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हिमांक के अवनमन से आप क्या समझते हैं हिमांक अवनमन तथा विलय के अणुभार में क्या सम्बन्ध है

हिमांक अवनमन तथा विलय के अणुभार में क्या सम्बन्ध है हिमांक के अवनमन से आप क्या समझते हैं ?

हिमांक में अवनमन (DEPRESSION IN FREEZING POINT)

एक सामान्य-सा प्रेक्षण है कि जब बर्फ में नमक मिलाया जाता है अर्थात हिम मिश्रण mixture) बनाया जाता है तो उसका ताप इतना कम हो जाता है कि उसमें आइसक्रीम व कली जमायी जा सकती है। नमक एक वैद्युत अपघट्य विलेय है जिससे जल के हिमांक में कमी अर्थात अवनमन । हुआ किसी विलायक में किसी अवाष्पशील ठोस को विलेय करने पर विलायक के हिमांक में अवनमन (depression in freezing point) हो जाता है।

जैसा कि हम जानते हैं कि हिमांक किसी द्रव के ताप का वह बिन्दु है जिस पर ठोस व द्रव अवस्थाएं साम्य में होती हैं और दोनों अवस्थाओं के वाष्य दाब का मान समान होता है। जैसा कि हम ऊपर देख चके हैं कि शुद्ध विलायक की तलना में किसी विलयन का वाष्प दाब कम होता है, हम यह भी जानते हैं कि किसी। ठोस का वाष्प दाब दव से बहत कम होता है। अतः किसा विलय की उपस्थिति में द्रव पदार्थ जल्दी जमता। है अर्थात् उसके हिमांक में अवनमन होता है। चित्र 9.22 में शद्ध विलायक व दो विलयनों के वाष्प दाबों को ठोस विलायक ताप के विपरीत आलेखित किया गया है। चित्र 9.22 में वक्र ऊर्ध्वपातन वक्र है व BC द्रव विलायक की वाष्प | दाब वक्र है। दोनों वक्र B पर एक-दूसरे को काटते हैं, अर्थात् इस बिन्दु पर दोनों साम्य में हैं और इनका वाष्प दाब समान है। अतः AT इस बिन्दु का ताप T. विलायक का हिमांक है। DE एवं FG क्रमशः विलयन 1 व II के वाष्य दाब वक्र हैं। (II विलयन की सान्द्रता 1 से अधिक है)। ये दाना ऊध्वपातन वक्र को क्रमशः बिन्द D  F पर काटते हैं जिनके लिए तापमान T1, व T2 है। अतः T1, व T2, विलयन । व। विलयन II के हिमांक बिन्दु हैं और दोनों ही का मान To से कम है।

I विलयन के लिए हिमांक अवनमन (freezing point depression)

Tf1 =To –T1

व II विलयन के लिए हिमांक अवनमन Tf2 = To – T2.

माना कि ताप TO पर विलायक का वाष्प दाब p° व ताप T1, व T2, पर क्रमशः विलयन I व विलयन II के वाष्प दाब क व P हैं। यदि विलयन तनु हो तो ठोस विलायक की ऊर्ध्वपातन वक्र को F से B तक। एक सीधी रेखा मान सकते हैं। अतः त्रिभुज BHD व BIF समरूप हैं, अतः DH /FI = BH /BI

उपर्युक्त चित्र के अनुसार, DH = To – T1 = Tf1  [I विलयन का हिमांक अवनमन]

FI = To –T2 = Tf2  [II विलयन का हिमांक अवनमन]

BH = p° – P1 = p1 [I विलयन का वाष्प दाब अवनमन]

BI = p°- p2 = p2 [II विलयन का वाष्प दाब अवनमन]

अतः ΔΤf1,/ ΔTf2 =  p1/p2

दाहिने हाथ वाले व्यंजक के अंश व हर दोनों में p° का भाग देने पर,

Tf1/Tf2 = P1/P0 /P2P0

अथवा  Tf = p/p0 ……………. ….(46)

अर्थात् हिमांक का अवनमन वाष्प दाब के आपेक्षिक अवनमन के समानुपाती है। हम जानते हैं कि

p/p0 =  n /n + N      [n/n + N = विलेय की मोल भिन्न ]

अथवा   P/P0 = n/N [ तनु विलयनों के लिए N>>n]

अथवा    p/P0 = W1/M1 x M0/W0  [Wo व W क्रमशः विलायक व विलेय की मात्रा तथा Mo व M, इनके अणु भार]

अतः समीकरण (46) को निम्न प्रकार से लिख सकते हैं

Tf = W1/M1 x M0/W0

Tf = A W1/M1 x M0/W0 …………………(47)

जहां A एक स्थिरांक है। चूंकि दिये गये विलायक के लिए उसकी मोलर संहति Mo का मान स्थिर है अतः स्थिरांक (A x Mo) के स्थान पर एक अन्य स्थिरांक k, रखने पर समीकरण (47) का स्वरूप निम्न हो जायेगा

Tf = kf = W1/M1W0…………. ….(48)

जहा का अवनमन स्थिरांक (depression constant) अथवा क्रायोस्कोपिक स्थिरांक (cryoscopic rant कहते हैं और यह विलायक की प्रकृति पर निर्भर करता है।

यदि विलेय के एक मोल ( W1/ M1 = 1 )को 1 gm विलायक (W = 1 g) में घोला जाये तो विलयन के लिए

अतः अवनमन स्थिरांक को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है यदि किसी विलायक के 1 ग्राम में विलेय के एक मोल को घोला जाये तो बने हुए विलयन के हिमांक अवनमन को अवनमन स्थिरांक कहा जाता है। लेकिन विलयन चूंकि तनु लिये जाते हैं अतः यदि एक मोल विलेय को 1000 g विलायक में घोलकर एक मोलल विलयन बनाया जाए तो, ।

TF = KF W1/M1 x W0  x 1000………… ….(49)

जहा Kf = Kf/1000, और इसे मोलल अवनमन स्थिरांक (molal depression constant) करत । 1000 ऊष्मागतिकी की आधार पर,

KF = RT02/1000 hf ………………(50)

जहा R = गैस स्थिरांक 1.987 cal/mol Kelvin

To= शुद्ध विलायक का हिमांक

h= प्रति ग्राम विलायक के गलन की गुप्त ऊष्मा. किसा विलयन के क्वथनांक में उन्नयन अथवा हिमांक में अवनमन द्वारा विलय के अणुभार का निर्धारण या जा सकता है। स्पष्ट करने के लिए कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे है।

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