JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indian

चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना कब हुई , चीन में साम्यवादी क्रांति कब व किसके नेतृत्व में हुई

जानिये चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना कब हुई , चीन में साम्यवादी क्रांति कब व किसके नेतृत्व में हुई ?

प्रश्न: चीन में साम्यवादी क्रान्ति के उद्भव की विवेचना कीजिए।
उत्त्रः 1919 के पेरिस सम्मेलन के पश्चात् चीन में राष्ट्रवादियों ने अपने देश के हालात पर इतना विचार की किया जितना की एक सदी में भी हीं सी परिप्रेक्ष्य में चीन में साम्यवाद की स्थापना हुई। पीकिंग विश्वविद्यालय में 1918 में ता-चाऊ तथा प्रोफेसर माओत्से तुंग ने साम्यवाद की स्थापना 1919 ई. में इन लोगों ने चीनी साम्यवादी दल (कुंग चान तांग) स्थापित किया। 1920 में पेकिंग, कैण्टन, शंघाई और हुनान प्रान्त में साम्यवादी दल की शाखाएँ स्थापित हुई।
जुलाई, 1921 में शंघाई में इन सभी शाखाओं का प्रथम अधिवेशन हुआ जिसमें 9 सदस्यों ने भाग लिया। इस बात पर विचार किया गया कि चीन में साम्यवादी विचारधारा को कैसे फैलाया जा सकता है। उपाय सुझाया गया हड़ताल द्वारा। फरवरी, 1922 में शंघाई में ही दूसरा साम्यवादी सम्मेलन हुआ। इसमें 123 सदस्यों ने भाग लिया। हड़ताल करने वाले 91 थे। जुलाई, 1923 में शंघाई में ही तीसरा अधिवेशन हुआ जिसमें 432 सदस्यों ने भाग लिया और हड़ताल एक न एक दिन होने लगी। अब साम्यवाद खुलकर सामने आया और यह विचार अभिव्यक्त किया गया कि राजनैतिक पार्टी को हड़ताल विकसित करती है। इन सम्मेलनों में यह घोषित किया गया कि विदेशी आधिपत्य से चीन को मुक्ति दिलानी होगी। 1923 के बाद कोमिंगतांग (KMT) के साथ कम्युनिष्ट जाने लगे। KMT कम्युनिस्टों को आगे भेजते। सनयात सेन की मृत्यु (1925) के बाद सवाल यह उठा कि क्या साम्यवादियों के साथ KMT को रखा जाये। इसके विपरित कम्युनिष्ट भी यही सोचने लगे कि क्या KMT के साथ सम्बन्ध रखा जाय ? 1925 में के.एम.टी. (KMT) से साम्यवादियों को निकाल बाहर किया। के.एम.टी. नेता च्वांग काई शेक ने नानकिंग सरकार स्थापित की। चीनी साम्यवादी दल (CCP) नेता माओत्से तुंग था।
उत्तरी अभियान (Northern March – 1926) : 1926 में च्वांग काई शेक मध्य एवं उत्तरी चीन के सैनिक सरदारों को कचलने के लिए गया जिसे चीनी इतिहास में उत्तरी अभियान कहा गया। इसी समय कुछ विद्रोह हुए। पहला नानकिंग विद्रोह. दसरा शरद फसल विद्रोह तथा तीसरा कैन्टन विद्रोह जो असफल रहे। 1927-28 तक KMT व CCP ने शंघाई कैन्टन, नानकिंग, हैंको एवं पेकिंग पर अधिकार कर लिया। माओत्स तुंग ने कहा कि किसान ही परिवर्तन लायेगा। माओ को पार्टी से निकालने की घोषणा की गई।
माओत्सेतंग : चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवाद) : विद्रोहों में असफल होने के बाद माओत्से ने श्जिंग-जंग-शानश् क्षेत्र में पहला साम्यवादी युक्त क्षेत्र बनाया। साम्यवादी व माओ यहां आकर रहने लगे। यहां से सारे चीन में साम्यवाद लाने की बात कही गयी। माओं ने स्वयं द्वारा संपादित समाचार-पत्र पोलिटीकली डेली में कहा कि हमें जो संघर्ष करना है वह एक सैन्य संघर्ष है। बाद में अपनी रैड बुक में कहा सत्ता बन्दूक की नली से निकलती है और बन्दूक पार्टी के हाथ में होनी चाहिए। माओ ने निष्कर्ष निकाला कि किसानों का सहारा लेना है चाहे भूमिहीन कृषक से या कोई और। अग्रिम क्रान्ति के प्रमुख नायक मजदूर होंगे। माओ ने चीन की परिस्थितियों के अनुसार मार्क्स के विचारों को अपने में बदला। माओ ने कहा जब तक आर्थिक समानता नहीं होगी तो यह दोनों (राजनैतिक व सामाजिक) समानताएं बेमानी है। यही माओवाद है।
माओवाद को समर्थन रू माओ के अनुसार साम्यवाद एक निरन्तर प्रक्रिया है। इसके लिए क्षेत्रीय संघर्ष करना पड़ेगा। 1928 के बाद ली-ली-शान पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बना। 1929 में चांगशा-बुहान क्षेत्र पर माओ और सू-तेह के नेतृत्व में विद्रोह हुआ। 10 दिन के बाद साम्यवादियों की हार हुई। ली-ली-शान को हुआया गया और माओ की विचारधारा को साम्यवादियों ने स्वीकार कर लिया। हुआते वक्त माओ ने कहा – चीन में साम्यवादी पार्टी जो संघर्ष कर रही है वह युद्ध से युद्ध नहीं बल्कि जनता के लिए लड़ रही है। वस्तुतः यह जनता की लडाई है उनकी स्वतंत्रता की लड़ाई है। यह युद्ध जनता के द्वारा जनता के लिए हैष् यह नारा प्रसिद्ध हुआ। कम्प्युनिष्ट क्षेत्रों में लगातार वृद्धि होने लगी। जनता से लगान उपज का 20% निश्चित लिया जाने लगा। परिणामतः साम्यवादियों का विस्तार हुआ। मेरी राइट के अनुसार चीनी क्रांति जिसका नेतृत्व कम्यूनिस्टों के हाथ में आ गया है, किसानों की क्रांति है – 1930 ई. से पूर्व गांवों में माओत्सेतुंग का दल इसी कारण जीवित रहा कि इसे कृषक वर्ग का समर्थन एवं नियंत्रण की कुंजी मिल गई।
1931 में सी.सी.पी. का शक्ति केन्द्र-कियांग्सी प्रांत था। यहाँ अपनी सरकार स्थापित की तथा धीरे-धीरे किएन, हुनान व आन्हुई प्रान्तों में शक्ति स्थापित की। 1933 में चीन में तीन प्रमुख सरकारे थीं –
1. नानकिंग सरकार – के.एम.टी. – नेता च्वांग काई शेक
2. कैन्टन में वामपंथ सरकार – के.एम.टी. वांग चिंग वेह .
3. कियांग्सी, आन्हुई व किएन प्रान्तों की सरकार – सी.सी.पी. – नेता माओत्से तुंग
प्रश्न: अमेरिका द्वारा चीन में गृहयुद्ध शांत करने एवं लोकतंत्र की स्थापना करने के क्या प्रयास किए गए?
उस घटनाक्रम की जानकारी दीजिए जिससे चीन में साम्यवाद (जनवादी गणतंत्र) की स्थापना हुई?
उत्तर: चीन-जापान युद्ध 1937 में हुआ जिसमे चीन पराजित हुआ, जापान ने उत्तरी चीन के कुछ प्रदेशों पर अधिकार कर एक चीनी सरकार की स्थापना की। के.एम.टी. सी.सी.पी. से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहती थी तथा सी.सी.पी. का सफाया करना चाहती थी। शेक का विचार था कि पहले सी.सी.पी. को समाप्त करो फिर जापान को बाहर खदेड़ो। चीनी जनमत गृहयुद्ध को बंद कर जापान के विरुद्ध संघर्ष के पक्ष में था जिसकी शेक ने अनदेखी की। अन्ततः 1937 में दोनों में समझौता हुआ –
जापान व रूस के प्रभाव के विरुद्ध अमेरिका व ब्रिटेन ने शेक को सैनिक सहायता दी जबकि के.एम.टी. जापान की बजाय सी.सी.पी. से संघर्ष को महत्व दे रहा था।
समझौते के प्रयास
जनवरी, 1943 में यू.एस.ए. व ब्रिटेन ने शेक से संधि कर चीन से अपने सभी विशेषाधिकार समाप्त कर लिए तथा चीन को समानता का दर्जा दिया। यू.एन.ओ. में चीन को स्थायी सदस्यता भी दी गई। यू.एस.ए. ने के.एम.टी. व सी.सी.पी के मध्य समझौता कराने के बहुत प्रयास किए परन्तु असफल रहा। 1945 में जापान ने आत्म समर्पण कर दिया और युद्ध का अन्त हो गया। लेकिन चीन की समस्या का अन्त नहीं हुआ। अब मंचुकाओं सरकार पर किसका अधिकार हो के.एम.टी. का या सी.सी.पी. का यह समस्या उत्पन्न हुई। के.एम.टी. यह स्वीकार नहीं कर सकता था। अतः सितम्बर 1945 में दोनों में संघर्ष शुरु हुआ। अमेरिका द्वारा लोकतंत्र की स्थापना के प्रयास दिसंबर, 1945 में यू.एस.ए. राष्ट्रपति ट्रमेन ने जनरल मार्शल को चीन में दोनों दलों में समझौता कराने के उद्देश्य से भेजा ताकि लोकतंत्र स्थापित हो सके। जनवरी, 1946 में एक संधि हुई। जिसके अनुसार दोनों पक्षों की सेनाएं आपसी संघर्ष समाप्त करें। चीन का जो प्रदेश जिसके पास में है, वह उसी के अधिकार में रहेगा। मंचूरिया में के.एम.टी. का अधिकार स्वीकार कर लिया गया। इस अमेरिकी प्रयास से चीन का गृह युद्ध कुछ समय के लिए स्थिगित हो गया। नवम्बर, 1946 में शेक ने एक महासम्मेलन बलाया जिसका सी.सी.पी. ने बहिष्कार किया। जनवरी, 1947 में मार्शल के कहा कि शांति स्थापना में सबसे बड़ी समस्या के.एम.टी. व सी.सी.पी. के मध्य आपसी संदेह है।
साम्यवादियों द्वारा सैनिक सत्तारोहण
अमेरिका के अथक प्रयास के बावजूद के.एम.टी. व सी.सी.पी. के मध्य कोई स्थायी समझौता नहीं हो सका। उत्तरी व पूर्वी चीन पर अधिकार करने के लिए दोनों पक्षों में पुनः संघर्ष हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रूस ने जापान पर आक्रमण कर चीन में जापान अधिकृत (उत्तरी एवं पूर्वी) प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। सी.सी.पी. का पूर्वी चीन के एक बड़े हिस्से पर वे अपना अधिकार स्थापित कर ले। इस प्रकार
1. 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की निर्णायक पराजय हो गयी, तब चीन की वास्तविक सत्ता के लिए KMT व CCP अन्तिम संघर्ष में उलझ गये।
2. च्वांग-काई-शेक को अमेरिका व मित्रराष्ट्रों से व्यापक पैमाने पर सहायता मिली तथा ज्ञडज् को जापानी क्षेत्रों पर कब्जा दिलाने में सहायता की।
3. मंचुरिया पर रूस ने कब्जा कर लिया यहां CCP छापामारों के प्रवेश की अनुमति दी गई।
4. 1948 तक CCP सेना की संख्या इतनी अधिक हो गयी कि उन्होंने छापामार लड़ाई त्यागकर KMT सेना को सीधी चुनौती दी। सीधे दबाव से KMT सेना बिखरने लगी।
5. जनवरी, 1949 तक सी.सी.पी. टिंटसिन व पीकिंग पर अधिकार कर चुकी थी। अप्रैल, 1949 में सी.सी.पी. न नानकिंग व शंघाई पर अधिकार कर लिया। अक्टूबर, 1949 में हेन्को व कैंटन पर भी अधिकार हो गया। अब के.एम.टी. के पास क्वारसी, फार्मूसा द्वीप व हैनान द्वीप बचे थे।
6. जनवरी, 1949 में CCP ने पेकिंग पर अधिकार कर लिया और साल का अंत होते च्चांग और उसकी बची-खुची सेना चीन की मुख्य भूमि का नियंत्रण माओ-त्से-तुंग के हाथों में छोड़कर ताइवान के टापू (फारमोसा) में भाग गयी।
7. 19 जन, 1949 को चीन के लिए एक ‘लोकतांत्रिक सम्मिलित सरकार‘ के गठन के लिए नये साम्यवादी सम्मेलन का गठन किया। जिसने 1 अक्टूबर, 1949 को साम्यवादियों ने पीकिंग में लोक गणराज्य (चीनी जनवादी गणतंत्र) की स्थापना की घोषणा कर दी। 2 अक्टूबर, 1949 को न्ण्ैण्ैण्त्ण् ने नये तंत्र को चीनी सरकार के रूप में मान्यता दी। 1950 के अंत तक 25 देशों ने इसे मान्यता दे दी। इस प्रकार चीन साम्यवादी हो गया।
प्रश्न: चीनी साम्यवाद की राष्ट्रवादी साम्यवादी के रूप में समीक्षा कीजिए।
उत्तर: चीन में राष्ट्रवाद कभी खत्म नहीं हुआ। चीनी साम्यवादी पार्टी ने माओवाद निर्मित किया। यह परम्परागत साम्यवाद मार्क्सवाद या लेनिनवाद नहीं था। माओ ने साम्यवाद को लक्ष्य न बनाकर साधन बनाया। विदेशी शिकंजें से मुक्ति, सामाजक तथा राजनीतिक समानता लाने की स्थापना के लिए चीनी सुधार के अनुसार सुधार लाने के लिए साम्यवादी नीति अपनायी।
साम्यवाद कृषकों का न होकर मूलतः श्रमिकों से संबंधित है जबकि चीनी साम्यवाद किसानों के महत्व की बात करता है। क्रान्ति के बाद मजदूरों के हाथ में सत्ता होगी यह मार्क्सवाद की विचारधारा है। पूँजीवाद के बाद साम्यवाद आयेगा और इसको लाने के लिए मजदूर क्रान्ति करके मालिकों को हुआकर स्वयं मालिक बन जायेंगे। यह क्रान्ति इंग्लैण्ड और फ्रांस में होती है लेकिन साम्यवाद रूस में आया।
लेनिन ने कहा पार्टी प्रमुख है। मार्क्सवाद के अनुसार विभिन्न उत्पादन पद्धति के बाद क्रान्ति होती है। पहली आदिम दासता , सामन्तवाद , पुंजीवाद फिर साम्यवाद , अन्तर सिर्फ तकनीक का होगा। लेनिन ने कहा इस संक्रमण काल में चेतना के विकास का परिणाम है।
दार्शनिक चेतना दो भागों में होती है पहली भौतिकवादी तथा दूसरी विचारकवादी जैसे प्लेटो, अरस्तु। पहले विचार आया फिर कुर्सी बनी। लेनिन ने कहा मार्क्सवाद भौतिकवादी है। फ्रांस की क्रान्ति स्वयं स्फूर्त क्रान्ति थी इसका किसी को भी मालुम नहीं था। सर्वहारा का अधिनायक रहे, मजदूरों की पार्टी अधिनायक रहे। लेनिन ने कहा कि श्एक कदम पीछे हुआश् ताकि दो कदम आगे बढ़ा जा सके।श् वापिस पीछे जाकर पूंजीवादी ढांचा बनाया जाए, उद्योग पर राज्य का नियंत्रण हो तथा बाजार बना सके। फिर साम्यवाद स्थापित करे।
माओ की विचारधारा में किसानों को महत्व दिया गया। अतः राष्ट्रवाद का पतन नहीं हुआ। अगर माओ का साम्यवाद अन्तर्राष्ट्रीय होता तो चीन का रूस के साथ झगड़ा नहीं होता। सनयात के बाद माओ व च्वांग में होड़ मची हुई थी कि स्वयं को सनयात की विचारधारा वाले राष्टवादी प्रदर्शित करें। चीन की साम्यवादी पार्टी ने साम्यवाद को चीन की दिशा से मोड़ा। माओवादी अपने आरंभ काल से ही मानते थे कि साम्यवाद एक साधन है न कि साध्य। इसका सहारा लेकर युक्ति चाहते हैं। इस प्रकार चीन में “राष्ट्रवादी साम्यवाद स्थापित हुआ।
प्रश्न: चीनी साम्यवादी क्रांति की मुख्य विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तरः चीन में साम्यवादी क्रांति मार्क्स के समाजवादी दर्शन पर आधारित 1917 की रूसी क्रांति से प्रभावित थी।
चीन के साम्यवादी नेता माओ-त्से-तुंग ने हुनान के किसान आंदोलन का नेतृत्व किया, शंघाई में 1921 में मार्क्सवादियों के सम्मेलन में भाग लिया तथा चीनी साम्यवादी दल श्कुंग तांगश् की स्थापना की।
1927 में कुओमिंगतांग (KMT) सरकार के अध्यक्ष च्यांग-काई-शेक तथा साम्यवादी दल में संघर्ष आरम्भ हो गया। साम्यवादियों ने अपना प्रभाव बढ़ाने हेतु श्लाल सेनाश् का निर्माण किया जिसका संस्थापक सेनापति श्सू-तेहश् था। लाल सेना ने 1934-35 में उत्तर की ओर महाप्रस्थान कर शैंसी प्रान्त के हुनान को अपनी राजधानी बना साम्यवादी सरकार की स्थापना की और च्यांग-काई-शेक की नानकिंग में स्थापित कुओ-मिंग-तांग सरकार से संघर्ष किया। चीन में जापनी सेना के बढ़ते जाने से चीन का यह गृह युद्ध समाप्त हुआ और संयुक्त मोर्चा के रूप में चीनियों ने जापान का सामना किया किन्त 1938 में पुनः गृहयुद्ध शुरु हो गया। अगस्त, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्म-समर्पण कर देने से समाप्त हो गया। लाल सेना का विजय अभियान नानकिंग, शंघाई व कैण्टन पर अधिकार कर अक्टूबर, 1949 में साम्यवादी सरकार की स्थापित करने के साथ समाप्त हुआ। यह संघर्ष काफी लम्बा चला अंततः माओ त्से तुंग के नेतृत्व में 1949 में चीन में जनवादी गणतंत्र की स्थापना हुई। च्यांग-काई-शेक ने फारमूसा में राष्ट्रवादी सरकार स्थापित कर ली।
चीनी साम्यवादी सिद्धान्त मार्क्सवादी व लेनिनवाद के चीनी कृषि प्रधान देश के अनुकूल प्रयोग पर आधारित थे। 21 नवम्बर, 1949 को माओत्से तुंग ने चीनी जनवादी गणतंत्र की घोषणा की तथा प्रथम प्रधानमंत्री चाऊ-एन-लाई को बनाया। 1949 ई. में चीनी साम्यवादी क्राति सत्ता की स्थापना के.एम.टी. तथा सी.सी.पी. के संघर्ष का परिणाम थी जिसके फलस्वरूप चीन में सर्वहारा वर्ग की स्थापना हुई। इसकी निम्न विशेषताएं इस प्रकार थी
1. चीनी साम्यवादी क्रांति को रूसी साम्यवाद का पूर्ण वरदहस्त प्राप्त था। यहाँ की साम्यवादी सरकार ने भी मार्क्स के सिद्धांतों को अपने शासन का आधार बनाया। साम्यवादी क्रांति एक लम्बे रक्त रंजित सफर का परिणाम थी।
2. इसकी एक प्रमुख विशेषता च्यांग-काई-शेक के निर्गम अत्याचारों के बावजूद भी अपने अस्तित्व को बनाएं रखते हए सफलता के कदम चूमना था। हुनान से शेन्सी तक का लम्बा मार्च और हजारों सैनिकों का बलिदान एवं गृह युद्ध ने साम्यवादियों को और अधिक प्रखर बना दिया।
3. इसके जनकल्याणकारी कार्यों एवं मध्यम-वर्ग-पोषित नीति ने एक क्रांति को विशाल जनाधार प्रदान किया जो इसकी एक अन्यतम विशेषता थी।
4. तत्कालीन पूँजीवादी अर्थव्यवस्था एवं बढ़ती मुद्रा स्फीति का मूल्य-वृद्धि ने क्रान्ति की सफलता के अवसर को बढाया। क्योंकि च्यांग-काई-शेक की नीतियों से शासन में भ्रष्टाचार एवं अनैतिकता का बोलबाला हो गया जिसके कारण पूँजी कुछ एक लोगों की दासी बन कर रह गई। इससे जन-असंतोष फैला और साम्यवादियों का रास्ता साफ होना लगा। क्योंकि उनकी जन-नीतियों ने जनता को आकृर्षित करना शुरु कर दिया था।
5. एक अन्यतम विशेषता साम्यवादियों के नेतृत्व में निहित थी जो अनुशासित एवं देशभक्त थे। इन्होंने त्याग एवं – बलिदान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और अपने शासित प्रदेशों में अनुशासित और कर्त्तव्यपरायण शासन दिया।
स्वभाविकता जन-वर्ग का प्रवाह साम्यवादियों की तरफ हो गया और 1 अक्टूबर, 1949 की क्रांति अपनी उपर्युक्त विशेषताओं के मद्देनजर सफलता को प्राप्त हुई।
6. माओवाद में मजदूरों की बजाय कृषकों पर अधिक ध्यान दिया जबकि साम्यवाद में श्रमिक प्रमुख होते हैं।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now