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नाइट्रोजन स्थिरीकरण की परिभाषा क्या है ? (nitrogen fixation in hindi) नाइट्रोजन स्थिरीकरण किसे कहते है

नाइट्रोजन स्थिरीकरण किसे कहते है ? (nitrogen fixation in hindi) नाइट्रोजन स्थिरीकरण की परिभाषा क्या है ? उदाहरण , जीवाणु के नाम की प्रक्रिया |

नाइट्रोजन स्थिरीकरण (nitrogen fixation)

वायुमण्डल में 80 प्रतिशत नाइट्रोजन है , जीवों में भी प्रोटीन के रूप में आवश्यक अंग के रूप में नाइट्रोजन ही है। अर्थात सब जीवों को नाइट्रोजन की आवश्यकता है तथा प्रकृति में नाइट्रोजन उपलब्ध भी बहुत है , लेकिन कठिनाई की बात यह है कि कोई भी जीव वायुमण्डल से नाइट्रोजन को सीधे नहीं ले सकता। इसका कारण है नाइट्रोजन की अक्रियता , जो नाइट्रोजन के विशेष विन्यास के कारण है। नाइट्रोजन अणु में उसके सभी बंधी अणु कक्षक भरे हुए होते है , जबकि सारे विपरीत बन्धी अणु कक्षक रिक्त है। ऐसी स्थिति में वायुमंडल की नाइट्रोजन का यौगिकीकरण अत्यन्त आवश्यक है।

वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का उन नाइट्रोयौगिकों में परिवर्तन जो जीवन के लिए आवश्यक है , नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहलाता है। पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए नाइट्रोजन के यौगिक (अमोनिया लवण) अत्यन्त महत्वपूर्ण है। नाइट्रोजन का स्थिरीकरण प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों विधियों द्वारा संपन्न होता है जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है –

(1) बर्कलैण्डआइड विधि द्वारा नाइट्रिक अम्ल का निर्माण : जब वायु को विद्युत आर्क में से प्रवाहित किया जाता है , तो वायुमण्डल की नाइट्रोजन और ऑक्सीजन परस्पर संयोग करके NO बनाते है , जो ठण्डा होने पर अधिक ऑक्सीजन के साथ संयोग करके NO2 बना लेता है। इसे वायु की उपस्थिति में जल के साथ अवशोषित करने पर नाइट्रिक अम्ल बनता है।

N2 + O2 → 2NO

2NO + O2 → 2NO2

2NO + 2H2O + O2 → 4HNO3

(2) हैबर विधि द्वारा अमोनिया का निर्माण : इस विधि में द्रव वायु से प्राप्त नाइट्रोजन को हाइड्रोजन के साथ 1:3 के अनुपात में लेकर उच्च दाब पर उत्प्रेरक महीन लौह चूर्ण और प्रेरक मोलिब्डेनम की उपस्थिति में लगभग 500 डिग्री सेल्सियस पर गुजारते है।

N2 + 3H2 →2NH3

(3) ओस्टवाल्ड विधि द्वारा नाइट्रिक अम्ल का निर्माण : इस विधि में हैबर विधि से प्राप्त अमोनिया को ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत करके NO बनाया जाता है , जो बर्कलैण्ड आईड विधि की भाँती क्रमशः NO2 और HNO3 में परिवर्तित होता है।

4NH3 + 5O2 → 4NO + 6H2O

(4) कैल्शियम सायनेमाइड का निर्माण : जब द्रवित वायु से प्राप्त नाइट्रोजन को उच्च दाब और 700 डिग्री सेल्सियस कार्बाइड पर से गुजारा जाता है तो कैल्सियम सायनेमाइड और कार्बन का मिश्रण प्राप्त होता है , जो नाइट्रोलियम के नाम से एक महत्वपूर्ण उर्वरक के रूप में बिकता है।

N2 + CaC2 → CaNCN + C

(5) नाइट्राइडो का विरचन : मैग्नीशियम या एलुमिनियम धातुओं को यदि नाइट्रोजन के प्रवाह में गर्म किया जाए तो धात्विक नाइट्राइड बनते है जो जल द्वारा विघटित होकर अमोनिया मुक्त करते है।

2Al + N2 → 2AlN

AIN + 3H2O → Al(OH)3 + NH3

3Mg + N2 → Mg3N2

Mg3N2 + 6H2O → 3Mg (OH)2 + 2NH3

(6) प्रकृति में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण : लेग्यूमिनी परिवार के पौधों की जड़ों में गाँठे होती है जिनमे राइजोबियम बैक्टीरिया होते है जो नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर सकते है। यही कारण है कि हमारे वहां गेहूं की फसल के साथ चने की फसल लगाने की परम्परा रही है। चना लेग्युमिनी परिवार का सदस्य है अत: इसकी जड़े नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके जमीन (मिट्टी) की उर्वरा शक्ति को बढ़ा देते है।

1960 में एक नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले एंजाइम “नाइट्रोजिनेस” को अवायु बैक्टीरिया क्लोस्ट्रीडियम पैरच्युरियेनियम से प्राप्त किया गया था। नाइट्रोजिनेस एन्जाइम में दो अवयव होते है –

(i) मोलिब्डो फेरी डोक्सीन : यह Mo-Fe युक्त प्रोटीन होता है जो भूरे रंग का और वायु के प्रति संवेदनशील प्रोटीन होता है। इसकी संरचना में दो Mo परमाणु , 24-36 Fe परमाणु और 24-36 S परमाणु एक प्रोटीन के साथ जुड़े होते है। इसका अणुभार लगभग 2,25,000 होता है।

(ii) एजोफेरी डोक्सीन : यह Fe युक्त प्रोटीन होता है , जो पीले रंग का और वायु के प्रति संवेदनशील प्रोटीन होता है। यह फेरीडोक्सीन Fe2S4(SR)4 का व्युत्पन्न होता है तथा इसका अणुभार 50 हजार से 70 हजार तक होता है।

नाइट्रोजिनेस के सक्रीय भाग की संरचना को चित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है , जिसमे नाइट्रोजन अणु अपना अबन्धी इलेक्ट्रॉन मोलिब्डेनम को देकर सहसंयोजक बंध द्वारा जुड़ रहा है।

नाइट्रोजिनेस N2 को NH3 में अपचयित कर देते है –

N2 + 8e + 8H→ 2NH3 + H2

यह प्रक्रम अनोक्सी परिस्थितियों में संपन्न होता है क्योंकि उस परिस्थिति में वहां अपचयन के लिए नाइट्रोजन के साथ प्रतिद्वंद्वीता करने वाली ऑक्सीजन नहीं होती। ऑक्सीजन की उपस्थिति में प्रायिकता से उसका अपचयन हो जायेगा तथा स्थिरीकरण के लिए नाइट्रोजन का अपचयन पर्याप्त नहीं हो पायेगा। Mo और Fe प्रोटीन से नाइट्रोजन का स्थिरीकरण किस प्रकार तथा किन किन अभिक्रियाओं द्वारा होता है इसे निम्न चक्र द्वारा दर्शाया गया है। उत्प्रेरक नाइट्रोजिनेस नाइट्रोजन के अतिरिक्त N3 , N2O , RCN , RNC और C2H2 के अपचयन में भी बहुत प्रभावी होता है। एसीटिलीन के एथिलीन के अपचयन के प्रक्रम में नाइट्रोजिनेस उत्प्रेरक का व्यापक उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें यह नाइट्रोजन के अपचयन से भी अधिक प्रभावी होता है।

नाइट्रोजिनेस एंजाइम के साथ N2 अणु की ही भाँती N2O , N3 , RNC , C2H आदि अणु/आयन उपसहसंयोजक बंध द्वारा संकुल बनाकर अपचयित होते है।

  1. टाइटेनियम (II) एल्कोक्साइडो द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण:  टाइटेनियम (II) एल्कोक्साइड भी नाइट्रोजन के साथ संयोग करके जटिल संकुल बनाते है , जो अपचयन द्वारा अमोनिया या हाइड्रेजीन में परिवर्तित हो सकते है।

Ti(OR)2 + N2 → [Ti(OR)2N2]

[Ti(OR)2N2] + 4e → [Ti(OR)2N2]4-

[Ti(OR)2N2]4- + 4H+ → [Ti(OR)2] + N2H4

[Ti(OR)2N2] + 6e → [Ti(OR)2N2]6-

[Ti(OR)2N2]6- + 6H+ → [Ti(OR)2] + 2NH3

  1. कई अन्य संक्रमण धातुओं के संकुल भी नाइट्रोजन के साथ संकुलन करके उसका अमोनिया में स्थिरीकरण कर सकते है। उदाहारणार्थ मोलिब्डेनम ट्राईक्लोराइड और टेट्रा हाइड्रोफ्यूरेन (THF) के संकुल से नाइट्रोजन का स्थिरीकरण 1 , 2 – बिस (डाइफेनिल फास्फिनो) एथेन Ph2PCH2-CH2Ph2 (pdde)द्वारा निम्न प्रकार से संपन्न कराया जा सकता है –

[MoCl3(THF)3] + 3e + 2dppe →  [Mo(N2)(dppe)2] + 3Cl

[Mo(N2)(dppe)2] + 4H+ →  2dppe + Mo4+ + H2N-NH2

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