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विभवमापी के तार का पदार्थ होता है , विभवमापी में कॉन्सटेन्टन या मैगनिन धातु का तार ही क्यों प्रयुक्त करते हैं

प्रश्न – विभवमापी के तार का पदार्थ होता है ?

मौखिक प्रश्न व उत्तर (Viva Voce)
प्रश्न 1. विभवमापी तार किस पदार्थ का बना होता है?
उत्तर – कॉन्सटेन्टन या मैंगेनिन।
प्रश्न 2. विभवमापी में कॉन्सटेन्टन या मैगनिन धातु का तार ही क्यों प्रयुक्त करते हैं?
उत्तर – क्योंकि इन तारों का विशिष्ट प्रतिरोध काफी अधिक व प्रतिरोध ताप गुणांक कम होता है।
प्रश्न 3. विभवमापी द्वारा दो सेलों के वि.वा. बल की तुलना कैसे की जाती है?
उत्तर – विभवमापी तार पर परिवर्ती विभवान्तर द्वारा दोनों प्राथमिक सेलों का अलग-अलग वि.वा. बल ज्ञात करते हैं। इन वि.वा. बल के मानों की तुलना कर लेते हैं।
प्रश्न 4. विभवमापी की सुग्राहिता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – ऐसा विभवमापी जिसमें कम से कम धारा प्रवाहित होने पर भी वह वि.वा. बल का सुगमता से मापन कर दे। सुग्राही विभवमापी कहलाती है अर्थात् जो वि.वा. बल का न्यूनतम से न्यूनतम मान भी ज्ञात कर सके।
प्रश्न 5. विभवमापी तार की लम्बाई में वृद्धि करने पर सुग्राहिता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – सुग्राहिता बढ़ जायेगी।
प्रश्न 6. विभवमापी की सुग्राहिता में वृद्धि किस प्रकार कर सकते हैं?
उत्तर – विभव प्रवणता ;गद्ध के मान में कमी लाकर सूग्राहिता बढ़ा सकते हैं।
प्रश्न 7. क्या विभवमापी की तुलना में वोल्टमीटर से वि.वा. बल का मापन अधिक यथार्थ होता है।
उत्तर – नहीं। विभवमापी एक अनन्त प्रतिरोध वाले आदर्श वोल्टमीटर की भांति कार्य करता है। शून्य विक्षेप अवस्था में यह परिपथ से कोई धारा नहीं लेता। जिससे इसके द्वारा मापा गया वि. वा. बल अधिक यथार्थ होता है।
प्रश्न 8. विभवमापी क्या है?
उत्तर – विभवमापी ऐसा उपकरण है जो अनन्त प्रतिरोध के आदर्श वोल्टमीटर की भाँति कार्य करता है इसे विभवान्तर नापने के काम में लिया जाता है इसलिये इसे विभवमापी कहते हैं।
प्रश्न 9. विभव प्रवणता का मान किन-किन राशियों पर निर्भर करता है।
उत्तर – विभव प्रवणता (ग) का मान
(I) तार की लम्बाई पर।
(II) तार में प्रवाहित धारा पर।
(III) तार के प्रतिरोध पर।
प्रश्न 10. विभवमापी किस विधि पर कार्य करता है?
उत्तर – शून्य विक्षेप विधि पर या अविक्षेप विधि पर।
प्रश्न 11. विभवमापी के तार की मोटाई प्रत्येक स्थान पर एक समान क्यों होनी चाहिए?
उत्तर – ताकि विभवप्रवणता का मान पूरे तार पर एक समान प्राप्त हो।
प्रश्न 12. जब वोल्टमीटर को सेल के टर्मिनलों से जोड़ा जाता है तो उसका विद्युत वाहक बल क्यों गिर जाता है?
उत्तर – विभवपात के कारण।
प्रश्न 13. यदि विभवमापी तार की लम्बाई को बढ़ा दिया जाये तो पूर्व की तुलना अविक्षेप अवस्था में लम्बाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर – अविक्षेप स्थिति की लम्बाई बढ़ जायेगी।
प्रश्न 14. विभवमापी तार की लम्बाई बढ़ाने से विभव प्रवणता का मान किस प्रकार प्रभावित होगा?
उत्तर – विभव प्रवणता (x) का मान कम हो जायेगा।
प्रश्न 15. धारामापी के साथ शंट या श्रेणी क्रम में उच्च प्रतिरोध क्यों प्रयुक्त करते हैं?
उत्तर – यह अविक्षेप बिन्दु की स्थिति को प्रभावित नहीं होने देता।
प्रश्न 16. बैटरी का धनाग्र एवं प्राथमिक सेल का धनाग्र विभवमापी तार के एक ही सिरे (शून्य बिन्दु) पर क्यों जोड़ते है।
उत्तर – ताकि यह सिरा उच्च विभव वाले बिन्दु के रूप में कार्य कर सके।
प्रश्न 17. अविक्षेप स्थिति पर सेल का परिपथ बन्द या खुला होता है?
उत्तर – यह खुले परिपथ की भांति होता है क्योंकि सेल से धारा नहीं ली जाती।
प्रश्न 18. शून्य विक्षेप अवस्था से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – शून्य विक्षेप की स्थिति में यह परिपथ से कोई धारा नहीं लेता। जिससे यह उपकरण अनन्त प्रतिरोध वाले उपकरण की भांति
कार्य करने लगता है।
प्रश्न 19. विभवमापी के प्राथमिक परिपथ से क्या तात्पर्य है? .
उत्तर – ऐसा परिपथ जिसमें विभवमापी तार के साथ श्रेणी क्रम में सीसा संचायक सेल, कुंजी व धारा नियन्त्रक लगा होता है, प्राथमिक परिपथ कहलाता है। जिसके द्वारा विभवमापी के तार पर विभवान्तर उत्पन्न किया जाता है।
प्रश्न 20. विभवमापी का क्या सिद्धान्त है।
उत्तर – विभवमापी द्वारा अज्ञात वि.वा. बल की ज्ञात एवं परिवर्ती विभावन्तर से तुलना करके, अज्ञात वि.वा. बल का मान ज्ञात करते हैं। यह शून्य विक्षेप विधि पर आधारित उपकरण है।
प्रश्न 21. विभवमापी का मानकीकरण किसे कहते हैं।
उत्तर – वभवमापी के द्वितीयक परिपथ में ज्ञात वि.वा. बल के मानक सेल को जोड़ कर विभव प्रवणता ज्ञात करने की विधि को मानकीकरण कहते हैं।
प्रश्न 22. सन्तुलन लम्बाई अंतिम तार पर प्राप्त करने से क्या होता है।
उत्तर – अंतिम तार पर सन्तुलन लम्बाई प्राप्त करने से विभवमापी के तार की विभवप्रवणता कम प्राप्त होगी और विभवमापी की सुग्राहिता बढ़ जाऐगी।
प्रश्न 23. सेल के विद्युत वाहक बल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- यह सेल द्वारा बाह्य परिपथ में इकाई धनावेश को प्रवाहित होने के लिए प्रदान की गई ऊर्जा है।
प्रश्न 24. श्विद्युत वाहक बलश् एक ऊर्जा है परंतु इसे बल कहते हैं क्यों?
उत्तर- क्योंकि यह ऊर्जा, सेल के अपघट्य पदार्थ के रासायनिक बलों के द्वारा किये गए कार्य से प्राप्त होती है।
प्रश्न 25. क्या सेल का विद्युत वाहक बल, अपघट्य की सान्द्रता, इलेक्ट्रॉडों के क्षेत्रफल एवं इनके मध्य दूरी पर निर्भर करता है।
उत्तर- नहीं
प्रश्न 26. सेल का आन्तरिक प्रतिरोध क्या है?
उत्तर- सेल के अपघट्य पदार्थ के द्वारा आवेश के सेल के अन्दर प्रवाहित होने में उत्पन्न बाधा सेल का आन्तरिक प्रतिरोध होती है।

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