यहाँ हम विस्तार से पढेंगे कि लम्बाई में संकुचन , लॉरेन्ज-फिट्जेरल्ड संकुचन क्या है Length Contraction, Lorentz- Fitzgerald Contraction in hindi किसे कहते हैं ?
लम्बाई में संकुचन (लॉरेन्ज-फिट्जेरल्ड संकुचन) (Length Contraction, Lorentz- Fitzgerald Contraction)
समकालिकता की आपेक्षिकता (Relativity of Simultaneity) – आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त के महत्वपूर्ण परिणामों में से एक गतिशील पिंड की गति की दिशा में लम्बाई में संकुचन है, जब उसे किसी स्थिर निर्देश तन्त्र के सापेक्ष देखा जाता है। इस प्रकार के संकुचन की कल्पना लॉरेन्ज और फिटजेरल्ड ने माइकलसन-मोरले के प्रयोग के नकारात्मक परिणाम की व्याख्या के लिए की थी।
लम्बाई के उचित मापन के लिए आवश्यक है कि पिंड के दोनों सिरों की स्थितियों का मापन समकालिक हो परन्तु आपेक्षिकता के सिद्धान्त के अनुसार दो घटनायें जो एक निर्देश-तन्त्र में समकालिक होती हैं, उनका दूसरे जड़त्वीय निर्देश तन्त्र में समकालिक होना आवश्यक नहीं है।
मान लीजिए X-अक्ष के अनुदिश रखी हुई एक छड़ एक जड़त्वीय निर्देश तन्त्र S के सापेक्ष v वेग से X- दिशा में गतिशील है। यदि X- दिशा में v वेग से गतिशील एक अन्य जड़त्वीय निर्देश तन्त्र S’ की कल्पना करें तो इस निर्देश तन्त्र में छड़ स्थिर अवस्था में प्रेक्षित होगी तथा इसके सिरों की स्थिति का मापन समय पर निर्भर नहीं होगा। अतः S’ में मापित लम्बाई सदैव समान प्राप्त होगी। निर्देश तन्त्र S’ जिसमें छड़ स्थिर प्रेक्षित होती है, छड़ के लिए उपयुक्त निर्देश तंत्र (proper frame) कहलाता है व इसमें मापित लम्बाई L0 उपयुक्त या उचित लम्बाई (proper length) कहलाती है।
मान लीजिये निर्देश तन्त्र S में जिसके सापेक्ष छड़ गतिशील है एक ही समय t पर छड़ के सिरों की मापित स्थितियाँ x1 और x2 है जिससे S में प्रेक्षित लम्बाई –
x2 – x1 =L
उपर्युक्त निर्देश तन्त्र S’ में यदि छड़ के सिरों की स्थितियां x1’ और x2’ है तो
उपयुक्त लम्बाई x2’ – x1’ = L0
लोरेन्ज रूपांतरणों से
S में प्रेक्षित लम्बाई L = L0 √1-v2/c2
अर्थात किसी निर्देश तंत्र में जिसमें छड़ v वेग से गतिशील है , गति की दिशा में मापित लम्बाई उपयुक्त L0 के सापेक्ष संकुचित प्रेक्षित होगी | यदि लम्बाई का मापन गति की दिशा के लम्बवत दिशा में किया जाए तो कोई संकुचन प्रेक्षित नहीं होगा |
इस प्रकार एक वर्ग की भुजा गति की दिशा में छोटी प्रेक्षित होगी और वह आयताकार प्रेक्षित होगा और एक वृत्त दीर्घवृत्त के रूप में प्रेक्षित होगा |