दो युग्मित दोलकों का प्रणोदित दोलन तथा उसका अनुनाद (Forced Oscillations of Two Coupled Oscillators and its Resonance)

दो युग्मित दोलकों का प्रणोदित दोलन तथा उसका अनुनाद (Forced Oscillations of Two Coupled Oscillators and its Resonance in hindi)

अभी तक हमने केवल दो युग्मित समान दोलकों के निकाय के स्वतंत्र कम्पनों के बारे में पढ़ा। यदि दो युग्मित समान दोलकों में से किसी एक दोलक पर कोई आवर्ती बल (periodic force) लगाया जाय तो इस निकाय का व्यवहार कैसा होगा? इसके बारे में इस भाग में अध्ययन करेंगे। माना चित्र (15) के दोलक P1 पर एक आवर्ती बल F(t) = Fo cos ωt लगाया जाता है। दोलक P2 की गति केवल उसके प्रत्यानयन बल (restoring force) तथा स्प्रिंग के युग्मन से नियन्त्रित होगी और इसके दोलनों को स्वतंत्र दोलन माना जा सकता है। लेकिन दोलक P1 की गति स्वतंत्र कम्पनों के रूप में नहीं होगी तथा इसके गति का समीकरण संशोधित (modified) हो जायेगा। यदि अवमन्दन बल को नगण्य माने तो दोनों दोलकों के गति के समीकरण निम्न होंगे- (माना दोलक) P1 तथा P2 के साम्यावस्था से विस्थापन क्रमशः X1  X2 हैं) ।

P1 दोलक के गति का समीकरण

M d2x1/dt2 + mg (x1/l) + k (x1 – x2) = F0 cos ωt

D2x1/dt2 + g/l x1 + k/m (x1 – x2) = F0/m cos ωt ……………………………..(1)

तथा P2 दोलक के गति का समीकरण

M d2x2/dt2 + mg (x2/l) – k (x1 – x2) = 0

या d2x2/dt2 + g/l x2 – k/m (x1 – x2) = 0  …………………………………(2)

माना ω02 = (g/l) जहा ω0 प्रत्येक दोलक की प्राकृतिक दोलन आवृत्ति है तो

समीकरण (1) तथा (2) ω0, के पद के रूप में लिखने पर

D2x1/dt2 + ω02x1 + k/m (x1 – x2) = F0/m cos ωt ………………………….(3)

तथा  d2x2/dt2 + ω02x2 – k/m (x1 – x2) = 0…………………………….(4)

समीकरण (3) तथा (4) को सामान्य निदेशाकों (normal coordinates) X तथा Y के रूप में रूपान्तरित करने पर,

D2x/dt2 + ω02x = F0/m cos ωt ………………………….(5)

तथा  d2y/dt2 + (ω02 + 2k/m)y = F0/m cos ωt…………………………(6)

जहाँ x = x1 + x2

तथा Y = x1 – X2

माना ω12 = ω02 तथा ω22 = (ω02 + 2k/m)

अतः समीकरण (5) तथा (6) होंगे

D2x/dt2 + ω12x = F0/m cos ωt………………………………(7)

तथा  d2y/dt2 + ω22y = F0/m cos ωt………………………………….(8)

ω1 या ω2,निकाय की दो सामान्य कम्पन विधाओं से सम्बन्धित कोणीय आवृत्तियों होती हैं। समीकरण (7) तथा (8) से यह ज्ञात होता है कि आवर्ती बल लगाने पर निकाय का व्यवहार दो प्रणोदित आवर्ती दोलका की तरह होता है जिनकी प्राकृतिक आवृत्तियाँ (natural frequencies) ω1 तथा ω2 होती

माना समीकरण (7) तथा (8) के हल निम्न हैं

X = A1 cos ωt  ……………………………….(9)

तथा  Y = A2 cos ωt ………………………………..(10)

समीकरण (9) का मान समीकरण (7) में रखने पर

A1 = F0/m /ω12 – ω2 ………………………………..(11)

समीकरण (10) का मान समीकरण (8) में रखने पर

A2 = F0/m / ω22 – ω2 …………………………………..(12)

लेकिन X = x1 + x2 तथा Y = x1 – x2

X1 = 1/2 (x + Y) = 1/2 (A1 + A2)cos ωt …………………………..(13)

X2 = 1/2  (x- y) = 1/2 (A1 – A2)cos ωt …………………………..(14)

समीकरण (11) तथा (12) का मान समीकरण (13) में रखने पर,

X1 = 1/2 [F0/m / ω12 – ω2 + F0/m / ω22 – ω2] cos ωt

= F0/2m [1/( ω12 – ω2) + 1/( ω22 – ω2)] cos ωt

= F0/2m [ω22 + ω12 – 2ω2/( ω12 – ω2)( ω22 – ω2)] cos ωt

= F0/2m [ω02 + 2k/m + ω02 – 2ω2/( ω12 – ω2)( ω22 – ω2)] cos ωt

= F0/m [(ω02 – ω2 + k/m)/( ω12 – ω2)( ω22 – ω2)]cos ωt ……………………………..(15)

X1 = A cos ωt ………………………………………(16)

A = F0/m [(ω02 – ω2 + k/m)/( ω12 – ω2) (ω22 – ω2)] ……………………………(17)

इसी प्रकार समीकरण (11) तथा (12) का मान समीकरण (14) में रख कर हल करने पर x2 का मान प्राप्त होगा

X2 = F0/m k/m /( ω02 – ω2)( ω22 – ω2) cos ωt …………………………………(18)

X2 = B cos ωt ………………………………..(19)

B = F0/m k/m/( ω02 – ω2) (ω22 – ω2) ………………………….(20)

समीकरण (17) तथा (20) क्रमश: दोलक P1 तथा P2 के आयाम को प्रदर्शित करते हैं। इन समीकरणों से यह ज्ञात होता है कि जब प्रणोदित या चालित आवृत्ति (driving frequency) का मान सामान्य कम्पन विधा की आवृत्ति ω1 या ω2 के बराबर होती है तो आयाम A तथा B का मान अनन्त हो जाता है। इन स्थितियों में निकाय अनुनाद की अवस्था में होता है ।

इस प्रकार दो अनुनादी आवृत्तियाँ (two resonance frequencies) ω1 तथा ω2 हैं। यदि अवमन्दन बल (damping force) का मान नगण्य नहीं माने तो आयामों A तथा B का मान अनुनाद की स्थिति में अनन्त न होकर अधिकतम होगा। A तथा B का ω के साथ परिवर्तन को निम्न चित्र (16) में प्रदर्शित किया गया है।

समीकरण (19) को समीकरण (16) से भाग देने पर

X2/x1 = B cos ωt/A cos ωt = B/A = k/m (ω02 – ω2 + k/m)

यदि ω का मान ω1 = ω0 के निकट हो तो x2/x1 = B/A + 1 अर्थात् निम्न अनुनादी आवृत्ति क्षेत्र  (lower resonance frequency region) में A और B तथा विस्थापन एक ही कला में होंगे।

यदि ω का मान ω2 = (ω02 + 2K/m)1/2 के निकट हो तो x2 /x1  = B/A = – 1. अर्थात् उच्च अनुनादी आवृत्ति क्षेत्र (higher resonance frequency region) में हो तो विस्थापन एक-दूसरे के विपरीत कला में होंगे।

उपर्युक्त विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि किसी युग्मित निकाय की सामान्य विधाओं की आवृत्तियों के मान, निकाय को किसी आवृर्ती बल से अनुनादित करके ज्ञात किया जा सकता है। युग्मित निकाय को एक सरल आवर्ती बल से चालित किया जाता है और चालक बल की आवृत्ति को तब तक परिवर्तित किया जाता है जब तक कि युग्मित दोलक का आयाम अधिकतम न हो जाये अर्थात अनुनादी अवस्था प्राप्त न हो जाये। अनुनादी आवृत्तियों ही युग्मित निकाय की सामान्य विधाओं की आवत्तियाँ होंगी।

अधिक संख्या में युग्मित दोलक (Many Coupled Oscillatorst

प्रारंभ में हमने दो दोलकों के युग्मन से युग्मित दोलक की गति के बारे में पढ़ा। इस प्रकार के युग्मित दोलक  का दोलन अनुदैर्ध्य दोलन (longitudinal oscillations) होता है क्योंकि दोनों दोलक के लोलको (bobs ) की गति उनको मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होती है। यदि किसी निकाय में कणों की गति (दोलक) उनको मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् हो तो उनके कम्पनों को अनुप्रस्थ दोलन( transverse oscillations) कहते हैं। इस प्रकार के कम्पनों की गति का भी उपरोक्त प्रकार से विश्लेषण किया जा सकता  है। उदाहरण के लिए, किसी प्रत्यास्थ डोरी से समान दूरी पर जुड़े बहुत से समान द्रव्यमान के कणों की गति का दोलन अनुप्रस्थ दोलन होगा।