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राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला स्थित है नेशनल केमीकल लेबोरेटरी N.C.L national chemical laboratory is situated in in hindi
national chemical laboratory is situated in in hindi located राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला स्थित है नेशनल केमीकल लेबोरेटरी ?
उत्तर : राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला पुणे (महाराष्ट्र) में स्थित है |
2. एन.सी.एल. (नेशनल केमीकल लेबोरेटरी) (N.C.L.) – एन.सी.एल. भारत सरकार की एक प्रमुख रसायन प्रयोगशाला है। जो सी.एस.आई.आर के साथ मिलकर कार्य करती है। यह पुना (महाराष्ट्र) में स्थित है। इसमें स्थायी कर्मचारियों के रूप में लगभग 893 कर्मचारी कार्यरत है। इनके अतिरिक्त 364 रिसर्च फेलो, 23 रिसर्च एसोसएट, 397 प्रोजेक्ट स्टाफ भी है। इस संख्या का 2003-2004 का कुल वार्षिक बजट 374.2 मिलीयन रूपये (लगभग 8.32 मिलीयन यू.एस. डालर) रहा है। संस्था के बजट में ब्ण्ैण्प्ण्त्ण् का योगदान (2003-2004 में) 300.6 मिलीयन रूपये (लगभग 6.68 मिलीयन यू.एस. डालर) रहा है। संस्था का आय (2003-2004 में) 143.2 मिलीयन रूपये (लगभग 3.18 मिलीयन यू.एस. डालर) रही है।
मुख्य कार्य-
(i) खोज एवं आविष्कार विशेषकर कार्बनिक रसायन, पोलीमर्स, उत्प्रेरक, धातु रसायन, रसायन अभियांत्रिकी. जैव रसायन तथा प्रोसेसिंग को प्रोत्साहित करना।
(ii) उत्कृष्ट शोधों में प्रतिवर्ष लगभग 40 से 50 विद्यार्थियों को पी.एचड़ी. की उपाधि प्रदान की जाती है।
(iii) रसायन के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 50 पेटेन्ट भारत में तथा 120 विदेशों में किए गए।
(iv) लगभग 350 शोध पत्र रसायन विज्ञान में प्रकाशित ।
National Chemical Laboratory (N.C.L.)
Establised 1950
Location Pune ;Mhaarsatra ;India))
Personnel 1679
Research fellow 364
Research Asociates 23
Project sfta 397
Total Annual Budget 2003-2004 374.2 Million ;8.32 Million US $)
C.S.I.R. contribution 2003-2004 143.2 Million ;6.68 Million US $)
External earning 2003-2004 143.2 Million ;3.18 Million US $)
Others 300 Scientific sfta with Ph.D.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
1. हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड
2. एन.सी.एल
3. डी.एस.टी.
Write sort note on the following –
1. Hindustan Zinc Limited
2. N.C.L.
3. D.S.T.
उत्तर-
हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Limited) – हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड का कारखाना उदयपुर में स्थित है। यह भारत सरकार का एक उपक्रम है। यह संयंत्र सीसा (Pb) एवं जस्ते (Zn) का उत्पादन करता है। इस संस्थान का विवरण निम्न प्रकार है।
1. खोज कार्य-यह कम्पनी सीसा एवं जस्ते के उत्पादन के साथ खोज कार्य भी कर रही है इसके लिए एक कार्य योजना बनाई गई है एवं संसाधनों की पहचान की गई है। इसके साथ ही तकनीकी नवाचारों के नए आयामों को खोजने का प्रयास किया जा रहा है। इससे कम्पनी की भावी स्थिति अधिक मजबूत हो सकेगी।
2. आर्थिक एवं व्यापारिक परिदृश्य- कम्पनी ने वर्ष 2003-2004 के समय में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि दर उत्पादन के क्षेत्र में एवं 4.6 प्रतिशत की वृद्धि दर खनन के क्षेत्र में प्राप्त की जो कि प्रभावी प्रगति रिकार्ड की गई। इसलिए जरते (Zn) को प्रतिवर्ष खपत में 12 से 14 प्रतिशत की उल्लेखनीय दर से नदि की संभावना है। इसी प्रकार सीसे (Pb) की खपत भी प्रतिवर्ष 9 प्रतिशत से बढ़ने की आशा है।
3. उत्पादन- वित्तीय वर्ष 2003-2004, जो कम्पनी के निजीकरण के पश्चात् दूसरा वर्ष था कम्पनी ने लाभ अर्जित करने का सर्वाधिक रिकार्ड प्राप्त किया। कम्पनी का पिछले वर्ष का उत्पादन 201226 मैटिक टन रहा है जो 29 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है। इसी प्रकार का 4046 मिलीयन रूपये रहा जो 30प्रतिशत वृद्धि दर दर्शाता है। करोपरांत लाभ 4046 मिलीयन रूपये रहा जो 185 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है। अतः स्पष्ट है कि कम्पनी का निजी के पश्चात् सभी क्षेत्रों में प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है।
Zn उत्पादन 261226 मैट्रिक टन वृद्धि दर 29 प्रतिशत
कारोबार 18415 मिलीयन रुपये वृद्धि दर 30 प्रतिशत
करोपरान्त लाभ 4046 मिलीयन रुपये 185 प्रतिशत
4. भावी कार्यक्रम-भावी परिदृश्य में देखे तो माना जाता है कि आने वाले 2 से 3 वर्षों में जस्ते धातु की माँग प्रतिवर्ष 4 से 5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की आशा है। औद्योगिक क्षेत्रों में जस्ते के प्रयोग को बढ़ावा देना औद्योगिक विकास की दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण है। इसी कारण कम्पनी ने आधारभूत सुविधाओं, विनिर्माण कार्यों जैसे हवाई अड्डे, बंदरगाहों, गैस टर्मिनलों, रोड संकेतकों आदि में र्द धातु के विभिन्न प्रयोगों एवं उपयोगों को बढ़ावा देने के कई उपाय आरम्भ किए है। इन संभावनाओं को देखते हुए जिंक के बाजार में तेजी आएगी और इस क्षेत्र में सतत् प्रगति एवं विकास हो पाएगा। भारत में एवं विदेशों में भी जस्ता एवं सीसा (Zn – Pb) धातुओं की मांग में अपेक्षित वृद्धि के अनुरूप ही कम्पनी इसके उत्पादन में क्रमशः 170000 टन एवं 50000 टन की वार्षिक क्षमता में विस्तार कर रही है। इसके साथ ही कम्पनी रामपुरा-अगूचा खान में 3.75 मिलीयन रूपये प्रतिवर्ष की उत्पादन क्षमता बढ़ा रही है। साथ ही 154 मेगावाट का एक छोटा बिजली घर चन्देरिया में स्थापित किया है।
स्पष्ट है कि भारत दुनिया में तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है और एक आर्थिक शक्ति बनता जा रहा है। विश्व में तेजी से बढ़ रही खपत का प्रभाव हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड पर भी पड़ा है और यह कम्पनी विश्व स्तर पर निष्पादन करने के लिए मजबूत प्रतिस्पधा आयाम स्थापित करते हुए आवश्यक कदम उठा रही है।
5. पर्यावरण सम्बन्धी दायित्व-हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड ने भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, केन्द्रीय प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड तथा सम्बन्धित राज्यों के प्रदूषण कन्ट्रोल बोड़ी के साथ पर्यावरण संरक्षण के दायित्व से सम्बन्धित कार्यों को निष्पादित किया है। इसके अन्तर्गत सल्फर-डाई-ऑक्साइड (SOS) गैस के निष्कासन में 50 प्रतिशत तक कमी करने तथा बहिस्रावों में शून्य स्तर अर्जित करने जैसे कार्य आने वाले दो से तीन वर्षों में किया जाना प्रस्तावित है जो कि पर्यावरण के क्षेत्र में एक कीर्तिमान होगा। अतः स्पष्ट है कि कम्पना पर्यावरण संरक्षण के दायित्व को सफलतापूर्वक निभाने के लिए वचनबद्ध है।
6. सामुदायिक विकास-हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड न केवल औद्योगिक एवं पर्यावरण विकास का कार्य कर रही है। अपितु वह समाज के प्रति भी अपने दायित्व को ध्यान में रखत हुए सामुदायिक विकास की योजनाओं पर भी कार्य कर रही है। जिनमें से प्रमुख निम्न है-
(i) अकाल राहत कार्य- कम्पनी अपनी औद्योगिक इकाइयों के आस-पास के क्षेत्र में अकाल राहत कार्य चला रही है। इसके अतिरिक्त प्शु शिविर, चारा शिविर, पेयजल आपूर्ति, कुँए एवं ट्यूबवेल खोदना उनको गहरा करना आदि कार्यो पर लाखों रूपये की राशि व्यय कर रही है। इसके अतिरिक्त कम्पनी जिला प्रशासन के सहयोग तथा एक स्वयं-सेवी संस्था संगठन सेवा मंदिर की सहायता से उदयपुर के 36 जनजाति क्षेत्रों के गावों में अकाल राहत कार्यो का संचालन भी कर रही है। जिस पर लाखों रूप्ये व्यय किए गए है।
(ii) पेयजल आपूर्ति- कम्पनी उदयपुर शहर के नागरिकों को पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मानसी वाकल परियोजना के निर्माण पर कुलखर्च राशि का 30 प्रतिशत तक वहन रही है। जिस पर लगभग 18 करोड़ रूपये खर्च किए गए है।
(iii) रोप-वे निर्माण- कम्पनी ने चित्तौड़ जिले में स्थित चन्देरिया सीसा-जस्ता परियोजना के पास बेड़च नदी पर नगरी तथा बीतिया दोनों गावों को जोड़ने के लिए एक रोप-वे का निर्माण भी किया है । जिस पर 25 लाख रूपये का व्यय आया है।
उपर्यक्त विवरण से स्पष्ट है कि हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड सीसा-जस्ता उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी होने के साथ ही विकास कार्यों, पर्यावरण संरक्षण, पेयजल, अकाल राहत आदि क्षेत्रों में भी प्रमुखता से कार्य कर रही है।
3. डी.एस.टी. (विज्ञान और तकनीकी विभाग) D.S.T. (Department fo Science and Technology) – यह विभाग विज्ञान और तकनीकी मंगालय भारत सरकार के अन्य कार्य करने वाली संख्या है। इसका गठन 1971 में किया गया था।
प्रमुख उद्देश्य-
1. विज्ञान के नए क्षेत्रों को खोजना।
2. विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों को प्रोत्साहित करना।
3. भारत में विज्ञान तकनीकी के संगठन में एवं संयोजन में एक नोडल संस्था के रूप में कार्य करना।
प्रमुख कार्य-
1. तकनीकी विकास एवं व्यवसायीकरण।
2. स्वशासी शोध संस्थाओं को सहायता।
3. विज्ञान नीति निर्धारण एवं निर्देशन तथ्यों को निर्धारित करना।
4. विभिन्न विज्ञान की संस्थाओं में सांमजस्य स्थापित करना।
5. साहसिक तकनीकी को प्रोत्साहित करना।
6. विज्ञान और तकनीकी को प्रचारित करना।
7. विभिन्न राज्यों में स्थानीय विज्ञान तकनीकी को प्रोत्साहित करना।
8. वैज्ञानिक सर्वे ऑफ इंडिया, नेशनल एटलस, थेमेटिक मैंपिग आर्गनाइजेशन के द्वारा सम्पादित करवाना।
9. विभिन्न कार्यों को इंडिया मेट्रोलोजीकल डिपार्टमेन्ट (IMD) और नेशनल सेण्टर फॉर मीडियम रिसर्च फॉरकास्टिंग (NCMRWF) के द्वारा करवाना।
10. आधारभूत शोध को प्रोत्साहित करना।
11. आधारभूत सुविधाओं को जुटाकर उनका परीक्षण करना।
12. आलोचनात्मक तकनीकी कार्यों को प्रोत्साहित करना।
13. विज्ञान और तकनीकी आधारित स्वरोजगार को प्रोत्साहित करना।
14. सूचना तन्त्र का प्रबन्धन विज्ञान और तकनीकी के लिए करना।
15. सामाजिक कार्यों, जैसे कृषि, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन आदि, को करना।
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