हिंदी माध्यम नोट्स
नानकिंग की संधि कब हुई , द्वितीय अफीम युद्ध के वर्ष का उल्लेख करें । प्रथम अफीम युद्ध के परिणाम का वर्णन
जानिये नानकिंग की संधि कब हुई , द्वितीय अफीम युद्ध के वर्ष का उल्लेख करें । प्रथम अफीम युद्ध के परिणाम का वर्णन ?
प्रश्नः महाप्रस्थान (Long March)
उत्तर: जब KMT ने CCP की घेराबन्दी की तो मजबूर होकर कुओमिंगतांग की सेना से बचने के लिए एवं शक्ति अर्जित करने के लिए साम्यवादी कियांग्सी प्रदेश छोडकर U.S.S.R. की सीमा से लगे “शैन्सी प्रदेश” चले गये। कियांग्सी से शन्सा तक का महान अभियान इतिहास में महाप्रस्थान कहलाता है। जब च्यांग काई शेक की माओत्से तुंग के महाप्रस्थान के निर्णय की जानकारी मिली तो उसने साम्यवादियों को कुचलने का यह सुनहरा अवसर समझा एवं इसको मृत्यु प्रस्थान” (Funeral March) का नाम दिया। यह अभियान 16 अक्टूबर, 1934 से 20 अक्टूबर, 1935 ई. में पूरे एक वर्ष बाद समाप्त हुआ। इसका नाम Long March दिया गया जो दो अलग-अलग क्षेत्रों में शुरू हुआ। एक, माओ लिन पायो तथा दूसरा चाग कुओ। इस अभियान के नेता माओत्से तुंग व कमाण्डर सू-तेह था। उन्होंने 12 विभिन्न प्रान्तों को पार किया, 62 शहरों को जीता, 10 विभिन्न सैनिक सरदारों की सेना का भेदन किया, शेन्सी में एक नया गढ़ स्थापित किया। पूरे प्रस्थान काल में 100 दिन विश्राम किया, 6 हजार मील की यात्रा की, 90 हजार में से 20 हजार आदमी ही पहुंच पाये। माओ शेन्सी व कांशू प्रान्तों पर नियंत्रण पाने में सफल रहा। अपने इस राज्य में साम्यवादियों ने समाजवाद की स्थापना की और KMT सरकार से संघर्ष की तैयारी आरंभ कर दी। अगले 10 वर्षों तक कम्युनिष्ट अपना समर्थन बढ़ाते गयें जबकि च्वांग-काई-शेक व KMT की लोकप्रियता दिनों-दिन घटती गई।
प्रश्न: ब्रिटेन और फ्रांस ने ने चीन में अपना प्रभाव किस प्रकार स्थापित किया ? .
उत्तर: ईस्ट इण्डिया कंपनी ने चीन में प्रवेश करने के लिए अफीम का प्रयोग किया। अमेरिका इंग्लैण्ड द्वारा चीन में अफीम के व्यापार को श्खुली डाकेजनीश् का कार्य समझता था। इसी के परिणामस्वरूप प्रथम अफीम युद्ध (1839-1842) एवं द्वितीय अफीम युद्ध (1856-1860) हुआ।
प्रथम अफीम युद्ध (1839-42 ई.)
इंग्लैण्ड ने एशिया में चीन में भी अपना प्रभुत्व स्थापित किया। चीन में प्रवेश का इंग्लैण्ड ने एक तरीका अपनाया अफीम व्यापार। चीन सम्राट ने श्लिन-त्से-हसूश् को 1839 में व्यापक अधिकार देकर “अफीम-कमीश्नर” नियुक्त किया। 1839 में 20 हजार अफीम की पेटियों से लदा जहाज लिन ने जब्त कर लिया। इसे बहाना बनाकर इंग्लैण्ड ने चीन पर आक्रमण कर दिया।
युद्ध का कारण
i. असन्तोषजनक व्यावसायिक धरातल।
ii. ब्रिटेन व चीन के मध्य अधिकार क्षेत्र के प्रश्न पर विवाद।
iii. कमिश्नर लिन की कार्यवाही।
iv. तात्कालिक कारण – 7 जुलाई, 1839 को नाविकों के परस्पर झगड़े में चीनी नाविक की मृत्यु।
दोनों के मध्य युद्ध हुआ जिसे श्प्रथम अफीम युद्धश् कहते हैं। ब्रिटेन तथा चीन के मध्य प्रथम अफीम युद्ध 1839 -1842 ई. तक चला। जिसमे चीन की पराजय हुई तत्पश्चात् दोनों के मध्य नानकिंग संधि हुई।
नानकिंग संधि (अगस्त, 1842)
i. हांगकांग ‘सदा के लिएश् इंग्लैण्ड को दे दिया।
ii. ब्रिटिश लोगों के लिए पांच बन्दरगाह निवास व व्यापार के लिए खोल दिए।
iii. युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में चीन ने ब्रिटेन को 2 करोड़, 10 लाख डॉलर दिए।
iv. को-होंग समाप्त कर दिया। को-होंग – चीनी व्यापारियों का एक संघ था जिसे सम्राट ने 1752 में नियुक्त किया। यह विदेशियों के साथ व्यापार करने वाला प्रतिनिधि मण्डल या सम्राट का एजेण्ट होता था।
v. समानता का स्तर कायम हुआ।
द्वितीय अफीम युद्ध (1856-58)
एक ओर ब्रिटेन-फ्रांस तथा दूसरी ओर चीन के मध्य 1856 से 1858 ई. के मध्य द्वितीय अफीम युद्ध हुआ जिसमे चीन की पराजय हुई। युद्ध का तात्कालिक कारण चीन सरकार द्वारा एक कैथोलिक पादरी को मृत्युदण्ड देना था। द्वितीय अफीम युद्ध की समाप्ति टिंटसिन की संधि पर हुई।
टिंटसिन की संधि (1858)
i. चीन ने 11 नये बन्दगाह यूरोपीय देशों के व्यापार व निवास के लिए खोल दिए।
ii. पश्चिमी देशों के राजदूत पीकिंग में रह सकते हैं।
iii. पासपोर्टधारी विदेशी, स्वतंत्रता पूर्वक आ-जा सकते हैं।
iv. फौजदारी मामलों में विदेशियों के श्देशोत्तर श्अधिकारश् को मान्यता।
v. अफीम पर 5ः आयात कर, अफीम व्यापार वैद्य व नियंत्रित कर दिया गया।
vi. हर्जाना स्वरूप 40 लाख मुद्राएं ब्रिटेन व फ्रांस को मिले।
vii. धर्म प्रचारकों की यथासम्भव रक्षा की जाएगी। इस प्रकार आक्रामक नीति द्वारा चीन पर ब्रिटेन ने अपना प्रभाव स्थापित किया।
प्रश्न : जापान ने चीन पर अपना प्रभाव किस प्रकार स्थापित किया। इसके क्या परिणाम निकले ? बताइए।
उत्तर : कोरिया चीन का श्करदश् राज्य था जो चीन, जापान के मध्य में स्थित था। 1876 में जापान ने कोरिया की स्वतंत्रता स्वीकार कर ली थी। कोरिया के प्रश्न पर चीन व जापान के मध्य युद्ध हुआ, जिसमें चीन की पराजय हुई। दोनों के मध्य शिमोनेसेकी की संधि हुई।
शिमोनेसेको की संधि (17 अप्रैल, 1895).
i. चीन ने कोरिया की स्वतंत्रता को स्वीकार किया।
ii. चीन द्वारा फारमोसा द्वीप, पेसकाडोरस, मंचूरिया का लियायो-तुंग प्रायद्धीपं, पोर्ट आर्थर बन्दरगाह जापान को देना पड़ा।
iii. चीन ने युद्धपूर्ति के लिए 45 करोड़ रुपया दिया।
iv. चीन ने जापान को “प्राथमिक हितों वाले राष्ट्र” के अधिकार दिए। ।
परिणाम
ऽ जापान ने विदेशियों के श्राज्य-क्षेत्रातीत अधीकारश् को समाप्त कर दिया।
ऽ श्पीला आतंकश् कायम हो गया।
ऽ जापान को चुंगी की स्वतंत्रता प्राप्त हो गयी।
ऽ चीन की सैनिक व प्रशासनिक दुर्बलता स्पष्ट हो गई।
ऽ चीन का विभाजन शुरू हो गया।
ऽ जापान एक एशियाई शक्ति के रूप में उभरा।
1894-95 ई. के चीन-जापान युद्ध के बाद चीन में पश्चिमी देशों की लूट-खसोट में हुई वृद्धि की तीव्र प्रतिक्रिया हुई और चीनियों ने सुधारवाद का नारा दिया। सुधारवादियों से प्रभावित होकर सम्राट ने 1898 ई. में चालीस अध्यादेश जारी किए। किन्तु प्रतिक्रियावादियों ने श्साम्राज्ञी त्जु शीश् पर दबाव डालकर सुधारों की योजना रद्द करवा दी। फलस्वरूप चीन में विदेशियों के विरुद्ध जबरदस्त आंदोलन उठा जो बाक्सर आंदोलन (1898-1901) के नाम से प्रसिद्ध है। परन्तु पश्चिमी देशों ने इस आंदोलन को कुचल दिया और मंचू सम्राट को बॉक्सर प्रोटोकोट पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया। बॉक्सर प्रोटोकोट से मंचू शासन का खोखलापन स्पष्ट हो गया और सुधारों की मांग प्रबल होने लगी। चीन पर प्रभाव के लिए रूस-जापान संघर्ष इसके पश्चात् रूस ने मंचूरिया व कोरिया में हस्तक्षेप किया। इससे उसका जापान से विवाद हुआ। 1903 में रूस ने मंचूरिया की ओर बढ़ना प्रारम्भ किया। मंचूरिया के प्रश्न पर 1904-05 ई. को रूस-जापान युद्ध हुआ। इस युद्ध में जापान ने रूस को पराजित किया। यह युद्ध विश्व के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस युद्ध में पहली बार एक एशियाई शक्ति ने यूरोपीय शक्ति को पराजित किया। इसे श्दैत्य एवं बौना (रूस-जापान) का युद्धश् कहते हैं। तथा जापान विश्व की शक्ति के रूप में उभरा। इस प्रकार रूस की विस्तार की नीति को आंशिक सफलता प्राप्त हुई। दोनों के मध्य पोर्टमाउथ की संधि हुई।
पोर्टमाउथ की संधि (सितम्बर, 1905)
i. रूस ने कोरिया में जापान की परमोच्चता स्वीकारी।
ii. रूस ने मंचुरिया जापान को हस्तान्तरित कर दिया।
iii. साइबेरिया में मछली पकड़ने का अधिकार जापान को मिला।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…