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Categories: physics

सामान के कणों से भारित प्रत्यास्थ डोरी का युग्मित दोलन या N टोलकों का अनुप्रस्थ कम्पन (Coupled Oscillations of an Elastic w String or Transverse Oscillations of N Coupled Oscillators)

सामान के कणों से भारित प्रत्यास्थ डोरी का युग्मित दोलन या N टोलकों का अनुप्रस्थ कम्पन (Coupled Oscillations of an Elastic w String or Transverse Oscillations of N Coupled Oscillators in hindi)

माना एक लचीली प्रत्यास्थ डारा (flexible elastic string) जिसका द्रव्यमान नगण्य है उससे समान द्र्व्मान m के n कण समान दूरी a पर डोरी के लम्बाई के अनुदिश जुड़े हुये हैं।

डोरी के सिरे दो स्थिर बिन्दुओं x = 0 तथा x = L पर स्थित है, जैसा कि निम्न चित्र (17) में प्रदर्शित किया गया है।

विभिन्न कणों को 1 से N संख्या से अंकित किया गया है तथा इनकी दूरी नियत बिन्दु x = 0 से क्रमशः a, 2a, 3a…….(N-1)a तथा Na होगी। डोरी के सभी बिन्दुओं पर नियत तनाव कार्य करता है। माना इसका मान T है। कणों को डोरी के लम्बवत दिशा में अल्प विस्थापित करने पर उसके तनाव में वृद्धि नगण्य होती है परन्तु एक परिणामी प्रत्यानयन बल से कणों में कम्पन गति होती है। डोरी से जुड़े कणों के विस्थापन को निम्न चित्र (18) में प्रदर्शित किया गया है।

(a) गति का समीकरण (Equation of motion)

डोरी से जुड़े द्रव्यमान कणों में से हम pth कण तथा उसके निकटवर्ती कणों (p-1)th एवं (p + 1)th कण पर विचार करते हैं। माना इन कणों का उनकी साम्यावस्था से विस्थापन क्रमशः yp  yp – 1  तथा yP + 1 है तो pth कण पर डोरी के अनुदिश (x-दिशा में)

परिणामी बल = T cos ap -T cos ap -1 = 0

क्योंकि ap ,व ap-1 दोनों अत्यल्प हैं। जिससे cos ap = cos ap-1 = 1

pth कण पर y दिशा में परिणामी बल

Fp =-T sin ap-1 +T sin ap ………………………………….(1)

विस्थापन y का मान दूरी a की तुलना में अत्यल्प होने से

Tan ap – sin ap   tan ap-1 = sin ap-1

चित्र (18) से

tan ap = yp+1 – yp ………………………..(2)

तथा  tan ap-1 = yp – yp-1/a

समीकरण (1) से

Fp = T tan ap-1 + T tan ap ……………………..(3)

= – T/a (yp – yp-1) + T/a (yp+1 – yp)

= T/a (yp+1 + yp-1 – 2yp) ……………………..(4)

अतः न्यूटन के नियम से p-वें कण के गति का समीकरण होगा

M d2yp/dt2 = T/a (yp+1 + yp-1 – 2yp)

या  d2yp/dt2 = T/ma (yp+1 + yp-1 – 2yp) …………………………..(5)

समीकरण  (5)pth कण के गति का समीकरण होगा इसी प्रकार प्रत्येक कण के गति का समीकरण (5) के आधार पर लिखा जा सकता है। इस प्रकार p के 1 से N मान के लिए, हमें N अवकल समीकरणों का एक सेट प्राप्त होगा। डोरी की स्थिति x=0 और x=L=(N+ 1)a पर विस्थापन y का मान शून्य होगा अर्थात् निम्न सीमान्त प्रतिबन्ध कार्यरत होगा,

Y0  = 0, तथा yN+1 = 0 ……………………………..(6)

(b) सामान्य विधायें (Normal modes)

सामान्य विधा में सभी कण एक ही आवृत्ति से आवर्ती कम्पन करते हैं माना किसी सामान्य विधा की कोणीय आवृत्ति ω है। इसलिए pth कण के लिये

Yp  = Ap  cos ωt …………………………..(7)

जहाँ Ap -pth कण के आवर्ती कम्पनों का आयाम है।

इसी प्रकार (p-1)th तथा (p + 1)th कणों के लिये समीकरण (7) के आधार पर

yp-1 = Ap-1 cos ωt ………………………..(8)

तथा yp+1 = Ap+1 cos ωt ………………………………..(9)

समीकरण (7), (8) तथा (9) का मान समीकरण (5) में रखने पर

– ω2 Ap cos ωt = T/ma (Ap+1 cos ωt + Ap-1 cos ωt – 2Ap cos ωt)

= T/ma (Ap+1 + Ap-1 – 2Ap)cos ωt

जिससे – ω2Ap = T/ma (Ap+1 + Ap-1 – 2AP)

(AP+1 + AP-1) = (2 – maω2/T)AP …………………………..(10)

जहाँ p = 1,2 ,3……….N है तथा सीमान्त प्रतिबन्धों के अनुसार डोरी के किनारों पर A0  = 0 तथा A N+1 = 0 होगा :

समीकरण  (10) मूलभूत समीकरण (fundamental equation) होता है। यह N समीकरणों के एक सेट को प्रदर्शित  करता है। जिसका समकालीन हल करने पर सम्भावित विधाओं की आवृत्तियाँ (possible mode of frequencies) प्राप्त होगी। जैसा कि हम पढ़ चुके हैं कि दो दोलकों के युग्मित दोलक की केवल दो कम्पन विधायें होती हैं। उसी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि N युग्मित दोलकों की केवल दो कम्पन विधाये होगी। जब N समीकरणों के सेट को हल किया जायेगा तो ω2  के N विभिन्न मान प्राप्त होंगे तथा ω का प्रत्येक मान एक सामान्य विधा की कम्पन आवृत्ति के मान के बराबर होगा।

समीकरण (10) का विश्लेषण निम्न अवस्थाओं में करते हैं, जबकि N = 1.p = 1 अर्थात् एकल दोलक (single oscillator) हो तथा N= 2.p =1 और 2 अर्थात् द्वियुग्मित दालक (two coupled oscillator) हो

(i) एकल दोलक (single oscillatioprs) के लिए N= 1, p = 1  अर्थात् 2a लम्बाई की डोरी के मध्य में केवल एक कण, m द्रव्यमान का जुड़ा होगा।

समीकरण (10) में p = 1  रखने पर

A2 + A0 =( 2- maω2/T)A1

लेकिन सीमान्त प्रतिबंधों से A0 = A2 = 0 होगा

0 = (2 – ma ω2/T)A1

या  (2 – ma ω2/T)A1 = 0

ω = 2T/ma ……………………..(11)

अर्थात एकल दोलक की केवल एक ही सम्भावित कम्पन की आवृत्ति (allowed frequency of vibration) होती है। इसे निम्न चित्र (19) में प्रदर्शित किया गया है।

(ii) द्वियुग्मित दोलको (two coupled oscillators) के लिए N = 2.p = 1 तथा 2 होगा एवं डोरी की। लम्बाई 3a होगी। p = 1तथा P = 2 के लिये समीकरण (10) से दो समीकरण प्राप्त होंगे

A2 +A0 = (2 – maω2/T) A1

तथा  A3 + A1 = (2 – maω2/T)A2

लेकिन सीमान्त प्रतिबंधों से डोरी के दोनों सिरों के लिए A0 = A3 = 0 होगा।

अतः उपरोक्त समीकरणों को निम्न रूप में लिखा जा सकता है

(2- maω2/T) A2 = 0 ……………………….(12a)

तथा –A1 + ( 2- maω2/T)A2 = 0  ………………………(12b)

समीकरण (12a) से.

A2/A1 = (2 – maω2/T)……………………(13-a)

समीकरण (12b) से.

A1/A2 = (2 – maω2/T)……………………..(13-b)

समीकरण (13-a) तथा (13-b) को गुणा करने पर

(2 – maω2/T)2 = 1

(2 – maω2/T) = 1

यदि   (2- maω2/T)= + 1 हो तो

(1 – maω2/T) = 0

अर्थात्   ω = ω1 =  T/ma

यदि (2 – maω2/T) = – 1

(3 – maω2/T) = 0

ω = ω2 = 3T/ma

इस प्रकार द्वि-युग्मित दोलकों की दो सामान्य कम्पन विधायें होती है जिनकी आवृत्तियों होती है

ω1 = t/ma  ω2 = 3T/ma ………………………(14)

प्रथम विधा के लिये ω = ω1 तथा A2/A1 = 1 होता है और कणों के कम्पन  एक ही कला में (inphase mode) होते हैं। द्वितीय कम्पन विधा के लिये ω = ω1 तथा A2/A1 = 1 होता है और कणों के कम्पन विपरीत कला में (out of phase mode) होते हैं। इन कम्पनों को चित्र (20) तथा चित्र (21) में प्रदर्शित  किया गया है।

उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर N के किसी मान के लिये समीकरण (10) का सामान्य हल, उसे निम्न रूप में लिखकर ज्ञात करते हैं

Ap-1 + Ap+1 /Ap  = 2 ω02 – ω2/ ω02 …………………………..(15)

यहाँ   ω02 = T/ma

समीकरण (15) से यह ज्ञात होता है कि के किसी निश्चित मान (माना ωn.) के लिये इस समीकरण के RHS का मान नियत है तथा p पर आधारित नहीं होता है इसलिए यह समीकरण p के सभी मानों 1 से N के लिये मान्य है। समीकरण (15) में Ap-1,Ap तथा Ap +1 का वही मान देते हैं तो कि सीमान्त प्रतिबंधों को पूरी करती है अर्थात् A0 = AN+1 = 0 हो । यदि हम यह मान लें कि विभिन्न कणों के आयाम कण संख्या p पर निम्न रूप से आधारित हैं

AP = C sin pθ ………………………………(16)

जहाँ C एक नियतांक है तथा θ, ωn के दिये गये मान के लिये नियत कोण है।

समीकरण (16) के आधार पर कण के निकटवर्ती कणों के आयाम होंगे

Ap-1 = C sin (p-1) θ

Ap+1 =C sin (p+1) θ…………………………….(17)

समीकरण (16) तथा (17) का मान समीकरण (15) के LHS में रखने पर

Ap-1 + A p+1 /AP = Csin(p -1) θ +Csin(p + 1) θ

{sin (p-1) θ +sin (p +1) θ }

2 sin pθ cos θ

= 2 cos θ …………………………………(18)

जो नियत है तथा p पर आधारित नहीं होता है। सीमान्त प्रतिबंधों के अनुसार

A0 = AN+1 = 0

इसलिए A0 = C sin 0 = 0 अर्थात् p = 0

तथा  AN+1 = Csin (N+1) θ = 0

उपर्युक्त प्रतिबंध तभी सन्तुष्ट होगा जबकि

(N+1) θ = nπ  जहाँ n =1,2,3…….

Θ = nπ/(N + 1) ………………………………..(19)

समीकरण (19) से θ का मान समीकरण (16) तथा (18) में रखने पर

Ap = Csin (pnπ/N + 1)…………………………….(20)

Ap-1 + Ap+1/AP = 2 cos  (nπ/N + 1) ………………………….(21)

समीकरण (15) तथा (21) की सहायता से मान्य विधाओं की सम्भावित आवृत्तियों (allowed frequencies) का मान ज्ञात किया जा सकता है। nवीं विधा के लिये  ω = ωn

2 ω02 – ωn2/ ω02 = 2 cos (nπ/N + 1)

ωn2 = 2ω02 {1 – cos (nπ/N + 1)

= 4 ω02 sin2 { nπ/N + 1}

ωn = 2 ω0 sin {2 nπ/N + 1} ………………………………(22)

ω0 = (T/ma)1/2 तथा n = 1,2,3…..N ………………………….(23)

ωn आवृत्ति की विधा में pth कण का आयाम

Ap = C sin (pnπ /N + 1)……………………….(24)

समीकरण (22) तथा (24) का उपयोग निम्न दोलकों के लिए करने पर

एकल दोलक (single oscillator) के लिये N = 1. P = 1, n = 1 होगा। अतः समीकरण (22) तथा (24)

ω1 = 2ω0 sin π/4 = 2 ω0 = 2T/ma

A1 = C sin π /2 = C             [चित्र (19) में प्रदर्शित है]

द्वि-युग्मित दोलकों (Twecoupled oscillators) के लिये

N = 2.p =1.तथा 2.n =1 तथा 2 होगा। अतः समीकरण (22) तथा (24) से

ωN  = 2 ω0 sin (nπ/6)

Ap = C sin (pnπ)

प्रथम कम्पन दिशा (n = 1) के लिये आवृत्ति,

ω1 = 2 ω0 sin (π/6) = ω0 = T/ma

तथा इस विधा के कणों के आयाम होंगे

A1 = C sin (π/3) = C 3/2

A2 = C sin (2π/3) = C sin (π/3) = C 3/2

अर्थात् A1 = A2 इसलिए यह समान कला विधा (in phase mode) होगी [यह (20) में प्रदर्शित है] द्वितीय कम्पन विधा (n = 2) के लिये आवृत्ति

ω2 = 2 ω0 sin (π/3) = 0 = 3T/ma

तथा इस विधा में कणों के आयाम होंगे

A1 = C sin (2π/3) = C sin (π/3) = C 3/2

A2 = C sin (4π/3) = – C sin (π/3) = – C 3/2

अर्थात् A1 =- A2 इसलिए यह विपरीत कला विधा (out of phase mode) होगी। यह चित्र (21) प्रदर्शित है।

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