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माउंटबेटन योजना के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री कौन थे ? माउंटबेटन योजना कब बना , का मुख्य उद्देश्य क्या था

जाने माउंटबेटन योजना के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री कौन थे ? माउंटबेटन योजना कब बना , का मुख्य उद्देश्य क्या था अन्य नाम क्या थे ?

प्रश्न: माउण्टबेटन योजना क्या थी ? योजना के प्रति महात्मा गांधी एवं अब्दुल कलाम आजाद की प्रतिक्रिया की विवेचना कीजिए।
उत्तर: माउंटबेटन योजना के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली 1945-1951 थे | भारत में संवैधानिक सुधारों में मुस्लिम लीग द्वारा निरन्तर अवरोध पैदा करने की नीति तथा प्रबल भारत विभाजन की मांग के कारण ब्रिटिश सरकार द्वारा अन्ततः लार्ड माउंटबेटन को भारत का गवर्नर जनरल बनाकर भारत भेजा गया तथा माउंटबेटन द्वारा मुस्लिम लीग, राष्ट्रीय कांग्रेस तथा अन्य नेताओं के साथ विचार विमर्श के उपरान्त 1947 को भारत विभाजन की जो योजना प्रस्तुत की गयी वह माउंटबेटन योजना अथवा ‘‘मन बांटन‘‘ योजना के रूप में जानी जाती है। इस योजना के प्रस्ताव निम्नानुसार थे –
प. भारत एवं पाकिस्तान नामक दो अधिराज्यों में विभाजन किया जायेगा।
पप. दोनों अधिराज्यों द्वारा अपने संविधानों के निर्माण हेतु अलग-अलग संविधान सभाओं का निर्माण किया जायेगा तथा भारतीय संविधान सभा का संविधान निर्माण कार्य भारत अधिराज्य के लिए जारी रहेगा।
पपप. भारत विभाजन के दौरान बंगाल तथा पंजाब प्रान्तों के विभाजन का निर्णय उनकी विधान सभाओं द्वारा लिया जायेगा।
पअ. उ.प. सीमा प्रान्त तथा असम के सिलहट के विभाजन का निर्णय जनमत संग्रह द्वारा लिया जायेगा।
अ. विभाजन के कारण उपजे विवादों के समाधान हेतु सीमा आयोग का गठन किया जायेगा जिसके आधार पर सीमाओं का निर्माण किया जायेगा।
अप. बंगाल एवं पंजाब में हिंदू तथा मुसलमान बहुसंख्यक जिलों की प्रांतीय विधानसभा के सदस्यों की अलग-अलग बैठक बुलायी जानी थी ताकि प्रांतो की राय जानी जा सके।
अपप. देशी रियासतों को यह स्वतंत्रता देने का प्रावधान था कि वे जिसके साथ ही चाहें, मिल जायें अथवा अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाये रखें।
अपपप. इस प्रकार मांउट बेटन योजना मूलतः भारत विभाजन की योजना थी जिसे मुस्लिम लीग द्वारा आनन्दपूर्व परन्तु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा दुःखी हृदय से स्वीकार की गयी।
माउंटबेटन योजना की सिफारिशों को महात्मा गांधी एवं मौलाना आजाद ने प्रारंभ में ठुकरा दिया था, क्योंकि ये दोनों ही नेता भारत के विभाजन के सख्त खिलाफ थे। ये दोनों नेता अन्य राष्ट्रीय नेताओं, यथा पं. नेहरू, सरदार पटेल आदि की इन दलीलों से बिल्कुल ही सहमत नहीं थे कि सांप्रदायिकता के बढ़ते प्रभाव के कारण. देश का विभाजन करना आवश्यक हो गया है। लेकिन बाद में व्यापक हिंसा तथा नफरत की भावना को देखते हुए इन्हें झुकना ही पड़ा तथा अंततः माउंटबेटन योजना को स्वीकार कर लिया गया। इस प्रकार भारत विभाजन संबंधी प्रश्न पर भले ही गांधी एवं आजाद शुरू में अडिग दिख रहे थे, परंतु बाद में उन्हें भी सच को स्वीकारना पड़ा और भारत के टुकड़े करने पर अपनी सहमति जतानी पड़ी।

प्रश्न: अंग्रेजों ने भारत के आधुनिकीकरण के लिए कौन-से सकारात्मक कदम उठाए थे ?

भारत के आधुनिकीकरण हेतु ब्रितानी शासन द्वारा कई सकारात्मक प्रयास किये गये-
ऽ प्रथम, ब्रितानी शासन ने विधि के शासन की आधुनिक अवधारणा को लागू किया। विधि के शासन के अंतर्गत प्रशासन का संचालन कानून के पालन द्वारा संभव था। इसके तहत अधिकार, विशेषाधिकार एवं नागरिकों के कर्तव्य सुनिश्चित थे। इस अवधारणा का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह था कि किसी भी अधिकार के दुष्प्रयोग अथवा अतिक्रमण करने वाले अधिकारी के विरुद्ध न्यायिक प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकती थी।
ऽ दूसरा, ब्रितानी कानून व्यवस्था समानता की अवधारणा पर आधारित थी। कानून की नजर में सभी व्यक्ति समान हैं। जाति, धर्म, वर्ग के आधार पर कानून में फर्क नहीं किया जाता था। सभी के लिए एक ही प्रकार का कानुन था। पहले, न्याय-व्यवस्था में जाति के आधार पर भेद किया जाता था तथा विधि की दृष्टि में उच्चवर्ग एवं निम्नवर्ग में भेद था।
ऽ सन् 1835 में मैकाले की अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली लागू की गयी। इससे भारतीय शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण हो सका। बोद्धिक क्षेत्र में सर्वत्र नयी चेतना का संचार हुआ। जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय आंदोलन में नव आवेग का प्रसार हो सका।
पुनः 1853 के चार्टर कानून के माध्यम से भारतीयों को सिविल सेवा प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति प्रदान की गयी। अब भारतीय प्रशासन में भारतीयों का प्रवेश होने लगा। अंग्रेजों द्वारा प्रारंभ किया गया यह कठोर ढांचा भारत में अभी भी विद्यमान है। यह भारतीय प्रशासन का आधार है।
इसी प्रकार, ब्रितानी शासन के दौरान भारत में कई काउंसिल तथा चार्टर कानूनों के माध्यम से सांविधानिक विकास की पृष्ठभूमि तैयार की जा सकी. जिसकी छाप हमारे संविधान पर देखी जा सकती है। ब्रितानी शासन ने देश में सती एवं ठगी प्रथा के अन्त के साथ अनेक सामाजिक सधार कर आधुनिकीकरण के प्रयास किए।

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