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राजस्थान केसरी के संपादक कौन थे | राजस्थान केसरी वर्धा समाचार पत्र कब संपादित हुआ rajasthan kesari newspaper published by

rajasthan kesari newspaper published by or founder in hindi राजस्थान केसरी के संपादक कौन थे | राजस्थान केसरी वर्धा समाचार पत्र कब संपादित हुआ ?

प्रश्न : राजस्थान केसरी वर्धा ?

उत्तर :  बिजौलिया आन्दोलन के सम्बन्ध में जब पथिक जी 1919 में बम्बई में महात्मा गाँधी से मिलने गए तो अपनी बम्बई यात्रा के समय यह निश्चित किया था कि पथिक के सम्पादकत्व में एक समाचार पत्र निकाला जाए। यह तय किया गया कि यह समाचार पत्र बिजौलिया के कृषक आंदोलन का मुख्य पृष्ठ होगा। 1919 में विजय सिंह पथिक जी के सम्पादकत्व में वर्धा से ‘राजस्थान केसरी’ का प्रकाशन शुरू किया गया। पत्र के सहसम्पादक श्री रामनारायण चौधरी तथा ईश्वरदान आसिया और व्यवस्थापक श्री हरिभाई किंकर और कन्हैयालाल कलयंत्री नियुक्त किये गए। पत्र की आर्थिक जिम्मेदारी सेठ जमनालाल बजाज ने उठाई। पथिक जी ने वर्धा से राजस्थान केसरी का बड़ी खूबी से संचालन किया।

प्रश्न : किशोरी देवी के बारे में जानकारी दीजिये। 

उत्तर : सरदार हरलाल सिंह की पत्नी किशोरी देवी ने अपने पति के साथ मिलकर शेखावटी क्षेत्र में जागीर प्रथा के विरोध में और राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया। पुलिस ने इन्हें कई बार गिरफ्तार करके जंगल में छोड़ दिया और कई बार उनका सामना भी किया। महिलाओं के प्रति अमानवीय व्यवहार करने वालों के विरोध में सीकर जिले के कटराथल नामक स्थान पर किशोरीदेवी की अध्यक्षता में एक विशाल महिला सम्मेलन 1934 ईस्वीं में आयोजित किया गया जिसमें क्षेत्र की लगभग 10 हजार महिलाओं ने भाग लिया।

प्रश्न : नारायणी देवी वर्मा कौन थी ?

उत्तर : इनका जन्म 1902 ईस्वीं में सिंगोली (मध्यप्रदेश) में हुआ और इनका विवाह श्री माणिक्य लाल वर्मा से हुआ। अपने पति से प्रेरणा लेकर राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया और बिजौलिया में समाज सुधार तथा शिक्षा प्रसार प्रचार का कार्य किया। बिजोलिया आन्दोलन के समय इन्हें कुम्भलगढ़ के किले में बंदी बना लिया गया। नवम्बर 1944 ईस्वीं महिला शिक्षा और वैचारिक जागृति के लिए भीलवाड़ा में “महिला आश्रम” की स्थापना की गयी। 1970 में राज्यसभा के लिए इन्हें निर्वाचित किया गया।

प्रश्न : अंजना देवी चौधरी का इतिहास बताइए ?

उत्तर : अपने पति रामनारायण चौधरी की इच्छानुसार 20 वर्ष की आयु में पर्दा प्रथा त्याग कर राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग करने का संकल्प लिया। 1921-24 में मेवाड़ , बूंदी राज्यों की स्त्रियों में राष्ट्रीयता , समाज सुधार की भावना को बढ़ावा दिया और उनके साथ सत्याग्रह का कार्य किया। 1924 ईस्वीं में बिजौलिया में लगभग 500 स्त्रियों के जत्थे का नेतृत्व करके नाजायज हिरासत से किसानों को छुड़ाया। 1934-36 ईस्वीं तक अजमेर के नारेली आश्रम में रहकर हरिजन सेवा कार्यों में भाग लिया। 1937 ईस्वीं में डूंगरपुर बेंगु में सत्याग्रही किसान स्त्रियों का मार्गदर्शन किया।

प्रश्न : रतन शास्त्री के बारे में जानकारी लिखिए। 

उत्तर : सन 1929 ईस्वीं के ग्राम सेवा ग्रामोत्थान और जनसेवा के उद्देश्य से वनस्थली में रतन शास्त्री ने अपने पति हीरालाल शास्त्री द्वारा लडकियों की शिक्षा के लिए स्थापित जीवन कुटीर कार्यक्रम में पूरा सहयोग प्रदान किया। रतन शास्त्री ने सन 1939 ईस्वीं में जयपुर राज्य प्रजामंडल के सत्याग्रह आन्दोलन में सक्रीय रूप से भाग लिया तथा सन 1942 ईस्वीं के भारत छोड़ो आन्दोलन में भूमिगत कार्यकर्त्ताओं तथा उनके परिवारों की सेवा की। शास्त्री कस्तूरबा स्मारक ट्रस्ट की क्षेत्रीय समिति तथा लोकवाणी सोसाइटी की सदस्य रही। सन 1955 ईस्वीं में इन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। महिला और बाल कल्याण के क्षेत्र में इनके योगदान के लिए इन्हें जमनालाल बजाज पुरस्कार और सन 1975 ईस्वीं में ‘पद्मभूषण’ से भी सम्मानित किया गया।

अन्य महत्वपूर्ण अथवा प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी

 स्वतंत्रता सेनानी का नाम 

स्थान / प्रजामण्डल से सम्बद्ध 

विशिष्ट तथ्य  

 प्रो. गोकुललाल असावा  

शाहपुरा प्रजामण्डल  

नमक सत्याग्रह , संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य , सक्रीय क्रान्तिकारी और लोकप्रिय नेता , राजस्थान संघ के प्रधानमंत्री।  

 मोहनलाल सुखाड़िया 

मेवाड़ प्रजामण्डल  

आधुनिक राजस्थान का निर्माता सर्वाधिक काल तक मुख्यमंत्री , दस्यु समस्या का निवारण।  

 साधु सीताराम दास 

बिजौलिया किसान आन्दोलन , मेवाड़ प्रजामंडल  

सामन्ती अत्याचारों का विरोध , सामन्ती ताकतों से लोहा लेने वाली सेना का पहला सेनानायक।  

 मथुरादास माथुर 

जोधपुर  

स्वतंत्रता सेनानी , प्रमुख अर्थशास्त्री , जोधपुर सरकार में मंत्री , वरिष्ठ कांग्रेसी नेता।  

 हरिदेव जोशी 

बाँसवाड़ा प्रजामण्डल  

बाँसवाड़ा के विकास पुरुष , प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी , आदिवासियों के मसीहा , पत्रकारिता , लोकवाणी के संवाददाता , नवयुग के प्रकाशक और संपादक , पहली से 10 वीं विधानसभा तक लगातार विधायक , तीन बार मुख्यमंत्री।  

 भीखाभाई भील 

डूंगरपुर प्रजामंडल  

राजस्थान के प्रमुख आदिवासी नेता , डूंगरपुर प्रजामण्डल के सक्रीय कार्यकर्त्ता।  

 शोभाराम कुमावत 

अलवर प्रजामण्डल  

प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी , अलवर जन आन्दोलन में प्रमुख भूमिका , मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री , विभिन्न मंत्रीमंडलों में मंत्री रहे।  

 ज्वालाप्रसाद 

अजमेर  

प्रसिद्ध क्रान्तिकारी , राष्ट्रीय चेतना जागृति में प्रमुख योगदान , रेलवे खजाना लूट , बीकानेर में 1944 ईस्वीं में वायसराय की हत्या का प्रयास , मेयो कॉलेज बम काण्ड , डोगरा हत्याकांड से सम्बद्ध।  

 नानकजी भील 

बूंदी  

बिजौलिया , बेगूं और बूंदी कृषक आंदोलनों के दौरान किसानों में जनजागृति पैदा की। अच्छा गायक होने से गीतों द्वारा जनजागरण किया। बरड गाँव (बूंदी) में झंडा गीत गाते समय पुलिस ने गोली मारकर हत्या की।  

 जुगलकिशोर चतुर्वेदी 

भरतपुर प्रजामण्डल  

प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी , शिक्षक , सत्याग्रही , बेगार विरोधी आन्दोलन के संचालक , मत्स्य संघ के उपप्रधानमंत्री , व्यास मंत्रिमण्डल में मंत्री।  

 मास्टर आदित्येन्द्र 

भरतपुर प्रजामंडल  

स्वतंत्रता सेनानी , अध्यापन कार्य के साथ साथ छात्रों में राष्ट्रीय भावना भरी , भारत छोडो आन्दोलन में सक्रीय भूमिका।  

 प्रतापसिंह बारहठ 

केसरी सिंह बारहठ के पुत्र  

महान क्रान्तिकारी , वर्धमान स्कूल के क्रांतिकारी , हार्डिंग बमकाण्ड के प्रमुख कार्यकर्त्ता , पांच वर्ष का कठोर कारावास , कठोर यातनाएँ सहते हुए शहीद।  

 जोरावरसिंह बारहठ 

प्रसिद्ध क्रान्तिकारी केसरी सिंह बारहठ के भाई।  

महान क्रान्तिकारी , वर्धमान स्कूल के क्रान्तिकारी , हार्डिंग बमकाण्ड के मुख्य आरोपी , आरा हत्याकांड से सम्बद्ध।