JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Uncategorized

महासचिव : लोक सभा सदन का महासचिव क्या होता है | महा सचिव के कार्य परिभाषा किसे कहते हैं ?

महा सचिव के कार्य परिभाषा किसे कहते हैं ?  लोक सभा सदन का महासचिव क्या होता है ?
महासचिव
सदन का तीसरा महत्वपूर्ण अधिकारी महासचिव होता है। वह सभी संसदीय कृत्यों और क्रियाकलापों में और प्रक्रिया एवं प्रथा संबंधी सभी मामलों में अध्यक्ष का, सदन का और सदस्यों का सलाहकार होता है । एक स्थायी अधिकारी के रूप में जो सभा पटल का प्रमुख अधिकारी होता है और परिवर्तनशील विभिन्न सदनों और अध्यक्षों के बीच निरंतर कड़ी का काम करता है, महासचिव संसदीय प्रथाओं एवं परंपराओं का रक्षक होता है और पहले सदनों, पीठासीन अधिकारियों और स्वयं अपने पूर्वाधिकारियों की संचित बुद्धिमत्ता एवं अनुभव का भंडार होता है।
महासचिव अपने अधिकार से बहुत से विधायी, प्रशासनिक एवं कार्यपालिका कृत्यों का निर्वहन करता है और सदस्यों को सेवाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध कराता है । वह आरक्षीगण संगठन और संसद संपदा के परिसर में सुरक्षा के लिए सर्वाेच्च प्रभारी अधिकारी होता है। संसद ग्रंथालय, शोध, संदर्भ, प्रलेखन और सूचना सेवाएं भी उसी के अधीन कार्य करती हैं। वह संसद भवन, संसदीय सौध और संसद की अन्य संपत्तियों के रख रखाव और मरम्मत के लिए उत्तरदायी है । संसदीय संग्रहालय और अभिलेखागार के सर्वाेच्च अधिकारी के रूप में वह संसद की विरासत का रक्षक होता है और सब संसदीय अभिलेखों का परीरक्षक । वह विधायी सेवाओं और सदन के सचिवालय का प्रमुख अधिकारी है और उसके प्रशासन के लिए उसमें अनुशासन बनाए रखने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होता है कि सदन और उसकी समितियों का सचिवीय कार्य समुचित ढंग से, कुशलतापूर्वक एवं सुचारु रूप से किया जाए। वह सब संसदीय समितियों को सचिवीय सहायता और कर्मचारी उपलब्ध कराता है और वह स्वयं उन्हें मंत्रणा देने के लिए उपलब्ध रहता है। सदस्यों और समितियों के लिए उसकी भूमिका मित्र, विचारक और मार्गदर्शक की होती है। विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य परामर्श लेने के लिए उसके पास आते हैं। काफी हद तक उसे निष्पक्षता की वही भूमिका निभानी होती है जो अध्यक्ष निभाता है। वह पूरी तरह जागरूक और तुरतबुद्धि अथवा शीघ्र निर्णय लेने वाला व्यक्ति होना चाहिए।
संसदीय कार्यों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाचक्रों की पर्याप्त और नवीनतम जानकारी रखना और उसे उचित रूप से आत्मसात करना भी महासचिव के लिए अपेक्षित है।जो व्यक्ति महासचिव के पद पर आसीन होता है उसके लिए आवश्यक है कि वह प्रतिभावान हो और संसद के बहुमुखी कृत्यों में निपुण हो। जो कार्य उसे सौंपा जाता है वह इतना अधिक तकनीकी और जटिल स्वरूप का है कि उसे सभी श्रेणियों के अनेक योग्य और विद्वान अधिकारियों की सहायता आवश्यक होती है। कार्य का आयोजन इस रीति से किया जाता है कि प्रत्येक इकाई संसदीय जीवन के किसी विषय विशेष या पहलू विशेष संबंधी कार्य करे और उसमें ऐसे प्रतिभा संपन्न कर्मचारी रखे जाएं जो तकनीकी तौर पर योग्य हों और जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन कुशलतापूर्वक करें । यह देखना महासचिव का कर्तव्य है कि समय समय पर रिक्त होने वाले पदों को भरने के लिए पर्याप्त कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाए और संसदीय कार्य की कुशलता का एक उच्च स्तर सदा बना रहे । अतः सदन के सचिवालय के संगठन का रूप एवं स्वरूप तय करना महासचिव का पद धारण करने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व और दृष्टिकोण पर काफी निर्भर करता है।
महासचिव राजनीति से कोई संबंध नहीं रखता। उसका दृष्टिकोण और परिप्रेक्ष्य सदा पूर्णतया दलगत रहित और निष्पक्ष रहता है। उसे उन अधिकारियों में से चुना जाता है जिन्होंने सदन के सचिवालय में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए संसद की सेवा में सराहनीय कार्य किया हो । उसे चुनने और नियुक्त करने का प्राधिकार अध्यक्ष को प्राप्त है। एक बार नियुक्त हो जाने पर वह निर्धारित सेवा-निवृत्ति की आय, जो इस समय 60 वर्ष है, प्राप्त होने तक अबाध अपने पद पर बना रहता है। सदन में उसकी आलोचना नहीं की जा सकती और सदन में या सदन के बाहर उसके सदन संबंधी कार्यों पर चर्चा नहीं की जा सकती। वह केवल अध्यक्ष के प्रति उत्तरदायी होता है। उसके लिए सेवा की सुरक्षा तथा स्वतंत्रता प्रदान करने की दृष्टि से और इस दृष्टि से पर्याप्त रक्षात्मक उपायों की व्यवस्था की गई है कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन उत्साह से, निर्भीकता से, न्यायोचित ढंग से, निष्पक्ष ढंग से और सर्वाेच्च जनहित में करे। लोक सभा सचिवालय पूर्णतया पृथक है और अध्यक्ष के नियंत्रणाधीन है ताकि संसद को स्वतंत्र परामर्श मिल सके और इसके निदेशों को किसी बाहरी हस्तक्षेप या आंतरिक दबाव के बिना उचित कार्यरूप दिया जा सके।
महासचिव, राष्ट्रपति की ओर से, सदन के अधिवेशन में उपस्थित होने के लिए सदस्यों को “आमंत्रण” जारी करता है, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में विधेयकों को प्रमाणित करता है; सदन की ओर से संदेश भेजता है और प्राप्त करता है; सदन को संबोधित या सदन के लिए अभीष्ट सूचनाएं, याचिकाएं, दस्तावेज और अन्य पत्र प्राप्त करता है; सदन के समक्ष या उसकी समितियों के समक्ष पेश होने के लिए साक्षियों को समन जारी करता हैरू अध्यक्ष की ओर से सदस्यों, मंत्रियों तथा अन्यों के साथ पत्र व्यवहार करता है; दीर्घाओं के लिए प्रवेश-पत्र जारी करता है; सदन और उसके सचिवालय के वित्त एवं लेखाओं पर नियंत्रण रखता है; कार्य सूचियां, बुलेटिन और संशोधनों की सूचनाएं परिचालित करता है; सदन के जनरल,कार्यवाही सारांश और शब्दशः कार्यवाही-वृत्तांत तैयार कराता है; जिन विभिन्न विषयों में सदस्य रुचि रखते हों; उन्हें उनके बारे में जानकारी भेजने की व्यवस्था करता है; सदस्यों और अन्य लोगों के उपयोग के लिए बहुत-सी पत्रिकाओं और अन्य संसदीय प्रकाशनों का संपादन करता है और उन्हें प्रकाशित करता है, अर्थात सारांश, पत्रिकाएं, पुस्तिकाएं, तथ्यात्मक-पत्र, पृष्ठाधार, शोध पत्र, पुस्तकें आदि । संसदीय अध्ययन तथा प्रशिक्षण केंद्र होने के नाते, वह नए संसद सदस्यों और राज्य विधानमंडल के नये सदस्यों, भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा और अन्य अखिल भारतीय सेवाओं के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के लिए, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए, विश्वविद्यालयों के अध्यापकों और देश एवं विदेशों से आए संसदीय अधिकारियों के लिए संसदीय संस्थाओं और प्रक्रियाओं में अध्ययन पाठ्यक्रम, विचार गोष्ठियां, प्रशिक्षण और प्रबोधन कार्यक्रम इत्यादि आयोजित करता है । भारतीय संसदीय दल के सचिव के नाते वह राष्ट्रमंडल संसदीय संघ और अंतर्राष्ट्रीय संघ की भारत शाखा की गतिविधियों का भी आयोजन करता है। वह संसदीय प्रतिनिधि मंडलों के साथ विदेशों में जाता है और संसद के अनेक अन्य कार्य करता है। जब राष्ट्रमंडल अध्यक्षों का देश में सम्मेलन होता है तो लोक सभा का महासचिव उस सम्मेलन का पदेन महासचिव होता है। वह भारत में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के लिए,भारत में विभिन्न विधानमंडलों और संसदीय समितियों के सभापतियों के सम्मेलनों के लिए सचिवीय कर्तव्यों के विवरण तैयार करने और आयोजन के लिए उत्तरदायी होता है और भी विविध क्रियाकलापों के लिए प्रबंध करने हेतु जैसे विदेशी प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा सदस्यों के समक्ष भाषण, स्वागत समारोह, संसदीय सद्भावना मिशन विदेशों में भेजने या विदेशों से भारत आने वाले ऐसे मिशनों का स्वागत करने से संबंधित कार्य करने के लिए भी उत्तरदायी होता है।
लोक सभा के महासचिव के इन विस्तृत कर्तव्यों और अपने अधिकार से निर्वहन किए जाने वाले दायित्वों के अतिरिक्त,बहुत से अन्य कृत्य भी हैं जिनका वह निर्वहन करता है जिन्हें वह अध्यक्ष की ओर से और उसके नाम से करता है। अध्यक्ष और महासचिव का आपसी संबंध एक विशेष प्रकार का संबंध है जिसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता । उदाहरणार्थ, प्रश्नों, प्रस्तावों आदि की विभिन्न प्रकार की सूचनाओं की अनुमति देने या अनुमति न देने के मामले में अध्यक्ष की जिन शक्तियों का प्रयोग महासचिव करता है, प्रत्यायोजित शक्तियां नहीं हैं। वास्तव में, अध्यक्ष की ये शक्तियां प्रत्यायोजित की ही नहीं जा सकतीं। ये शक्तियां केवल अध्यक्ष में निहित हैं और वही इनका प्रयोग कर सकता है। इसलिए, यही कहा जा सकता है कि अध्यक्ष स्वयं विभिन्न सूचनाओं आदि की अनुमति दे रहा है या नहीं दे रहा है । जो कुछ उसके नाम से, उसकी ओर से और उसके सामान्य निदेशों के अधीन किया जाता है उसकी वह स्वयं पूरी जिम्मेदारी लेता है।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now