JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Physicsphysics

मल्टीमीटर का उपयोग क्या होता है , मल्टीमीटर का प्रयोग क्या मापने के लिए किया जाता है ? किसको नापते है

जाने – मल्टीमीटर का उपयोग क्या होता है , मल्टीमीटर का प्रयोग क्या मापने के लिए किया जाता है ? किसको नापते है  ?

मल्टीमीटर का उपयोग : मल्टीमीटर का प्रयोग आवृत्ति मापने हेतु नहीं किया जाता है। मल्टीमीटर द्वारा धारा, वोल्टता तथा प्रतिरोध का मापन किया जाता है। मल्टीमीटर को AVO मीटर भी कहा जाता है। इस मीटर की सहायता से A.C. व D.C. वोल्टता तथा धारा तथा निम्न व मध्यम माना का प्रतिरोध का मापन किया जाता है। इस मीटर की सहायता से open circuit , short circuit तथा Earth दोष का परीक्षण भी किया जा सकता है।

SOLUTION

(ब)
पहले से कम हो जायेगा।
(अ)
सटीक प्रजनन से अभिप्राय है कि यन्त्र में शून्य ड्रिपट है। इसका मतलब दिये गये इनपुट के लिये मापा गया मान स्थिर रहता है और यह समय के साथ परिवर्तित नहीं होता है।
(ब)
यथार्थता, परिशुद्धता के बिना प्राप्त की जा सकती है यथार्थता वास्तविक मान से मापित मान की समीपता है। अतः यथार्थता को मापित मान तथा वास्तविक मान के अन्तर से मापा जाता है। यह अन्तर जितना कम होगा, यथार्थता उतनी ही अधिक होगी। उक्त अन्तर ही त्रुटि कहलाता है। इस प्रकार यथार्थता त्रुटि पर निर्भर करती है अर्थात् त्रुटि बढ़ने से यथार्थता घटती है।
मापित मान – वास्तविक मान = त्रुटि α —–
यथार्थता
(मापित मान)1 – (मापित मान) = परिशुद्धता
(द)
धारा और विभव ट्रांसफॉर्मर का प्रयोग उच्च धारा और उच्च वोल्टेज मापन में प्रयोग किया जाता है। धारा ट्रांसफॉर्मर प्रत्यावर्ती धारा परिपथों में लगाये जाते हैं तथा इनके द्वारा सूचक तथा मापन उपयन्त्रों जैसे एमीटर वाटमीटर ऊर्जामीटर तथा रक्षी रिले की धारा कुण्डलियों को सप्लाई प्रदान की जाती है। 500 वोल्ट से अधिक वोल्टता पर सूचक या मापन उपयन्त्रों की वोल्टता कुण्डली को सप्लाई प्रदान करने के लिए विभव परिणामित्र का प्रयोग किया जाता है।
(स)
क्रिटिकली डैम्ड पद्वति में डैम्पिग factor का मान इकाई होता है। यह साम्यावस्था में प्वाइंटर के दोलन को कम करने के लिए होता है। यन्त्र में Damping से इसका settling time घट जाता है। सामान्यतः इन्डीकेटिंग यन्त्र के लिए  Damping Ratio (ξ) का मान 0.6 से 0.8 तक रखा जाता है।
(द)
इन्डीकेटिंग यन्त्रों के लिए विस्थापक बलाघूर्ण नियंत्रक बलाघूर्ण एवं अवमंदक बलाघूर्ण तीनों ही आवश्यक होते हैं। इन्डीकेटिंग यन्त्रों में एमीटर, वोल्टमीटर, वाटमीटर, ओह्म मीटर तथा पावर फैक्टर मीटर इस श्रेणी में आते हैं।
(ब)
एक मूविंग क्वॉयल स्थायी चुम्बकीय उपकरण को कम प्रतिरोधक शंट का प्रयोग करके एमीटर के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। मूविंग क्वॉयल स्थाई चुम्बक को एमीटर बनाने के लिए कुण्डली के समान्तर में कम मान का प्रतिरोध जिसे पार्श्व या शन्ट कहते हैं जोड़ा जाता है अथवा कुण्डली को कम वर्तनों तथा मोटी विद्युतरोधी ताम्र तार से बनाया जाता है। एमीटर को सदैव विद्युत परिपथ के श्रेणी में लगाया जाता है।
(अ)
यह एक प्रकार का ऐमीटर है, जो किसी भी परिपथ में बहने वाली धारा परिपथ विच्छेद किये बिना मापता है, तथा यह संकेत आकार को सुरक्षित रखता है परन्तु डी.सी. स्तर बदल देता है तथा ऐसी स्थिति में वायरिंग में बहने वाली धारा क्लैम्प मीटर के स्केल से पढ़ ली जाती है।
(अ)
Sensitivity = 1/I_FSd~ =1/;2×10)=500Ω/V
(ब)
जब किसी वोल्टमीटर को किसी परिपथ के एक्रास संयोजित किया जाता है, यदि वोल्टमीटर की निविष्ट प्रतिबाधा, मापे जाने वाले बिन्दुओं के बीच प्रतिबाधा से कम है तो वोल्टमीटर धारा को अपने अन्दर से प्रवाहित करेगा, इस धारा के प्रवाहित होने से वोल्टमीटर में जो त्रुटि उत्पन्न होगा उसे स्वंकपदह मििमबज कहते है।
(द)
3- फेज परिपथ का शक्ति मापन 2watt meter से करते है जिसमें एक वाट मीटर की रीडिंग धनात्मक तथा दूसरे की ऋणात्मक पाठ्यांक हैं दोनों पाठ्यांक का मान अलग- अलग है। तो शक्ति गुणक परिपथ का मान 0-0.5 से कम तथा lagging होगा। यदि परिपथ की Phase Angle 60° से 90° के बीच में तो बवे ϕ का मान सदैव 0.5 से कम ही होगा। इस अवस्था में दोनों मीटर अलग-2 Reading दिखाते हैं।
(ब)
meter constant = ; )/kWh
kWh = ;230 5 5cos)/1000
;1230×25×cosϕ)/kWh = 1940/4001000
cosϕ = ;1940×1000)/;230×25×400) = 7760/;23×400)= 0.8
cosϕ=0.8
(ब)
एकल फेज ऊर्जा मीटर के श्रेणी चुम्बक मोटे तार के कुछ वलय वाली से बने होते है सिलिकॉन लोहे की पटलित पत्तियों के बने होते है, जिनमें एक पर वोल्टता कुण्डली तथा दूसरे पर दो धारा कुण्डलियाँ कुण्डलित रहती है। जिस चुम्बक पर दो धारा कुण्डलियाँ कुण्डलित रहती है। उसे श्रेणी चुम्बक कहते हैं तथा जिस पर वोल्टता कुण्डली कुण्डलित रहती है उसे पार्श्व चुम्बक भी कहते है।
(अ)
मेगर में PMMC उपकरण को डी.सी. जेनरेटर के साथ उपयोग किया जाता है। इसे PMDC जेनरेटर भी कहा जाता है। इसका उपयोग विद्युत इन्सुलेशन के प्रतिरोध को मापने के लिए किया जाता है।
(द)
जब बाह्य परिपथ खुला हो तो हैन्डिल के घुमाने पर मेगर का प्वाइंट सीमित इंगित करता है। जब मेगर के दोनों सिरे खुले होते है तो धारा कुण्डली में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है तथा इस समय चल तन्त्र की गति कुण्डली पर पूर्णतः निर्भर करती है। इस समय मेगर का संकेतक आशंकित पैमाने पर अनन्त की ओर चलता है। तथा जब मेगर के सिरों को आपस में लघुपथित कर देते हैं तो मेगर का संकेतक शून्य स्थिति की ओर इंगित करता है।
(ब)
मल्टीमीटर से वोल्टता, धारा, प्रतिरोध तीन विद्युत मात्राओं का मापन किया जाता है। AVO मीटर को मल्टीमीटर भी कहते हैं क्योंकि यह मीटर एमीटर, वोल्टमीटर तथा ओहम मीटर तीनों का कार्य करता है। परास स्विचों की सहायता से इस मीटर को एमीटर वोल्टमीटर तथा ओहम मीटर के रूप में अलग-अलग प्रयोग किया जा सकता है।
(अ)
रैखिक परिवर्तन अन्तर परिणामित्र (LVDT) मुख्य रूप से विस्थापन को मापता है। स्टक्ज् का आउटपुट वोल्टेज सीमित रेंज में विस्थापन का रेखीय फंक्शन होता है। सूक्ष्म विस्थापनों के लिए वक्र लगभग सरल रेखा होता है। इसकी सुग्राहिता बहुत ही उच्च 40V/mm होती है। 1×10.3 mm तक विभेदन के स्टक्ज् बनाना सम्भव है।
(स)
शून्य प्रकार की यन्त्रों की सटीकता सामान्यतः डिफ्लेक्शन प्रकार के यन्त्रों से अधिक होती है।
शून्य प्रकार के यन्त्रों की सुग्राहिता Deflecting type यन्त्रों से अधिक होता है।
इसका Dynamic Response बहुत slow होता है। इसके अन्तर्गत A.C. और D.C. पोटेन्शियोमीटर तथा A.C. तथा D.C. Bridge आते है।
(स)
परावैद्युत हानियों को मापने के लिये शेयरिंग ब्रिज का प्रयोग किया जाता है। शियरिंग ब्रिज की सहायता से संधारित्र की धारिता, तथा परावैद्युत पदार्थ की विद्युतशीलता भी ज्ञात की जाती है। शियरिंग ब्रिज धारिता को स्वेेल बंचंबपजवत को मानक संधारित्र से बवउचंतम करके मापता है।
(द)
LVDT तापक्रम का मापन नहीं कर सकता यह बहुत ही प्रचलित प्रेरकत्वीय पारक्रमक है। इसके द्वारा रेखीय गति का वैद्युत सिगनल में रूपान्तरण होता है। इसमें तीन कुण्डलियाँ एक ही बेलनाकार फार्मर पर लिपटी होती है। इनमें से बीच की कुण्डली प्राइमरी का काम करती है जो अपने दोनों ओर की सेकेण्डरी कुण्डली में विद्युत वाहक बल प्रेरित करती है।
L.V.D.T. का आउट पुट सूक्ष्म विस्थापनों (5mm तक) लगभग रेखीय होता है तथा L.V.D.T. का उपयोग इन सभी अनुप्रयोगों में किया जाता है। जिनमें mm से कुछ cm तक के विस्थापन नापते है इससे बल, दाब तथा भार आदि का मापन किया जाता है।
(द)
संधारित्र ट्रांसड्यूसर की गतिज अभिलक्षण उच्च पास फिल्टर के समान होती है। ये ट्रान्सड्यूसर उच्च सुग्राहिता वाले होते हैं, और ये stray magnetic field के प्रभाव से मुक्त होते हैं।
इन्हें operate करने के लिये कम ऊर्जा तथा कम बल की आवश्यकता होती है।
(स)
एक 1ज्ञΩ प्रतिरोध का रंग क्रोड भूरा, काला, लाल होता है।
(ब)

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now