JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Uncategorized

लेटरल एंट्री क्या होता है लेटरल एंट्री इन सिविल सर्विसेज Lateral Entry in Hindi meaning definition

Lateral Entry in Hindi meaning definition in civil services  लेटरल एंट्री क्या होता है लेटरल एंट्री इन सिविल सर्विसेज ?

प्रश्न :  ‘‘सिविल सेवा में लेटरल एंट्री एक प्रभावी कदम है।‘‘ इसके पक्ष में अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए।
भारत सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा भारत सरकार के अधीन उच्च पदों के लिए विज्ञापन द्वारा लैटरल भर्ती की घोषणा की। यह एक प्रभावी कदम है, जो प्रशासनिक संरचना को अधिक दक्ष व समावेशी बनाता है। ‘तकनीकी योग्यता‘ से नीति निर्माण में सटीकता व प्रभावशीलता होगी। अधिकारियों की कमी की भरपाई लैटरल भर्ती के माध्यम से की जा सकती है। प्रशासन में विशेषज्ञ होने से इसे बहुआयामी विकास के प्रबन्धन के अनुकूल बनाया जा सकेगा। लैटरल भर्ती से प्रशासन में शामिल लोगों में प्रतिस्पर्धा का विकास होगा तथा प्रशासनिक कार्यकुशलता में वृद्वि होगी।

Part-B
नोट: निम्न में से सभी प्रश्नों का उत्तर 50-50 शब्दों में हैं। प्रत्येक प्रश्न के 5 अंक हैं।
1. भारतीय संविधान के इतने विशाल व व्यापक होने के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
– भारतीय संविधान द्वारा 1935 के ढाँचे को ही अपनाया गया है। इस कारण यह व्यापक हो गया है।
– भारतीय संविधान के संघात्मक होने के कारण, संघ व राज्यों के मध्य संबंधों का संविधान में विस्तृत विवेचन किया
गया है।
– संविधान में मौलिक अधिकार व उन पर लगे प्रतिबंधों का भी व्यापक रूप से वर्णन किया है।
– संविधान में अल्पसंख्यकों, आंग्ल भारतीयों, अनुसूचित जातियाँ व जनजातियों क्षेत्र से संबंधित विशेष व्यवस्थाएँ की गई है।
– संविधान में राष्ट्रीय भाषा, नागरिकता, चुनाव, सेवाएँ, संविदा, अभियोग आदि प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित प्रावधान होने के कारण व्यापक हो गया है।
2. भारत में राष्ट्रपति के निर्वाचन की अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति को क्यों अपनाया गया है ?
भारत में राष्ट्रपति के चुनाव के अप्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था की गई है, क्योंकि राष्ट्रपति संसदीय शासन में नाममात्र का कार्यकारी होता है तथा मुख्य शक्तियाँ प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल की होती है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति का प्रत्यक्ष चुनाव अत्यधिक खर्चीला तथा समय व ऊर्जा का अपव्यय होता है। राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों को भी सम्मिलित किया जाता है ताकि राष्ट्रपति सम्पूर्ण राष्ट्र के प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर सके।
3. लोकसभा में ‘अविश्वास प्रस्ताव‘ की क्रियाविधि को समझाइए।
अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में सामान्यतः विपक्षी पार्टी की तरफ से सरकार के खिलाफ लाये जाने वाला प्रस्ताव है, जिसे पेश करने के लिए कम से कम 50 लोकसभा सदस्यों को समर्थन की जरूरत होती है। समर्थन प्राप्त हो जाने पर लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष रखा जाता है। स्पीकर की मंजूरी के बाद 10 दिनों के भीतर चर्चा करवाकर स्पीकर, वोटिंग करवा सकता है या कोई फैसला ले सकता है।
4. मूल अधिकार व नीति-निर्देशक तत्त्वों में बिंदुवार अंतर स्पष्ट कीजिए।
1. मूल अधिकारों की प्रकृति नकारात्मक है। ये राज्यों को कुछ मसलों पर कार्य करने से प्रतिबंधित कर निदेशक तत्त्व सकारात्मक है। राज्य को कुछ मसलों पर इनकी आवश्यकता होती हैं।
2. ये न्यायोचित होते है, इनके हनन पर व्यक्ति न्यायालय की शरण ले सकते है। जबकि नीति निर्देशक तत्वों न्यायालय द्वारा लागू नहीं करवाया जा सकता।
3. मूल अधिकार कानूनी रूप से मान्य है, जबकि निर्देशक तत्त्वों की नैतिक व राजनीतिक मान्यता प्राप्त है।
4. ये वैयक्तिगत स्वभाव के होते है. ये समुदाय कल्याण को प्रोत्साहित करते है।
5. मूल अधिकार स्वतः ही लाग होते है। निर्देशक तत्त्वों को लाग करने के लिए विधान की आवश्यकता होती है।
5. राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए आप भारत में सबसे बड़ी चुनौती किसे मानते है और क्यों ?
भारत का राष्ट्रीय एकता के समक्ष प्रमख चनौतियाँ साम्प्रदायिकतावाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, आतंकवाद इत्यादि है। साम्प्रदायिकता भारतीय राष्ट्रीय एकता के समक्ष प्रमुख चनौती है, जिससे धर्म के नाम पर लोगों के मध्य द्वेष व ईर्ष्या फैलाकर उन्हें राष्ट्र के विरुद्ध खडा किया जाता है। साम्प्रदायिकता के कारण ही भारत का विभाजन हुआ। साम्प्रदायिकता में निर्दाेष लोगों की हत्या की जाती है. राष्ट्र की प्रगति व समद्धि को चोट पहँचती है। इससे हिंसाः बर्बरता व अस्थिरता का भावना पैदा होती है। इससे साम्प्रदायिक दंगे फैलते है व लोगों समुदायों के मध्य शत्रुता व घृणा आ जाती है व समरसता खत्म हो जाती है।
6. ‘नीति आयोग, सहकारी संघवाद की दिशा में श्रेष्ठ कदम है।‘‘ व्याख्या करें।
नीति आयोग जन केन्द्रित, सक्रिय और सहभागी विकास एजेंडा के सिद्धांत पर आधारित है। योजना आयोग में राज्य सरकारों का कोई भूमिका नहीं होती थी। लेकिन संघीय ढाँचे को मजबूत करते हए नीति आयोग में सभी राज्यों और केन्द्र प्रशासित् प्रदेशों की भागीदारी सुनिश्चित की गई। नीति आयोग राज्यों के सम्पूर्ण आर्थिक विकास के लिए राज्यों के साथ मिलकर कार्य करेगा। नीति आयोग के माध्यम से राज्यों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की गई तथा यह नीतियों व योजनाओ के निमार्ण के स्तर पर केन्द्र व राज्यों के मध्य बेहतर तालमेले स्थापित करते हए सहयोगी संघवाद कां मजबूती प्रदान करता है। नीति आयोग न तो राज्यों से बिना पूछे योजनाओं का निर्माण करेंगा ना ही उसे राज्यों के ऊपर थोपने का कार्य करेगा। नीति आयोग राज्यों को साथ में लेकर कार्य करेगा।
7. भाषावाद ने भारतीय राजनीति को किन रूपों में प्रभावित किया है ?
भाषावाद राजनीति के अनेक निर्धारक तत्त्वों में एक है। भारत एक बहुभाषी देश है। जहाँ कई भाषाएँ बोली जाती है। भाषा के आधार पर राजनीतिक दलों द्वारा संकीर्ण राजनीतिक हितों को प्रश्रय दिया जाता है व भाषा के आधार पर विवाद उत्पन्न होता है। भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग स्वतंत्रता के समय से ही की जा रहा है, जस-आंध्रप्रदेश, गुजरात. पंजाब आदि। भाषा के आधार पर राज्यों का विभाजन हो गया। अन्य भाषा-भाषियों के प्रति असहिष्णुता की प्रवृत्ति ने भाषागत समुदायों में अंतर्कलह को जन्म दिया। भारतीय राजनीति में भाषा के तनाव के आधार पर राजनीतिक स्वार्थो से प्रेरित दलों, समुदायों ने अपना फायदा ज्यादा रखा है। दलीय राजनीति से ग्रस्त लोगों ने भाषा को परस्पर अंतर्कलह का अभिमत्र बना दिया है।
8. ‘राजनीति के जातीयकरण‘ और ‘जातियों के राजनीतिकरण‘ को स्पष्ट कीजिए।
‘राजनीति का जातीयकरण‘ से तात्पर्य है- राजनीतिक मुद्दों, क्रियाविधि व चुनावों का जातिगत आधारों पर संचालित होना। इस सबसे राजनीति की संपूर्ण प्रक्रिया जातिगत मुद्दों के इर्द-गिर्द केन्द्रित हो जाती है। जैसे-जाति के नाम पर मंत्रीमंडल के सदस्यों का चयन।
‘जातियों के राजनीतिकरण‘ से तात्पर्य है जातियाँ राजनीति कि धारा में प्रभावी रूप से आ गई है तथा जातियों के संगठन अब राजनीति को प्रभावित करने लगे है तथा सरकारें जातिगत मुद्दों को अब द्वितीयक नहीं बना सकती। जैसे-जातियों का वोट बैंक के रूप में चुनावी राजनीति को प्रभावित करना।

10. ‘आकांक्षी जिलों का परिवर्तन कार्यक्रम‘।
मानव विकास सूचकांक को बेहतर बनाने तथा विकास के संदर्भ में राज्य और जिलों के अन्तर को कम करने के लिए नीति आयोग द्वारा 115 आकांक्षी जिलों के परिवर्तन के लिए आधारभूत रैंकिंग प्रारम्भ की है। इस कार्यक्रम के आधार पर आकांक्षी जिला सूचकांक निर्माण के लिए स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, वित्तीय समावेशन, कौशल, विकास. आधारभूत संरचना इत्यादि को रैंकिंग का आधार बनाया है। इस कार्यक्रम से विकास की गतिविधियों का राज्यों में तेजी से विस्तार होगा, सरकारी योजनाओं को बेहतर बनाने का अवसर मिलेगा, जिलों के मध्य सहयोगी प्रतिस्पर्धा का विकास होगा।

Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

2 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now