खाद्य जाल किसे कहते हैं | खाद्य जाल की परिभाषा क्या है उदाहरण महत्व food web in hindi meaning

food web in hindi meaning definition खाद्य जाल किसे कहते हैं | खाद्य जाल की परिभाषा क्या है उदाहरण महत्व ?

खाद्य जाल (Food web)
खाद्य श्रृंखलाओं का परस्पर जुड़ना खाद्य जाल कहलाता है। खाद्य जाल को सम्मिश्र खाद्य श्रृंखला भी कहा जा सकता है। ऐसा तब होता है जब एक ही उत्पादक को अनेक शाकभक्षी खाते हैं। इसी प्रकार एक शाकभक्षी को अनेक परभक्षी खा सकते हैं या एक परभक्षी अनेक शाकभक्षियों को खा सकता है। चावल पारितंत्र में पाये जाने वाले खाद्य जाल का एक उदाहरण चित्र 7.3 में दिया गया है। खाद्य श्रृंखलाओं के परस्पर योजन जीवों को आहार स्रोतों के विकल्प प्रदान करते हैं। यदि कभी एक खाद्य स्रोत उपलब्ध न हुआ तो जीव किसी अन्य खाद्य स्रोत से ऊर्जा प्राप्त कर सकता है। लेकिन सरल खाद्य श्रृंखलाओं में जब जीव को केवल एक ही प्रकार का आहार स्रोत उपलब्ध हो तब ऐसा नहीं हो पाता। इस आहार स्रोत के अभाव में जीव की समष्टि नष्ट हो जाएगी। इस प्रकार खाद्य जाल पारितंत्र के भीतर जैविक समुदाय के स्थायित्व को सुनिश्चित करता है। उष्णकटिबंधीय जलवायु में हमें आमतौर से सम्मिश्र खाद्य श्रृंखलाएं ही देखने को मिलती हैं। शीतोष्ण जलवायु में आहार श्रृंखलाएं बहुत सरल प्रकार की होती हैं। सरलतम प्रकार की खाद्य श्रृंखला टुंड्रा में पायी जाती है। इस प्रकार की श्रृंखलाओं में मॉस (काई), रेंडीयर तथा मनुष्य होता है अथवा मॉस, रोडेण्ट तथा हिम-कुक्कुट होते हैं। ऐसे मामलों में यदि खाद्य श्रृंखला में से कोई एक कड़ी मौजूद न हो तो अगले पोषण स्तर की समष्टि में हानि होती है क्योंकि वहां वैकल्पिक आहार स्रोत मौजूद नहीं होता।

कृषि-पारितंत्रों में प्राकृतिक पारितंत्रों की अपेक्षा जैसे कि वनों की अपेक्षा खाद्य श्रृंखलाएं कम सम्मिश्र होती हैं, कृषि में खरपतवारों को निकालते रहते हुए साफ-सुथरी खेती की जाती है और इस प्रकार पारितंत्र में से आहार का विकल्प स्रोत हटा दिया गया होता है। अतरू कृषि-पारितंत्रों में पीड़क महामारियों की बहुत संभावनाएं होती हैं।

 पारिस्थितिकी अनुक्रमण (Ecological succesion)
आमतौर से माना जाता है कि जीवों पर भौतिक कारकों का प्रभाव पड़ता है और जीव भौतिक कारकों को प्रभावित नहीं करते। मगर यह सत्य नहीं है। सजीव जीवधारी अर्थात् पौधे, प्राणी एवं सूक्ष्मजीव भौतिक कारकों के दास नहीं हैं। ये भौतिक पर्यावरण बनाने वाले घटक जल, मृदा तथा वायु की रासायनिक प्रकृति का लगातार रूपांतरण करते रहते हैं एवं उसे जीवन के लिए अधिक उपयुक्त बनाते हैं। इस संदर्भ में पारिस्थितिक अनुक्रमण अथवा पारितंत्र का विकास एक अति उत्तम उदाहरण है।

किसी आवास में व्यवस्थापूर्ण एवं पूर्वाद्योषणीय परिवर्तन पारिस्थितिकी अनुक्रमण कहलाता है अथवा पारितंत्र विकास कहते हैं।

प्राथमिक अनुक्रमण (Primary succesion) वहाँ होता है जहाँ पहले कभी कोई जैविक समुदाय नहीं रहा है। उदाहरणतः (किसी बालू-टीबे (sand dune) अथवा कड़ी चट्टान पर सर्वप्रथम लाइकेन्स तथा मॉस जैसे पौधे प्रकट होते हैं। ये मृदा दशा में परिवर्तन लाते हैं और उसे जीवन के लिए अधिक उपयुक्त बना देते हैं, उसके बाद प्रकट होती हैं घासें । घासों के बाद आती हैं झाड़ियाँ, छोटे वृक्ष और फिर बड़े वृक्ष । पादप समुदाय में होने वाले परिवर्तनों के साथ-साथ प्राणी समुदायों में भी परिवर्तन आते हैं। सबसे आरम्भ में प्रकट होने वाले समुदाय को अग्रणी समुदाय (pioneer community) कहते हैं। इस समुदाय में पाए जाने वाले जीव आकार में छोटे, अधिक सहनशील और पर्यावरण की कठिन दशाओं को सहन करने वाले होते हैं। अनुक्रमण के अंत में प्रकट होने वाला समुदाय चरम समुदाय (climax community) कहलाता है। चरम समुदाय के जीव बृहत्तर एवं श्रेष्ठतर प्रतिस्पर्धी होते हैं। अनुक्रमण के दौरान प्रकट होने वाले समुदाय क्रमकी अवस्थाएं (seral stages) अथवा क्रमक (seres) कहलाते हैं।

द्वितीयक अनुक्रमण (Secondary succesion) तब होता है जब किसी आवास में जैविक समुदाय का किन्हीं प्राकृतिक आपदाओं से, जैसे कि आग, बाढ़ तथा भूस्खलनों से विनाश हो गया हो। कृषि खेत (कृषि-पारितंत्र) में अनुक्रमण का आरम्भ मिट्टी की जुताई और फसल की बुआई से आरम्भ होता है। कृषि-पारितंत्र में चरम अवस्था कभी नहीं आतीं फसल काटते ही यह अनुक्रमण समाप्त हो जाता है।

बोध प्रश्न 3
प) खाद्य श्रृंखला किसे कहते हैं?
पप) खाद्य जाल से क्या अभिप्राय है?
पपप) पोषण स्तर किसे कहते हैं?
पअ) प्राथमिक उपभोक्ता शब्द से आप क्या अर्थ निकालते हैं?
अ) तृतीयक उपभोक्ता हमारे लिए किस प्रकार हानिकर हैं?
अप) क्रमकी अवस्थाएं क्या होती हैं?
अपप) प्राथमिक अनुक्रमण क्या होता है?

उत्तरमाला

3) प) एक स्पीशीज (प्रजाति) के जीवों से किसी दूसरी स्पीशीज (प्रजाति) में खाद्य-ऊर्जा का स्थानांतरण एवं खाने तथा दूसरों द्वारा खाए जाने की प्रक्रिया को खाद्य श्रृंखला कहते हैं।
पप) खाद्य श्रृंखलाओं का आपस में जुड़ना खाद्य जाल कहलाता है।
पपपद्ध खाद्य श्रृंखला में किसी प्रजाति के जीवों के अशन स्थान को पोषण स्तर कहते हैं।
पअ) कीट पीड़कों, गाय, भैंस आदि जैसे शाकभक्षियों को प्राथमिक उपभोक्ता कहते हैं।
अ) तृतीयक उपभोक्ता अधिपरजीवी होते हैं जो उपयोगी प्राकृतिक शत्रुओं को खाते हैं और इसलिए वे हानिकारक हैं।
अप) पारिस्थितिक अनुक्रमण के दौरान किसी एक आवास में रह रहे विभिन्न समुदायों को क्रमकी (सीरल) अवस्थाएं कहते हैं।
अपप) किसी स्थान पर जहां पहले से कोई समुदाय नहीं रह रहा था, होने वाले पारिस्थितिका अनुक्रमण को पारिस्थितिकी अनुक्रमण कहते हैं।