JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: इतिहास

मृच्छकटिकम् का लेखन कब और किसके द्वारा किया गया , मृच्छकटिकम् किसकी रचना है लेखक कौन है

प्रश्न : मृच्छकटिकम् का लेखन कब और किसके द्वारा किया गया , मृच्छकटिकम् किसकी रचना है लेखक कौन है

उत्तर : मृच्छकटिकम्  के लेखक का नाम “शूद्रक” था |

5. शूद्रक द्वारा लिखित प्राचीन भारतीय पुस्तक ‘मृच्छकटिकम’ संबंधित है
(अ) वेश्या की बेटी के साथ संपन्न व्यापारी के प्रेम प्रसंग से।
(ब) पश्चिमी भारत के शक क्षत्रापों पर चन्द्रगुप्त द्वितीय की विजय से।
(स) समुद्रगुप्त के सैन्य अभियान और कृत्यों से।
(द) गुप्त राजा और कामरूप की राजकुमारी के बीच प्रेम संबंध से।

उत्तर :  (अ) मृच्छकटिकम् दस अध्यायों का संस्कृत नाटक है जिसका श्रेय शूद्रक को दिया जाता है और उसे सामान्यतः दूसरी शताब्दी ई.पू. और 5वीं शताब्दी ईसा के बीच किसी समय का रहने वाला माना जाता है। यह नाटक राजा पटक के शासनकाल के दौरान उज्जैन के प्राचीन नगर में लिखा गया है। केंद्रंीय कहानी यह है कि एक भद्र युवा ब्राह्मण चारूदत्त धनी वेश्या वसंतसेना के साथ प्रेम में विपफल रहता है।

गुजराती, राजस्थानी और सिंधी साहित्य

जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है, भक्ति आंदोलन गुजरात में अपनी पराकाष्ठा पर था और इस बात से वहां लिखा जाने वाला साहित्य भी प्रभावित हुआ। नरसी मेहता इस क्षेत्रा में बहुत ही लोकप्रिय नाम है क्योंकि उसने भगवान कृष्ण के भक्ति गीतों को स्थानीय लोक परंपराओं के साथ संयुक्त किया था। परवर्ती काल में नर्मदा द्वारा लिखित कविताएं और गोवर्धन राम द्वारा रचित गद्य दिखाई देता है। गोवर्धन राम ने शास्त्राीय गुजराती उपन्यास, सरस्वती चंद्र की रचना की थी जिस पर हाल ही में टेलीविजन सीरियल बनाया गया था।
गुजराती साहित्य में सपफलता का शिखर पिफक्शन और नाॅन-पिफक्शन (ऐतिहासिक) रचनाएं लिखने वाले डाॅ. के. एम. मुंशी द्वारा प्राप्त किया गया। उनके श्रेष्ठतम उपन्यासों में से एक पृथ्वी वल्लभ है।
मध्यकालीन राजस्थानी साहित्य कई बोलियों से ग्रस्त था और डिंगल और पिंगल नामक काल्पनिक लेखन के दो मुख्य रूप थे। इस संदर्भ में सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ ढोला मारू है। ब्रज में मीराबाई का लेखन बहुत प्रसिद्ध रहा है। कई अन्य संतों ने भी इस क्षेत्रा में भक्ति काव्यों की रचना की। राजस्थानी लेखकों की कहानियां प्रकृति में सामान्यतः मौखिक होती थी और वीर काव्य (विजय काव्य गीत) गाने वाले चारणों द्वारा प्रसारित की जाती थी।
सिंधी साहित्य इसे घेरने वाले दो क्षेत्रोंः राजस्थान और गुजरात से बहुत प्रभावित रहा है। चूंकि सिंध सदैव भारत की सीमा पर रहा है, अतः भारत में बसने वालों मुसलमानों के साथ संपर्क में आने वाला भी यही पहला था जिससे कविता पर इस्लाम और सूपफी मत के प्रभाव का पता चलता है। कविता प्रगीतात्मक अथवा गाए जाने योग्य है। सिंधी साहित्य में दो प्रमुख नाम दीवान कौड़ामल और मिर्जा कलिश बेग हैं।

कश्मीरी साहित्य
जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है, कश्मीर के सबसे प्रारंभिक ग्रंथों में से एक संस्कृत में लिखी गयी कल्हण की राजतरंगिणी थी। स्थानीय लोग कश्मीरी भाषा का उपयोग करते थे और इस पर फारसी और हिंदी बोलियों का प्रभाव पड़ा था। प्रारंभिक मध्य काल में, जब भक्ति आंदोलन अपनी परकाष्ठा पर था, कश्मीरी भाषा लाल देद नामक अपनी पहली महिला कवयित्राी का साक्षी बनी, जो कि एक शैव रहस्यवादी थीं।
लेकिन प्रमुख प्रसार कश्मीर में इस्लाम और सूफी मत और सूफी गुलाम मोहम्मद, जिंदा कौल, महजूर आदि जैसे कई प्रमुख लेखकों के आगमन के उपरांत हुआ। कश्मीरी साहित्य में एक और आर्कषक व्यक्ति नंद ट्टषि के रूप में जाने जाने वाले नूरूद्दीन थे और उन्हें अपनी कविता में हिंदी और इस्लामी तत्वों को एक साथ लाने का श्रेय दिया जाता है। 1846 में जम्मू में राजनीतिक सत्ता के डोगरा परिवार के पास हस्तांतरित होने के साथ, कश्मीरी पर डोगरी भाषा का ग्रहण लग गया। हाल ही में, इस भाषा को पुनर्जीवित करने में पिफर से कुछ रुचि पैदा हुई है।

पंजाबी साहित्य
कई क्षेत्रीय और भौगोलिक प्रभावों ने न केवल पंजाब की राजनीति को प्रभावित किया है बल्कि इसके साहित्य पर प्रभाव डाला और इसकी दो प्रमुख लिपियों में रचना की गईः पफारसी और गुरुमुखी। विश्व के सबसे महान ग्रंथों में से एक सिक्खों की धार्मिक पुस्तकः आदि ग्रंथ है और इसका अधिकांश भाग गुरुमुखी में है। इसमें हिन्दी या ब्रज में कबीर, दादू और नानक के दोहे भी सम्मिलित हैं, लेकिन यह बहुत ही सम्मिश्रित ग्रंथ है।
आदि ग्रंथ में भी योगदान करने वाले गुरु गोविंद सिंह ने पंजाबी में सवैया (कविता) लिखी थी। स्थानीय साहित्य ने सोहनी-महिवाल, शशी-पुन्नू और वारिस शाह द्वारा रचित बहुत ही प्रसिद्ध हीर-रांझा, जैसी प्रेम कहानियों और महाकाव्यों से बहुत कुछ लिया है। बाबा फरीद और बुल्ले शाह की सूपफी कविताएं आम जनता के साथ-साथ इस क्षेत्र के शासकों में भी लोकप्रिय थीं। उन्होंने कई गानों या कपफी कहलाने वाली शास्त्रीय रचनाओं की भी रचना की थी। इन्हें सामान्यतः आम लोगों द्वारा गाया जाता था।
आधुनिक पंजाबी साहित्य भी राष्ट्रवादी लेखन से प्रभावित हुआ और भगत सिंह की मिथकीय ‘रंग दे बसंती चोला’ इस प्रवृत्ति का उत्कृष्ट उदाहरण है। अंग्रेजों को निकाल बाहर कर सकने वाले पिछले शासकों को भी याद करने की प्रवृत्ति थी और भाई वीर सिंह ने इस प्रकार की भावनाओं को मन में रखते हुए राणा सूरत सिंह की रचना की।
समकालीन लेखकों में डाॅ. मोहन सिंह और पूरन सिंह सम्मिलित हैं।

मराठी साहित्य
हालांकि हम इसे मराठी भाषा के रूप में वर्गीकृत करते हैं, तथापि महाराष्ट्र में कई बोलियां हैं और साहित्य की इन सभी की रचना की गई है। मराठी में सबसे पुरानी ज्ञात रचना संत ज्ञानेश्वर द्वारा 13वीं सदी में लिखी गई थी। उन्हें महाराष्ट्र में कीर्तन प्रारंभ करने का श्रेय दिया जाता है और उन्होंने ही मराठी में भगवत गीता पर विस्तृत टिप्पणी लिखी थी। उनके अतिरिक्त, नामदेव, शिवसेन और गोरा की भांति कई संत इसी अवधि में लोकप्रिय थे। सबसे पुरानी ज्ञात महिला लेखिका जनबाई हैं।
लेकिन सोलहवीं सदी के महाराष्ट्र के सबसे प्रसिद्ध संत भागवत पुराण और रामायण पर टिप्पणियां लिखने वाले एकनाथ थे और चूंकि उन्होंने स्थानीय भाषा में भी कृतियों की रचना की थी, अतः वह आम जनता में बहुत लोकप्रिय थे जो अभी भी उनके गीत गाते हैं। तुकाराम और रामदास अन्य उल्लेखनीय भक्त कवि हैं।
राष्ट्रवादी आंदोलन ने मराठी कविता और गद्य लेखन को भी प्रभावित किया। हमारे सबसे महान राष्ट्रवादी व्यक्तित्वों में एक बाल गंगाधर तिलक मराठी में अपने क्षेत्रीय सामचार-पत्रा केसरी का प्रकाशन करते थे। इस समाचार-पत्र में अंग्रेजों और उनकी नीतियों की आलोचना की जाती थी और उस समय के प्रमुख क्रांतिकारियों के ग्रंथ प्रकाशित किए जाते थे।
मराठी गद्य लेखन ने हरि नारायण आप्टे, वी. एस. चिपलुंकर और केशव सुत की रचनाओं के साथ श्रेष्ठतर रचनाओं की ओर मोड़ लिया। समकालीन बहुत सारे मराठी कवियों में एम. जी. रानाडे, जी.टी. मधोल्कर और के. टी. तैलंग सम्मिलित हैं।
पिछले वर्षों के प्रश्न – प्रारंभिक परीक्षा
1. भारत के सांस्कृतिक विरासत के संदर्भ में इतिवृत्तों, राजवंशीय इतिहासों तथा वीरगाथाओं को कंठस्थ करना निनलिखित में से किसका व्यवसाय था?
(अ) श्रमण (ब) परिव्राजक
(स) अग्रहारिक ; (द) मागध
2. प्राचीन भारत की निम्नलिखित पुस्तकों में से किस एक में शुंग राजवंश के संस्थापक के पुत्र की प्रेम कहानी है?
(अ) स्वप्नवासवदत्ता (ब) मालविकाग्निमित्र
(स) मेघदूत (स) रत्नावली
3. सम्राट अशोक के राजादेशों का सबसे पहले विकूटन (डिसाइपफर) किसने किया था?
(अ) जाॅर्ज बुल्लर (ब) जेम्स प्रिंसेप
(स) मैक्स मुलर (द) विलियम जोन्स
4. निम्नलिखित चार वेदों में से किस वेद में जादुई सम्मोहन और मंत्र के स्वर सम्मिलित हैं?
(अ) ऋग्वेद (ब) यजुर्वेद
(स) अथर्ववेद (द) सामवेद

उत्तर
1. (अ)
2. (ब)
3. (ब)
4. (स) जादुई सम्मोहन और मंत्रों का प्रारंभिक वर्णन अथर्ववेद में पाया जा सकता है।
अभ्यास प्रश्न – प्रारंभिक परीक्षा
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करेंः
i. उपदेशात्मक गद्य का सामान्यतः कहानी लेखन और उपन्यासों के लिए प्रयोग किया जाता है।
ii कथात्मक विषय वस्तु का राजनीतिक या नैतिक मुद्दों पर लेखन के लिए प्रयोग किया जाता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(अ) केवल (i) (ब) केवल (ii)
(स) दोनों (i) -(ii) (द) ना तो (i) ना ही (ii)
2. निम्नलिखित ग्रंथों में से कौन-सा ग्रंथ वसुधैव कुटुम्बकम् का उपदेश देता है?
(अ) वेद (ब) पुराण
(स) उपनिषद (द) ब्राह्मण
3. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रमुख वेद नहीं है?
(अ) यजुर्वेद (ब) अथर्ववेद
(स) सामवेद (द) गंधर्व
4. सामवेद की रचना किस भाषा में की गई है?
(अ) संस्कृत (ब) पालि
(स) प्राकृत (द) अर्द्ध मगधी
5. ऋग्वेद के अंर्तगत मुख्य देवता कौन है?
(अ) इंद्र (ब) वरुण
(स) अग्नि (द) वायु
6. निम्नलिखित देवियों में से कौन ऋग्वेद में अपना उल्लेख पाती हैं?
(अ) ऊषा (ब) पृथ्वी
(स) वाक् (द) इनमें से सभी
7. कौन-सा वेद विभिन्न रोगों के उपचार पर केंद्रित है?
(अ) ऋग्वेद (ब) यजुर्वेद
(स) अथर्व (द) गंधर्व
8. जन्म और मृत्यु के चक्र के साथ ही आत्मा की जटिलता पर कर्मकांडीय सूचनाओं का संकलन हैंः
(अ) वेद (ब) उपनिषद
(स) ब्राह्मण (द) आरण्यक
9. निम्नलिखित कथनों पर विचार करेंः
i. दृष्टान्त लघु कथाओं का संकलन हैं, जो मानव जीवन के गुण दिए जाने वाले सामान्यतः जानवरों, पशु वस्तुओं में, पौराणिक प्राणियों, पौधों, का चित्रांकन करते हैं।
ii. दंतकथाएं सामान्यतः मानव चरित्रा का चित्रांकन करने वाली लघु कथाएँ हैं।
उपर्युक्त कथन/कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(अ) केवल (i) (ब) केवल (ii)
(स) दोनों (i) एवं (ii) (द) ना तो (i) ना ही (ii)
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार करेंः
i. सुश्रुत संहिता औषधि से संबंधित है।
ii. माधव निदान रोग विज्ञान से संबंधित है।
उपर्युक्त कथन/कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(अ) केवल (i) (ब) केवल (ii)
(स) दोनों (i) एवं (ii) (द) ना तो (i) ना ही (ii)
11. निम्नलिखित में से कौन-सा सही प्रकार सुमेलित नहीं है?
(अ) चरक संहिता-चिकित्सा
(ब) माधव निदान . रोग विज्ञान
(स) लगधचार्य . ज्योतिष
(द) पंच सिद्धांतिका . खगोल
उत्तर
1. (द) 2. (अ) 3. (द) 4. (अ) 5. (अ)
6. (द) 7. (स) 8. (द) 9. (द) 10. (ब)
11. (द)

पिछले वर्षों के प्रश्न . मुख्य परीक्षा

1. विजयनगर नरेश कृष्णदेव राय न केवल स्वयं एक कुशल विद्वान थे अपितु विद्या एवं साहित्य के महान संरक्षक भी थे। विवेचना कीजिए।
2. हालांकि दक्षिण भारत के सुसंबंधित राजनीतिक इतिहास की दृष्टि से बहुत उपयोगी न होते हुए भी, संगम साहित्य उल्लेखनीय जीवंतता के साथ अपने समय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का चित्रण करता है। टिप्पणी करें।
अभ्यास प्रश्न – मुख्य परीक्षा
1. साहित्य के संदर्भ में उपदेशात्मक और कथात्मक ग्रंथों के बीच भेद करें।
2. अधिकांश प्राचीन साहित्यिक कृतियां संस्कृत भाषा में है। स्पष्ट करें।
3. प्राचीन साहित्य में पालि और प्राकृत के उपयोग पर संक्षिप्त नोट लिखें।
4. तमिल साहित्य को क्यों संगम साहित्य के रूप में जाना जाता है?
5. प्राचीन भारत में साहित्य के विकास में संस्कृत की भूमिका का वर्णन करें।
6. आधुनिक साहित्य ने भारत के पूर्वी और उत्तरी भाग में अपना प्रभुत्व स्थापित किया। परीक्षण करें।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

7 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

7 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

7 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now