JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: chemistry

ठोस, द्रव एवं गैसों में संरचनात्मक भेद समझाइये STRUCTURAL DIFFERENCES BETWEEN SOLIDS, LIQUIDS AND GASES in hindi

STRUCTURAL DIFFERENCES BETWEEN SOLIDS, LIQUIDS AND GASES in hindi ठोस, द्रव एवं गैसों में संरचनात्मक भेद समझाइये ?

 द्रवों का ससंयोजन (Cohesion of Liquids)

जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि द्रवों का अणुओं में क्रिस्टलीय ठोस पदार्थों की भांति इतना तो प्रबल आकर्षण बल नहीं होता कि मजबूती से बंध जायें और उनमें स्थानान्तरण गति ही न हो, किन्त वे गैस की भांति इतने अधिक स्वतन्त्र भी नहीं होते कि उनके मध्य आकर्षण बल को नगण्य ही मान लिया जाये। द्रवों के अणुओं के मध्य इतना आकर्षण बल होता है कि वे परस्पर बंधे हए, कुछ वाष्पीकृत होने वाले अणुओं के अपवादों को छोड़कर, द्रव की सतह के भीतर ही रहते हैं। द्रव के अणओं के मध्य के इस आकर्षण बल को द्रवों का ससंयोजन (cohesion of liquids) कहते हैं। ऊष्मागतिकीय विचारधाराओं (thermodynamic consideration) के आधार पर इन ससंयोजन बलों (cohesion forces) की मात्रा का परिकलन किया जा सकता है।

ठोस, द्रव एवं गैसों में संरचनात्मक भेद (STRUCTURAL DIFFERENCES BETWEEN SOLIDS, LIQUIDS AND GASES)

द्रवों के संरचनात्मक अध्ययन में हमने इनकी संरचना की व्याख्या ठोस, द्रव एवं गैसों के साथ तुलनात्मक रूप से ही की है। इनकी संरचना के अन्तर को निम्न सारणी में दिया जा रहा है :

सारणी 4.2. ठोस, द्रव एवं गैस में अन्तर

क्रम सख्या गुण ठोस द्रव गैस
1.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

2.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

4.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

5.

 

 

 

6.

 

 

 

 

 

7.

आयतन व आकृति (Volume and Shape)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

कणों का पैकिंग (Pack- ing of Particles)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

विसरण (diffusion)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

श्यानता अथवा बहने का गुण (viscosity or property of flowing)

 

 

 

 

ऊष्मा का प्रभाव (effect of heat)

 

 

 

पृष्ठ तनाव (surface tension)

 

 

 

 

 

 

विषमदैशिकता (anisotropy) अथवा समदैशिकता (isotropy)

इनके अवयवी कण अत्यन्त प्रबल आकर्षण बल द्वारा परस्पर बन्धे रहते हैं अतः इनकी आकृति व व आयतन निश्चित रहते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इनके अवयवी कण परस्पर इतनी निकटतम पकिग में होते हैं कि कणों के मध्य कोई रिक्त स्थान नही होता इस कारण इनमे संपीडयता (compres-sibility ) बिल्कुल नही होती |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अवयवी कणों की निकतम पैंकिंग के कारण एक ठोस किसी दुसरे ठोस में विसरित नहीं होता है |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ठोसों में बहने का गुण बिल्कुल नहीं होता , टेबल पर रखी किताब , वही रखी रहेगी |

 

 

 

ठोस ऊष्मा पाकर सामान्यतया द्रव बनाते हैं |

 

 

 

 

ठोस में कोई पृष्ठ तनाव नहीं होता |

 

 

 

 

 

घनीय क्रिस्टल अपवाद को छोड़कर समस्त क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिकता दर्शाते है क्योंकि कणों की निश्चित पैकिंग के कारण इसके अपवर्तनांक आदि गुण क्रिस्टल की अलग अलग दिशा में भिन्न भिन्न होते है |

इनके अवयवी कणों के मध्य का आकर्षण बल ठोसों की तुलना में कम होता है अतः इनका आयतन तो स्थिर रहता है लेकिन आकृति स्थिर नहीं होती है वरन् उस पात्र के अनुरूप होती है जिसमें यह रखा गया है।

 

 

 

 

 

 

 

इनके अवयवी कणों के मध्य कछ रिक्त स्थान होता है अतः इन्हें कुछ सम्पीडित किया जा सकता है एक पूर्ण भरे हुए गिलास में सावधानीपूर्वक पानी को गिराए बिना हम आराम से 3-4 सिक्के डाल सकते है वो इन्ही रिक्त स्थानों के कारण सम्भव होता है

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अवयवी कणों की कुछ ढीली पैंकिंग के कारण एक द्रव दुसरे द्रव में विसरित हो जाता है |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

द्रवों में ऊपर से नीचे की तरफ बहने का गुण होता है इसी कारण सब नदियाँ पहाड़ों से मैदानों की तरफ बहती है |

 

 

 

द्रव ऊष्मा पाकर गैस अथवा वाष्प बनाते है |

 

 

 

द्रवों की सतह पर पृष्ठ तनाव होता है |

 

 

 

 

 

 

इनके कणों की पैकिंग निश्चित नहीं होती अत: ये समदैशिक होते हैं तथा किसी भी दिशा से अपवर्तनांक आदि गुणों का अध्ययन किया जाए , उनके मान समान ही आते है |

इनके अवयवी कणों के मध्य अत्यन्त ही दुर्बल आकर्षण बल होता है अतः इनके आयतन व आकृति दोनों ही निश्चित नहीं होते।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इनके अवयवी कणों के मध्य अत्यधिक रिक्त स्थान होता है अतः गैसों में सम्पीड्यता का गुण बहुत अधिक होता है वाहनों के पहियों के ट्यूब में इसी गुण के कारण हवा भरी जा सकती है

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अवयवी कणों के मुक्त विचरण के कारण एक गैस तुरंत ही दूसरी गैस में विसरित हो जाती है | अगरबत्ती को जलाने से उसके धूम्र पूरे कमरे में विसरित होकर उसे सुगंध से महका देते है |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इनमें सब तरफ बहने का गुण होता है अत: सड़क पर भी यदि कचरों जलेगा तो उसके धुंए की गंध चारों तरफ फ़ैल जाएगी |

 

 

गैस ऊष्मा पाकर गर्म हो जाती है |

 

 

 

 

गैस के पात्र के सब तरफ गैस का दाब (pressure) समान होता है |

 

 

 

 

 

इनके कणों की पैकिंग भी निश्चित नहीं होती अत: ये भी समदैशिक होते है |

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now