प्रादेशिक नियोजन किसे कहते हैं | Regional Planning in hindi definition राष्ट्रीय नियोजन (National Planning)

Regional Planning in hindi definition राष्ट्रीय नियोजन (National Planning) प्रादेशिक नियोजन किसे कहते हैं |

नियोजन की शुरूआत और प्रसार
(Origin Expansion of Planning)
आर्थिक विकास हासिल करने के तरीके के रूप में विभिन्न देशों ने विभिन्न समय और अलग-अलग स्तर पर नियोजन किया है। इन्हें हम नीचे देख सकते हैः
1- प्रादेशिक नियोजन
(Regional Planning)
किसी भी देश द्वारा विकास नीति के एक हिस्से के रूप में पहली बार क्षेत्रीय स्तर पर नियोजन किया गया था। अमेरिका ने पहली बार प्रादेशिक नियोजन किया था जब उसने 1916 में टेगैसी वैली अथाॅरिटी (टीवी,) की स्थापना की। यह दक्षिण-पूर्वी अमेरिका में बड़े पैमाने का पुनरुद्धार कार्यक्रम था, जिसमें सात राज्यों के हिस्से शामिल थे। इसके प्राथमिक उद्देश्य तो बाढ़ नियंत्रण, मृदा सरंक्षण और बिजली उपलब्ध करवाना था लेकिन टीवी,/प्रादेशिक नियोजन निर्दिष्ट क्षेत्र में कई अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय था जैसे कि औद्योगिक विकास, वन निर्माण, वन्य जीवन सरंक्षण, शहरी नियोजन, सड़क और रेल निर्माण, खेती के अच्छे तरीकों को प्रोत्साहन देना और मलेरिया नियंत्रण। अमेरिका का प्रादेशिक नियोजन का अनुभव इसके परिभाषित लक्ष्यों को हासिल करने में इतना सफल रहा कि यह कई देशों के लिए एक आदर्श और प्रेरणा का ड्डोत बना। आगे वाले देशों में भारत (1948) में दामोदर वैली काॅर्पोरेशन (डीवीसी) और घाना में वोल्टा रिवर प्रोजेक्ट (1966) आदि बने।
2. राष्ट्रीय नियोजन
(National Planning)
राष्ट्रीय नियोजन के आधिकारिक प्रयोग की जड़ें सोवियत रूस की वोल्शेविक क्रांति (1917) में हैं। औद्योगीकरण की रफ्रतार से असंतुष्ट जोसेफ स्टालिन ने 1928 में सोवियत संघ के लिए केंद्रीय नियोजन की नीति का ऐलान किया। 1928 में आर्थिक नियोजन के अलावा स्टालिन ने जो अतिवादी कदम उठाए उनमें खेती का सामूहिकीकरण और जबरन तैयार औद्योगीकरण था। सोवियत संघ में पहली पंचवर्षीय योजना 1928-33 के बीच लागू हुई और दुनिया को राष्ट्रीय योजना का पहला अनुभव मिला। मशहूर सोवियत नारा ‘ग्रेट लीप फाॅरवर्ड’ राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक नियोजन की शुरुआत से तीव्र औद्योगीकरण के लिए लगाया गया था। सोवियत नियोजन (जिसे दि गोसप्लान कहा गया था) के स्वरूप और पैमाने का प्रत्यक्ष या परोक्ष असर हर उस देश पर पड़ा जिसने नियोजन किया, चाहे उस देश की अर्थव्यवस्था पूंजीवादी हो या मिश्रित। भारत की नियोजन प्रक्रिया पर सोवियत नियोजन का सीधा असर पड़ा। पहली सोवियत योजना में भारी उद्योगों को हल्के उद्योगों पर प्राथमिकता दी जानी थी और उपभोक्ता वस्तुओं पर तब ध्यान दिया जाना था जबकि अन्य प्राथमिकताओं की सभी जरूरतें पूरी हो गई हों। हमें भारतीय नियोजन प्रक्रिया में यही जोर दिखता है। आर्थिक नियोजन का सोवियत ढांचा पूर्वी यूरोपीय देशों में फैल गया, खासतौर पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद और ऐसा नियोजन पीपल्स रिपब्लिक आॅफ चाइना (1949) में अपने असली रूप में आया। 40 के दशक की शुरुआत में राष्ट्रीय नियोजन के विचार को फ्रांस ने अपनाया और दुनिया ने देखा कि अब तक पूंजीवादी अर्थव्यवस्था और गैर-केंद्रीकृत राजनीतिक व्यवस्था ;यानि कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाद्ध ने राष्ट्रीय नियोजन शुरू किया। फ्रांस ने राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक नियोजन खुद को एक मिश्रित अर्थव्यवस्था घोषित करने के बाद शुरू किया।
नियोजन के प्रकार
(Types of Planning)

सोवियत संघ के पहली बार राष्ट्रीय योजना शुरू करने के बाद कई अन्य देशों ने इसका अनुसरण किया लेकिन उनके तरीके और व्यवहार अलग थे। हालांकि नियोजन के कई प्रकार हैं लेकिन उनमें सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक संगठन के आधार वाले (जो राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था, मिश्रित अर्थव्यवस्था) हैं। आर्थिक प्रणाली के प्रकार के आधार पर विकासक्रम में नियोजन के दो प्रकार उभरेः
1. आदेशात्मक नियोजन

2. निर्देशात्मक नियोजन