JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

तमिल भाषा का आधुनिक साहित्य क्या है ? तेलुगु भाषा का आधुनिक साहित्य के बारे में जानकारी बताइए

तेलुगु भाषा का आधुनिक साहित्य के बारे में जानकारी बताइए तमिल भाषा का आधुनिक साहित्य क्या है ?

तमिल भाषा का आधुनिक साहित्य
द्रविड़ भाषाओं में सबसे प्राचीन भाषा की विरासत बड़ी संपन्न और परंपरा अत्यंत महान है। कई युगों से तमिल भाषा में दार्शनिक प्रवचनों, भक्तिभाव की कविताओं, संगीत कृतियों और लोक नाटकों का सृजन होता रहा और वह संपन्न बनती चली गई।
आधुनिक युग के समारंभ का तमिल भाषा पर भी स्वाभाविक प्रभाव पड़ा। बंगाल की तरह मद्रास भी उन स्थानों में से है, जिन पर भारत में सबसे पहले पश्चिम का प्रभाव पड़ा। 19वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में धीरे-धीरे पाश्चात्य शैली पर आधारित गद्य शैली ने रूप लेना शुरू किया।
तमिलवासी व्यावहारिक और यथार्थवादी हैं और इसीलिए आधुनिक साहित्य का विकास मुख्यतया जीवन की वास्तविकताओं पर केंद्रित था। 20वीं शताब्दी तक पहुंचते-पहुंचते तमिल प्रदेश की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियां साहित्यिक कार्यों की प्रमुख विषयवस्तु बन गई। सारे राष्ट्रवादी युग के दौरान तमिल कविता ने देशभक्ति की तीव्र भावना को बनाए रखा। इस तरह के अग्रणी कवि थे सुबह्माण्या भारती।
तमिल कविता में देशभक्ति के गीतों से चलकर लोगों के जीवन को दर्शाने वाले गीतों तक पहुंचना एक स्वाभाविक बात थी। प्रगतिवादी कवियों ने पीड़ित, दलित, भूख के शिकार और मृत्युशैया पर पड़े लोगों की हालत का बहुत सजीव वर्णन किया।
टी. वी. कल्याण संदर मुदलियार को तमिल साहित्य में आधुनिक गद्य का पितामह माना जाता हैं। नई विचारधारा के अन्य लोगों में स्वामी विपुलानंद उल्लेखनीय साहित्यिक प्रज्ञा के धनो थे। मरईमलाई अडिगल एक प्रसिद्ध उपन्यासकार और कहानीकार थे। कलकी ने ऐतिहासिक उपन्यास लिखे, जिनमें दक्षिण भारत के पुराने साम्राज्यों के प्रसिद्ध व्यक्ति चरित्रों के रूप में थे।
तमिल नाटक का अपना परंपरागत आधार और स्वरूप था। आधुनिक नाटक जिनमें वास्तविक चरित्रों का सही चित्रण किया जाता था, अधिक लोकप्रिय बन गए। एक महाउन नाटक लेखक थे सांबंद मुदालियर, जिन्होंने कई नाटक लिखे।
तामिल कहानी लेखन की एक नई विशेषता यह रही है कि बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से साहित्य का रस ग्रहण करने के लिए आधुनिक व्यक्ति को शिक्षित करने के उद्देश्य से बड़े कलात्मक तरीके के कहानियां लिखी जाती है। नई विचारधारा की कहानियां लिखने वाले प्रमुख व्यक्ति हैं- वी. बी. एम. अय्यर। हाल के वर्षों में विभिन्न विषयों को लेकर तमिल में बहत सी कहानियां लिखी गई है। तमिल साहित्य का आधार बहुत ठोस और कार्यक्षेत्र व्यापक है। इसलिए प्रगति का भविष्य सदा उज्जवल है।
तेलुगु भाषा का आधुनिक साहित्य
आंध्र देश की भाषा तेलुगु भारत की प्रमुख भाषाओं में से एक है, जिसकी संपन्न साहित्यिक पृष्ठभूमि है। अंग्रेजों के जमाने में तेलुगु भाषी क्षेत्र मद्रास प्रेसीडेंसी का एक भाग था और इसीलिए यह अपेक्षाकृत बहुत जल्द पाश्चात्य विचारों के संपर्क में आया। 20वीं शताब्दी शुरू होने के बाद तेलुगु की प्रगति विशिष्टतापूर्ण और उल्लेखनीय रही।
19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में जाकर कविता ने नया रूप धारण करना शुरू किया। आधुनिक तेलुगु कविता की नींव रखने वाले कवि थे: तिरूपति शास्त्री, वैंकट शास्त्री और गुरजदा अप्पाराव। गेय कविता के कवियों को आकृष्ट किया। प्रेम की आदर्श कल्पना और इसकी श्रेष्ठता की भावना कवि के मानस पर छाई रही। इसकी प्रतीक कुछ कृतियां थीं, राय प्रोलू सुब्बाराव की ‘तृण कंकणम्‘ और ‘स्वप्न कुमारम्‘, अब्बूरी रामकृष्ण राव की ‘मलिकम्बा‘, कृष्ण शास्त्री की ‘उर्वशी‘, शिवशंकर शास्त्री की ‘हृदयेश्वरी‘, और वेदुआ सत्यनारायण शास्त्री की ‘दीपावली‘। कविता लोगों की बोलचाल की भाषा में लिखी गई। इस तरह की भाषा में लिखने में गिदुगू राममूर्ति पंतुलु और साहित्य समिति के सदस्यों को काफी सफल्ता मिली। बासव राजू अप्पाराव, और नंदूरी समिति के सदस्यों को काफी सफलता मिली। बासव राजू अप्पाराव, और नंदूरी सुब्बाराव जैसे लेखकों के गीत जन-जन तक पहुंचे। ये न केवल प्रणय के गीत या प्रकृति के स्त्रोत थे बल्कि इनम देशभक्ति और धार्मिक विषयों को भी लिया गया। उदाहरण के लिए प्रणय गीत लिखने वाले विश्वनाथ सत्यनारायण ने ‘आंध्र-प्रशांति‘ शीर्षक से देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण श्रेष्ठ कविता भी लिखी।
समय के साथ साथ तेलुगु में प्रगतिवादी कवियों का उदय हुआ। 20वीं शताब्दी के तीसरे और चैथे दशकों में उन्होंने नए मागों की खोज की। प्रगति वादियों के अगुआ थे श्रीरंगम श्रीनिवास राव।
उपन्यास के क्षेत्र में नय प्रयास करने वाले प्रथम लेखक थे सुप्रसिद्ध विरेशलिंगम। वे स्वभाव से सुधारवादी थे और उन्हान सरलता लाने के लिए साहित्य की शैली में सुधार किया। 19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में उन्होंने अपने कुछ प्राभिक उपन्यास प्रकाशित किए। उनके ‘राजशेखर चरित्रम्‘ में मध्यवर्गीय परिवार का सच्चा चित्र है। 20वीं शताब्दी के समय विद्यमानअन्य उपन्यासकारों में चिलकामूर्ति लक्ष्मीनर सिंहम् अपने ऐतिहासिक उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध हाए। 20वीं शताब्दा की दसरी चैथाई के दौरान विश्वनाथ सत्यनारायण और अदिवी बपिराजू आंध्र के विख्यात उपन्यासकार थे। सत्यनारायण ‘वेत पदगाल‘ अर्थात ‘हजार फन‘ और बपिराजू आंध्र के विख्यात उपन्यासकार थे। सत्यनारायसण के ‘वेत्त पदगालु‘ अर्थात् ‘हजार फन‘ और बपिराजू के ‘नारायण भट्ट‘ और ‘रुद्रमादेवी‘ जैसे सामाजिक-ऐतिहासिक उपन्यासों ने पाठको के भावनाओं को प्रभावित किया। उपन्यास सृजन में प्रकृतिवाद का भी अपना ही प्रभाव रहा। अत्यंत व्यस्त सभ्यता की गहमागहमी के बीच, आधुनिक मनुष्य को जीवन में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए कटु सत्य के साथ जो संघर्ष करना पड़ता है, उसी का प्रगतिवादी-यथार्थवादियों ने अपने उपन्यासों का प्रमुख विषय बनाया। इस दिशा में नेतृत्व प्रदान किया एस. बी. सुब्बाराव ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘चिवारक मिगिलेदी‘ यानी ‘कल यही बचा है‘ से।
आंध में नाटक लेखकों ने नृत्य नाटकों के पराने खले रंगमंच के स्थान पर. आधनिक रंगमंच को लाने का प्रयास किया। डी. कृष्णमाचालू, वदम वककटराय शास्त्री, गरजादा अप्पा राव और पानगंटी नरसिंहराव इस प्रकार के नाटको क प्रमुख लेखक थे। कई लेखकों ने एकांकी नाटक लिखे।
तेलुगु में आधुनिक अघु कथा का अविर्भाव 20वी शताब्दी के प्रारंभ में हआ। गरूजादा अप्पा राव ने इसे वांछित रूप दिया। चिंता दीक्षितुलु ने सरल वर्णन शैली बना कर लघु कथा को और आगे विकसित किया। एम. नरसिंहाराव, गुडिपात बैंकटचलम, कनपती वरलक्ष्मम्मा, इल्लिन्दाला सरस्वती, मालती चंदर और वी. पदमराज ने लघ कथा की प्रगति के लिए विभिन्न विषयवस्तुओं का उपयोग किया।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now