हिंदी माध्यम नोट्स
विद्युत उत्पादन के प्रकार क्या है ? विद्युत उत्पादन केंद्र जल विद्युत Hydro- Electricity in hindi Types of Electricity
Hydro- Electricity in hindi Types of Electricity विद्युत उत्पादन के प्रकार क्या है ? विद्युत उत्पादन केंद्र जल विद्युत ?
विद्युत शक्ति (Electricity)
आज के वैज्ञानिक युग में विद्युत-शक्ति का बहुत अधिक महत्व है। आज किसी देश का जीवन-स्तर वहाँ पर विद्युत के उत्पादन तथा प्रयोग से मापा जाता है। विद्युत शक्ति उपलब्ध होने का अर्थ अधिक उद्योग परिवहन, कृषि उपज तथा अधिक समृद्धि है। हमारे घरों को रात्रि के समय विद्युत ही प्रकाश देती है। हमारे दैनिक जीवन में विद्युत का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। हमारे देश में 1960-61 में विद्युत की प्रति व्यक्ति खपत 3.4 किलोवाट घंटे थी, जो बढ़कर 2006-07 में 106.0 किलोवाट प्रति व्यक्ति हो गई। यह उन्नत देशों की तुलना में काफी कम है। भारत ने अभी तक अपनी विद्युत उत्पादन क्षमता के केवल 25% का दोहन किया है, जबकि फ्रांस ने 32% , नॉर्वे ने 53% तथा स्विट्जरलैण्ड ने 54% विद्युत संसाधनों का दोहन कर लिया है। इससे स्पष्ट है कि यद्यपि हमने स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् बहुत उन्नति की है फिर भी अभी बहुत कुछ करना बाकी है। विद्युत के प्रयोग से निम्नलिखित लाभ हैः
पण् इसके प्रयोग से धुआं तथा गन्दगी नहीं होती, अतरू इसे सफेद कोयला (White Coal) कहते हैं।
पपण् विद्युत को दुर्गम क्षेत्रों में भी पहुँचाया जा सकता है। कोयले के परिवहन में अधिक व्यय आता है।
पपपण् उद्योग-धंधों में विद्युत के प्रयोग से मानवीय श्रम की कम आवश्यकता होती है।
पअण् कुछ उद्योग तो सस्ती विद्युत पर ही निर्भर करते हैं, जैसे-एल्युमीनियम उद्योग व वायु से नाइट्रोजन प्राप्त करने का उद्योग आदि।
अण् विद्युत के प्रयोग से उद्योगों के विकेन्द्रीकरण में सहायता मिलती है।
अपण् यदि जल-विद्युत का प्रयोग किया जाए तो कोयला एवं खनिजतेल जैसे समाप्य संसाधनों का संरक्षण हो सकता है क्योंकि जल विद्यत एक असमाप्य संसाधन है।
विद्युत शक्ति के प्रकार (Types of Electricity)
वर्तमान युग में निम्नलिखित प्रकार की विद्यत पैदा की जाती हैः
1. जल विद्युत (Hydro – Electricity)
2. ताप-विद्युत (Thermal – Electricity)
3. परमाणु-विद्युत (Atomic – Electricity)
1. जल विद्युत (Hydro- Electricity)
आधुनिक भारत का विकास काफी हद तक जल-विद्युत के उत्पादन तथा उपभोग पर निर्भर करता है। शक्ति के अन्य दो संसाधन-कोयला तथा पेट्रोलियम शीघ्र ही समाप्त हो जाएँगे और तब हमें जल-विद्युत पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। हमारे देश में जल-विद्युत उत्पन्न करने की विशाल सम्भावनाएँ हैं। भारत के शक्ति आयोग (म्दमतहल ब्वउउपेेपवद) के अनुसार देश की नदियों में बहने वाले जल में 41,155 मेगावाट शक्ति निहित है। आवश्यकता केवल इसका उचित उपयोग करने की है। जल-विद्युत के उत्पादन को निम्नलिखित दशाएँ प्रभावित करती हैंः
1. पर्याप्त वर्षाः जल विद्युत के विकास के लिए पर्याप्त जल की आवश्यकता होती है जो पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में ही सम्भव है।
2. सुनिश्चित जल-पूर्तिः नदियों में सारा साल जल उपलब्ध होना चाहिए जिससे जल-विद्युत के उत्पादन में बाधा न पड़े। उत्तर भारत की अधिकांश नदियाँ हिमाच्छादित हिमालय से निकलती हैं और गर्मी की शुष्क ऋतु में बर्फ पिघलकर जल आपूर्ति करती हैं। परन्तु कुछ नदियाँ शुष्क ऋतु मे सूख जाती हैं जिससे वे शुष्क मौसम में जल-विद्युत उत्पादन के लिए उपयोगी नहीं रहतीं।
3. उच्चावचः ऊँचे-नीचे पर्वतीय क्षेत्र जल-विद्युत उत्पादन के लिए उपयुक्त रहते हैं। तीव्र ढाल वाले प्रदेशों में जल का वेग अधिक होता है तथा जल-विद्युत अधिक मात्रा में उत्पन्न की जा सकती है। जल प्रपात जल विद्युत के उत्पादन के लिए बहुत ही उचित स्थान है। कई बार नदियों में बाँध बनाकर कृत्रिम जल-प्रपात बनाए जाते हैं और जल-विद्युत उत्पन्न की जाती है।
4. स्वच्छ जलः नदियों का जल स्वच्छ होना चाहिए ताकि विद्युत उत्पादक यंत्रों को हानि न पहुँचे।
5. तापमानः जल विद्युत उत्पादन क्षेत्र में तापमान सदा हिमांक से ऊपर रहना चाहिए ताकि जल-प्राप्ति निरन्तर बनी रहे। हिमालय के अति उच्च भागों में बहने वाली नदियों का पानी कम तापमान के कारण जम जाता है, जिससे विद्युत उत्पादन नहीं हो पाता।
6. माँगः माँग के क्षेत्र उत्पादक केन्द्रों के निकट होने चाहिए क्योंकि अधिक दूर पहुँचने में विद्युत का ह्रास होता है। सामान्यतः 160 किमी. दूर बिजली ले जाने में 8%, 320 किमी. में 10%, 640 किमी. में 17% तथा 800 किमी. में 21%, विद्युत का हास हो जाता है। इस प्रकार यदि भाखडा नांगल बाँध की बिजली दिल्ली तक पहुँचाई जाए तो लगभग 15% विद्युत का ह्रास हो जाता है।
7. ऊर्जा के अन्य साधनों का अभावः कोयले या खनिज तेल जैसे ऊर्जा के अन्य साधनों का अभाव जल-विद्युत के उत्पादन को प्रोत्साहित करता है। उत्तर-पश्चिमी भारत में जल-विद्युत के अधिक उत्पादन का एक बड़ा कारण वहाँ पर कोयले तथा खनिज तेल का अभाव है।
8. सस्ता कच्चा मालाः जल विद्युत गृह के निर्माण के लिए भारी मात्रा में सीमेंट तथा लोहे की आवश्यकता पड़ती है। इसके साथ ही विद्युत तारों की लाइनें बिछाने के लिए पर्याप्त मात्रा में सस्ते दामों पर कच्चे माल की आवश्यकता होती है।
9. पूँजी एवं तकनीकी ज्ञानः उपर्युक्त सारे कारक तब तक व्यर्थ हैं जब तक उसका लाभ उठाने के लिए किसी देश के पास पूँजी एवं तकनीकी ज्ञान न हो। भारत में तकनीकी विज्ञान की उन्नति के साथ जल विद्युत का उत्पादन भी बढ़ा है। जल-विद्युत पैदा करने के लिए भाखड़ा जैसे बड़े-बड़े बाँध बनाने पड़ते हैं जिसके लिए बड़ी मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है।
उत्पादन एवं वितरण
जल-विद्युत उत्पादन की दृष्टि से महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर-प्रदेश, केरल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर आदि महत्वपूर्ण हैं।
1. महाराष्ट्र में जल-विद्युतः इस राज्य में प्रमुख जल-विद्युत केन्द्र निम्नलिखित हैं।
(प) लोनावला परियोजनाः पुणे के निकट लोनावला क्षेत्र में
नीलामूला, शिर्वता, वलवन, लोनावला आदि अनेक झीलें हैं। इनका जल पाइपों द्वारा खोपोली तक पहुँचाया जाता है। यहाँ पर टाटा कम्पनी ने सन् 1915 में 65,000 किलोवाट क्षमता वाला शक्ति गृह लगाया। अतः इसे टाटा जल-विद्युत परियोजना भी कहते हैं। अब इसके अन्तर्गत शिवपुरी (क्षमता 72,000 किलोवाट), खोपोली (क्षमता 72,000 किलोवाट) तथा भीटा (क्षमता 1,32,000 किलोवाट) कार्यरत हैं। ये तीनों शक्ति गृह मुम्बई तथा पुणे को बिजली प्रदान करते हैं।
(पप) कोयना (ज्ञवलदं) परियोजनाः यह मुम्बई से 240 किमी. दक्षिण-पूर्व कृष्णा नदी की सहायक नदी कोयना पर स्थित है। इसके निर्माण के पहले तथा दूसरे चरण में आठ बिजली घर लगाए गए थे जिनकी क्षमता 5.5 लाख किलोवाट है। तीसरे चरण में चार और बिजली घर बनाए गए हैं जिनकी क्षमता तीन लाख किलोवाट है।
(पपप) ककरपारा परियोजनाः यह तापी नदी पर ककरपारा नामक स्थान पर है। इसकी स्थापना 1953 में की गई। यहाँ से 2.2 लाख किलोवाट बिजली पैदा करके सूरत तथा उसके निकटवर्ती क्षेत्रों को भेजी जाती है।
2. तमिलनाडु: इस राज्य की प्रमुख परियोजनाएँ मैटूर, पायकारा, पापनाशम्, पेरियार तथा कुण्डा है।
(प) मैटर परियोजनाः यह मैटूर के निकट कावेरी नदी पर स्थित है। यहाँ 53 मीटर ऊँचा बाँध बनाकर 5510 किलोवाट बिजली पैदा की जाती है।
(पप) पायकारा ( Pykara) परियोजना: कावेरी नदी की सहायक पायकारा नदी पर 390 मीटर ऊँचा बाँध बनाकर 68,000 किलोवाट क्षमता वाला जलविद्युत गृह बनाया गया है।
(पपप) पापनाशम् परियोजनाः ताम्रपर्णी नदी पर पापनाशम् स्थान पर 53 मीटर ऊँचा बाँध बनाकर 24,000 किलोवाट बिजली पैदा की जाती है। यह तमिलनाडु के दक्षिणी भाग में स्थित है और यहाँ से तिरुनेलवेली, मदुरै, तूतीकोरिन आदि स्थानों को विद्युत भेजी जाती है।
(पअ) पेरियार परियोजना: केरल की सीमा के निकट परियार पहाड़ियों में एक जल-विद्युत उत्पादक केन्द्र की स्थापना की गई है। यहाँ पर 35,000 किलोवाट बिजली पैदा होती है।
(अ) कुण्डा परियोजना: इससे लगभग 40,000 किलोवाट बिजली उत्पन्न होती है। उपर्युक्त सभी केन्द्रों को एक विद्युत संगठन क्रम (Electric Grid System) में जोड़ दिया गया है। इससे तमिलनाडु के लगभग सभी स्थानों को जल-विद्युत उपलब्ध हो रही है।
3. कर्नाटकः इस राज्य की प्रमुख परियोजनाएँ निम्नलिखित हैंः
(प) महात्मा गाँधी परियोजना: कृष्णा नदी पर बने जोग जल-प्रपात पर 42,000 किलोवाट क्षमता वाला बिजली घर बनाया गया है। यहाँ से धारवाड़ तथा हुबली जिलों को बिजली प्राप्त होती है।
(पप) शिवसमुद्रम् परियोजना: कावेरी नदी पर शिवसमुद्रम् नामक जल-प्रपात पर 42,000 किलोवाट क्षमता वाला जल-विद्युत गृह बनाया गया है। यहाँ से कोलार सोने को खानों तथा बंगलुरू एवं मैसर को बिजली प्राप्त होती है।
(पपप) शिमशा परियोजना: कावेरी नदी की सहायक शिमशा नदी पर शिमशा जल-प्रपात का उपयोग करके सन् 1940 में 17200 किलोवाट क्षमता का बिजली घर बनाया गया है।
(पअ) शरावती परियोजना: शरावती नदी पर 1.2 लाख किलोवाट विद्युत उत्पादन क्षमता का केन्द्र स्थापित किया गया है।
4. उत्तर प्रदेश
(प) गंगा विद्युत संगठन क्रम प्रणाली (The Gangatketric Grid System)ः ऊपरी गंगा नहर हरिद्वार से मेरठ तक 12 प्रपात बनाती है। इनमें से सात स्थानों पर काम बाँध बनाकर जल विद्युत उत्पन्न की गई है। इन स्थानो के नाम नी गजनी मुहम्मदपुर चित्तौर सलावा भोला, पलेरा तथा समेरा है। इन सभी केन्द्रों से लगभग 23,800 ) किलोवाट जल विद्युत प्राप्त की जाती है। इनको एक विद्युत ग्रिड में संगठित किया गया है। इस संगठन सेें उत्तर प्रदेश के लगभग 4,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में स्थित 14 जिलों के 95 नगरों को विद्युत मिलती है। ग्रामीण क्षेत्रों के नलकूपों को भी यही संगठन विद्युत प्रदान करता है।
(पप) माताटीला बाँधः यह बाँध बेतवा नदी पर झाँसी के निकट मध्य प्रदेश की सीमा के पास बनाया गया है। यहाँ 10,000 किलोवाट विद्युत उत्पन्न होती है जिसे उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश बाँटकर प्रयोग करते हैं। इससे उत्तर प्रदेश के झाँसी, हमीरपुर व बाँदा जिलों को तथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर व रतिया जिलों को बिजली मिलती है।
(पपप) रिहन्द परियोजनाः मिर्जापुर जिले में पीपरी नामक स्थान पर सोन नदी की सहायक रिहन्द नदी पर 91.5 मीटर ऊँचा बाँध बनकर, 3,00,000 किलोवाट क्षमता वाला विद्युत गृह स्थापित किया गया है। इससे कानुपर से मुगलसराय तक के इलाकों को बिजली मिलती है।
5. केरलः इस राज्य की प्रमुख परियोजनाएँ निम्नलिखित हैंः
i. पल्लीवासल परियोजनाः मुद्रपूजा नदी के पल्लीवासल स्थित झरने से जल-विद्युत पैदा की जाती है। इसकी क्षमता 50,000 किलोवाट है।
ii. संगुलम परियोजना: पल्लीवासल के नीचे बेलाथुवल स्थान पर एक विद्युत गृह बनाया गया है। इसकी क्षमता 48,000 किलोवाट है।
iii. पेरिंगलकोथू परियोजना: त्रिचूर जिले की चेलाकुदी नदी के पेरिंगलकोथू स्थान पर 32,000 किलोवाट क्षमता का बिजली घर बनाया गया है।
iv. नेरियामंगलम् परियोजना: पेरियार नदी के दाहिने किनारे पर पनाम कुट्टी स्थान पर 45,000 किलोवाट क्षमता वाला विद्युत उत्पादन गृह बनाया गया है।
v. पनियार परियोजना: मथिगपुन्हा नदी के बाएँ किनारे पर सेंगुलम शक्तिगृह के ठीक विपरीत यह शक्ति गृह बनाया गया है। इसकी क्षमता 1.40.000 किलोवाट है।
6. पंजाबः पंजाब की प्रमुख परियोजनाएं निम्नलिखित है:
i. भाखड़ा-नांगल परियोजनाः पंजाब हि.प्र.. सीमा पर बिलासपुर (हि.प्र.) जिले के भाखड़ा नामक स्थान पर सतलुज नदी पर 518 मीटर लम्बा तथा 226 मीटर ऊंचा बाँध बनाया गया है। यह पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा राजस्थान की साझी परियोजना है, जिससे इन सभी राज्यों को लाभ होता है। यह बाध पंजाब तथा हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित है परंतु इसके पीछे बना हआ गोविंद सागर जलाशय हिमाचल प्रदेश में है। इसके दोनों ओर 1,050 मेगावाट जल-विद्युत क्षमता वाले विद्युत गृह बनाए गए हैं। नांगल हाइडल चैनल नामक नहर पर स्थित गंगूवाल तथा कोटला नामक स्थानों पर 77 मेगावाट क्षमता वाले विद्युत गृहों का निर्माण किया गया है।
ii. अपर बारी दोआब नहर परियोजनाः अमृतसर के निकट अपर बारी दोआब पर स्थित एक जल-प्रपात बनाया गया है। इससे उत्पादित जल-विद्युत अमृतसर जिले को दी जाती है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…