छायावादी युग के कवि नाम बताओ | छायावादी युग के लेखक पुस्तक विशेषताएं किसे कहते है chhayavadi kavi ke naam
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छायावादी युग
छायावाद स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह है, ऐसा डॉ. नगेन्द्र का मत है।
छायावाद के प्रमुख कवि
1. जयशंकर प्रसाद (1889-1937 ई.) झरना (1918 ई.), आँसू (1925 ई.), लहर (1933 ई.)कामायनी (1935 ई.)।
2. सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘(1897-1963 ई.) अनामिका (1923 ई.),
‘निराला परिमल (1930 ई.). गीतिका (1936 ई.), तुलसीदास (1938 ई.). सरोजस्मृति, आराधना, गीतगुंज।
3. सुमित्रानन्दन पन्त (1900-1977 ई.) उच्छ्वास (1920 ई.), ग्रन्थि
(1920 ई.), वीणा (1927 ई.), पल्लव (1928 ई.), गुंजन (1932 ई.)।
14. महादेवी वर्मा (1907-1987 ई.) नीहार (1930 ई.), रश्मि (1932 ई.), नीरजा (1935 ई.), सांध्यगीत (1936 ई.), यामा (1940), दीपशिखा (1942)।
छायावादी काव्य की प्रवृत्तियाँ…
1. आत्माभिव्यंजन, 2. सौन्दर्य चित्रण, 3. प्रकृति चित्रण, 4. श्रृंगार निरूपण, 5. नारी भावना, 6. रहस्यवादी भावना, 7. दुरूख और वेदना का काव्य , 8. लाक्षणिकता, 9. प्रतीकात्मकता, 10. खड़ी बोली का काव्य भाषा के रूप में प्रयोग।
‘कामायनी‘ (1935) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित महाकाव्य है, जिसमें 15 सर्ग हैं। चिन्ता कामायनी का पहला सर्ग है और आनन्द अन्तिम सर्ग द्य चिन्ताग्रस्त मनु ने आनन्द तक की यात्रा की है। कामायनी में तीन प्रमुख पात्र हैं-श्रद्धा, मनु, इड़ा जो क्रमशः हृदय, मन, बुद्धि के प्रतीक हैं। कामायनी में शैव दर्शन के अन्तर्गत आने वाले प्रत्यभिज्ञा दर्शन की मान्यताओं एवं शब्दावली का समावेश है। श्पल्लवश् पन्तजी की सर्वश्रेष्ठ
छायावादी कृति है। इसमें 40 पृष्ठों की लम्बी भूमिका में पन्त जी ने छायावादी भाषा-शिल्प पर अपनी सम्मति व्यक्त की है। इसलिए इसे छायावाद का मेनीफेस्टो (घोषणा-पत्र) कहा जाता है। निराला ओज, औदात्य के कवि हैं। राम की शक्ति पूजा में निराला के व्यक्तिगत जीवन का सत्य भी है। यह सत्य की असत्य पर विजय का काव्य है। महादेवी जी वेदना की कवयित्री हैं। वेदना और रहस्यवाद की प्रधानता होने के कारण उनको ‘आधुनिक मीराश् कहा जाता है। चिदम्बरा पर पन्त को तथा यामा पर महादेवी को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।
छायावादी युगीन पत्र-पत्रिकाएँ
1. मर्यादा काशी कृष्णकांत मालवीय मासिक
एवं सम्पूर्णानन्द
2. चाँद प्रयाग रामरख सहगल मासिक
3. प्रभा कानपुर बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन‘ मासिक
4. माधुरी लखनऊ दुलारे लाल भार्गव मासिक
5. सुधा लखनऊ सूर्यकांत त्रिपाठी, निराला मासिक
6. विशाल भारत कलकत्ता बनारसीदास चतुर्वेदी मासिक
7. हंस बनारस प्रेमचंद मासिक
8. समन्वय कलकत्ता निराला जी मासिक
9. साहित्य संदेश आगरा गुलाबराय मासिक
10. कर्मवीर जबलपुर माखन लाल चतुर्वेदी साप्ताहिक
11. हिन्दी नवजीवन अहमदाबाद महात्मा गांधी साप्ताहिक
12. आज वाराणसी बाबूराम विष्णुराव दैनिक
पराड़कर
प्रगतिवादी युग
मार्क्सवाद के साहित्यिक संस्करण को प्रगतिवाद कहा गया । मार्क्स की तरह प्रगतिवादी कवि भी समाज को दो वर्गों में बाँटते हैं-शोषक और शोषित । प्रमुख प्रगतिवादी कवि और उनकी रचनाएँ हैं-
1. नागार्जुन-युगधारा, सतरंगे पंखों वाली, प्यासी पथराई आँखें, भस्मासुर।
2. केदारनाथ अग्रवाल-युग की गंगा, नींद के बादल, फूल नहीं रंग बोलते हैं, आग का आइना।
3. शिवमंगल सिंह सुमन-हिल्लोल, जीवन के गान, प्रलय सृजन, विंध्य हिमालय।
4. त्रिलोचन शास्त्री-धरती, मिट्टी की बारात, मैं उस जनपद का कवि हूँ।
सुमित्रानन्दन पन्त के काव्य का क्रमिक विकास हुआ है। उनकी प्रारम्भिक रचनाएँ भले ही छायावादी हैं, पर बाद में वे प्रगतिवाद की ओर मुड़ गये। पन्त की प्रगतिवादी रचनाएँ हैं-युगान्त, युगवाणी, ग्राम्या।
दिनकर, निराला के काव्य में भी प्रगतिवादी स्वर है। दिनकर की हुंकार, निराला की बादल राग, कुकुरमुत्ता जैसी कविताओं में प्रगतिवादी स्वर
है।
राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्य धारा के कवि
1. हरिवंश राय बच्चन-मधुशाला, मधुबाला, निशा निमन्त्रण, मधुकलश, एकान्त संगीत, प्रणय पत्रिका, बंगाल का काल, जाल समेटा ।
2. रामधारी सिंह ‘दिनकर‘-रेणुका, प्रणभंग, हुंकार, परशुराम की प्रतीक्षा, उर्वशी, रसवंती, रश्मिरथी, हारे को हरिनाम, भृत्तितिलक। उर्वशी पर इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया ।
3. रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल‘- मधूलिका, अपराजिता, करील, किरणबेला, लाल चूनर, वर्षान्त के बादल।
4. नरेन्द्र शर्मा-धूल फूल, प्रभात फेरी, द्रौपदी, सुवर्ण, उत्तर जय, रक्त चन्दन, प्रवासी के गीत, पलाश वन, प्यासा निर्झर ।
(अ) प्रयोगवाद एवं नयी कविता
प्रयोगवाद के प्रवर्तन का श्रेय अज्ञेय को दिया जाता है, जिन्होंने तार सप्तक (1943) में सात ऐसे कवियों की रचनाएँ संकलित-सम्पादित की, जो नये प्रयोग में विश्वास करते थे।
भाषा, विषय-वस्तु, शिल्प आदि की दृष्टि से नये प्रयोग इन कवियों ने किये।
1. तार सप्तक (1943) के कवि-1. नेमिचन्द्र जैन, 2. मुक्तिबोध, 3. भारतभूषण अग्रवाल, 4. प्रभाकर माचवे, 5. गिरिजाकुमार माथुर, 6. रामविलास शर्मा, 7. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय‘।
2. दूसरा सप्तक (1951) के कवि-1. भवानीप्रसाद मिश्र, 2. शकुन्तला माथुर, 3. हरिनारायण व्यास, 4. शमशेर बहादुर सिंह, 5. नरेश मेहता, 6. रघुवीर सहाय, 7. धर्मवीर भारती।
3. तीसरा सप्तक (1959) के कवि-1. प्रयागनारायण त्रिपाठी, 2. कुँवर नारायण, 3. कीर्ति चैधरी, 4. केदारनाथ सिंह, 5. मदन वात्सायन, 6. विजयदेव नारायण साही, 7. सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ।
4. चैथा सप्तक (1978) के कवि-1. अवधेश कुमार, 2. राजकुमार कुंभज, 3. स्वदेश भारती, 4. नंदकिशोर आचार्य, 5. सुमन राजे, 6. श्री राम वर्मा, 7. राजेन्द्र किशोर ।
प्रयोगवाद एवं नयी कविता के प्रमुख कवि
कवि नयी कविताएँ
1. अज्ञेय (1911-1987 ई.) हरी घास पर क्षण भर, सागर मुद्रा,बाबरा अहेरी, चिन्ता, इन्द्र धनु रौंदे हुए ये, इत्यलम, आँगन के पार द्वार, असाध्य वीणा, अरी ओ करुणा प्रभामय, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ। अज्ञेय प्रयोगवाद के प्रवर्तक माने जाते हैं।
2. मुक्ति बोध चाँद का मुँह टेढ़ा है, (1917-1964 ई.) भूरी-भूरी खाक धूल।
3. धर्मवीर भारती अन्धा युग, ठण्डा लोहा, (1926-1997 ई.) कनुप्रिया, सातगीत वर्ष।
4. नरेश मेहता (1922 ई.) बनपांखी सुनो तो, बोलने दो चीड़ को, महाप्रस्थान, अरण्या, संशय की एक रात ।
5. सर्वेश्वरदयाल सक्सैना काठ की घण्टियाँ, बाँस का पुल, गर्म हवाएँ, कुआनो नदी।
6. कुँवर नारायण चक्रव्यूह, आत्मजयी, परिवेश- हम तुम, आमने-सामने कोई दूसरा नहीं।
7. शमशेरबहादुर सिंह चुका भी नहीं हूँ मैं, इतने पास अपने,काल तुझसे होड़ मेरी, बात बोलेगी हम नहीं।
8. दुष्यन्त कुमार साये में धूप, सूर्य का स्वागत
9. श्रीकान्त वर्मा दिनारम्भ।
10. विष्णु चन्द्र शर्मा आकाश विभाजित है।
11. विजेन्द्र त्रास।
12. धूमिल संसद से सड़क तक।
13. लीलाधर जंगूड़ी नाटक जारी है।
छायावादोत्तर काल की प्रमुख पत्रिकाएँ
1. धर्मयुग मुम्बई धर्मवीर भारती साप्ताहिक
2. साप्ताहिक हिन्दुस्तान दिल्ली मनोहर श्याम जोशी साप्ताहिक
3. दिनमान दिल्ली घनश्याम पंकज साप्ताहिक
4. नंदन दिल्ली जय प्रकाश भारती पाक्षिक।
5. पराग दिल्ली कन्हैयालाल नंदन पाक्षिक
6. कादम्बिनी दिल्ली राजेन्द्र अवस्थी मासिक
7. हंस दिल्ली राजेन्द्र यादव मासिक
8. सारिका दिल्ली कमलेश्वर, मासिक
अवध नारायण मुद्गल
9. गंगा पटना कमलेश्वर त्रैमासिक
10. भाषा दिल्ली केन्द्रीय हिन्दी त्रैमासिक
11. नई कहानियाँ इलाहाबाद भैरव प्रकाश गुप्ता मासिक
नवगीत
नयी कविता और नवगीत एक-दूसरे के विरोधी नहीं, एक दूसरे के पूरक हैं। नवगीत विधा के प्रवर्तक डॉ. शंभू नाथ सिंह माने जाते हैं।
लेखक नयी कविता/गीत
1. शम्भूनाथ सिंह नवगीत दशक 1, 2, 3, नवगीत अर्द्धशती।
2. राजेन्द्र प्रसाद सिंह आओ खुली बयार।
3. रामदरश मिश्र पथ के गीत, बैरंग बेनाम चिट्ठियाँ ।
4. ठाकुर प्रसाद सिंह वंशी और मॉडल।
5. देवेन्द्र शर्मा ‘इन्द्र‘ कुहरे की प्रत्यंचा, चुप्पियों की पैंजनी, यात्राएँ
साथ-साथ।
6. वीरेन्द्र मिश्र झुलसा है छाया नट धूप में।
7. उमाकान्त मालवीय सुबह रक्त पलाश की।
8. रमाकान्त अवस्थी बन्द न करना द्वार।
9. रवीन्द्र भ्रमर इतिहास दुबारा लिखो, रमेश रंजक के लोक गीत, सोन मछली मन वंशी।
10. रामसनेही लाल शर्मा मन पलाश वन और दहकती संध्या।
‘यायावर‘
आधुनिक (वर्तमान) पत्रिकाएँ
1. संचेतना दिल्ली डॉ. महीप सिंह मासिक
2. आलोचना दिल्ली डॉ. नामवर सिंह त्रैमासिक
3. समीक्षा पटना गोपाल राय मासिक
4. आजकल दिल्ली प्रताप सिंह विष्ट –
5. वैचारिकी मुम्बई मणिका मोहिनी मासिक
6. विकल्प प्रयाग धनंजय मासिक
7. वसुधा जबलपुर हरिशंकर परसाई मासिक
8. कथान्तर पटना प्रताप सिंह मासिक
9. तद्भव लखनऊ अखिलेश मासिक
10. ज्ञानोदय कलकत्ता कन्हैया लाल मिश्र मासिक
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