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मार्टिन लूथर का विद्रोह क्या था , कौन सा आंदोलन चलाया मार्टिन लूथर कौन था उसने पोप के विरुद्ध विद्रोह क्यों किया
पढ़िए मार्टिन लूथर का विद्रोह क्या था , कौन सा आंदोलन चलाया मार्टिन लूथर कौन था उसने पोप के विरुद्ध विद्रोह क्यों किया ?
प्रश्न: ‘‘मार्टिन लथर का विदोह एक बौद्धिक चिन्तन था. न कि रोम के प्रति विद्रोह। जिसके अन्तर्गत राष्ट्रीय चर्च को रोम के चर्च से पृथक करने की बात सन्निहित थी। और अन्ततः प्रोटेस्टेण्ट का जन्म हुआ।‘‘ व्याख्या कीजिए।
उत्तर: मार्टिन लूथर का जन्म 10 नवम्बर, 1483 को जर्मनी में सैक्सनी (Saxony) प्रांत के आइबेन (Eisleber) में हुआ। मार्टिन लूथर के पिता एक खान मजदूर थे। उसके पिता उसे वकील बनाना चाहते थे। परंतु इसके विपरीत मार्टिन लूथर ने 1505 में इरफर्ट विश्वविद्यालय से धर्मशास्त्र (Theology) की शिक्षा प्राप्त की। 1508 में वह बिटेनबर्ग विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र का प्रोफेसर नियुक्त हुआ। यहां उसने प्लेटो, अरस्तु, सेंट ऑगस्टाइन आदि के दर्शन व सिद्धातों का अध्ययन किया। माटिन लथर ने बाईबिल के अध्ययन में दक्षता प्राप्त की। प्रारम्भ में मार्टिन लूथर रोमन कैथोलिक चर्च का कट्टर अनुयाया था। 1511 में मार्टिन लूथर ने रोम की यात्रा की। यहां चर्च की विलासिता व सांसारिकता को देखकर चकित रह गया। इसके पश्चात् उसने प्राचीन धर्मग्रंथों का गहन अध्ययन प्रारम्भ किया।
1517 में जॉन टेटजेल बिटेनबर्ग पहुंचा और मार्टिन लूथर से पाप मोचन पत्रों की बिक्री के लिए सहयोग मांगा। 31 अक्टूबर, 1517 को मार्टिन लूथर ने पाप मोचन पत्रों की बिक्री के विरोधस्वरूप बिटेनबर्ग के चर्च की दीवार पर 95 Theses (95 सिद्धांत) चिपका दिये। 95 सिद्धान्तों को आस्था के लिखित वक्तव्य भी कहते हैं। 95 थीसिस मार्टिन लूथर का एक बौद्धिक चिन्तन था न कि लूथर का रोम के चर्च के प्रति विद्रोह। 95 थीसिस मूलतः लैटिन भाषा में लिखे गये थे। लैटिन बुद्धिजीवियों की भाषा थी न कि जनभाषा। अतः सिद्ध होता है कि उसने इसमें आम जनता को शामिल नहीं किया था। अतः यह एक बौद्धिक चिन्तन था ना कि रोम के प्रति विद्रोह।
तुरंत 95 थीसिस का जर्मन भाषा में अनुवाद करा दिया गया और उसका बडे पैमाने पर प्रचार किया गया। लूथर लोकप्रिय हो गया क्योंकि लोग इसके विचारों से प्रभावित हुए। टेटजेल का इतना विरोध हुआ कि उसे बिटेनबर्ग से भगा दिया गया।
1520 में मार्टिन लूथर ने ईसाई राज्यों (राजाओं) को एक खुला पत्र लिखा जिसमें उसने राजाओं को अपने राज्य के चर्च को रोमन कैथोलिक चर्च से पृथक करने के लिए कहा और राज्य के चर्च को अपने स्वयं के राज्य के अधीन करने के लिए कहा। मार्टिन लूथर ने राजाओं से अनुरोध किया कि वह धर्म सभाओं का आयोजन करें व धर्मधिकारियों को कर्तव्य पालन करने पर बल दें। मार्टिन लूथर ऐसा पहला व्यक्ति हुआ जिसने राज्यों के चर्च को रोमन कैथोलिक चर्च से पृथक करने के लिए कहा। इस पत्र के पश्चात् कई जर्मन राज्यों ने अपने चर्च को रोमन कैथोलिक चर्च की अधीनता से मुक्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप मार्टिन लूथर व पोप के समर्थकों के बीच गृहयुद्ध की स्थिति बन गई। पोप ने 1520 में एक धर्मसभा का आयोजन किया और मार्टिन लूथर को इसमें आमंत्रित किया। परंतु सैक्सनी के शासक फ्रेडरिक की सुरक्षा ली और उसे धर्मसभा में जाने से रोका।
पोप ने मार्टिन लूथर को अपने वक्तव्य वापस लेने के लिए 60 दिन का समय दिया। मार्टिन लूथर ने वक्तव्य वापस लेने से इन्कार कर दिया। पोप ने एक आदेश जारी कर लूथर को धर्म से बहिष्कृत कर दिया। इस आदेश को पैपुल बुल (Papal Bull) कहा जाता है। 10 दिसम्बर, 1520 को मार्टिन लूथर ने बिटेनबर्ग विश्वविद्यालय के परिसर में विद्यार्थियों, अध्यापकों व सामान्य जनता के बीच पैपल बुल को सार्वजनिक रूप से जला दिया। ये लूथर की रोम (चर्च) के विरुद्ध युद्ध की घोषणा थी।
रोमन साम्राज्य का शासक चार्ल्स ट पोप का समर्थक था। इसने 1521 में वम्स (Worms) नामक स्थान पर राज्य परिषद (डाइट) की बैठक आयोजित की। इसमें मार्टिन लूथर को आमंत्रित कर पश्चाताप करने के लिए बुलाया गया किन्त लथर नहीं आया। चार्ल्स ट ने लूथर को एक आदेश के अनुसार विधि बहिष्कृत कर दिया। इस आदेश को ष्वर्क्स के आदेशश् (Edict of Worms) कहते हैं। इस आदेश के अनुसार लूथर की सभी कृतियों को जला देने के आदेश दे दिये गये।
सैक्सनी के राजा फ्रेडरिक ने मार्टिन लूथर को वाटबर्ग के किले में सुरक्षा दी। इसी किले में लूथर ने 1522 में बाईबिल का जर्मन भाषा में अनुवाद किया। लूथर व पोप के अनुयायियों (समर्थकों) के बीच गृहयुद्ध जारी रहा। 1520 में पीर (Speer) नामक स्थान पर पोप ने दूसरी धर्मसभा का आयोजन किया। इस धर्मसभा में पोप ने सामंतों को आदेश दिया कि वो लथर से संबंध विच्छेद कर ले। 19 अप्रैल, 1529 में सामंतों ने स्पीयर के आदेशों के विरुद्ध औपचारिक रूप से ‘प्रोटेस्ट‘ किया। ऐतिहासिक रूप से इसी तिथि को प्रोटेस्टेट का जन्म हुआ। इसके परिणामस्वरूप गृहयुद्ध उग्र हुआ। 1546 में लूथर की मृत्यु हो गयी।
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