उदाहरण 13 : विस्फोट में एक चट्टान तीन टुकड़ों में विभाजित होती है। जिसके दो टुकड़े एक दसरे के लम्बवत गतिमान होते है। यदि 1 किलोग्राम के टुकड़े का वेग 12 मी./से..2 किलोग्राम के टकडे का वेग 8 मी./से. तथा तीसरे टुकड़े का वेग 40 मी./से. हो तो तीसरे टुकड़े का द्रव्यमान ज्ञात करो।
हल : प्रश्नानुसार, m1 = 1 किलोग्राम, V1 = 12 मी./से।
M2= 2 किलोग्राम, V2 = 8 मी./से.
M3 = ?. v3 = 40 मी./से.
माना m1 तथा m2 द्रव्यमान के टुकड़े एक दूसरे के लम्बवत् क्रमशः X तथा Y दिशा में गतिमान। हैं तथा उनके संवेग क्रमशः P1 तथा p2 हैं। माना तीसरे कण का संवेगp3 है। चूंकि चट्टान विस्फोट से पहले विरामावस्था में होती है इसलिये विस्फोट के बाद भी उसका कुल संवेग शून्य होगा अर्थात्:
P1 + p2 + p3 = 0
P1 + P2 =-P3
या |p1 + p2| = |-p
अर्थात् (p12 + p22)1/2 = p3
लेकिन p1 = m1v1 = (1) (12)
= 12 कि. ग्राम-मी./से.
P2 = m2 v2 = (2)(8)
= 12 कि.ग्राम-मी./से.
P3 = m3 v3 = (m3) (40) = 40m3 कि.ग्राम-मी./से.
P1P2 तथा p3 का मान समीकरण (1) में रखने पर
{(12)2 + (16)2 }1/2 = 40m3
40m3 =(144+256)1/2
= (400)12
= 20
M3 =20/40 = 0.5 किलोग्राम
उदाहरण 14: यदि द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष किसी कण के स्थिति सदिश तथा वेग क्रमशः r1 तथा v1 हों तो सिद्ध कीजिये कि :
- कण तन्त्र के लिये Σm1 r1 = 0 तथा
- कण तन्त्र का रेखीय संवेग द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष शून्य होता है, अर्थात
P = Σm1 v1 = 0
माना किसी कण तन्त्र में कणों के द्रव्यमान m1,m2,m3……उनके स्थिति सदिश क्रमशः तथा उनके वेग क्रमशः r1,r2,r3 …….तथा उनके वेग क्रमशः v1,v2,v3 ……………. है।
द्रव्यमान केन्द्र के परिभाषा के अनुसार
M rcm = m1 r1 + m2 r2 + m3 r3 …… …..(1)
यहा M = m1 +m2 + m3 + ……. कण तन्त्र का कुल द्रव्यमान है।
द्रव्यमान केन्द्र पर rcm r1, r2,r3 ……………….. का गैलीलियन रूपान्तरण करने पर समीकरण (1) के अनुसार,
M (rcm – rcm) = m1 (r1 – rcm) + m2 (r2 – rcm) + m3 (r3 – rcm)+ …..(2)
माना द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष कण तन्त्र के विभिन्न कणों के स्थिति सदिश क्रमशः r1,r2,r3…….. इत्यादि हैं तो
R1 = r1 – rcm
R2 = r2 – rcm
R3 = r3 – rcm ……………………(3)
…………….
समीकरण (3) के उपयोग से समीकरण (2) होगा
0 =m1 r1 + m2 r2 + m3 r3+……
या Σmi r1 = 0 ………………….(4)
समीकरण (1) का समय के सापेक्ष अवकलन करने पर
M d rcm/dt = m1 d r1/dt + m2 d r2/dt + m3 d r3/dt ………….
या m vcm = m1 v1 + m2 v2 + m3 v3 + ……………………..(5)
द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष vm.v1.v2.v3 इत्यादि का गैलीलियन रूपान्तरण करने पर समीकरण (5) के अनुसार
M(vcm –vcm) = m1 (v1 – vcm) + m2 (v2 – vcm) + m3 (v3 – vcm) ………..(6)
माना द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष कण तन्त्र के विभिन्न कणों के सापक्ष वेग क्रमशःv1,v2,v3…. इत्यादि हैं तो
V1 = v1 – vcm
V2 = v2 – vcm
V3 = v3 – vcm ……………(7)
अतः समीकरण (7) के उपयोग से समीकरण (6) होगा
0 = m1 v1 + m2 v2 + m2 v3+ …………………
Σ mi vi = 0
P = 0 ………………….(8)
अर्थात द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष कण तन्त्र का रेखीय संवेग शून्य होता है।
उदाहरण 15 : द्रव्यमान 190 amu का एक स्थिर नाभिक एक a कण (दव्यमान 4 amu), उत्सर्जित करता है जिसका प्रयोगशाला तन्त्र में वेग (4i – 10j) x 106 मी./से.है। अवशिष्ट नाभिक का प्रक्षिप्त (recoil) वेग ज्ञात कीजिये।
हल : प्रश्नानुसार,
अवशिष्ट नाभिक का द्रव्यमान mn = 186 amu
a कण का द्रव्यमान ma = 4 amu
Va = (4i -10j) x 106 मी./से.
चूंकि नाभिक का विघटन बाह्य बलों की अनुपस्थिति में होता है इसलिये उसके कुल संवेग (a कण +अवशिष्ट नाभिक) शून्य होगा
प्रारम्भिक कुल संवेग = अन्तिम कुल संवेग
0 = mnvn +mava
0 = 186 vn, +4(4i -10j) x 106
अतः अवशिष्ट नाभिक का अन्तिम वेग
Vn = – 4/186 (4i -10j) x 106 मी./से.
उदाहरण 16 : एक बालू से भरे थैले का द्रव्यमान 10 किलोग्राम है तथा उसे 3 मीटर लम्बी भारहीन डोरी से लटकाया गया है। एक बन्दूक की गोली जिसका द्रव्यमान 200 ग्राम तथा वेग 20 मी./से. है, बालू के थैले में दागी जाती है जो उसमें धंस कर रूक जाती है तो गणना कीजिये
- थैले द्वारा प्राप्त वेग (ii) थैले का अधिकतम विस्थापन (iii) टक्कर में ऊष्मा के रूप में परिवर्तित ऊर्जा।
हलः- प्रश्नानुसार,
थैले का द्रव्यमान m1 = 10 किलोग्राम
गोली का द्रव्यमान m2 = 200 ग्राम = 0.2 किलोग्राम
गोली का प्रारम्भिक वेग =v2 = 20 मी./से.
(i) निकाय (थैला + गोली) का प्रारक्भिक संवेग
=m1v1 +m2 v2
= 10 x 0 + 0.2 x 20
=4.0 किलोग्राम-मी./से.
यदि गोली दागने के बाद थैले का वेग v हो तो
निकाय का अन्तिम संवेग = (m1 +m2)v
= (10+0.2).V
= 10.2 v किग्रा. मी./से.
संवेग संरक्षण के नियम से
प्रारम्भिक संवेग = अन्तिम संवेग
4 =10.2v
V = 4/10.2 = 40/102 = 20/51 मी./से. ………………………..(1)
- यदि गोली दागने के बाद थैला h मीटर ऊँचाई तक विस्थापित होता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा का मान गतिज ऊर्जा के बराबर होगा।
अतः (m1 + m2) gh = ½ (m1 + m2) v2
H = v2 /2g ……………………….(2)
चित्र के अनुसार अधिकतम विस्थापन x है तो ज्यामिति से
h(2l – h) = x x x
h(2l – h) = x2
x = √h(2l – h)
= √2hl क्योंकि 21 > h
= √2(v2/2g)t
= √(v2/g)l = √(20/51)2 3/9.8
= 0.217 मीटर
(ii) टक्कर से ऊष्मा में परिवर्तित ऊर्जा = गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
= K.E.प्रारम्भिक – K.E.अन्तिम
= 1/2 (m1 u2 + m1 u22)-1/2 (m1 + m2)v2
= ½ {10 x 0 + 0.2 x (20)2} – ½ {10.2 x (20/51)2}
= 39.21 जूल