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जीवमंडल निचय किसे कहते हैं , बायोस्फीयर रिजर्व क्या है , निम्नलिखित में से कितने भारत के जीव मंडल निचय यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त है

निम्नलिखित में से कितने भारत के जीव मंडल निचय यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त है जीव मंडल निचय से क्या अभिप्राय है कोई दो उदाहरण दो जीवमंडल निचय किसे कहते हैं , बायोस्फीयर रिजर्व क्या है ? biosphere reserves in india in hindi ?

जीवमंडल निचय (Biosphere Reserves)ः जीवमंडल निचय (आरक्षित क्षेत्र) विशेष प्रकार के भौमिक और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र हैं, जिन्हें यूनेस्को (UNESCO) के मानव और जीवमंडल कार्यक्रम (Man and Biosphere Programme) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है। जीवमंडल निचय के तीन मुख्य उद्देश्य हैं-(i) संरक्षण (ii) विकास तथा (iii) व्यवस्था
भारत में 14 जीवमंडल निचय हैं (तालिका 2.30)। इनमें से 4 जीवमंडल निचय (i) नीलगिरि, (ii) नंदादेवीय (iii) सुंदरवन, और, (iv) मन्नार की खाड़ी। यूनेस्को द्वारा जीवमंडल निचय विश्व नेटवर्क पर मान्यता प्राप्त हैं (चित्र 2.12 )।
नीलगिरि जीवमंडल निचय
यह भारत का पहला जीवमंडल निचय है, जिसकी स्थापना 1986 में की गई थी। कुल 5,520 वर्ग किमी. वाले इस जीवमंडल निचय में वायनाड वन्य जीवन सुरक्षित क्षेत्र, नगरहोल बांदीपुर और मदुमलाई, निलंबूर का सम्पूर्ण वन से ढंका ढाल, ऊपरी नीलगिरि पठार, सायलेंट वैली और सिदुवानी पहाड़ियां सम्मिलित हैं। इस जीवमंडल निचय में विभिन्न प्रकार के आवास हैं।
विभिन्न प्रकार की वनस्पति में शुष्क और आर्द्र पर्णपाती वन, अर्ध-सदाबहार और आर्द्र सदाबहार वन, सदाबहार शोलास, घास केमैदान और दलदल सम्मिलित हैं। यहां पर दो संकटापन्न प्राणी प्रजातिया. नीलगिरि ताहर (Tahr) और शेर जैसी दुम वाले बंदर की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है। नीलगिरि निचय में हाथी, बाघ, गोर, सांभर और चीतल जानवरों की दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा संख्या तथा कुछ संकटापन्न और क्षेत्रीय विशेष पौधे पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में कुछ एसा जनजातियों के आवास भी स्थित हैं, जो पर्यावरण के साथ सामंजस्य करके रहने के लिए विख्यात हैं।
इस जीवमंडल निचय में विविध प्रकार की स्थलाकृतियां पाई जात हैं, जिनकी समद्र तल से ऊंचाई 250 मीटर से 2,650 मीटर तक पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले 80 प्रतिशत फलदार पौधे इसी निचय में मिलते हैं।

नंदादेवी जीवमंडल निचय
यह जीवमंडल निचय उत्तराखण्ड के चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ तथा बागेश्वर जिलों में विस्तृत है। यहां पर शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं, जिनमें सिल्वर वुड तथा लैटीफोली, जैसे कि ओरचिड एवं रोडोहेंड्रॉन आदि प्रजातियां पाई जाती हैं। वन्य जीवों में हिम तेंदुआ (Snow Leopard), काला भालू, भूग भालू, कस्तूरी मृग, हिम मुर्गा, सुनहरा बाज और काला बाज पाए जाते है।
इस जीवमंडल निचय मे संकटापन्न पौधा प्रजातियों का औषधियांें के लिए एकत्रित करने, वन में आग लगने तथा दावानल एवं पशुओं का व्यापारिक उद्देश्य के लिए शिकार होने में पार्गिस्थतिकी तंत्र को खतरा पैदा हो गया है।

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