वाक्य विग्रह का अर्थ क्या है | वाक्य विग्रह के भेद , प्रकार किसे कहते है | वाक्य परिवर्तन की परिभाषा

वाक्य विग्रह का अर्थ क्या है | वाक्य विग्रह के भेद , प्रकार किसे कहते है | वाक्य परिवर्तन की परिभाषा |

वाक्य-विग्रह

वाक्य-विग्रह के अन्तर्गत किसी वाक्य के सभी अंगों को अलग – अलग कर उनके पारस्परिक सम्बन्ध दिखलाये जाते हैं । हिन्दी में वाक्यविग्रह को ही ‘वाक्यविश्लेषण‘, ‘वाक्यपृथक्करण‘ और ‘वाक्य विभाजन‘ कहते हैं।

वाक्यविग्रह के अन्तर्गत तीन तरह की क्रियाएँ सम्पादित होती हैं-(1) वाक्य के उपवाक्यों को अलग किया जाता है (2) उपवाक्यों का नामकरण होता है। (3) अन्त में पूरे वाक्य का नामकरण होता है। किसी वाक्य का एक अंश उपवाक्य कहलाता है जिसमें कर्ता और क्रिया का होना आवश्यक है। जैसे-श्याम कल कालेज नहीं गया, क्योंकि उसकी तबीयत ठीक नहीं थी । इसमें दो उपवाक्य है- (क) श्याम कल कालेज नहीं गया, और (ख) क्योंकि उसकी तबीयत ठीक नहीं थी ।

रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं । (1) सरल वाक्य, (2) मिश्र वाक्य, (3) संयुक्त वाक्य । इन तीनों का विग्रह तीन तरह से किया जाता है । सरल वाक्य में उद्देश्य और उसका विस्तार तथा विधेय और उसका विस्तार बतलाया जाता है । मिश्र वाक्यों में प्रधान वाक्य एवं उसके उपवाक्यों को बताकर सरल वाक्य की तरह ही सबका विग्रह किया जाता है । संयुक्त वाक्य में भी वाक्य को अलग-अलग करके सरल वाक्य के समान ही विग्रह किया जाता है ।

सरल वाक्य का विग्रहः

सरल वाक्य के विग्रह में वाक्य का उद्देश्य, उद्देश्य का विस्तार, विधेय और उसका विस्तार दिखलाये जाते हैं । विधेय के सकर्मक होने पर उसका कर्म और उसका विस्तार भी दिखलाया जाता है। तालिका बनाकर एक सरल वाक्य का विग्रह इस प्रकार है

सरल वाक्य-श्याम की बहन उसकी किताब धीरे-धीरे पढ़ती है ।

अन्य प्रकार से भी इस सरल वाक्य का विग्रह किया जा सकता है-

बहन-उद्देश्य ( कर्ता )

श्याम की-उद्देश्य का विस्तार

पढ़ती है-क्रिया

किताब-कर्म

उसकी-कर्म का विस्तार

धीरे-धीरे-क्रिया का विस्तार

सरल वाक्यों में उद्देश्य (कर्ता) अनेक रूपों में आता है-जैसे-

संज्ञा-राम खेलता है । सर्वनाम-वह खेलता है। विशेषण-धनी सुख पाता है । क्रियार्थक संज्ञा-खेलना स्वास्थ्यकर होता है । वाक्यांश-गरीब को सताना अनुचित कार्य है । वाक्य-क्रांति अमर हो, यह यही हमारा नारा है ।

उद्देश्य का विस्तार भी विभिन्न रूपों में मिलता है । जैसे-

विशेषण-सुन्दर लड़की नाचती है ।

सार्वनामिक विशेषणकृवह लड़की नाचती है ।

सम्बन्ध कारक-माँ की लड़की कहाँ गयी ?

वाक्यांश-प्रकृति की गोद में खेलता बालक अच्छा लगता है ।

विधेय का विस्तार निम्न रूपों में देखा जा सकता हैकारक सेकृडंडा से मारा ।

क्रिया विशेषण से-धीरे-धीरे चलती है ।

वाक्यांश सेकृआठ बजने के बाद ही आता है ।

पूर्वकालिक क्रिया से-राम हँसकर विदा हुआ ।

क्रियाद्योतक सेकृकार पों-पों करती हुई चली गयी ।

मिश्र वाक्य का विग्रह

जिस वाक्यरचना में एक से अधिक सरल वाक्य हों और उनमें एक प्रधान हो और शेष उसके आश्रित हों, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं । अतः मिश्र वाक्य में एक ‘प्रधान उपवाक्य‘ रहता है और शेष वाक्यांश उस पर आश्रित रहते हैं जिन्हें श्आश्रित उपवाक्यश् कहते हैं । प्रधान उपवाक्य पूरे वाक्य से अलग अर्थ को खंडित किये बिना लिखा जाता है । आश्रित उपवाक्य को पूरे वाक्य से अलग नहीं किया जा सकता है । वस्तुतः ये दोनों वाक्य एक दूसरे पर आश्रित रहते हैं। आश्रित उपवाक्यों का आरम्भ ‘कि,. ताकि, जिससे, जो जितना, ज्योंही, ज्यों-ज्यों, चूँकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, जहाँ ‘ आदि से होता है।

मिश्र वाक्य-जो लोग धनी हैं, जीवन की क्रियाओं और रहन-सहन से ज्ञात होता है कि उनका जीवन बाह्याडंबरों से पूर्ण होता है । यहाँ निम्न उपवाक्य हैं-

(1) प्रधान उपवाक्य -उनके जीवन की क्रियाओं और रहनसहन से ज्ञात होता है।

(2) आश्रित उपवाक्य- ‘जो लोग धनी हैं‘।

(3) आश्रित उपवाक्य- ‘कि उनका जीवन बाह्याडंबरों से पूर्ण होता है । इन उपवाक्यों का सरल वाक्य की तरह विग्रह किया जा सकता है।‘

संयुक्त वाक्य का विग्रह

जिस वाक्य में सरल अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अव्यय के द्वारा होता है उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं । उदाहरण-

(1) सूर्योदय हुआ और तारे छिप गये ।

इसमें संयोजक अव्यय ‘और‘ है जिससे दो सरल वाक्यों का मेल हुआ है । अतः इनका सरल वाक्यों की तरह विग्रह करना चाहिए ।

(2) मैंने इस बार अधिक पढ़ा है, इसलिए पास होने की अधिक आशा है, परन्तु इसका निर्णय ईश्वर के अधीन है।

(क) मैंने इस बार अधिक पढ़ा है-प्रधान उपवाक्य ।

(ख) इसलिए पास होने की अधिक आशा है–संयोजक ‘इसलिए ‘ ।

(ग) परन्तु इसका निर्णय ईश्वर के अधीन है-संयोजक ‘परन्तु‘ ।

यहाँ तीन सरल वाक्य हैं । सरल वाक्यों की तरह इनका विग्रह किया जा सकता है।

वाक्य परिवर्तन

वाक्य परिवर्तन उसे कहते हैं जिसके अंतर्गत एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में, बिना अर्थ बदले, परिवर्तित किया जाता है । हम किसी भी वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में बदल सकते हैं। लेकिन वाक्य परिवर्तन करते समय यह ध्यान में रहना चाहिए कि वाक्य का मूल अर्थ किसी भी दशा में विकृत न हो । कुछ उदाहरण नीचे दिये जा रहे हैं-

(1) सरल वाक्य से मिश्र वाक्य-

सरल वाक्य-सभी लोग लोकप्रिय कवि का सम्मान करते हैं ।

मिश्र वाक्य-जो लोकप्रिय कवि होता है, उसका सभी सम्मान करते हैं ।

सरल वाक्य-सुन्दर लड़कियाँ अच्छी लगती हैं।

मिश्र वाक्य-जो लड़कियाँ सुन्दर होती हैं, वे अच्छी लगती हैं।

(2) सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य-

सरल वाक्य-बीमार होने के कारण श्याम परीक्षा में फेल हो गया।

संयुक्त वाक्य-श्याम बीमार था और इसीलिए परीक्षा में फेल हो गया ।

(3) मिश्र वाक्य से सरल वाक्य-

मिश्र वाक्य-जो छात्र परिश्रम करते हैं उन्हें अवश्य सफलता मिलती है।

सरल वाक्य-परिश्रमी छात्र को अवश्य सफलता मिलती है ।

(4) विधिवाचक वाक्य से निधेषवाचक वाक्य –

विधिवाचक वाक्य-राम मुझसे बड़ा है ।

निषेधवाचक वाक्य-मैं राम से बड़ा नहीं हूँ ।

(5) कर्तृवाचक वाक्य से कर्मवाचक वाक्य-

कर्तृवाचक वाक्य-मैं रोटी खाता हूँ ।

कर्मवाचक वाक्य-मुझसे रोटी खायी जाती है ।