हिंदी माध्यम नोट्स
निम्नलिखित के कार्य बताएँ – पीत पिण्ड (कॉर्पस ल्यूटियम) , गर्भाशय अन्तःस्तर (एण्डोमेट्रियम) , अग्रपिण्डक (एक्रोसोम) , शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)
प्रश्न 15. निम्नलिखित के कार्य बताएँ –
(क) पीत पिण्ड (कॉर्पस ल्यूटियम)
(ख) गर्भाशय अन्तःस्तर (एण्डोमेट्रियम)
(ग) अग्रपिण्डक (एक्रोसोम)
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)
(ङ) झालर (फ्रिम्ब्री)।
उत्तर :
(क) पीत पिण्ड (कॉर्पस ल्यूटियम – Corpus luteum) – यह ग्राफियन पुटिका से अण्डोत्सर्ग के बाद फॉलिकुलर कोशिकाओं और रक्त थक्के से बनी हुई पीले रंग की ग्रन्थिल संरचना होती है , इससे प्रोजेस्टेरॉन, एस्ट्रोजन्स, रिलैक्सिन आदि कई प्रकार के हॉमोन्स स्त्रावित होते हैं। प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन भ्रूण के आरोपण सगर्भता (pregnancy) और अपरा (placenta) के निर्माण में सहायता प्रदान करता है।
(ख) गर्भाशय अन्तःस्तर (एण्डोमेट्रियम – Endometrium) – गर्भाशयी अन्त:स्तर भ्रूण के ब्लास्टोसिस्ट अवस्था में रोपण , अपरा (placenta) निर्माण व सगर्भता बनाए रखने के लिए जरुरी होता है।
(ग) अग्रपिण्डक (एक्रोसोम-Acrosome) – शुक्राणु के शीर्ष (head) पर गॉल्जीकाय से बनी टोपी सदृश संरचना अग्रपिण्डक (acrosome) कहलाती है। इससे मुक्त होने वाले स्पर्म लासिन्स जैसे हाइल्यूरोनिडेज (hyaluronidase) एन्जाइम अण्डाणु के रक्षात्मक आवरण का अपघटन (lysis) कर देते हैं। इसके कारण शुक्राणु अण्डाणु में प्रवेश कर जाता है।
(घ) शुक्राणुपुच्छ (स्पर्म टेल – Sperm tail) – शुक्राणु पुच्छ , शुक्राणु को निषेचन करने के लिए अण्ड तक पहुँचने हेतु आवश्यक गतिशीलता प्रदान करता है।
(ङ) झालर (फिम्बी – Fimbriae) – अण्डवाहिनी (oviduct) का प्रारम्भिक फनल के समान चौड़ा भाग जो अण्डाशय के सम्पर्क में होता है , उसे मुखिका (ostium) कहते है। यह झालरदार और रोमाभि (fimbriated and ciliated) होता है। इसकी अंगुली के समान रचनाओं को फिम्बी कहा जाता हैं। ये अण्डाणुओं को ग्रहण करने में सहायता प्रदान करते हैं |
यदि उत्तर कम शब्दों में देना हो तो निम्नलिखित प्रकार इसका उत्तर दे सकते है –
(क) पीत पिण्ड (कॉर्पस ल्यूटियम – Corpus luteum) – यह प्रोजेस्ट्रोन , एस्ट्रोजोन , रिलेक्सिन आदि नाम के हार्मोन का स्त्रावण करता है | और ये हार्मोन अंत: स्तर को बनाये रखने में सहायता प्रदान करते हैं |
(ख) गर्भाशय अन्तःस्तर (एण्डोमेट्रियम – Endometrium) – गर्भाशय अन्तःस्तर निषेचित अण्डे के प्रत्यारोपण करने के लिए एवं सगर्भता के लिए भी इसकी आवश्यकता होती है। मासिक चक्र के दौरान इसमें परिवर्तन आ जाता है। यह अपरा निर्माण करने में भी सहायता प्रदान करता है।
(ग) अग्रपिण्डक (एक्रोसोम-Acrosome) – इसमें कुछ एंजाइम उपस्थित होते है और ये एंजाइम निषेचन में सहायता प्रदान करते हैं |
(घ) शुक्राणुपुच्छ (स्पर्म टेल – Sperm tail) – यह शुक्राणुओं को गति करने के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करता हैं |
(ङ) झालर (फिम्बी – Fimbriae) – अण्डोत्सर्ग के समय अण्डाशय से निकलने वाले अण्डाणु के संग्रह में सहायक होता है | |
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…