोग से किया जाना चाहिए। पीड़क-समस्याओं के बारे में उनके अनुभव को और उनसे निपटने के लिए किसानों द्वारा अपनाई जाने वाली तकनीकों को उचित महत्व दिया जाना चाहिए। किसानों द्वारा अपनाई गई देसी तकनीकों का ठोस वैज्ञानिक आधार होता है, (आप इस विषय के बारे में इकाई 9 में विस्तार से अध्ययन करेंगे) उदाहरण के लिए

ऽ किसानों द्वारा कुकुरबिटों और भिंडी की पत्तियों पर लकड़ी की राख छिड़कना, जो पत्तियों को नष्ट करने वाले कीटों को पत्तियों को खाने से रोकती है।
ऽ चने के भंग से चनों को बचाने के लिए उनमें बालू मिलाना और भुट्टों को उनके पीड़कों से बचाने के लिए भुट्टों को छत्त से लटकाना ताकि उन्हें अगले वर्ष के रूप् में इस्तेमाल किया जा सके।
ऽ वर्षा ऋतु में धुआँ करके जंतुओं की मच्छरों और मक्खियों से सुरक्षा की जाती है।
ऽ नीम की पत्तियों को कपड़ों की वस्त्र शलभ से सुरक्षा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
ऽ इस प्रकार की असीमित विधियाँ हैं जिन्हें किसान पीड़क-प्रभाव को कम करने के लिए प्रयोग करते हैं। प्च्ड कार्यक्रमों को देसी और आधुनिक तकनीकों को विवेकपूर्ण तरीके से मिलाजुला कर विकसित करना चाहिए। इस प्रकार विकसित प्रोग्राम किसानों में तो लोकप्रिय होंगे क्योंकि वे इन्हें स्वयं अपने कार्यक्रमों के रूप में स्वीकार करेंगे। इसके अतिरिक्त ये प्रोग्राम कम खर्चीले तो होंगे ही।

किसानों को उपयोगी जीवों, जैसे कि परजीवी और परभक्षक, और हानिकारक पीड़कों के बीच फर्क करना सिखाना चाहिए। उन्हें इस बात को समझना चाहिए कि जब उपयोगी जीव प्रचुर मात्रा में विद्यमान हों तब अधिकांश मामलों में कीटनाशियों के छिड़काव की आवश्यकता नहीं होती। किसानों को समझाना चाहिए कि पीड़क केवल उसी स्थिति में फसल को नुकसान पहुँचाते हैं जब कि उनका समष्टि-स्तर एक विशिष्ट स्तर तक पहुँच चुका होता है और बचाव-छिड़कावों की प्रायरू जरूरत नहीं पड़ती। कीटनाशियों के अधिक इस्तेमाल के मानव और जंतु-स्वास्थ्य पर और कुल मिलाकर पर्यावरण पर दुष्प्रभाव के बारे में भी उन्हें अवगत करा देना चाहिए।

किसानों के बीच प्च्ड कार्यक्रमों के अलोकप्रिय होने का एक कारण यह है कि इनका लक्ष्य केवल एक ही पीड़क के लिए केन्द्रित होता है। किसान तो ऐसे प्च्ड कार्यकर्ता को चाहते हैं जो अनेक पीड़कों से निपट सके क्योंकि हमारी फसलें एक ही समय में अनेक पीड़कों में संक्रमित रहती हैं। अतः किसान ऐसी तकनीक पसंद करते हैं जो फसल की अधिकांश समस्याओं का हल कर सकें। इसलिए वैज्ञानिकों को बहुपीड़क प्च्ड प्रोग्रामों को विकसित करने का प्रयत्न करना चाहिए।

बोध प्रश्न 2
पद्ध समाकलित पीड़क-प्रबंधन की छः संकल्पनाओं की सूची बनाइए।
क)
ख)
ग)
घ)
ड़)
पपद्ध कृषि पारितंत्र की परिभाषा दीजिए।
पपपद्ध कृषि पारितंत्र की योजना बनाने का क्या अभिप्राय है?
पअ) पीड़क-प्रबंधन में लागतध्लाभ और लाभध्जोखिम की व्याख्या कीजिए।
अ) आर्थिक क्षति-स्तर की परिभाषा कीजिए।
अप) आर्थिक आरंभन-स्तर की परिभाषा कीजिए।
अपप) सामान्य संतुलन स्थिति से क्या अभिप्राय है?

बोध प्रश्न 3
प) बताइए कि निम्नलिखित कथन सही (T) हैं अथवा गलत (F) :
क) एक प्ररूपी कृषि इकाई में 6-10 प्रमुख फसल-स्पीशीजें हो सकती हैं (सही / ध्गलत)
ख) पीड़कनाशियों से उपज की क्षति रुक जाती है (सही / ध्गलत)
ग) कीटों का नियंत्रण करने के लिए इस्तेमाल किए गए कीटनाशियों का 90% से अधिक भाग
लक्ष्य पीड़क को नहीं मारता। (सही / ध्गलत)
बोध प्रश्न 4
1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
क) लगभग………………………….प्रतिशत भूमि कृषि योग्य है।
ख) कृषि पारितंत्र खाद्य………………………….और………………………….का एक सम्मिश्र है।
ग) ………………………….उत्पादन और फसल………………………….तंत्रों का समाकलित कर देना महत्वपूर्ण होता है।
घ) आर्थिक क्षति-स्तर………………………….से व्युत्क्रमानुपाती होता है और………………………….के नियंत्रण से सकारात्मक संबंधित होता है।

उत्तरमाला

3. क) गलत
ख) सही
ग) सही
4. क) 25
ख) श्रृंखला, जाल
ग) फसल, सुरक्षा
घ) फसल का बाजारी मूल्य लागत