तारांकित और अतारांकित प्रश्न में अंतर क्या है | संसद में पूछे जाने वाले प्रमुख प्रश्नों के प्रकार हैं starred question in hindi

starred question in hindi unstarred questions तारांकित और अतारांकित प्रश्न में अंतर क्या है | संसद में पूछे जाने वाले प्रमुख प्रश्नों के प्रकार हैं ?

प्रश्नकाल तथा “शून्यकाल‘‘
संसदीय प्रश्न एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा संसद प्रशासन पर निगरानी रखती है और इसका प्रयोग उन सब देशों में किया जाता है जहां प्रतिनिधि संसदीय लोकतंत्र की प्रणाली विद्यमान है । इस प्रणाली में सरकार अपनी प्रत्येक भूल चूक के लिए संसद के प्रति और संसद के द्वारा लोगों के प्रति उत्तरदायी होती है। प्रशासन का यह उत्तरदायित्व दो स्तरों पर होता है। सदन सामूहिक रूप से इस शक्ति का प्रयोग स्वयं और अपनी समितियों के माध्यम से भी करता है। व्यक्तिगत रूप से सदन के सदस्य इस अधिकार का प्रयोग, अन्य बातों के साथ साथ, संसदीय प्रश्नों के माध्यम से करते हैं। संसद सदस्यों को लोक महत्व के मामलों पर सरकार के मंत्रियों से जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रश्न पूछने का अधिकार होता है। जानकारी प्राप्त करना प्रत्येक गैर-सरकारी सदस्य का अंतर्निहित एवं निर्बाध संसदीय अधिकार है । संसद सदस्य के लिए लोगों के प्रतिनिधि के रूप में यह आवश्यक होता है कि उसे मूल उत्तरदायित्वों के निर्वहन के लिए सरकार के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी हो । अतः प्रश्न पूछने का मूल उद्देश्य लोक महत्व के किसी मामले पर जानकारी प्राप्त करना और तथ्य जानना है । प्रश्न यह जानने के लिए किए जाते हैं कि सरकार द्वारा घोषित और/अथवा संसद द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय नीतियों को उचित रूप से कार्यरूप दिया गया है या नहीं । प्रश्न विभिन्न विषयों के बारे में किए जाते हैं, अतः प्रश्नों के द्वारा प्रशासन के लगभग सभी पहलुओं की छानबीन हो जाती है।
दोनों सदनों में प्रत्येक बैठक के प्रारंभ में एक घंटे तक प्रश्न किए जाते हैं और उनके उत्तर दिए जाते हैं। इसे “प्रश्नकाल‘‘ कहा जाता है। इस काल के दौरान भारत सरकार से संबंधित मामले उठाए जाते हैं और समस्याएं सरकार के ध्यान में लाई जाती हैं ताकि किसी स्थिति का सामना करने के लिए, लोगों की शिकायतें दूर करने के लिए या किसी प्रशासनिक त्रुटि या ज्यादती का समाधान करने के लिए सरकार कार्यवाही करे । अतः इस काल के दौरान सरकार का परीक्षण होता है। इसके अतिरिक्त, खोजी और अनुपूरक प्रश्न पूछकर यह जानने के लिए मंत्रियों का भी परीक्षण होता है कि वे अपने विभागों के कार्यकरण को कितना समझते हैं । कभी कभी मंत्रियों की त्रुटियों को या किन्हीं स्थितियों में उनके अकुशल कार्यकरण को प्रकाश में लाने के लिए भी प्रश्न पूछे जाते हैं।
प्रश्नकाल संसद की कार्यवाहियों का सबसे अधिक दिलचस्प अंग है। लोगों के लिए, समाचारपत्रों के लिए और स्वयं सदस्यों के लिए कोई अन्य कार्य इतनी दिलचस्पी पैदा नहीं करता जितनी कि प्रश्नकाल पैदा करता है। इस काल के दौरान सदन का वातावरण इतना अनिश्चित होता है कि कभी अचानक तनाव का बवंडर उठ खड़ा होता है तो कभी कहकहे लगने लगते हैं। कभी कभी किसी प्रश्न पर होने वाले कटु तर्क-वितर्क से जो उत्तेजना पैदा होती है वह सदस्यों या मंत्रियों की हाजिर-जवाबी और विनोदप्रियता से दूर हो जाती है। कई सदस्य समय समय पर अपनी विनोदशीलता से प्रश्नकाल में जान डाल देते हैं । यदि प्रश्न सामयिक रुचि के महत्वपूर्ण मामलों से संबंधित हों, संक्षिप्त हों, सारगर्भित हों तो प्रश्नकाल उपयोगी, दिलचस्प और प्रायः सनसनीखेज हो जाता है। यही कारण है कि प्रश्नकाल के दौरान न केवल सदन कक्ष बल्कि दर्शक एवं प्रेस गैलरियां भी सदा लगभग भरी रहती हैं।

विभिन्न प्रकार के प्रश्न
संसद के दोनों सदनों में प्रश्न सामान्यतया मंत्रियों से अर्थात सरकारी सदस्यों से पूछे जाते हैं और वे तीन श्रेणियों के होते हैं, अर्थात तारांकित प्रश्न, अतारांकित प्रश्न और अल्प-सूचना प्रश्न । प्रश्न कभी कभी गैर-सरकारी सदस्यों से भी पूछे जा सकते हैं।
तारांकित प्रश्न: इन प्रश्नों का सदन में मौखिक उत्तर दिया जाता है। सदस्यों द्वारा ऐसे प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं। ऐसे प्रश्नों को तारांकित प्रश्न इस कारण कहा जाता है कि इन पर तारांक लगाकर इनका विभेद किया जाता है।
अतारांकित प्रश्न: ऐसे प्रश्नों का अतारांकित प्रश्न इस कारण कहा जाता है कि इन पर तारांक नहीं लगा होता । ऐसे प्रश्नों का उत्तर लिखित रूप से दिया जाता है न कि तारांकित प्रश्नों के उत्तर की तरह मौखिक रूप से । इसी कारण इस पर अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते।
अल्प-सूचना प्रश्नः अल्प-सूचना प्रश्न वह प्रश्न है जो किसी अविलंबनीय लोक महत्व के मामले से संबंधित हो । यह साधारण प्रश्न के लिए निर्धारित दस दिन की अवधि से कम अवधि की सूचना देकर पूछा जा सकता है।
ऐसा नहीं कि सदस्य जब चाहें, बिना पूर्व सूचना के, सदन में किसी मंत्री से प्रश्न पूछ सकते हैं। यदि ऐसा हो तो मंत्रिगण सदस्यों के प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर देने की स्थिति में नहीं होंगे। विभिन्न स्तरों से संगत जानकारी एकत्रित करने और सदन में मंत्री द्वारा दिए जाने के लिए सुस्पष्ट उत्तर तैयार करने के लिए संबद्ध विभाग को कुछ समय की आवश्यकता होती है। इसी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए दोनों सदनों में कार्य-संचालन तथा प्रक्रिया नियमों का उपबंध किया गया है कि कोई सदस्य प्रश्न की सूचना संबद्ध सदन के महासचिव को दे सकता है। जिस तिथि को प्रश्न का उत्तर मांगा जाए उस तिथि से ऐसी सूचना कम से कम दस दिन पूर्व और अधिक से अधिक इक्कीस दिन पूर्व दी जानी चाहिए।
प्रश्न कैसे गृहीत किए जाते हैं
संसद के दोनों सदनों में पूछे जाने वाले प्रश्नों का चूंकि समाचारपत्रों में और लोगों में व्यापक प्रचार होता है और सरकार भी उन्हें गंभीर रूप में लेती है अतः यह स्वाभाविक ही है कि सदस्यों के प्रश्नों की प्रत्येक सूचना को गृहीत करने से पहले उसकी पूरी छानबीन की जाए। ऐसे प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं जो गलत जानकारी पर आधारित हों और जिनमें गलत निष्कर्ष निकाले गए हों जिनसे सरकार को या किमी व्यक्ति की सरकारी या निजी हैसियत से उसे अनावश्यक परेशानी हो मकती है। इस स्थिति से बचने के लिए, दोनों मदनों के नियमों में कुछ शर्ते निर्धारित की गई हैं जिनके अनुसार प्रश्न गृहीत किए जाते हैं।
यदि कोई आरोपात्मक प्रश्न तथ्यों पर आधारित न हो और किसी वर्ग या संस्था के बारे में न होकर किसी व्यक्ति के बारे में हो तो सामान्यता उसे गृहीत नहीं किया जाता, क्योंकि एक बार यदि सार्वजनिक रूप से कोई आरोप लगा दिया जाता है तो, चाहे वह सिद्ध किया जाए या नहीं किया जाए, उसका ऐसा प्रभाव पड़ जाता है जिसका निराकरण नहीं किया जा सकता । ऐसा विशेष रूप से तब होता है जब आरोप ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध लगाया जाए जिसे सदन के समक्ष आने और अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर नहीं मिलता। ऐसे प्रश्नों के तथ्यात्मक आधार का पता लगाने के लिए गृहीत करने से पहले, उन्हें संबद्ध मंत्रालयों/विभागों के पास भेजा जा सकता है। कभी कभी सदस्यों से भी कहा जाता है कि वे प्रश्न में लगाए गए आरोप के समर्थन में सामग्री भेजें।
इसके अतिरिक्त, यदि किसी प्रश्न का विषय किसी न्यायालय के समक्ष या विधि के अधीन बनाए गए किसी अन्य न्यायाधिकरण या निकाय के समक्ष फैसले के लिए लंबित हो या किसी संसदीय समिति कं विचाराधीन हो तो ऐसा प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं है। जिन देशों के साथ भारत के मित्रतापूर्ण संबंध हैं उनके बारे में अशिष्ट कथना वाले प्रश्न अस्वीकृत कर दिए जाते हैं । इसी प्रकार व्यक्तियों के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न अस्वीकृत कर दिए जाते हैं । परंतु यदि कोई प्रश्न उच्च पद वाले किसी व्यक्ति के बारे में हो या उसके द्वारा सिद्धांत या नीति का कोई महत्वपूर्ण मामला जनहित में उठाया गया हो तो उसे गृहीत किया जा सकता है। यह ध्यान देले वाली बात है कि प्रश्न किसी ऐसे मामले के बारे में नहीं होना चाहिए जो मूल रूप से भारत सरकार से संबंध नहीं रखता । ऐसे प्रश्न गृहीत नहीं किए जाते जिनमें तर्क, निष्कर्ष या मानहानिकारक कथन हों या जिनमें किसी व्यक्ति की सरकारी या सार्वजनिक हैसियत से नहीं बल्कि उसकी व्यक्तिगत हैसियत से उसके चरित्र या आचरण का उल्लेख हो, और ऐसे प्रश्न जिनमें जानकारी मांगने की बजाए जानकारी दी गई हो।
प्रश्न नियमों में उपबंधित शर्तों के अनुसार तारांकित या अतारांकित श्रेणी में रखे जाते हैं । सामान्यतया ऐसे प्रश्न लिखित उत्तर के लिए, अर्थात अतारांकित प्रश्नों के रूप में गृहीत किए जाते हैं जिनमें विस्तृत आंकड़े मांगे गए हों या जो स्थानीय रुचि के मामलों से संबंधित हों । इसी प्रकार, जो प्रश्न लोक महत्व के हों और जिन पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जाने की संभावना हो, उन्हें तारांकित प्रश्नों के रूप में मौखिक उत्तर के लिए रखा जाता है। परंतु यह अध्यक्ष के विवेकाधिकार की बात है वह जैसे उचित समझे किसी प्रश्न को मौखिक उत्तर के लिए रखे या लिखित उत्तर के लिए।
प्रश्नों की सूचनाओं की यह सुनिश्चित करने के लिए छानबीन किए जाने के पश्चात कि क्या वे प्रक्रिया के अनुकूल हैं और उनसे सुस्थापित करने के लिए संसदीय प्रथाओं का उल्लंघन नहीं होता, उन्हें जिस दिन उनका उत्तर दिया जाना हो उस दिन की मौखिक और लिखित उत्तर के लिए अलग अलग प्रश्न सूचियों में रखा जाता है। सदन के समय और उसके द्वारा किए जाने वाले अन्य कार्य की दृष्टि से यह उपबंध किया गया है कि लोक सभा का कोई सदस्य तारांकित और अतारांकित श्रेणी के एक दिन में पांच से अधिक प्रश्न नहीं पूछ सकता । इसके अतिरिक्त एक दिन में एक ही सदस्य के राज्य सभा में अधिक से अधिक तीन तारांकित प्रश्न और लोक सभा में अधिक से अधिक एक तारांकित प्रश्न गृहीत किया जा सकता है। किसी एक दिन की तारांकित प्रश्न सूची में कुल 20 प्रश्न होते हैं । लोक सभा में किसी एक दिन की अतारांकित प्रश्न सूची में अधिक से अधिक 230 प्रश्न होते हैं। राज्य सभा में ऐसी कोई सीमा नहीं है परंतु सामान्यतया किसी एक दिन की अतारांकित प्रश्न सूची में 200 से कम प्रश्न होते हैं।
प्रश्नों के उत्तर देने के लिए भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों और विभागों को पांच समूहों में अर्थात ए, बी, सी, डी और ई ग्रुपों में विभाजित किया गया है और क्रमशः सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को प्रश्नों के उत्तर के लिए मंत्रालयों के इन ग्रुपों के लिए दिन नियत किए गए हैं । ग्रुप इस प्रकार बनाए जाते हैं कि प्रत्येक मंत्री के लिए प्रश्नों के उत्तर देने के लिए लोक सभा में सप्ताह में एक दिन निश्चित हो और राज्य सभा में प्रश्नों के उत्तर के लिए सप्ताह में कोई अन्य दिन निश्चित हो । प्रश्न पूछने के लिए निर्धारित तिथि से कम से कम पांच दिन पहले अंतिम रूप से गृहीत प्रश्नों की सूची मंत्रालयों को भेज दी जाती है ताकि उनके उत्तर तैयार करने के लिए मंत्रालयों को पर्याप्त समय मिल सके ।