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प्राकृतिक गैस का मुख्य घटक क्या होता है ? प्राकृतिक गैस के मुख्य अवयव कौन से हैं नाम और प्रतिशत
प्राकृतिक गैस के मुख्य अवयव कौन से हैं नाम और प्रतिशत प्राकृतिक गैस का मुख्य घटक क्या होता है ?
मिश्रण : दो या दो से अधिक तत्वों को अनिश्चित अनुपात में मिलाने से मिश्रण (Mixture) प्राप्त होता है। मिश्रण में उपस्थित विभिन्न घटकों के गुण नहीं बदलते। उदाहरण-दूध, बालू, चीनी का जलीय विलयन आदि।
मिश्रण में उपस्थित घटकों को पृथक् करने के लिए प्रयुक्त विधियाँ-
1. क्रिस्टलन, 2. आसवन, 3. ऊर्ध्वपातन, 4. प्रभाजी आसवन,
5. वर्णलेखन तथा भाप आसवन।
क्रिस्टलन विधि, अकार्बनिक ठोसों के पृथक्करण व शुद्धिकरण के लिए प्रयुक्त होती है।
सी.एन.जी. अर्थात् सम्पीडित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas &CNG) एक प्रकार की हाइड्रोकार्बन मिश्रित गैस है। इसमें 80-90% मात्रा मीथेन गैस की होती है। इसका प्रयोग वाहनों में ईंधन के रूप में होता है। इसे प्राकृतिक गैस भी कहते हैं। वाहनों में प्रयोग के लिए इसे 200 से 250 किग्रा प्रति वर्ग सेंटीमीटर तक दबाया या संपीडित किया जाता है। यह पर्यावरण मित्र गैस है, लेकिन 2015 में दिल्ली में हुए पर्यावरण सम्बन्धी एक अध्ययन के अनुसार इससे चालित वाहन नैनो पार्टिकल्स का उत्सर्जन करते हैं जो कि कैंसर के लिए उत्तरदायी हैं, अतः इस गैस के पर्यावरण मित्र होने पर भी प्रश्न (?) चिन्ह लग गया है।
़क्लैथरेट (Clathret) वस्तुतः जल के अणुओं में व्याप्त मीथेन गैस है। यह अत्यन्त ज्वलनशील गैस है, जो कि 350°C तापमान पर भी पिघलती नहीं है। वैज्ञानिकों का मत है कि भविष्य में यह विश्व का एकमात्र ईंधन होगा।
हाइड्रोजन परॉक्साइड के तनु विलयन का प्रयोग कीटाणुनाशक के रूप में दाँत, कान, घाव आदि धोने में किया जाता है।
सोडियम हाइड्रॉक्साइड का प्रयोग सूती कपड़ों में चमक पैदा करने में भी किया जाता है।
ऊर्ध्वपातन विधि के द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण को पृथक् करते हैं, जिसमें एक ठोस, ऊर्ध्वपातन (Sublimate) होता है, दूसरा नहीं। इस विधि के द्वारा कपूर, नेफ्थलीन, अमोनियम क्लोराइड, बैंजोइक अम्ल आदि पदार्थ शुद्ध किये जाते हैं।
भाप आसवन के द्वारा ऐसे कार्बनिक पदार्थों को शुद्ध करते हैं, जो जल में अघुलनशील होते हैं परन्तु भाप के साथ वाष्पशील होते हैं। जैसे-ऐसीटोन, मेथिल ऐल्कोहॉल आदि का शुद्धिकरण इसी विधि के द्वारा किया जाता है।
कोलॉइडी विलयन एक विषमांग तन्त्र होता है। जब कोई ठोस पदार्थ द्रव में परिक्षेपित होकर कोलाइड विलयन बनाता है तो वह साल (Sol) कहलाता है।
ऐसे विलयन, जो चर्म पत्र अथवा जैविक झिल्ली में से होकर गमन नहीं कर सकते, जैसे-स्टार्च, गोंद, जिलेटिन आदि कोलाइडी विलयन कहलाते है।
कोलाइडी विलयन में विलेय के कणों का आकार 10-4 सेमी से 10-18 सेमी तक होता है। इससे छोटे आकार के कणों वाले विलयन, वास्तविक विलयन और इससे बड़े आकार के कणों वाले विलयन, निलम्बन कहलाते हैं।
जब किसी कोलॉइडी विलयन में किसी विद्युत् अपघट्य का विलयन थोड़ी मात्रा में मिलाया जाता है तो कोलाइडी कण परस्पर संयुक्त होकर अवक्षेप बना सकते हैं। इस क्रिया को स्कन्दन (Coagulation) कहते हैं।
नदियों के जल में मिट्टी व रेत का घोल कोलॉइडी होता है। जब नदी, समुद्र के खारे पानी से मिलती है तो खारा पानी, जिसमें छंब्स होता है, इसका स्कन्दन कर देता है और डेल्टा (Delta) का निर्माण हो जाता है।
जब कोई द्रव किसी ठोस में परिक्षेपित होकर कोलॉइडी विलयन बनाता है तो वह जैल (Gel) कहलाता है, जैसे-जेली, पनीर, मक्खन आदि।
जब एक द्रव दूसरे अमिश्रणीय द्रव में परिक्षेपित होकर कोलॉइडी विलयन बनाता है तो वह पायस (Emulsion) कहलाता है, जैसे-दूध, काड लिवर आयल आदि।
कोलॉइडी विलयनों में प्रकाश के प्रकीर्णन को टिण्डल प्रभाव (Tindal eff~ect) कहते हैं।
द्रव्य के गतिज आण्विक सिद्धान्त के अनुसार द्रव्य (ठोस, द्रव, गैस) छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है, इन्हें अणु (Molecule) कहते है।
किसी भी अभिक्रिया में, अभिकारकों और उत्पादों के द्रव्यमानों का योग अपरिवर्तनीय होता है। यह दव्यमान के संरक्षण का नियम कहलाता है।
एक शुद्ध रासायनिक यौगिक में तत्व हमेशा द्रव्यमानों के निश्चित अनुपात में विद्यमान होते हैं, इसे निश्चित अनुपात का नियम कहते हैं।
तत्व का सूक्ष्मतम कण परमाणु होता है, जो स्वतंत्र रूप से रह सकता है तथा उसके सभी रासायनिक गुणधर्मों को प्रदर्शित करता है।
अणु, किसी तत्व अथवा यौगिक का वह सूक्ष्मतम कण होता है जो सामान्य दशाओं में स्वतंत्र रह सकता है। यह पदार्थ के सभी गुणधर्मों को प्रदर्शित करता है।
किसी यौगिक का रासायनिक सूत्र उसके सभी संघटक तत्वों तथा संयोग करने वाले सभी तत्वों के परमाणुओं की संख्या को दर्शाता है।
परमाणुओं का वह पुंज जो आयन की तरह व्यवहार करता है, उसे बहुपरमाणुक आयन कहते हैं। उनके ऊपर एक निश्चित आवेश होता है।
आण्विक यौगिकों के रासायनिक सूत्र प्रत्येक तत्व की संयोजकता द्वारा निर्धारित होते हैं।
आयनिक यौगिकों में, प्रत्येक आयन के ऊपर आवेशों की संख्या द्वारा यौगिक के रासायनिक सूत्र ज्ञात करते हैं।
वैज्ञानिक भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमानों की तुलना करने के लिए सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान स्केल का उपयोग करते हैं। कार्बन-12 समस्थानिक (आइसोटोप) के परमाणु का सापेक्ष द्रव्यमान 12 निर्दिष्ट किया जाता है। अन्य सभी तत्वों के परमाणुओं का सापेक्ष द्रव्यमान कार्बन-12 परमाणु के द्रव्यमान के साथ तुलना करके प्राप्त करते हैं।
6.022 × 1023 आवोगाद्रों स्थिरांक है जो कि 12 ह में विद्यमान कार्बन-12 के परमाणुओं की संख्या है।
मोल पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें कणों की संख्या (परमाणु, आयन, अणु या सूत्र इकाई इत्यादि) कार्बन-12 के ठीक 12ह में विद्यमान परमाणुओं के बराबर होती है।
पदार्थ के एक मोल अणुओं का द्रव्यमान उसका मोलर द्रव्यमान कहलाता है।
परमाणु (Atom), तत्व का वह छोटा-से-छोटा कण है, जो किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है परन्तु स्वतन्त्र अवस्था में नहीं रह सकता।
एनोड किरणों के प्रयोग के समय प्रोट्रॉन की खोज हुई। खोज करने वाले वैज्ञानिक ई. गोल्डस्टीन थे। रदरफोर्ड ने परमाणु नाभिक की खोज की थी।
कैथोड किरणों के प्रयोग के समय इलेक्ट्रॉन की खोज हुई।
आवर्त की संख्या तत्व के सबसे बाहरी कक्षा की इलेक्ट्रॉन संख्या को प्रदर्शित करती है। आवर्त उन तत्वों के साथ शुरू होता है, जिनके परमाणु के बाहरी कक्षा में एक इलेक्ट्रॉन होता है और आवर्त शून्य वर्ग के तत्वों के साथ समाप्त होते हैं, जिनके परमाणुओं की बाह्य कक्षा पूर्णतया भरी हुई होती है।
प्रथम आवर्त से अन्तिम आवर्त तक धातु से अधातु पारगमन (Transition) होता दिखायी देता है।
प्रत्येक वर्ग के तत्वों का बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Outer Electronic Configuration) समान होता है अर्थात् एक वर्ग के सभी तत्वों की विशेषताएँ समान होती हैं।
आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों की संख्या 118 (एक सौ अठारह) है।
सभी संक्रमण तत्व धातु (Metals) होते हैं। ये आवर्त सारणी में मध्य में स्थित हैं।
आन्तरिक संक्रमण तत्व, जिसमें लैन्थेनाइड व एक्टीनाइड(Lanthanide and Actinide) श्रृंखला के तत्व आते हैं। ये आवर्त सारणी के नीचे पृथक् रूप से दो क्षैतिज पंक्तियों में स्थिति होते हैं।
लैन्थेनाइड (Pure Earth Metals) और एक्टीनाइड (Radioactive Metals) दोनों ही शृंखलाओं में 14, 14 तत्व होते हैं।
आवर्त सारणी के सेतु तत्व (Bridge Elements) द्वितीय आवर्त के कुछ तत्व तृतीय आवर्त के अगले समूह के तत्वों के साथ कुछ समानताएँ प्रकट करते हैं, सेतु तत्व कहलाते हैं।
सोडियम (Na), मैग्नीशियम (Mg), पोटैशियम (K), कैल्सियम (Ca) और बेरियम (Ba) के अविष्कारक एच. डेवी. (H.k~ Deuy) हैं।
आर्गन (Ar), क्रिप्टॉन (Cr) और जेनान (Xn) की खोज, रैमजे और ट्रेवर्स ने की।
जरकोनियम (Zr) तथा यूरेनियम (U) की खोज क्लैप्रोथ (जर्मनी) ने की।
सिलिकान (Si) तथा थोरियम (Th) की खोज जे. जे. बर्जीलियस ने की।
ऐसे तत्व, जिनमें धातु एवं अधातु दोनों के गुण पाये जाते हैं, उपधातु (Semi metals/Metalloids) कहलाते हैं।
उपधातुएँ (Metalloids) हैं-सिलिकन, जर्मेनियम।
धातुएँ ऊष्मा एवं विद्युत् की सुचलाक, आघातवर्ध्य व तन्य और ठोस (अपवाद-पारा) होती हैं। धातुएँ क्षारीय ऑक्साइड बनाती हैं।
अधातुएँ ऊष्मा एवं विद्युत् की कुचालक (ग्रेफाइड को छोड़कर), सामान्यतः
भंगुर व ठोस द्रव्य व गैस-तीन रूपों में पायी जाती हैं। अधातुएँ अम्लीय हि अथवा उदासीन ऑक्साइड बनाती हैं।
धातुएँ अधिकांशतः ठोस होती हैं, (द्रव धातु हैं-पारा, गेलियम)।
सबसे कठोर धातु प्लैटिनम है एवं सर्वाधिक ऊष्मा चालक धातु चाँदी है।
सर्वाधिक विद्युत् चालक अधातु ग्रेफाइट है।
एस्टैटीन ठोस अधातुओं में सबसे भारी तत्व है। सबसे भारी धातु ओसमियम (Os) है।
लीथियम सबसे हल्का धात्विक तत्व है। लीथियम सबसे प्रबल अपचायक भी है।
रेडॉन गैसीय तत्वों में सबसे भारी तत्व है।
़PLX (Picatine Liquid Explosive) अत्यन्त खतरनाक विस्फोटक है।
इसका निर्माण नाइट्रो मीथेन और एथलीन डाइयोमाइन के संयोग से होता है। रंगहीन व गन्धहीन इस खतरनाक विस्फोटक का प्रयोग दस्ते द्वारा किया जाता है।
ळनद बवजजवद रुई अथवा लकड़ी के रेशों पर सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया से पहाड़ों को तोड़ने तथा युद्ध में किया जाता है।
नाभिकीय विखण्डन के लिए यूरेनियम-238 की तुलना में यूरेनियम-235 अधिक उपयोगी होता है क्योंकि यूरेनियम-235 का नाभिक अपेक्षाकृत अधिक अस्थायी होता है।
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