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रक्षी कोलाइड क्या है ? स्वर्ण संख्या की परिभाषा लिखिए। स्वर्ण संख्या पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
पढ़िए रक्षी कोलाइड क्या है ? स्वर्ण संख्या की परिभाषा लिखिए। स्वर्ण संख्या पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ?
हार्डी-शुल्जे नियम (Hardy-Schulze Law) : कोलॉइडी विलयन में किसी वैद्युत-अपघट्य के मिलाने से उसके आयन कोलॉइडी कणों को आकर्षित रहें उदासीन कर देते हैं और इस प्रकार कोलाइडों का अवक्षेपण हो जाता है। आयनों पर आवेश की टित करने की सामर्थ्य बढ़ती जाती है। इसे हाडी-शुल्जे नियम (Hardy-Schulze Law) कहते हैं और अनमार “किसी कोलॉइड की निश्चित मात्रा को स्कदित करने वाले वैयुत-अपघट्य की मात्रा, कोलॉइड र आवेशयक्त आयन की संयोजकता पर निर्भर करती है।” अतः कुछ धनायनों की स्कंदित करने की सामर्थ्य निम्न क्रम में होती है
Al3+ > Ba2+ >Na+ ~ K +
तथा कुछ ऋणायनों के स्कंदित करने की सामर्थ्य निम्न क्रम में होती है
[Fe(CN)6 ]4-> PO43> so24 – >Cl-
दूध में फिटकरी डालकर पनीर बनाने की प्रक्रिया गन्दले पानी में फिटकरी घुमाकर उसे शुद्ध करने की प्रक्रिया इसी सिद्धान्त पर आधारित है। किसी विद्युत अपघट्य की उस न्यूनतम सान्द्रता के मान को ‘ऊर्णन मान’ (Flocculation value) कहा जाता है जो किसी सॉल को ऊर्णिक या स्कंदित करने के लिए आवश्यक हो।।
कोलॉइडों का रक्षण (Protection of Colloids) : जैसा कि हम ऊपर भी पढ़ चके हैं कि द्रवविरोधी कोलॉइड द्रवस्नेही कोलॉइडों की तुलना में अधिक अस्थायी होते हैं और शीघ्र स्कंदित होकर अवक्षेपित हो जाते हैं। यदि किसी द्रवविरोधी कोलॉइड में किसी द्रवस्नेही कोलॉइड की थोड़ी-सी मात्रा डाल दी जाए तो द्रव विरोधी कोलॉइड का स्थायित्व बढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि इनमें द्रवविरोधी कोलॉइडी कणों के चारों ओर अधिशोषण के द्वारा द्रवस्नेही कोलॉइडी कणों की एक रक्षक सतह बन जाती है जिससे वे अवक्षेपित नहीं हो पाते। इस प्रकार के कोलॉइड को रक्षी कोलॉइड (Protective colloid) कहते हैं। किसी द्रवस्नेही रक्षी कोलॉइड के रक्षित करने की क्षमता को, जिग्मॉण्डी (Zsigmondy) द्वारा स्वर्ण संख्या (gold number) कहा गया। उनके द्वारा किसी कोलॉइड की स्वर्ण संख्या को निम्न प्रकार से परिभाषित किया गया
किसी रक्षी कोलॉइड की स्वर्ण संख्या उसकी मिलीग्रामों में वह मात्रा है जो गोल्ड हाइड्रोसॉल के 10 मिलि को, 10% NaCl के 1 मिलि विलयन के प्रभाव से गोल्ड के स्कंदन (लाल रंग से नीले रंग में परिवर्तन) को रोक सके। उदाहरणार्थ, हीमोग्लोबिन की स्वर्ण संख्या का मान 0.93 है। इसका तात्पर्य यह है कि यदि गोल्ड सॉल के 10 मिलि में 0.03 मिलीग्राम हीमोग्लोबिन मिला हुआ हो, तो वह 10% NaCl विलयन के 1 मिलि द्वारा अवक्षेपित नहीं होगा। कुछ प्रमुख द्रवस्नेही कोलॉइडों की स्वर्ण संख्या निम्न प्रकार है
सारणी 6. 6
सॉल | स्वर्ण संख्या | सॉल | स्वर्ण संख्या |
जिलैटिन (gelatin)
ऐल्ब्यूमिन (albumin) कैसीन (casein) | 0.005-0.31
0.15-0.25 0.01-0.02 | अरबी गोंद (gum-arabic) डेक्सट्रिन (dextrin) आलू का स्टार्च (potato starch) | 0.15-0.25
6.0-20.0
20.0-25.0 |
अन्तःशोषण (Imbibition) : प्रोटीन एवं स्टार्च जैसे द्रव स्नेही कार्बनिक कोलॉइडों को यदि जल में डालकर रखा जाए तो जलयोजन – के कारण वितरित प्रावस्था फूल जाती है, इस प्रक्रम को अन्तःशोषण कहते हैं। इन कोलॉइडों का जल के प्रति इतना प्रबल आकर्षण होता है कि अन्तःशोषण की प्रक्रिया भारी दबाव के उपरान्त भी सम्पन्न होती है। जलस्नेही कोलॉइडों के इस प्रकार फूलने की प्रक्रिया को रोकने के लिए आवश्यक दाब को अन्तःशोषण दाब (Imbibition Pressure) कहा जाता है। यह दाब कई बार सैकड़ों वायुमण्डल दाब जितना हो जाता है। वस्तुतः यही दाब बीज के अंकुरण के समय आस-पास की मिट्टी को फोड़कर नन्हें पौधे को धरती से बाहर निकलने में मदद करता है।
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