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भारतीय राजनीति में सांप्रदायिकता का उदय कैसे हुआ , भारत में मुस्लिम साम्प्रदायिकता के उदय के कारण

इतिहास में महत्वपूर्ण घटना भारतीय राजनीति में सांप्रदायिकता का उदय कैसे हुआ , भारत में मुस्लिम साम्प्रदायिकता के उदय के कारण ? भारत के विभाजन के आलोक में सांप्रदायिक राजनीति के विकास के कारणों तथा परिणामों की चर्चा कीजिए ?

प्रश्न: भारतीय राजनीति में सांप्रदायिकता का उदय एवं पाकिस्तान प्रस्ताव की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर: भारत में सांप्रदयिकता का उद्भव एवं विकास वस्तुतः ब्रिटिश शासन की नीतियों एवं कार्यक्रमों का ही परिणाम था। सांप्रदायिकता का उदय आधुनिक राजनीति के उदय से जुड़ा हुआ है। राजनीतिक विचारधारा के रूप में सांप्रदायिकता का विकास उस समय हुआ, जब जनता की भागीदारी, जनजागरण तथा जनमत के आधार पर चलने वाली राजनीति अपने पांव जमा चुकी थी।
निश्चय ही, भारत में सांप्रदायिकता का उदय उपनिवेशवाद के दबाव तथा उसके खिलाफ संघर्ष करने की जरूरत से उत्पन्न परिवर्तनों के कारण हुआ। दरअसल, इसकी जड़ें सामाजिक, आर्थिक एंव राजनीतिक परिस्थितियों में निहित थीं। भारतीय उपनिवेशवादी अर्थव्यवस्था तथा इसके कारण उत्पन्न पिछड़ेपन ने भी सांप्रदायिकता के विकास में मदद पहुंचाई। अपने निजी संघर्ष को एक विस्तृत आधार देने के लिए तथा प्रतिद्वन्द्विता के बीच से अपनी सफलता की संभावनाएं बढ़ाने के लिए मध्यम वर्ग, जाति, धर्म एवं प्रांत जैसी सामूहिक पहचानों का सहारा लेने लगा था। हिंदू महासभा जैसे धार्मिक संगठनों ने भी सांप्रदायिकता की आग को बढ़ाने में घी का काम किया।
आधुनिक भारत में सांप्रदायिकता के विकास के लिए ब्रिटिश शासन तथा ‘फूट डालो और राज करो‘ की उसकी नीति विशेष रूप से जिम्मेदार मानी जा सकती है। ब्रिटिश हुकूमत ने ऐसे कई हथकंडे अपनाये, जिनसे वह भारत में सांप्रदायिकता के जुनून को परवान चढ़ाने में सफल रही, मसलन:
ऽ 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना के बाद से उसके प्रति नरम दृष्टि रखना।
ऽ 1909 में मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था करना।
ऽ सांप्रदायिकतावादियों को ब्रिटिश संरक्षण एवं रियायतें प्रदान करना।
ऽ 1932 में ‘सांप्रदायिक निर्णय‘ की घोषणा करना आदि।
1933 में ही कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे छात्र नेता रहमत अली ने ‘पाकिस्तान‘ नामक देश की परिकल्पना की थी। प्रसिद्ध शायर इकबाल ने भी पृथक्तावाद तथा मुस्लिम सांप्रदायिकतावाद को बढ़ाने में मदद पहुंचाई।
1937 में होने वाले प्रांतीय चुनाव, सांप्रदायिकता के लिहाज से एक विभाजनकारी रेखा साबित हुए। 1937 के चुनावों में मिली करारी हार से मुस्लिम सांप्रदायिकता इस रूप से परिणत हो गयी कि उसने इस बात का प्रचार-प्रसार करके कि ‘मुस्लिम कौम एवं इस्लाम खतरे में है‘, अपना सामाजिक- आर्थिक विकास करना शुरू कर दिया, ताकि भविष्य में राजनीतिक लाभ प्राप्त किया जा सके। मुस्लिम लीग ने 1937 में भारत के लिए स्वाधीनता तथा जनतांत्रिक संघ को माग रखी थी, 1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जो ‘पाकिस्तानं प्रस्ताव‘ के नाम से जाना गया। 3 जून, 1947 को पाकिस्तान के रूप में एक नये देश का उदय हुआ, जो भारत में सांप्रदायिकतावाद का पराकाष्ठा मानी जा सकती है।
प्रश्न: “अनेक प्रकार से लॉर्ड डलहौजी ने आधुनिक भारत की नींव रखी थी।‘‘ व्याख्या कीजिए।
उत्तर: लॉर्ड डलहौजी को भारत का महानतम् गवर्नर-जनरल माना जाता है। हालाँकि उसने सभी सुधार ब्रिटिश शासन के लाभ की दृष्टि से किए, किन्तु वही सुधार आज के भारती की नींव हैं। शिक्षा के क्षेत्र में वह वुड्स डिस्पैच (1554) लाया, जिसके सझावों के अन्तर्गत प्राथमिक स्तर से विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था की एक सविचारित योजना का प्रस्तावित किया गया। इसे भारत में पश्चिमी शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा जाता है। इसके तहत शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा को बनाया गया तथा शिक्षा के लिए राजकीय सहायता को प्रोत्साहित किया गया।
भारत में रेलवे लाइनों के निर्माण को विशेष महत्व दिया। वर्ष 1853 में पहली रेल को बम्बई से थाणे के मध्य शुरू किया गया। वर्ष 1854 में कलकत्ता को रानीगंज की कोयला खानों से जोड़ने वाली दूसरी रेल को शुरू किया गया। कलकत्ता, पेशावर. बम्बई, मद्रास तथा देश के महत्वपूर्ण स्थानों को तार संचार प्रणली से जोडा गया। वर्ष 1854 में एक नवीन ‘पस्टि ऑफिस एक्ट‘ पारित किया गया। वर्ष 1854 में पूरा किया गया।
डलहौजी के कार्यकाल में कराची, बम्बई और कलकत्ता के बन्दरगाहों को विकसित किया गया तथा जहाजरानी को सुगम बनाने के लिए दीप स्तम्भों का निर्माण करवाया गया। मुक्त व्यापार नीति का और अधिक विकास किया गया। डलहौजी के काल में सामाजिक सुधार के भी प्रयास किए गए। उसके काल में (1856) विधवा पुनर्विवाह विधेयक लाया गया। इन कार्यों में आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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