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मीटर-सेतु की सहायता से दिए गये तार का प्रतिरोध ज्ञात करें तथा उसके पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध ज्ञात करना।
उद्देश्य (Object):
मीटर सेतु द्वारा दिए गए तार का प्रतिरोध ज्ञात करना तथा इसके पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus):
मीटर सेतु, लेक्लांशी सेल, प्रतिरोध बॉक्स, प्रायोगिक प्रतिरोध तार, कुजी, धारामापी, विसी कुंजी तथा संयोजक तार आदि।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram):
सिद्धान्त (Theory):
मीटर सेतु, व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त पर कार्य करता है। व्हीटस्टोन सेतु की संतुलनावस्था में अज्ञात प्रतिरोध
S = Q /k~ P×R
यदि प्रतिरोध बॉक्स में प्रयुक्त प्रतिरोध त् के लिए, भीटर सेतु तार पर प्रतिरोध बॉक्स की ओर से संतुलन लम्बाई स सेमी. तथा अज्ञात प्रतिरोध तार S की ओर से संतुलन लम्बाई (100 – l) सेमी. है तो
P = σl तथा Q = σ (100 – l)
जहां σ = भीटर सेतु तार की प्रति सेमी. लम्बाई का प्रतिरोध है ।
अत: अज्ञात प्रतिरोध S = (100 – l)/ l × R
तथा यदि दिए गए प्रतिरोध तार की लम्बाई स् मी. एवं त्रिज्या त मी. है तो तार के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध
p = SA/l~ = Sπr2/L
जहाँ S दिए गए तार का प्रतिरोध है।
सर्वप्रथम हम उपरोक्त चित्रानुसार विद्युत परिपथ सयोजित करते हैं।
अब प्रतिरोध बॉक्स में से कुछ प्रतिरोध (जैसे R = I ओम) की डॉट निकालकर कुंजी की डॉट लगा देते हैं तथा किसी कुंजी को मीटर सेतु के तार के A व C बिन्दुओं पर क्रमशः स्पर्श कराकर धारामापी में विक्षेप की दिशा देखते हैं। यदि दोनों स्थितियों में प्राप्त विक्षेप परस्पर विपरीत हों तो संयोजन सही है अन्यथा संयोजन सही नहीं है तथा संयोजन को एक बार पुनः जांच लेते हैं।
3. अज्ञात प्रतिरोध का अनुमानित मान ज्ञात करना
इसके लिए हम विसी कुंजी को मीटर सेतु के तार के ठीक मध्य बिन्दु पर ( l = 50 सेमी. पर) रखते हैं तथा प्रतिरोध बॉक्स में प्रतिरोध का मान इस प्रकार परिवर्तित करते है। (बढ़ाते हुए या घटाते हुए) कि धारामापी का विक्षेप कम होते हुए शून्य हो जाए या लागभग शून्य हो जाए। इस स्थिति में प्रतिरोध बॉक्स में प्रयुक्त प्रतिरोध ही तार का अनुमानित प्रतिरोध होता है।
4. अज्ञात प्रतिरोध का वास्तविक मान ज्ञात करना- इसके लिए
(A) R.B. में, तार के अनुमानित प्रतिरोध से कुछ कम प्रतिरोध प्रयुक्त करते हैं तथा विसी कुंजी की सहायता से मीटर सेतु तार पर अविक्षेप स्थिति प्राप्त कर तार की संतुलन लम्बाई स नोट करते हैं।
;B) पद (A) के अनुसार, संतुलन लम्बाई, R.B. में, क्रमशः अनुमानित प्रतिरोध के समान प्रतिरोध तथा इससे कुछ अधिक प्रतिरोध प्रयुक्त करके ज्ञात करते हैं तथा प्राप्त प्रेक्षणों को प्रेक्षण सारणी में नोट कर लेते हैं।
5. तार की लम्बाई एवं त्रिज्या ज्ञात करना
(A) अब हम तार को उस स्थान से काटते है जहा तक वह संयोजक पेंचों से जुड़ा होता है तथा तार को सीधा करके मीटर स्केल की सहायता से इसकी लम्बाई स् माप लेते हैं।
(B) अब स्क्रूगेज का अल्पतमाक एवं शून्यांकी त्रुटि नोट करके, स्क्रूगेज की सहायता से कम से कम तीन स्थानों पर तार का व्यास ज्ञात कर लेते हैं तथा प्रेक्षणा के सारणी में नोट कर लेते हैं।
प्रेक्षण (Observations):
1. तार के प्रतिरोध के लिए सारणी:
क्रम संख्या त्ण्ठण् प्रयुक्त ज्ञात प्रतिरोध त् (ओम) मीटर सेतु तार पर संतुलन लम्बाई l 1 (सेमी) (100-l 1) (सेमी) अज्ञात प्रतिरोध
S =(100- l 1)/ l1 × R
(ओम) माध्य अज्ञात
प्रतिरोध
S = S1़ S2़ S 3/ 3 (ओम)
1.
2.
3.
2. तार की लम्बाई L = …. सेमी.
3. स्क्रगेज का अल्पतमांक = चूड़ी अन्तराल/वृत्ताकार पैमाने पर कुल भागों की संख्या = …. सेमी.
4. शून्यांकी त्रुटि e = …. सेमी. (चिन्ह सहित)
5. तार की त्रिज्या के लिए सारणी:
क्रम संख्या प्रधान
पैमाने का
पाठ्यांक
a (सेमी) वृत्ताकार पैमाने का
पाठ्यांक इ कुल
पद्धयांक
c~ = a ़b (सेमी)
संशोधित
पाठ्यांक
d~ = c~ = ;़e)
(सेमी)
तार का माध्य व्यास
d~ = D1़ D2़ D3/3
(सेमी) तार की
त्रिज्या
r = D/2
(सेमी)
वृत्ताकार
पैमाने के
संपाती
भाग n n × अल्पतमांक
(सेमी)
1.
2.
3.
गणना (Calculation):
1. तार के प्रतिरोध के लिए
(A) प्रत्येक प्रेक्षण सेट से अज्ञात प्रतिरोध को गणना सूत्र S = ;100. l1) /k~ l1 × R से करते हैं।
(B) प्रतिरोध के प्राप्त मानों S1, S2, o S3 से माध्य प्रतिरोध की गणना करते हैं।
माध्य प्रतिरोध S =S1 ़ S2 ़ S3 /k~ 3= …. ओम
2. तार की त्रिज्या के लिए
(A) स्क्रूगेज से प्राप्त संशोधित पाठ्यांकों का माध्य लेकर तार का माध्य व्यास ज्ञात करते हैं।
तार का माध्य व्यास D = D1 ़ D2 ़ D3 /k~ 3= ….सेमी.
(B) अब तार की त्रिज्या: D/3= …. सेमी. की गणना करते हैं।
3. तार के विशिष्ट प्रतिरोध के लिए
सूत्र p = Sπr2/L – में तार के प्रतिरोध S, त्रिज्या त तथा लम्बाई L का मान रखकर तार के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध ओम-सेमी. में ज्ञात करते हैं। इसके पश्चात प्राप्त मान में 100 का भाग देकर इसे ओम-मीटर में परिवर्तित कर लेते हैं।
परिणाम (Result): .
दिए गए तार का प्रतिरोध ….. ओम तथा तार के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध …… ओम-मीटर प्राप्त हुआ।
सावधानियाँ एवं त्रुटि उद्गम (Precautions and Sources of error)
संयोजक तारों के सिरों को रेगमाल से साफ कर लेना चाहिए।
संयोजक पेंच पूरी तरह कस लेने चाहिए।
सेल परिपथ में कुंजी का प्रयोग करना चाहिए। कुंजी केवल प्रेक्षण लेते समय ही लगानी चाहिए।
आरम्भ में धारामापी के साथ शंट लगा लेना चाहिए। लगभग अविक्षेप बिन्दु आ जाने के बाद उसे हटा देना। चाहिए।
प्रतिरोध बॉक्स से ऐसे प्रतिरोध के प्लग निकालने चाहिए कि अविक्षेप बिन्दु तार पर 30 सेमी० तथा 70 सेमी के बीच ही प्राप्त हो।
विसर्पी कुंजी को तार पर दबाकर खिसकाना नहीं चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से कहीं-कही पर तार घिस जाता है और उसकी पूरी लम्बाई पर एकसमान व्यास नहीं रह पाता।
प्रायोगिक तार की केवल वही लम्बाई नापनी चाहिए जो संयोजक पेंचों के बीच थी। (लपेटे गए तार की लम्बाई नहीं नापनी चाहिए)।
एक रिक्त स्थान से दूसरे रिक्त स्थान में प्रतिरोध लगाते समय तार की लम्बाई बदलनी नहीं चाहिए।
प्रतिरोध बॉक्स के प्लग पूरी तरह कसे होने चाहिए।
तार का व्यास एक स्थान पर दो लम्बवत् दिशाओं में मापना चाहिए।
स्केल पर पाठ्यांक उस तरफ से लेने चाहिये, जिधर प्रतिरोध बॉक्स लगा हो।
सम्भादित त्रुटियाँ:
सम्भव है कि मीटर सेतु के तार का व्यास हर स्थान पर एक समान न हो।
ब्रिज की पत्तियों का प्रतिरोध नगण्य मान लेते हैं जबकि उनका कुछ न कुछ प्रतिरोध अवश्य होता है।
कभी-कभी तार में अधिक देर तक धारा प्रवाहित करने से तार का प्रतिरोध बदल जाता है।
मौखिक प्रश्न एवं उत्तर (Viva Voce):
प्रयोग संख्या 3 के पश्चात् देखें।
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