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भारतीय क्रांति की जननी किसे कहा जाता है ? भारतीय क्रांतिकारियों की माता के नाम से किसे जाना जाता है

जाना भारतीय क्रांति की जननी किसे कहा जाता है ? भारतीय क्रांतिकारियों की माता के नाम से किसे जाना जाता है ?

उत्तर : मैडम भीखाजी रुस्तम कामा को भारतीय क्रांतिकारियों की माता या भारतीय क्रांति की जननी की संज्ञा दी जाती है |

प्रश्न: मैडम भीकाजी कामा
उत्तर: मैडम भीकाजी कामा (1861-1936 ई.) भारत की सुविख्यात महिला क्रांतिकारी थीं। 1907 में उन्होंने स्टुटगार्ड की समाजवादी कांग्रेस में भाग लिया जहां उन्होंने प्रथम राष्ट्रीय झंडे को फहराया था, जिसका डिजाइन उन्होंने स्वयं ही तैयार किया था। 1909 में इन्होंने पेरिस को मुख्यालय बनाया एवं लाला हरदयाल, सरदार सिंह राणा आदि के साथ मिलकर कार्य किया। 30 वर्ष कार्य करने के बाद 1936 में भारत लौट आई। उसी वर्ष बंबई में इनकी मृत्यु हो गई। इन्हें ‘भारतीय क्रांतिकारियों की माता‘ नाम से याद किया जाता है।

प्रश्न: हैनरी विवियन डेरा जिओ
उत्तर: एंग्लो इण्डियन हैनरी विवियन डेरा जिओ के द्वारा यंग-बंग आंदोलन 1826-1831 के मध्य किया गया। इसका केन्द्र कलकता हिन्दू कॉलेज था। वह कलकत्ता हिन्दू कॉलेज का अध्यापक था और वह फ्रांस की राज्य क्रांति से प्रभावित था। यह एक बौद्धिक तथा व्यवहारमूलक आंदोलन था। डेरा जिओं ने आत्मिक उन्नति एवं समाज सुधार के लिए एकेडमिक एसोसिएशन, बंग हित सभा, डिबेटिंग क्लब, एंग्लो-इण्डियन हिन्दू एसोसिएशन, सोसाइटी फॉर दॉ ऑफ जनरल नोलेज आदि स्थापित की। हिन्दू कॉलेज की भांति 1834 में एलफिन्सटन कॉलेज की स्थापना की तथा यंग-बंग आंदोलन देखते ही देखते भारत के बहुत बड़े क्षेत्र में फैल गया। इसी नाम से यंग बोम्बे, यंग मद्रास जैसे आंदोलन खड़े हो गए।
प्रश्न: अनेक विदेशियों ने भारत में बसकर, विभिन्न आन्दोलनों में भाग लिया। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में उनकी भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर: भारत सदा से विदेशियों के आकर्षण की भावभूमि रही है। प्राचीनकाल से ही विदेशियों का आना तथा उनका सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से एकीकृत होने की घटनाएँ प्रभावित करती रही हैं। आधुनिक काल में ब्रिटिश औपनिवेशिकता के विरुद्ध भारतीय जनमानस के संघर्षों को प्रोत्साहित करने का कार्य कई विदेशी चिन्तकों द्वारा किया गया, इनमें से कई भारत के महान निवासी बन गए। ऐसे महापुरुषों में ऐनी बेसेण्ट, सिस्टर निवेदित, फादर कामिल बुल्के, मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रमुख हैं। ऐनी बेसेण्ट एक आयरिश महिला थीं जिनका जन्म 1 अक्टूबर, 1847 को लन्दन में हुआ था और वे वर्ष 1898 में भारत आई। वर्ष 1916 में ऐनी बेसेण्ट ने होमरूल लीग की स्थापना की तथा भारत के वृहद क्षेत्र में होमरूल लीग आन्दोलन आरम्भ किया। सिस्टर निवेदिता का असली नाम मारग्रेट एलिजाबेथ नोबेल था। इनका जन्म वर्ष 1867 में आयरलैण्ड में हुआ था। वे वर्ष 1895 में भारत आई तथा स्वामी विवेकानन्द के सानिध्य में भारतीय संस्कृति के प्रतीक रामकृष्ण मिशन से जुड़ गई। उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद को अत्यधिक प्रभावित किया। मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवम्बर, 1988 को सऊदी अरब के मक्का में हुआ था। इनका परिवार हेरात (अफगानिस्तान) से भारत आया था। मौलाना आजाद का भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में अविस्मरणीय योगदान है। वे देश के प्रथम शिक्षामंत्री भी थे। इन व्यक्तियों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों ने 19वीं-20वीं शताब्दी में भारत को अपनी भूमि के रूप में स्वीकार किया तथा राष्ट्रवादी आंदोलनो को अपनी सैद्धान्तिक प्रवृत्तियों से प्रभावित किया।

स्वतंत्रता संघर्ष में महिलाओं का योगदान

प्रश्न: रानी गाडिनेल्यू
उत्तर: नागालैण्ड में 13 वर्षीय नागा लडकी गाडिनेल्य ने भी सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया जिसे बाद में रानी की उपाधि दी गई।

प्रश्न: स्वतंत्रता संघर्ष में लतिका घोष का योगदान
उत्तर: लतिका घोष, सुभाष चन्द्र बोस द्वारा 1928 में गठित ‘महिला राष्ट्रीय संघ‘ की सचिव नियुक्त की गई थी। इन्होंने कांग्रेस संगठन के लिए महिलाओं की एक बटालियन गठित की, जिसे ‘शक्ति मंदिर‘ के नाम से जाना जाता था। इस समूह के साथ महिलाओं को सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से जागृत कर सविनय अवज्ञा आंदोलन सहित राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन को इन्होंने मजबूती प्रदान की।

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