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द्रव्य के गुणधर्म और उनका मापन क्या है , द्रव गैसों की अपेक्षा ठोस के अधिक नजदीक होते हैं समझाइये
यहाँ हम द्रव्य के गुणधर्म और उनका मापन क्या है , द्रव गैसों की अपेक्षा ठोस के अधिक नजदीक होते हैं समझाइये ?
गैसों व ठोसों के बीच की अवस्था को द्रव अवस्था कहा जा सकता है। गैसों में पदार्थ के अण एक-दुसरे अव्यवस्थित तथा परस्पर नगण्य आकर्षण बल रखने वाले होते हैं। दूसरी चरम (extreme) स्थिति ठोसों में है जहां अण एक-दसरे से बिल्कल सटे हुए पूर्ण रूप से व्यवस्थित अणु एक-दूसरे से बिलकुल सटे हए. पर्ण रूप से व्यवस्थित एवं परस्पर प्रबल आकर्षण बल से त हा द्रव इन दोनों के बीच की ऐसी अवस्था है जिसमें न तो अणुओं के मध्य इतना स्थान होता हैं कि वे गैसों की भांति स्वत विकास और न ही वे ठोस अणुओं की भाति इतने आयक व्यवस्थित होते हैं कि उनका आकार निश्चित हो जाये। (चित्र 4.1)
द्रव ठोस व गैस दोनों के साथ साम्य में रहता है। द्रव के हिमांक (Freezing point) अथवा ठोस के गलनांक(Melting point) पर द्रव व ठोस साम्य अवस्था में रहते हैं। इसी प्रकार द्रव के वाष्पन (Vaporization) अथवा क्वथन (boiling) के समय द्रव तथा गैस दोनों अवस्थाएं परस्पर साम्य में होती हैं। अतः द्रवों को हम संघनित गैस अथवा पिघले हुए ठोस मान सकते हैं। लेकिन गुणों में द्रव गैसों की अपेक्षा ठोस के अधिक नजदीक होते हैं। निम्नलिखित कुछ ऐसे गुण हैं जिनसे इस बात की पुष्टि होती है :
- घनत्व (Density) : द्रव तथा ठोस के घनत्व में इतना अधिक अन्तर नहीं होता, लेकिन गैस के घनत्व दव व ठोस की तुलना में बहुत कम होते है। उदाहरणार्थ, 0°C पर जल का घनत्व 0 व बर्फ का 000.होता है. जबकि 100°C पर जल का घनत्व 0.89 व भाप का 0.0008 g cm’ होता है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि द्रवों व ठोसों में अणुओं के मध्य प्रबल आकर्षण बल होता है जिससे ये नजदीक – पैकिंग close packing) अवस्था में रहते है, जबकि गैसों में बहुत दुर्बल वाण्डर वाल्स बल होता है जिससे ये बहुत दूर-दूर खुली अवस्था में विचरण करते रहते हैं। .
- विशिष्ट ऊष्मा (Specific heat) : द्रवों की विशिष्ट ऊष्माओं के मान भी ठोसों से मिलते-जलते होते हैं, जबकि गैसों से बहुत भिन्न होते हैं।
(3) गलन की ऊष्मा (Heat of fusion) : इसका मान वाष्पन की ऊष्मा का तुलना म बहुत कम हो . उदाहरणाथ, 12m बर्फ को 0C पर जल में परिवर्तित करने के लिए 335 जूल ऊष्मा का आव हाता है जबकि 1 gm जल को 100’C पर भाप में परिवर्तित करने के लिए 2260 जूल ऊष्मा की आवश्यकता पड़ेगी।
(4) आकार व आयतन (Shape and Volume) – चूंकि द्रवों में अणुओं के मध्य का आकर्षण का ठोसों की तुलना में कम होता है अतः ठोस की भांति इनका आकार तो निश्चित नहीं होता लेकिन गैसों की तुलना में बहुत अधिक प्रबल आकर्षण बल के कारण इनका आयतन निश्चित रहता हैं।
(5) संपीड्यता (Compressibility) : अणओं के मध्य अत्यधिक रिक्त स्थान के कारण गैसों में संपी का गुण अधिक होता है। द्रवों में चूंकि अणुओं के मध्य रिक्त स्थान बहुत कम है, ठोसों में यह नगण्य अतः द्रवों व ठोसों में संपीड्यता नगण्य होती है अर्थात् इनके आयतन पर दाब का प्रभाव अधिक नहीं पता पदार्थों की सम्पीड्यता को उनके सम्पीड्यता गुणांक के रूप में व्यक्त किया जाता है और द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। सम्पीड्यता गुणांक (Compressibility Coefficient), किसी निश्चित ताप पर दान में हुई इकाई वृद्धि के साथ पदार्थ के आयतन में हुई वृद्धि का अनुपात होता है। अतः सम्पीड्यता गुणांक
K(kappa) = -1/V (V/P)t
K = Va – Vp/Vo (p – 1)
अथवा जहां, Vo = 0°C तथा 1 atm दाब पर द्रव का आयतन
Vp = 0°C तथा P atm दाब पर द्रव का आयतन कुछ प्रमुख द्रवों के सम्पीड्यता गुणांकों के मान निम्न सारणी में दिए जा रहे हैं जो स्पष्ट करते हैं कि द्रवों में सम्पीड्यता कितनी कम है :
द्रव | C6H6 | CCI4 | C2H5OH | CH3OH | H2O | Hg |
K /10-6 atm-1 | 94 | 103 | 110 | 120 | 45.3 | 3.85 |
ऊष्मागतिकीय रूप में सम्पीड्यता गुणांक को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है :
K = – 1/V (V/P)T
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