विशेषण शब्दों के साथ प्रयुक्त शब्द
प्रत्येक भाषा में बहुत बार ऐसा होता देखा जाता है कि कई शब्द विशेष शब्दों के साथ ही प्रयुक्त होते और भिन्न-भिन्न रूपों में रखे जाते हैं। इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं होते । बोलचाल में रोज प्रयुक्त होने के कारण वैसा प्रयोग करने की चाल पड़ जाती है । जैसे, आठ-दस दिन में जाऊँगा। सात-आठ कमरे दे दो । इनमें आठ-दस तथा सात-आठ ऐसे ही प्रयोग हैं । इनके स्थान पर सात नौ या सात दस नहीं कहा जा सकता । ऐसे ही चुगली खाना कहा जाता है । चुगली देना नहीं कहा जाता । विद्या में बृहस्पति के समान कहा जाता है, इन्द्र के समान नहीं कहा जाता । इनमें कुछ प्रयोग तो नित्य के व्यवहार में आने से और कुछ जातीय इतिहास की विशेष घटनाओं से बन जाते हैं ।
जैसे – अन्धाधुन्ध, अटकल पच्चू, काट-छाँट, खींचातानी, जैसे-तैसे, जोड़-तोड़, दाना-पानी, धूमधाम, मुठभेड़, चमक-दमक, ऐसी तैसी, आगे पीछे आदि ।
ये प्रयोग साहित्य के अध्ययन से ही जाने जा सकते हैं।
कुछ ऐतिहासिक प्रयोग नीचे दिये जाते हैंः-
हम्मीर हठ = अनूठी आन
धन – कुबेर = अत्यधिक धनवान्
राम राज्य = ऐसा राज्य जिसमें बहुत सुख हो
विभीषण = घर का भेदी
नारदमुनि = इधर-उधर की बातें कर कलह कराने वाला व्यक्ति
परशुराम का कोप = अत्यधिक क्रोध
दुर्वासा का शाप = उग्र शाप
कर्ण का दान = महादान
भगीरथ प्रयत्न = बहुत बड़ा प्रयत्न
भीष्म प्रतिज्ञा = कठोर प्रतिज्ञा
पाँचाली चीर = बड़ी लम्बी, समाप्त न होने वाली वस्तु
रामबाण = तुरन्त प्रभाव दिखाने या कभी न चूकने वाली वस्तु
कुम्भकर्णी नींद = बहुत गहरी, लापरवाही की नींद
चाणक्य नीति = कुटिल नीति
महाभारत = भयंकर युद्ध
लंका काण्ड = भयंकर युद्ध
कुछ शब्दयुग्म जिनके प्रयोग में प्रायः भूल होती हैः
उदाहरण दृष्टान्त
कविता = काव्य
उपहार = भेंट
अवस्था = दशा
उपकरण = साधन
अधिकारी = भागी
वैर = शत्रुता
विचार = धारणा
ठोकर = धक्का
त्रुटि = दोष
अनुग्रह = कृपा
क्रोध = रोष
शंका = संदेह
स्वतन्त्रता = स्वाधीनता
प्रयोग = व्यवहार
आदर = सम्मान
आसरा = भरोसा
कष्ट = दुःख
घुड़की = झिड़की
अनुराग = प्रेम
अड़चन = बाधा
प्रतिमा = मूर्ति
चिंतन = मनन
बल =शक्ति
सभ्यता = संस्कृति
साधारण = सामान्य
छुटकारा = मुक्ति
कीर्ति = यश
मिलाई = मिलप
नमूना = बसपगी
किराया = भाड़ा
बुद्धि = समक्ष
तुलना = मिलान
पदार्थ = वस्तु
चेष्टा = प्रयत्न
अध्यक्ष = सभापति
तालिका = सूची
अन्तर = भेद
उपस्थिति = विद्यमानता
प्रयाण = प्रस्थान