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प्रयोगशाला विधि किसे कहते हैं , laboratory method in hindi in teaching अर्थ, गण, दोष क्या हैं ?
laboratory method in hindi in teaching अर्थ, गण, दोष क्या हैं ? प्रयोगशाला विधि किसे कहते हैं ,
रसायन विज्ञान शिक्षण में प्रयोगशाला विधि का अर्थ, गण, दोषों को बताइये।
Discuss the meaning, merits, demerits of Laboratory method in teaching of chemistry.
उत्तर- प्रयोगशाला विधि का अर्थ – रसायन विज्ञान एक ऐसा विषय है जो पढकर नहीं उत्त करके सीखा जाता है। इसी उद्देश्य से इस बात की आवश्यकता का अनुभव होता है कि उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक उचित विधि अपनायी जाये। प्रयोगशाला विधि (Laboratory Method) या प्रयोगशाला (Laboratory) इसके प्रमाणस्वरूप माने जा सकते हैं। यह मुख्यतः करके सीखना (Learning by doing), देखकर सीखना (Learing by Observation), सूक्ष्म से स्थूल की ओरश् (From Concrete to abstract) तथा ‘ज्ञात से अज्ञात की ओर (From Known to Unknown) शिक्षण सूत्रों पर आधारित है।
प्रयोगशाला विधि के गुण
1. इस विधि में विद्यार्थी पुस्तक में पढ़े हुए अथवा अध्यापक द्वारा समझाये हुए ज्ञान का सत्यापन स्वयं प्रयोगशाला में करते हैं। उन्हें प्रयोगशाला में पाई जाने वाली वस्तुओं और उपकरणों का सही उपयोग करने का अवसर भी मिलता है।
2. विद्यार्थी स्वयं प्रयोग करता है इसलिए इसका दृष्टिकोण एकदम वैज्ञानिक हो जाता है। इस प्रकार स्वयं प्रयोग करने, उपकरणों का प्रयोग करने तथा निरीक्षण करने के लिए विवेकपूर्ण चिन्तन की दक्षता प्राप्त करता है।
3. यह विधि बालकों में वैज्ञानिक क्षमता पैदा करती है। बालक कार्य करते समय बड़े उत्साह और उत्सुकता से भर जाता है और कुछ न कुछ निकालने की तलाश में रहता है।
4. प्रयोगशाला में विद्यार्थी मान्य वैज्ञानिक परिणामों की स्वयं जाँच करता है इसलिए उसके मन-मस्तिष्क में तथ्य अथवा सिद्धान्त पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाते हैं और स्थाई बनकर याद भी हो जाते हैं।
5. इस प्रणाली में अधिकतर बालक सक्रिय रहते हैं क्योंकि प्रत्येक को अपनी सीट पर खड़े होकर प्रयोग करना पड़ता है और सबकी यही एकमात्र कोशिश होती है कि निश्चित लक्ष्य को प्राप्त किया जाये।
प्रयोगशाला विधि के दोष-
1. यह विधि छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि बालक प्रयोगशाला में ठीक प्रकार से न तो प्रयोग कर पायेंगे और न उनकी समझ में ही कुछ आयेगा। वे उपकरणों का प्रयोग भी ठीक से नहीं कर पायेंगे।
2. प्रत्येक विद्यार्थी अलग-अलग सीट पर अपने उपकरणों या सामग्री द्वारा प्रयोग करता है जिससे काफी धन खर्च हो जाता है। अध्यापक को भी प्रत्येक विद्याथों को उसकी सोर पर जाकर देखने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
3. कक्षा में पिछड़े हुए तथा मन्द बुद्धि वाले बालके प्रयोग नहीं कर पाते इसलिए अक्सर अच्छे बच्चों की कापियों से नकल कर लेते हैं।
4. किसी प्रयोग को करने में काफी समय लग जाता है इसके अलावा उपकरणों के समझने में भी कठिनाई होती है। यह देखा गया है कि अक्सर प्रयोगों के चक्कर पूरा नहीं हो पाता है।
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