JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indian

होयसलेश्वर मंदिर कहां है , राज्य का नाम क्या है , hoysaleswara temple in hindi कब बना किसने बनवाया

पढ़िए होयसलेश्वर मंदिर कहां है , राज्य का नाम क्या है , hoysaleswara temple in hindi कब बना किसने बनवाया ?

हैलीबिड/द्वारसमुद्र
(13.21° उत्तर, 75.99° पूर्व)
हैलीबिड हासन के उत्तर-पश्चिम में 27 किमी. दूर स्थित है। यह आधुनिक कर्नाटक के बैलूर से पूर्व की ओर 17 किलोमीटर दूर है। हैलीबिड, जिसे द्वारसमुद्र के नाम से भी जाना जाता है, 12वीं एवं 13वीं शताब्दी में होयसल साम्राज्य की राजधानी था। यह तारे के आकार के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जिसका निर्माण होयसल शासकों ने करवाया था। प्रत्येक मंदिर एक-दूसरे के बिल्कुल अगल-बगल स्थित हैं तथा आकार में एक-दूसरे के बिल्कुल समान हैं। ये मंदिर तारे के समान निर्मित धरातल पर बने हुए हैं। अपनी इस विशिष्टता के कारण ये मंदिर देश के सभी अन्य मंदिरों से विशेष पहचान रखते हैं। होयशलेश्वर मंदिर हैलीबिड का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। यह अपने नक्काशीयुक्त कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं, पशुओं, पक्षियों एवं नृत्य करती बालिकाओं के सुंदर चित्र बने हुए हैं। यद्यपि मंदिर के कोई भी दो कोने एक जैसे नहीं हैं। इस उत्कृष्टता की समानता रखने वाला केदारेश्वर मंदिर लगभग एक शताब्दी के बाद बनाया गया।
यहां कई जैन मठ भी हैं जो कि शिल्प में इतने ही उत्कृष्ट हैं। ऐसी मान्यता है कि प्रसिद्ध सुधारवादी संत आदि शंकर ने यहां शारदा पीठ की भी स्थापना की थी। यह देश में वेदांत दर्शन के प्रसार हेतु चार पीठों में से एक है।

ग्वालियर (26.22° उत्तर, 78.17° पूर्व)
ग्वालियर वर्तमान में उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश में है। यह एक अत्यंत प्राचीन नगरी है, जहां प्रतिहार, कछवाहा एवं तोमर जैसे कई प्रसिद्ध राजपूत वंशों ने शासन किया। ग्वालियर अपनी कई प्रसिद्ध इमारतों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें ग्वालियर का किला (15वीं शताब्दी में राजा मान सिंह तोमर द्वारा निर्मित), एवं 14वीं शताब्दी में निर्मित गुर्जरी महल (राजा मानसिंह एवं उसकी रानी गूर्जरी के प्रेम का प्रतीक) सर्वाधिक प्रमुख हैं।
महमूद गजनवी ने ग्वालियर पर आक्रमण किया था किंतु वह इस पर अधिकार नहीं कर सका। ग्वालियर के शासकों ने दिल्ली सल्तनत के प्रारंभिक शासकों के आक्रमणों का भी सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया किंतु अलाउद्दीन खिलजी ने इस पर अधिकार कर लिया। मलिक काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी के पुत्रों को यहीं बंदी बनाकर रखा था।
अकबर के समय ग्वालियर पर मुगलों ने आधिपत्य स्थापित कर लिया। महान संगीतज्ञ तानसेन, जो अकबर के नौ रत्नों में से एक थे, ग्वालियर से ही संबंधित थे। ग्वालियर में तानसेन का मकबरा भी है।
कालांतर में ग्वालियर सिंधिया सरदारों का मुख्यालय बन गया। महादजी सिंधिया, महान सिंधिया सरदार थे, जिन्होंने उत्तरवर्ती मुगल शासकों के समय दिल्ली पर भी नियंत्रण स्थापित कर लिया था। 1780 में ग्वालियर पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया। 1857 के विद्रोह में ग्वालियर विद्रोहियों का एक प्रमुख केंद्र था। यहां विद्रोहियों का नेतृत्व तात्यां टोपे ने किया था। यह ग्वालियर का किला (15वीं शताब्दी में राजा मान सिंह तोमर द्वारा बनवाया गया) तथा 14वीं शताब्दी का गूजरी महल (राजा मान सिंह तथा उसकी रानी (गुर्जरी) के बीच प्रेम का स्मारक), जैसे विभिन्न स्मारकों के लिए जाना जाता है।

ग्यारसपुर (23°40‘ उत्तर, 78°6‘ पूर्व)
ग्यारसपुर मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित है। यह गुप्त एवं उत्तर गुप्तकालीन स्थल अपनी स्थापत्य रचनाओं एवं नक्काशियों के लिए प्रसिद्ध है।
यहां से बौद्ध, जैन एवं ब्राह्मण धर्म से संबंधित विभिन्न वस्तुएं प्राप्त की गई हैं। यहां से गुप्तकालीन एक स्तूप भी मिला है, जिसमें बुद्ध एवं बोधिसत्वों से संबंधित आकृतियों को उकेरा गया है। यहां से वृक्ष देवता की एक मूर्ति भी मिली है, जो शारीरिक बनावट, भारी आभूषणों, केश विन्यास की दृष्टि से विशेष पहचान रखती है। सातवीं शताब्दी ईस्वी के एक जीर्ण-शीर्ण शिव मंदिर के अतिरिक्त ग्यारसपुर में एक जैन मंदिर भी पाया गया है, जिसे माहतोदेवी मंदिर कहा जाता है। संभवतः यह जैन मंदिर 9वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में निर्मित किया गया था। यह मंदिर अपने विभिन्न शिखरों के लिए प्रसिद्ध है। इसके स्तंभ विशिष्ट अलंकरणों से युक्त हैं, जो उत्तरकालीन गुप्तकालीन शैली से साम्यता रखते हैं।

हल्लूर (14.3334° उत्तर, 75.6223° पूर्व)
कर्नाटक के भागलकोट जिले में स्थित हल्लूर एक पुरातात्विक स्थल है। यह दक्षिण भारत का प्राचीनतम लौहयुगीन स्थल है, जो तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है। इस स्थल की खोज नागराज राव ने सर्वप्रथम 1962 में की तथा 1965 में इसका उत्खनन हुआ। यहां बसावट के दो कालखंड परिलक्षित होते हैंः नवपाषाण-ताम्रपाषाण (इसमें 2000 ई.पू. से 1200 ई.पू. के बीच मानव बस्तियों के दो उप-चरण सन्निहित हैं) तथा नवपाषाण-ताम्रपाषाण व प्रारम्भिक लौह युग का अतिव्याप्त काल। लौह युग की ओर संक्रमण काल 1200 से 1000 ई.पू. के मध्य हुआ। इस काल के मृदभांड काले व लाल रंग के हैं, जिनमें श्वेत रंग की लाइनें एवं पैटर्न बने हैं। वर्तमान विद्वानों का मानना है कि नवपाषाण से लौह युग की ओर सांस्कृतिक विकास एक देशी प्रघटना थी तथा इसमें जनसांख्यिकीय निरन्तरता पाई जाती है।
1971 के उत्खनन में यहां अश्व की अस्थियों की खोज हुई जो परिकल्पित आर्य आक्रमण से पहले के काल की थी। इस खोज ने एक विवाद को उत्पन्न कर दिया क्योंकि यह उस धारणा के विपरीत था, जिसमें माना गया था कि भारत के दक्षिणी भागों में अश्वों का परिचय आर्यों द्वारा किया गया। पशु, भेड़, बकरी तथा कुत्ते की अस्थियां भी इस स्थान से मिली हैं। नवपाषाण काल की मुख्य फसलों में बाजरा, चने की दाल, मूंग आदि थी। इस स्थल पर दक्षिण भारत में अफ्रीकी मूल की फसलों के प्राचीनतम साक्ष्य भी पाए जाते हैं जैसे-रागी व जलकुंभी। उत्तर लौह युग काल में रागी, चावल, मिट्टी के आभूषण, कार्नेलियन, स्वर्ण इत्यादि भी मिले घरों में गोलाकार फर्श जो मिट्टी व पत्थर के टुकड़ों को परतों में संयोजित करके बनाए गए थे, जिससे सतह कठोर बनी रहे। दीवारें बांस तथा मिट्टी की बनी थी तथा इनकी छत शंक्वाकार थी। एक घर के अंदर वृत्ताकार चिमनी मिली है, जिसमें राख तथा चारकोल मिला है। फर्श के नीचे एक कब्रगाह भी मिली है जिसमें अस्थि कलश रखे हैं, ये बच्चों के शवों को दफनाने हेतु रखे गए थे। इसके अतिरिक्त काले क्वार्टजाइट के बने ताम्रपाषाण ब्लेड के औजार, छोटी ताम्र की कुल्हाड़ियां एवं मछली पकड़ने के हुक भी मिले हैं। महापाषाण एवं लौह औजारों का मिलना लौह युग की ओर संक्रमण को दर्शाता है।

हम्पी (15.33° उत्तर, 76.46° पूर्व)
हम्पी मैसूर के निकट कर्नाटक में स्थित है। हम्पी, भारतीय इतिहास के सबसे बड़े हिन्दू साम्राज्य विजय नगर की राजधानी थी। 1336 में हरिहर एवं बुक्का द्वारा स्थापित विजयनगर साम्राज्य कृष्णदेवराय (1509-1529) के समय अपनी समृद्धि की पराकाष्ठा पर पहुंच गया। हम्पी का अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी घनिष्ठ व्यापारिक संबंध था।
इस स्थान से प्राप्त ब्राह्मी अभिलेखों से इस स्थान की प्राचीनता प्रथम शताब्दी ईस्वी तक जाती है। इससे अनुमान है कि इसके आसपास ही कहीं बौद्ध धर्म का एक केंद्र रहा होगा। वर्तमान में हम्पी विजयनगर साम्राज्य के ध्वंसावशेषों के लिए प्रसिद्ध है। कृष्णदेव राय द्वारा 16वीं शताब्दी में निर्मित विट्ठलदेव मंदिर एवं हजारस्वामी मंदिर हम्पी की प्रमुख इमारतों में से है।
विजयनगर साम्राज्य का एकाएक अंत हो गया तथा 1565 में दक्कनी सुल्तानों एवं विजयनगर के शासकों के मध्य तालीकोटा (बन्नीघाटी) के युद्ध के दौरान शहर ध्वस्त हो गया।
हम्पी दक्षिण भारत के प्रमुख ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध स्थानों में से एक है तथा यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित किया है। शानदार अवशेष एक अनोखे तथा सुन्दर तरह से एक बड़ी चट्टान पर बिखरे हुए हैं तथा ये जादुई स्वरूप के हैं।

हांसी (29.1° उत्तर, 75.97° पूर्व)
हांसी हिसार जिले में हरियाणा में स्थित है। पूर्व मध्यकालीन भारत में यह सामरिक महत्व का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यह राजपूतों के आपसी विवादों एवं राजपूतों एवं मुगलों के मध्य विवाद का एक प्रमुख कारण भी था। महमूद गजनवी ने 1022 ई. में इसे जीतकर गजनवी साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया। इस पर तोमरों एवं अजमेर के चैहान शासक बीसल देव ने भी शासन किया। बीसलदेव ने यहां दुर्ग बनवाया तथा उसका उपयोग तुर्क आक्रमणों का प्रतिरोध करने में किया। सूफी संत फरीदुद्दीन गज-ए-शकर ने हांसी को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया। 18वीं शताब्दी में अंग्रेज सेनापति जार्ज थामस ने इसे एक स्वतंत्र राज्य की राजधानी भी बनाया।
वर्तमान समय में हांसी वाणिज्यिक एवं संचार गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र भी है।
हनुमानगढ़ राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में कालीबंगा स्थल है, जो घग्गर नदी (प्राचीन काल में सरस्वती के नाम से जानी जाने वाली) के तट पर स्थित है। इस स्थल का उत्खनन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 1960-1969 के बीच किया गया। उत्खनन द्वारा संस्कृति के दोहरे अनुक्रम प्रकाश में आए, जिसमें उच्च क्रम (कालीबंगा-I) हड़प्पा का है, जो नगरीय अभिविन्यास दिखाता है, तथा निम्न क्रम (कालीबंगा-II) आरम्भिक हड़प्पा अथवा पूर्ववर्ती हड़प्पा को दर्शाता है।

हड़प्पा (30°37‘ उत्तर, 72°51‘ पूर्व)
हड़प्पा रावी नदी के पश्चिमी किनारे पर पश्चिमी पंजाब में स्थित है, जो अब पाकिस्तान में है। सिंधु घाटी सभ्यता का प्रथम उत्खनन यहीं से किया गया था, इसीलिए इस सभ्यता का नामकरण हड़प्पा सभ्यता किया गया। हड़प्पा का प्रथम पुरातात्विक उत्खनन सन् 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी के निर्देशन में किया गया।
हड़प्पा के उत्खनन से एक पूर्ण नियोजित नगर के पूर्व में अस्तित्वमान होने के प्रमाण मिले हैं। यह नगर ऊपरी एवं निचले दो भागों में विभक्त था। यहां से जली हुई ईंटों के आवास एवं जलनिकासी व्यवस्था के प्रमाण प्राप्त हुए। यहां से मुहरें, बाट एवं कई अन्य वस्तुएं भी प्राप्त की गई हैं। यहां से प्राप्त वस्तुओं में लाल बलुआ पत्थर से निर्मित मानव धड़ एवं कांसे की गाड़ी है, जो इस सभ्यता की समुन्नत कला एवं शिल्प की ओर संकेत करते हैं। यहां से अन्नागारों एवं श्रमिक आवास के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। यहां से कब्रगाह, एंटीमनी की छड़ें एवं कांसे से बने दर्पण भी प्राप्त हुए हैं।
यहां से एक समाधिगृह के भी प्रमाण मिले हैं, जिसे R-37 एवं समाधि-एच के नाम से जाना जाता है। R-37 का संबंध हड़प्पा चरण एवं H- प्रकार का संबंध परवर्ती हड़प्पा चरण से है। विभिन्न प्रकार के मृदभाण्डों से भी हड़प्पा के विभिन्न चरणों का ज्ञान होता है।
ऋगवेद में हड़प्पा का उल्लेख हरियूपिया के रूप में प्राप्त होता है।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now