हमारे समाज में लड़कियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है। बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है?

प्रश्न 19. हमारे समाज में लड़कियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है। बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है ?
उत्तर : मानव में 23 जोडी गुणसूत्र पाए जाते हैं। इनमें से 22 जोडी गुणसूत्र समजात होते हैं अर्थात पुरुष और महिला दोनों में समान होते है | जबकि 23 वाँ जोडी गुणसूत्र स्त्रियों में XX और पुरुष में XY होता है। युग्मकजनन द्वारा स्त्रियों के अण्डाशय में उत्पादित सभी अण्डाणु 22+X गुणसूत्र वाले होते हैं , जबकि पुरुष के वृषण में उत्पादित 50% शुक्राणु 22+X गुणसूत्र वाले तथा 50% शुक्राणु 22+Y गुणसूत्र वाले होते हैं। इस कारण स्त्रियों को समयुग्मकी और पुरुषों को विषमयुग्मकी कहते हैं।
निषेचन के समय यदि 22+X शुक्राणु का समेकन अण्डाणु के साथ होता है , तब मादा सन्तान उत्पन्न होगी अर्थात लड़की संतान उत्पन्न होगी , क्योंकि इसकी जीन संरचना 44+XX होगी। यदि अण्डाणु का समेकन 22+Y शुक्राणु के साथ होता है , तब नर सन्तान उत्पन्न होगी , अर्थात लड़का संतान उत्पन्न होती है क्योंकि इसकी जीन संरचना 44+XY होगी।

चूँकि लड़का संतान उत्पन्न करने के लिए Y गुणसूत्र की आवश्कता होती है जो कि केवल पुरुष में पाया जाता है इसलिए लड़का होगा या लड़की यह पुरुष के गुणसूत्रों पर निर्भर करता है न कि महिला के गुणसूत्रों पर |
उपर्युक्त कथन से स्पष्ट है कि लिंग निर्धारण में स्त्रियों की कोई भूमिका नहीं होती। ये समयुग्मकी होती हैं, क्योंकि अण्डाशय में केवल एक ही प्रकार के अण्ड उत्पादित होते हैं।

अत: हमारे समाज में लड़कियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को नहीं दिया जाना चाहिए |