who was the first and last indian governor general of independent india in hindi स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल कौन थे ?
प्रश्न: चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
उत्तर:
ऽ राजगोपालाचारी स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल थे और वे भारत के अन्तिम गवर्नर जनरल भी थे।
ऽ इनके समय हैदराबाद के निजाम के विरूद्ध पुलिस कार्रवाई।
ऽ 26 नवम्बर, 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ जो 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ और इसी दिन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारतीय गणतंत्र के राष्ट्रपति मनोनीत हुए।
प्रश्न: लार्ड मिन्टो द्वितीय
उत्तर:
ऽ यह लार्ड मिन्टो प्रथम (1807-13 ई.) का पौत्र था। इसके समय में मुस्लिम लीग का गठन 1906 में किया गया।
ऽ 1907 ई. में आंग्ल-रूस समझौता हुआ।
ऽ मार्ले – मिन्टो सुधार 1909 पारित हुआ।
ऽ सूरत अधिवेशन (1907) में काँग्रेस का विभाजन हुआ।
ऽ सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्यकारिणी में नियुक्त प्रथम भारतीय बने (1909 ई.)।
ऽ 1910 में ब्रिटिश सम्राट एडवर्ड टप्प्प् की मृत्यु व जार्ज ट सम्राट बना।
ऽ राजनीतिक सुधारों के विषय में सलाह देने के लिए लार्ड मिन्टो ने हसर ए.टी. अरूंडेलह्र की अध्यक्षता में अपनी कार्यकारिणी के चार सदस्यों की समिति गठित की जिसने अक्टूबर, में रिपोर्ट दी।
प्रश्न : लार्ड हार्डिग द्वितीय
उत्तर:
ऽ यह लार्ड हार्डिंग प्रथम (1844-48 ई.) का पौत्र था। इसके समय में 12 दिसम्बर, 1911 ई. को ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम भारत आया।
ऽ जार्ज पंचम द्वारा दिल्ली में बंगाल विभाजन को रद्द करने की घोषणा की तथा भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली हस्तांतरित करने की घोषणा की (1911)।
ऽ 1912 ई. में दिल्ली भारत की राजधानी बना।
ऽ 23 दिसम्बर, 1912 ई. को जब हार्डिंग राजधानी दिल्ली में प्रवेश कर रहे थे तो चाँदनी चैक में उन पर बम फेंका गया।
ऽ 1914 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरूआत हुई।
ऽ गाँधीजी इनके काल में 7 जनवरी, 1745 को दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे।
प्रश्न: लार्ड चेम्स फोर्ड
उत्तर:
ऽ इसके समय में होमरूल लीग की स्थापना (1916 ई.) हुई है।
ऽ 1918 ई. में भारतीयों को सेना में सम्राट का कमीशन मिलने की अनुमति।
ऽ सर सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा बिहार के पहले भारतीय गवर्नर बने।
ऽ मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार 1919 ई. पारित हुआ।
ऽ तीसरा आंग्ल-अफगान युद्ध 1919 ई. में हुआ तथा 1921 ई. में एक सन्धि द्वारा अफगानिस्तान को विदेशी मामलों में भी पूर्णतः स्वतंत्र राष्ट्र मान लिया गया।
ऽ 1920 ई. में गाँधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरूआत की गई।
प्रश्न: लार्ड रीडिंग
उत्तर:
ऽ प्रिंस ऑफ वेल्स का 1 नवम्बर, 1921 को भारत आगमन।
ऽ मोपला विद्रोह (1921 ई.)।
ऽ 1912 ई. में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ताशकन्द में मानवेन्द्र नाथ राय ने स्थापना की।
ऽ 1922 ई. में चैरी-चैरा काण्ड के बाद असहयोग आन्दोलन वापिस लिया गया।
ऽ 1926 ई. में स्वामी श्रद्धानन्द की दिल्ली में अब्दुर्रसीद नामक मुस्लिम द्वारा हत्या कर दी गई।
ऽ लार्ड रीडिंग यहूदी थे और वे इंग्लैण्ड के मुख्य न्यायाधीश भी रहे।
ऽ 1924 में मुड्डिमेन समिति की रिपोर्ट प्रकाशित हुई जो प्रान्तों में द्वैध शासन से संबंधित थी।
प्रश्न: लार्ड इरविन
उत्तर:
ऽ इसके समय में शारदा एक्ट 1929 ई. में पारित हुआ।
ऽ 1927 ई. में अंग्रेज सरकार व देशी रियासतों के संबंधों की जाँच के लिए ‘बटलर समिति‘ नियुक्त।
ऽ 1929 ई. में इरविन को ले जा रही बग्घी पर बम फेंका गया।
ऽ 1929 ई. में ही जतिन दास की लाहौर जेल में 64 दिन की भूख हड़ताल के बाद मृत्यु। गाँधीजी द्वारा 1930 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरूआत।
ऽ 1930 ई. में लन्दन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन हुआ।
ऽ गाँधी इरविन समझौता (5 मार्च, 1931) में सम्पन्न हुआ।
ऽ साइमन कमीशन 1928 ई. में भारत आया।
ऽ 1929 ई. में भारतीय श्रम पर हिटले आयोग की नियुक्ति जिसने जुलाई, 1931 में रिपोर्ट दी।
प्रश्न: लार्ड विलिंगटन
उत्तर:
ऽ इसके समय में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में गाँधीजी काँग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए (1931)।
ऽ तीसरा गोलमेज सम्मेलन, 1932 सम्पन्न हुआ।
ऽ 1934 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन अन्तिम रूप से समाप्त।
ऽ 1934 ई. में बिहार में भूकम्प आया।
ऽ भारत सरकार अधिनियम, 1935 पारित हुआ।
प्रश्न: लार्ड लिनलिथगो
उत्तर:
ऽ लार्ड लिनलिथगो अप्रैल, 1933 में बनी भारतीय वैधानिक सुधारों की संयुक्त प्रवर समिति का भी अध्यक्ष था।
ऽ द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरूआत (1939) एवं प्रांतीय कांग्रेस मंत्रिमण्डलों द्वारा त्यागपत्र दिया गया।
ऽ 8 अगस्त, 1940 ई. को वायसराय ने अगस्त प्रस्ताव दिया।
ऽ रवीन्द्रनाथ टैगोर की 1941 ई. में मृत्यु।
ऽ 1935 ई. में अधिनियम का ढांचा बनाने में भी इसका हाथ था।
ऽ मार्च, 1942 में ‘क्रिप्स मिशन‘ भारत आया।
ऽ अगस्त, 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन‘ शुरू हुआ।
प्रश्न: लार्ड वेवेल
उत्तर:
ऽ 1945 ई. में शिमला सम्मेलन में लीग को भावी संवैधानिक सुधारों पर एक प्रकार से वीटो मिला।
ऽ 1946 में केबिनेट मिशन भारत आया जिसने संविधान सभा का निर्वाचन करवाया एवं अंतरिम सरकार का गठन किया।
ऽ 1946 ई. में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में अन्तरिम सरकार की स्थापना हुई।
ऽ 20 फरवरी, 1947 ई. को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने अपनी ऐतिहासिक घोषणा में 30 जून, 1948 तक भारत की आजादी की बात कही गई। लार्ड माउण्टबेटन (1947-1948) माउण्टबेटन भारत के अंतिम वामसराय एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल बने। 24 मार्च, 1947 को भारत के वायसराय बने व जून, 1948 तक गवर्नर जनरल पद पर रहे।
ऽ जून थर्ड प्लान (3 जून, 1947 की घोषणा) के अनुसार माउन्टबेटेन ने 15 अगस्त, 1947 तक भारत के विभाजन की घोषणा की।
ऽ 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटेन के हाउस ऑफ कामन्स में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री एटली ने भारत की स्वतंत्रता का विधेयक पेश किया जिस पर 18 जुलाई, 1947 ब्रिटिश सम्राट ने अपने हस्ताक्षर किए।
ऽ 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान का स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में निर्माण तथा 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
निंबधात्मक प्रश्न
प्रश्न: लार्ड वेलेजली का भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना में क्या योगदान रहा? आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
उत्तर: लार्ड वेलेजली (1798-1805) को टाइगर ऑफ बंगाल कहा जाता है। चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध कर मैसूर को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध इसी के समय में हुआ। इसके द्वारा अन्य महत्वपूर्ण कार्य किये गये जो निम्न हैं-
सहायक संधि
भारत में सहायक संधि की शुरूआत फ्रांसीसी गर्वनर जनरल लाई डुप्ले ने शुरू की थी। 1765 में लार्ड क्लाईव ने अवध क साथ सहायक संधि की। 1787 में कार्नपालिस ने कर्नाटक के साथ भी सहायक संधि की। वैलेजलि ने इस संधि को सैद्धांतिक आधार दिया व इसे सहायक संधि नाम दिया।
प्रावधान: जिस राज्य में संधि की जाती थी, वहां ब्रिटिश रेजीडेंट रखना पड़ता था। सहायक राज्य के समस्त बाहरी मामल देखना एवं सहायक राज्य की सहायता करना था। बदले में राज्य को अपने क्षेत्र का कुछ भू-भाग राजस्व के रूप मदना पड़ता था। इस राजस्व से कंपनी एक सहायक सेना रखती थी, जिस पर सभी प्रकार का नियत्रंण कंपनी का शाह अंग्रेजों के अलावा अन्य यरोपीय या अमेरिकन लोगों को सेवा में रखने से पहले कंपनी की अनुमति आवश्यक थी। एक दूसरे के शत्र एवं मित्र आपस में शत्र और मित्र होंगे, लेकिन इसकी व्याख्या का अधिकार कंपनी के पास था।
सकारात्मक पक्ष: दूसरों के दम पर अंग्रेजों ने विशाल सेना खड़ी कर ली। शत्रु की भूमि पर ही युद्ध होते थे। अतः ब्रिाटश साम्राज्य सुरक्षित था। भारतीय राज्यों की विदेश नीति कंपनी के अधीन हो गई।
नकारात्मक पक्ष: भारतीय राज्य कपंनी पर निर्भर हो गए। अतः वे जनता के प्रति उत्तरदायी नहीं रहे। भारतीय देशी राजाओं का शौर्य समाप्त हुआ और मदिरा अफीम के नशे में डूब गए। नाच रंग उनका पेशा बन गया।
सहायक संधि करने वाले राज्य: हैदराबाद (1798-99), मैसूर व तैजोर (1799), अवध (1801), पेशवा (1802), भोंसले (1803), सिंधिया (1804) इस प्रकार लार्ड वेलेजलि ने सहायक प्रथा के द्वारा अधिकांश देशी रियासतों को ब्रिटिश प्रभाव में ले लिया और भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को सुदृढ़ता प्रदान की।
प्रश्न: लाई हेस्टिंगस के समय में भारत में ब्रिटिश सर्वोच्चता कायम हुई और साथ ही राजस्व प्रशासन में पल भूत सुधार हुए? विवेचना कीजिए।
उत्तर: लार्ड हेस्टिंगस (1813-23) के समय में आंग्ल नेपाल युद्ध हुआ। ब्रिटिश सेना की ओर से कमाण्डर डेविड आकटल लॉली था। सुगोली की संधि से गढ़वाल, कुमायु सहित तराई का भाग भारत सरकार को प्राप्त हो गया।
लार्ड हेस्टिंग्स के समय में पिण्डारियों का आतंक छाया हुआ था। अतः हेस्टिंग्स ने कर्नल जॉन मेलकम को पिण्डारियों का दमन करने का कार्य सौंपा। इस समय पिण्डारियों का नेता अमीर खां पिण्डारी, चितू, कासल आदि थे। ये मराठों के अधीनस्थ काम करते थे। जब इनका दमन किया गया तो यह तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध में परिणित हो गया।
तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध कर पेशवा पद समाप्त किया। इसके समय में ब्रिटिश सर्वोच्चता कामय हो गई। बाजीराव द्वितीय को 8 लाख रु. सालाना पेंशन दी। 1818 में बंबई में प्रेसीडेंसी की स्थापना की। चार्ल्स मेरकाफ को राजपूत राज्यों के साथ सहायक संधि करने के लिए भेजा। अधिकांश राजपूत राज्यों ने 1817-18 में सहायक संधियां की।
हेस्टिंगस ने अपने योग्य अधिकारियों जॉन मेलकम, टॉमस मुनरो, एलफिन्सटन, चार्ल्स मेटकाफ आदि की सहायता से अनेक व्यापक सुधार कार्यक्रम लागू किए। टॉमस मुनरो को 1820 में मद्रास का गर्वनर बनाया गया, जिसने वहां रैयतवाड़ी प्रथा लागू की। बंगाल में रैयत के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए 1822 में बंगाल काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया। इसके अनुसार यदि रैयत अपना निश्चित किराया देती. रहे तो उसे विस्थापित नहीं किया जा सकता।
विशेष परीस्थितियों में किराया भी बढ़ाया जा सकता है। 1792 में बारां महल में सर्वप्रथम रीड ने रैयत व्यवस्था लागू की। इसी को आधार बनाते हुए मुनरो ने 1810 में अन्य क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू किया। एलफिन्सटन ने बंबई में रैयतवाड़ी प्रथा शुरू की। हेस्टिंग्स के समय महालवाडी व्यवस्था की शुरूआत हुई। 1822 में होल्टमेंकजी ने रेग्युलेशन के माध्यम से इस व्यवस्था को जन्म दिया। यह मुख्यतः गंगा घाटी, मध्य भारत, उत्तर पश्चिम प्रांत व पंजाब में लागू की गई।