JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: इतिहास

स्तूप किसे कहते हैं , स्तूप क्यों और कैसे बनाए जाते थे चर्चा कीजिए का महत्व शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?

स्तूप क्यों और कैसे बनाए जाते थे चर्चा कीजिए का महत्व शाब्दिक अर्थ क्या होता है ? स्तूप किसे कहते हैं ?

प्रश्न: बौद्ध वास्तु कला पर एक लेख लिखिए।
उत्तर: स्तूप का शाब्दिक अर्थ है “किसी वस्तु का ढेर या थूहा “। स्तूप का प्रारम्भिक उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। स्तूप का विकास सम्भवतः मिट्टी के
ऐसे चबूतरे से हुआ जिसका निर्माण मृतक की चिता के ऊपर अथवा मृतक की चुनी हुई अस्थियों को रखने के लिए किया जाता था।
महात्मा बुद्ध की मृत्यु के बाद उनकी अस्थि अवशेषों पर 8 स्तूपों का निर्माण हुआ। इन स्तूपों का निर्माण अजातशत्रु तथा इस क्षेत्र के गणराज्यों ने करवाया। परंपरानुसार कालांतर में मौर्य सम्राट अशोक ने 84000 स्तूपों का निर्माण साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों में कराया।
स्तूप के महत्वपूर्ण हिस्से निम्नलिखित है –
1. वेदिका (रेलिंग) का निर्माण स्तूप की सुरक्षा के लिए होता था।
2. मेधि (कुर्सी) – वह चबूतरा जिस पर स्तूप का मुख्य हिस्सा आधारित होता था।
3. अण्ड – स्तूप का अर्द्ध गोलाकार हिस्सा होता था।
4. हर्मिका – स्तूप के शिखर पर अस्थि की रक्षा के लिए। 5.
5. छत्र – धार्मिक चिह्न का प्रतीक।
6. यष्टि – छत्र को सहारा देने के लिए होता
स्तूप चार प्रकार के होते हैं –
1. शारीरिक स्तूप प्रधान स्तूप होते थे जिसमें बुद्ध के शरीर, धातु, केश और दंत आदि को रखा जाता था।
2. पारिभोगिक स्तूप में महात्मा बुद्ध द्वारा उपयोग की गई वस्तओं जैसे भिक्षापात्र, चंवर, संघाटी, पादुका आदि को रखा जाता था।
3. उद्देशिका स्तूप ऐसे स्तूप होते थे जिनका सम्बन्ध बद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाओं की स्मृति से जुड़े स्थानों से था।
4. संकल्पित ऐसे स्तूप होते थे जिनका निर्माण बुद्ध की श्रद्धा से वशीभूत धनवान व्यक्ति द्वारा तीर्थ स्थानों पर किया जाता था।
स्तूपों में “भरहुत का स्तूप” सर्वाधिक प्राचीन स्तूप है जिसकी खोज 1873 ई. में अलेक्जेण्डर कनिंघम ने की थी। दो शताब्दी ई.पू. (शुंग काल) के करीब निर्मित यह स्तूप मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित है। सांची स्तूप स्तूपों में सबसे विशाल और श्रेष्ठ है इसका निर्माण मौर्य सम्राट अशोक ने करवाया था। सांची स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। इस स्तूप की खुदाई में सारिपुत्र के अवशेष मिले हैं। सांची के तोरण कला के इतिहास में अपना सानी नहीं रखते। अमरावती स्तप – आंध्र प्रदेश के गण्टर जिले में कष्णा नदी के तट पर लगभग द्वितीय शताब्दी ई. पू. में बनवाया गया। अमरावती स्तूप का प्राचीन नाम श्धान्यकटकश् था। इसका निर्माण धनिकों और श्रेणी प्रमुखों के अनुदानों द्वारा सफेद संगमरमर से करवाया गया है। धमेखस्तूप जिसे सारनाथ स्तूप के नाम से भी जाना जाता है का निर्माण गुप्त शासकों द्वारा करवाया गया। यह स्तूप अन्य स्तूपों से अलग ईंटों द्वारा धरातल पर निर्मित है न कि चबूतरे पर। नागार्जुनी कोण स्तूप तीसरी शताब्दी ई. में इक्ष्वाकु राजाओं द्वारा बताया गया। इसकी प्रमुख विशेषता थी आयको का निर्माण जो एक विशेष प्रकार चबूतरा होता था।
चैत्य गृह रू चैत्य गृह का भी बौद्ध उपासकों के लिए बड़ा महत्व था। बौद्ध धर्म में मूर्तिपूजा का विधान न होने से पूर्व चैत्य. गृह का निर्माण कर उनकी बुद्ध के प्रतीक के रूप में पूजा की जाती थी। श्चैत्यश् का अर्थ एक पवित्र कक्ष होता था जिसके मध्य में एक छोटा स्तूप होता था। जिसे दागोब के नाम से जाना जाता था जिसकी पूजा की जाती थी। चैत्य गृहों में कार्ले का चैत्य अपनी वास्तु सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा भाजा, कन्हेरी, जुन्नार, नासिक से भी चैत्यगृह मिलते हैं।
विहार रू बौद्ध धर्म में श्विहारश् का निर्माण आवासीय उद्देश्य से किया जाता था।

प्रश्न: मौर्य कालीन कला का विवरण दीजिए।
उत्तर: मौर्य युग में ही सर्वप्रथम कला के क्षेत्र में पाषाण का प्रयोग किया गया जिसके फलस्वरूप कलाकृतियाँ चिरस्थायी हो गयी। मौर्ययुगीन कला
को दो भागों में विभाजित किया का सकता है –
(1) दरबारी अथवा राजकीय कला – इसमें राजतक्षाओं द्वारा निर्मित स्मारक मिलते है रू जैसे – राजप्रसाद, स्तम्भ गुहा-विहार, स्तूप आदि।
(2) लोककला – जिसमें स्वतंत्र कलाकारों द्वारा लोकरूचि की वस्तओं का निर्माण किया गया जैस – यक्ष-दक्षिणी की प्रतिमाएं, मूर्तियाँ आदि। इनका विस्तृत विवरण निम्नलिखित है –
1. राजप्रासाद – मौयों ने भव्य एवं संदर राजमहलों के निर्माण की परम्परा को प्रारम्भ किया। मेगास्थनीज एवं डायडोरस ने चन्द्रगुप्त मौर्य
राजमहलों को ईरान के एकबतना और ससा के महलों में भी सुंदर बताया है। जब फाहियान भारत आया तो उसने पाटलिपुत्र के अशोक के महलों को देवताओं के द्वारा निर्मित बताया और यह कहा कि यह मानवों की कल्पना से बाहर है। चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में लकडी के महल बनाये गये थे। अशोक के समय में राजप्रासाद पाषाण के बनाये गये। बुलन्दीबाग तथा कम्रहार में की गयी खदाई से मौर्यकालीन राजभवन प्रकाश मे आया
2. स्तूप निर्माण की परम्परा – भारत में कछ स्तप मौर्यकाल से पहले भी बनायें गये थे। जिन्हें प्राक् मौर्ययुगीन कलाके नाम से जाना जाता
है जिनमें पिपहवा, नेपाल की सीमा पर स्थित है। मौर्य काल में परम्परानुसार अशोक ने 84000 स्तूप बनवाये। जिनमें सांची, सारनाथ, तक्षशिला स्थित धमराजिका स्तूप और भरहूत के स्तूप अवशेष के रूप में आज भी दिखाई देते हैं। दृ
स्तम्भ मौर्ययुगीन वास्तुकला के सबसे अच्छे उदाहरण है। इनकी संख्या लगभग 30 है।
3. स्तम्भ निर्माण कला – कुछ इतिहासकार अशोक के स्तम्भों पर ईरानी कला का प्रभाव सीधा-सीधा मानते हैं। जबकि. रामशरण अग्रवाल
जैसे इतिहासकार इसे स्वीकार नहीं करते और इन दोनों में अंतर बताते हैं, जो निम्नलिखित हैं
1. मौर्य स्तम्भ एकाश्म प्रस्तर से निर्मित हैं जबकि पर्शियन स्तम्भ प्रस्तर खण्डों से निर्मित हैं।
2. अशोक के स्तम्भ सपाट है जबकि पर्शियन स्तम्भ नालीदार है।
3. अशोक के स्तम्भ स्वतंत्र रूप से स्थित है। पर्शियन स्तम्भ चैकी पर आधारित हैं।
4. अशोक के स्तम्भों में उल्टा कमल लटकाया गया है जबकि उनमें ऐसा नहीं है।
5. अशोक के स्तम्भों में पशु आकृतियाँ स्वतंत्ररूपी से बनायी गयी है जबकि उनमें ऐसा नहीं है।
स्तम्भ के मुख्य भाग है – (1) यष्टि (2) यष्टि के ऊपर अधोमुख कमल (3) फलका (4) स्तम्भ को मण्डित करने वाली पशु आकृतियां। इन स्तम्भों पर की गई पॉलिश अत्यधिक महत्वपूर्ण है। जिनकी चमक आज तक बरकरार है जो मौर्य पॉलिश के नाम से जानी जाती है। ऐसा ईरानी स्तम्भों में नही है। ऐसे अवशेष सारनाथ, नन्दगढ़ आदि में मिलते हैं।
4. गुहा निर्माण की परम्परा – बिहार में बराबर की पहाड़ियों में सुदामा, की गुफा विश्व की झोपड़ी, करण चैपड़ तथा लोमेश ऋषि की गुफा
नागार्जुनी पहाड़ियों में गोपी, वापि, वधथिक की गुफाएँ। जो एक सीमा तक नैसर्गिक भी है का निर्माण मौर्य शासकों ने करवाया।
5. मूर्ति निर्माण कला को प्रोत्साहन रू मौर्य काल में यक्ष-यक्षिणी एवं जैन तीर्थकरों की मूर्तियों का निर्माण करवायागया। जिनके अवशेष
बिहार के दीदारगंज, लोहानीपुर, पाटलिपुत्र आदि में मिलते हैं।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

1 day ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

1 day ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now