पीड़कनाशी किसे कहते हैं ? पीड़कनाशी की परिभाषा क्या है Pesticide in hindi meaning defintion

Pesticide in hindi meaning defintion पीड़कनाशी किसे कहते हैं ? पीड़कनाशी की परिभाषा क्या है ?

उत्तर : कीट अथवा पीड़क को नियंत्रित करने के लिए जिन पदार्थों का उपयोग किया जाता है उन पदार्थों को पीड़कनाशी कहते है | इन पीडकनाशी के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है –

हर्बिसाइड, कीटनाशक, नेमाटाइड, मोलस्काइड, कीटनाशक, एविसाइड, रॉडेंटिसाइड, जीवाणुनाशक, कीट से बचाने वाली क्रीम, पशु विकर्षक, रोगाणुरोधी, और कवकनाशी। आदि |

संभावित परिवर्तनों की दिशाएं
आप खंड 3 और 4 मे विभिन्न पीडक प्रबंधन नीतियों के बारे में पढ़ चुके हैं। भविष्य में अधिकांश परिवर्तन वर्तमान नीतियों के विकास और सुधार में होंगे।

पीड़कनाशी
पीड़कनाशियों का प्रयोग जारी रहेगा, लेकिन भविष्य में प्रयोग की सुरक्षा और क्रिया के स्वरूप एवं विधि (विशेषत: कीटनाशियों के) में परिवर्तन आएगा। अभिनव संश्लिष्ट पीड़कनाशियों का विकास बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जिस गति से हो रहा था, उसकी अपेक्षा धीमी गति से होगा। सभी पीड़कनाशियों में से, खर पतवार के नियंत्रण के लिए शाकनाशियों का प्रयोग अधिकतम मात्रा में और अधिकतम क्षेत्र पर होता रहेगा।
पीड़कनाशी वितरण प्रणाली बदल रही है। मार्ग बदलने और अलक्षित प्रभावों के जोखिम को कम करने के लिए नोजलो और स्प्रे प्रौद्योगिकियों में सुधार किया जाएगा।

प्रतिरोध (Resistance) पुनरुत्थापन (Resurgence) तथा प्रतिस्थापन (Replacement) (पीड़क प्रबंधन के 3 R) का प्रबंध करना अतीत में एकल युक्तियों को अनावश्यक समझ जाता था क्योंकि पीड़क प्रतिरोध के कारण नष्ट हुई युक्तियों के स्थान पर नई युक्तियां तत्काल उपलब्ध हो जाता थीं। पीड़क प्रबंधन के तीन आर (R’s) के प्रबंध करने के लिए बहु-युक्ति आई पी एम दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।

जैव नियत्रण
रोगजनकों तथा सूत्रकृमियों के जैव नियंत्रण के लिए, और शायद कुछ कम मात्रा में खर पतवार के लिए, और विकास होंगे।

व्यवहारपरक नियंत्रण
आर्थोपोड पीड़क के प्रबंध के लिए भविष्य में सीमियोरसायन का, विशेष रूप से सेक्स फीरोमोन का, प्रयोग बढ़ेगा। सीमियोरसायन की, फीरोमोन सहित, शीघ्र पहचान के लिए आधुनिक रासायनिक यंत्रों का अनुप्रयोग और आई पी एम तंत्र के संदर्भ में उनके वितरण का अभिनव तरीका आर्थोपोड पीड़क के प्रबंध के लिए नए मार्ग खोलेगा।

सस्य विधियां
1970 के दशक के मध्य से सस्य संवर्धन के दो क्षेत्र पीड़क प्रबंधन को बदलते रहे हैं। सिंचाई प्रबंधन और गैर-जुताई या कम जुताई दोनों प्रणालियां प्रबंधन को और प्रभावित कर सकती हैं।

भौतिक और यांत्रिक नियंत्रण
भूमंडलीय स्थापन प्रणालियों के साथ मिलाकर कम्प्यूटर प्रतिबिंबन प्रौद्योगिकी विकसित की जाएगी ताकि उपस्कर द्वारा सस्य की पंक्ति का सही अनुसरण किया जा सके और वह स्थिति को अपने-आप ठीक कर दे।

परपोषी-पादप प्रतिरोधध्पादप प्रजनन और जैव प्रौद्योगिकी
आगामी 20 वर्षों में आनुवंशिक रूप से रचित (genetically engineered) पादपों के प्रयोग में काफी वृद्धि दिखाई देगी। आनुवंशिक इंजीनियरी पीड़कों के प्रति परपोषी-पादप प्रतिरोध के संदर्भ में विशाल संभावनाएं प्रस्तुत करती है। सस्य कृषिज, उपजातियों के वांछित गुणों के लिए जीन डाल कर और उनके साथ जुड़े हुए अवांछित गुणों का अंतरण न कर के आनुवांशिक रचना नई सस्य कृषिज-उपजातियों के विकास के लिए पारंपरिक प्रजनन की अपेक्षा उन्नति प्रदर्शित करती है। इस प्रौद्योगिकी में रोग, कीट तथा सूत्रकृमि प्रबंधन में पूरी क्रांति ला देने की संभावनाएं हैं। जैव प्रौद्योगिकी ने कृषि उत्पादन प्रणालियों को प्रभावित किया है और भविष्य में इससे भी अधिक योगदान करेगी। कीटों तथा रोगों का प्रतिरोध करने वाले ट्रांसजीनी पादप व्यापक रूप से उपलब्ध हो रहे हैं। जैव प्रौद्योगिकी के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां हैंरू लागत-लाभ संबंध को अच्छी तरह समझना, ग्राहक स्वीकार्यता, प्रतिरोध प्रबंधन और इन प्रौद्योगिकियों की व्यापक आई पी एम कार्यक्रमों के साथ संगतता।

बोध प्रश्न 2
आई पी एम नीतियों में किन संभावित परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगाया गया है?

 सतत् आई पी एम- पीड़क जोखिम विश्लेषण (PRA) के लिए विधायी उपाय
पीड़क जोखिम विश्लेषण के बारे में आप खंड 4 की इकाई 16 में विधायी उपायों (कानूनी नियंत्रण) के अंतर्गत पढ़ चुके हैं। यहां आपको आई पी एम में पीड़क जोखिम विश्लेषण के बारे में अधिक विस्तार में बताया जाएगा।

पीड़क जोखिम विश्लेषण विदेशी पीड़कों की क्षति की संभावना का आकलन करने के लिए किया जाता है, यदि उनका समावेश नए देशों में किया जाए। PRA में निम्नलिखित बातों को शामिल करना चाहिएरू
ऽ पीड़क बनने की संभावना
ऽ प्रसार के पथ
ऽ क्षति की मात्रा और प्रकार
ऽ नियंत्रण. की सरलता और लागत
ऽ पर्यावरण पर प्रभाव और लागत

च्त्। पीड़क की हर कोटि के लिए सख्त प्रोटोकोल अपनाता है, और उनका विकास सरकारी एजेंसियों द्वारा उन पार्टियों के सहयोग से किया जाता है जिन्हें वे दिए जाने की संभावना हो। यदि किसी ऐसे जीव के लिए भारी जोखिम का आकलन हो जो मौजूद नहीं है तो उसे निकाल देना चाहिए। इन जीवों को निरीक्षकों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाहों पर या अंतर्राष्ट्रीय पोत लदान से पहले उपज पर लक्षित किया जाता है।

उदाहरणतः हेसियन मक्खी, मायेटिओला डेस्ट्रक्टर, अनेक देशों में गेहूं की एक गंभीर पीडक है, किंतु वह भारत में नहीं पाई जाती। यदि संगरोध की लापरवाही के कारण ऐसे पीड़क भारत में प्रवेश कर जाएं तो वे तबाही मचा देंगे। इस का आकलन अनुकरण मॉडलों (ेपउनसंजपवद उवकमसे) के माध्यम से किया जा सकता है। जो विदेशी पीड़क संगरोध के अतंर्गत हैं, उन्हें उनकी क्षति की संभावना का परीक्षण करने के लिए जानबूझ कर नए देशों में नहीं लाया जा सकता। इसलिए ऐसे अध्ययन अनुकरण मॉडलों के माध्यम से किया जा सकते हैं। सोयाबीन रस्ट मॉडल, सोयरस्ट, को जब महाद्वीपीय न्ै। के मौसम डाटा के साथ चलाया गया तो उसने सोयाबीन रस्ट महामारियों के लिए संभावित क्षेत्रों की भविष्यवाणी की। जब मॉडल द्वारा जनित रोग अनुमानों को आगे सोयाबीन सस्य मॉडल के साथ संपति किया गया, तब रस्ट महामारियों के कारण होने वाली संभावित हानियों का पता चला। अन्य पीड़कों के लिए भी ऐसे अध्ययन करने चाहिएं। ऐसे विश्लेषण के लिए प्रक्रिया चित्र 19.1 में दर्शाई गई है।

बोध प्रश्न 3
PRA के लिए मॉडलों के प्रयोग में क्या चरण सुझाए गए हैं?