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चालित आवर्ती दोलन प्रश्न महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह question bank of Driven Simple Harmonic Oscillator in hindi
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प्रश्नावली (Exercise)
सैद्धान्तिक वर्णनात्मक प्रश्न (Theoretical Descriptive Questions)
- प्रणोदित दोलक से आप क्या समझते हैं ? प्रणोदित दोलक के गति के समीकरण को हल कीजिए। बाह्य दोलनी बल भी आवृत्ति के साथ इसके आयाम व कला में परिवर्तन को समझाइये।
- प्रणोदित सरल आवर्ती दोलक के अवकल समीकरण को उल्लेखित कर हल कीजिए। निम्न अवस्थाओं में दोलनों के व्यवहार पर टिप्पणी कीजिये, ω<< ω0, ω = ω0, ω >> ω0, । यहाँ दोलक की स्वाभाविक आवृत्ति ω0 तथा आरोपित बल की आवृत्ति ω है।
- यदि किसी प्रणोदित दोलक पर आरोपित आवर्ती बल की आवृत्ति में धीरे-धीरे परिवर्तन किया जाये। तो इसके आयाम तथा कला में क्या परिवर्तन होगा? इसका आरेख खींच कर भी समझाइये।
- अनुनाद क्या होता है। प्रणोदित दोलक के लिए प्राप्त सैद्धान्तिक सम्बन्धों को ज्ञात मानकर अनुनाद की तीक्ष्णता की व्याख्या कीजिए।
- एक प्रणोदित आवर्ती दोलक के लिए
D2x/dt2 + 1/t dx/dt + ω02 x = f0 sin ωt
- समीकरण को आयाम तथा कला के लिए हल कीजिए।
(ii) क्षणिक विधा के समाप्त होने के लिए सन्निकटतः कितना समय लगेगा ?
(iii) सिद्ध कीजिए कि चालक बल सदैव विस्थापन से कला में आगे रहता है।
- चालक की आवृत्ति के पदों में एक चालित दोलित्र का आयाम ज्ञात कीजिए। कौन-कौन से प्राचल दोलित्र को निम्न तथा उच्च आवृत्ति अनुक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
- प्रदर्शित कीजिये कि अनुनाद की स्थिति में विस्थापन चालित बल से π/2 कला में पीछे रहता है जबकि वेग चालित बल की कला में होता है।
- एक चालित आवर्ती दोलक के लिए अवकल समीकरण लिखिये व इसे हल कीजिए।
- सिद्ध कीजिए कि प्रणोदित सरल आवर्ती दोलक के लिए न्यून आवृत्ति अवस्था में दोलक की। अनुक्रिया द्रव्यमान पर निभर नहा करता ह तथा उच्च आवृत्ति अवस्था में बल नियतांक पर निर्भर नहीं करती है।
- सिद्ध कीजिए कि अनुनाद कास्थिति पर प्रणोदित दोलक, ऊर्जा का अधिकतम अवशोषण करता इसका मान F02Q2/4K के बराबर होता है यहाँ F0, चालक बल का आयाम,Q विशेषता गुणांक तथा K बल नियतांक है।
- अर्ध शक्ति बिन्द से आप क्या समझते है? इसके द्वारा अनुनाद स्थिति समझने में कैसे सहायता मिलती है?
- बाह्य चालित बल F=F0cosωt द्वारा प्रणादित दोलित्र को प्रदान की जाने वाली औसत शक्ति के व्यंजक की स्थापना कीजिये।
- किस आवृत्ति पर स्रोत से दोलित्र को अधिकतम शक्ति अंतरित होती है, ज्ञात कीजिए।
- सिद्ध कीजिए की जब कोई प्रणोदित दालक स्वाभाविक आवृत्ति से दोलन करता है तो चालक बल द्वारा F02/2m के बराबर महत्तम शक्ति का हस्तान्तरण होता है। यहाँ F0 चालक बल का आयाम तथा क्रमशः m व t दोलक का द्रव्यमान एवं विश्रान्तिकाल हैं।
- प्रणोदित दोलक के बैंड विस्तार से आप क्या समझते हैं ? सिद्ध कीजिए कि दोलक का विशेषता गुणांक, स्वाभाविक आवृत्ति के अनुक्रमानुपाती तथा बैंड विस्तार के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- किसी निकाय के प्रणोदित दोलनों का आयाम निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जाता है
A = F0/m(ω02 – ω2)2 + ω2/t2]1/2
यहाँ चिन्ह (symbols) परम्परागत अर्थों में प्रयुक्त हैं।
(1)ω << ω0, ω = ω0 तथा ω >> ω0 आवृत्ति सीमाओं में प्रणोदित दोलक की अनुक्रिया की व्याख्या कीजिए। (ii) सिद्ध कीजिए की अत्यल्प आवृत्ति के सापेक्ष अनुनादी आवृत्ति पर आयाम प्रवर्धन, दोलक के विशेषता गुणांक के बराबर होता है। 17. द्रव्यमान m के एक कण पर एक आवर्ती बल F=F0, cos ωtआरोपित किया गया है। समय के फलन के रूप में कण का विस्थापन x ज्ञात कीजिये। समय t = 0 पर कण का वेग v0 है एवं इसका विस्थापन x0 है
- एक अवमन्दित दोलक के प्रणोदित दोलनों की माध्य गतिज एवं स्थितिज ऊर्जायें ज्ञात कीजिए तथा इनके योग एवं प्रयुक्त बल द्वारा एक आवर्तकाल में किये गए कार्य का अनुपात ज्ञात कीजिए।
- एक श्रेणीक्रम में जुडे L-C-R परिपथ में एक वि.वा. बल e = e0 sin ωt प्रयुक्त किया जाता है। परिपथ का अवकलन समीकरण व्युत्पन्न कीजिये उसको हल करते हुए किसी क्षण धारा के मान के लिए व्यजंक प्राप्त कीजिये। उस उदगम् वि.वा. बल की आवृत्ति का परिकलन कीजिये जिससे परिपथ अनुनाद की स्थिति में हो।
- LCR परिपथ में विद्युत अनुनाद समझाइये। इसके लिए अधिकतम् धारा की स्थिति एवं विशेषता गुणांक प्राप्त कीजिए।
- एक विद्युत परिपथ में बैन्ड-विस्तार तथा वरण क्षमता की परिभाषा दीजिये। सिद्ध कीजिये कि श्रेणी
L – C – R अनुनादी परिपथ में बैंड-विस्तार f = R/2 πl होता है।
- श्रेणीक्रम L-C-R परिपथ के अनुनाद की अवस्था के लिए प्रतिबन्ध ज्ञात कीजिये। सिद्ध कीजिये कि अनुनादी बैड विस्तार, परिपथ के विशेषता गुणांक Q के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- समान्तर अनुनादी परिपथ में अनुनाद से क्या तात्पार्य है ? इस प्रकार के परिपथ में अनुनाद की अवस्था के लिए प्रतिबन्ध ज्ञात कीजिए। इस परिपथ की तुलना श्रेणीक्रम अनुनादी परिपथ से कीजिये ।
- प्रेरकत्व L और प्रतिरोध R की एक प्रेरक कुण्डली को धारिता C के संधारित्र के समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है। प्रतिरोध R का वह सीमान्त मान ज्ञात कीजिए जिससे कि परिपथ दोलनकारी बना रहे। इस परिपथ को अस्वीकारी परिपथ क्यों कहा जाता है।
- प्रणोदित श्रेणी LCR प्रत्यावर्ती विद्युतीय परिपथ की व्याख्या कीजिये तथा किसी क्षण धारा के मान के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिये। LCR विद्युत अनुनाद की भी विवेचना कीजिये ।
- चल कुण्डली धारामापी में अवमन्दन का क्या प्रभाव पड़ता है ? वर्णन कीजिए। उन स्थितिओं को ज्ञात करो जिनमें चल कुण्डली धारामापी प्रक्षेपी हो जाता है। लॉगरिथमिक अपक्षय को भी परिकलित कीजिये ।
- अप्रसंवादी दोलक से क्या तात्पर्य है ? अप्रसंवादी दोलक के विस्थापन का व्यंजक ज्ञात कीजिये जबकि अप्रसंवादी दोलन में दोलित्र अपने माध्यावस्था से अल्प विस्थापित होता है।
- सरल लोलक के दीर्घ आयामों के लिए लोलक का आवर्त्तकाल ज्ञात कीजिए।
- अप्रसंवादी दोलक किसे कहते हैं ? अप्रसंवादी दोलक के लिए विस्थापन एवं आवर्तकाल का व्यंजक ज्ञात कीजिए । 30. एक दोलित्र पर असंवादिता के प्रभावों का उल्लेख कीजिए। इसके द्वारा किस प्रकार ठोसों के ऊष्मीय प्रसार का स्पष्टीकरण दे सकते हैं।
संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Questions )
- एक प्रणोदित दोलक का अत्यल्प आवृत्ति पर आयाम 1 mm है तथा बढ़कर 256 Hz आवृत्ति पर महत्तम मान 2 cm प्राप्त कर लेता है। दोलक का विशेषता गुणांक तथा विश्रान्तिकाल की गणना करो।
[उत्तर- Q = 20.t = 0.078 से ]
- किसी प्रणोदित दोलक का विशेषता गुणांक 50 है ω = 99ω0 आवृत्ति पर दोलक के आयाम तथा महत्तम आयाम के की गणना करो।
[उत्तर- 0.71]
- 1 kg द्रव्यमान के एक पिण्ड को स्प्रिंग जिसका वल नियतांक 1000N/m है, से लटकाते हैं। तन्त्र का अवमन्दन गुणांक 50×10-3 kg/s है । इस पिण्ड को F = 25 sin (2ω0 t) N, बल द्वारा दोलन कराया जाता है। दोलनों का आयाम तथा कला का परिकलन कीजिये। यहां ω0 दोलक की स्वाभाविक आवृत्ति है।
[उत्तर- 8.33 x 10-3 m. tan-1 (0.00105)]
- लघु अवमन्दन वाले प्रणोदित दोलक के लिए निम्न आंकड़े दिये हुये हैंद्रव्यमान M= 0.01 kg, बल नियतांक k = 100N/m., विश्रान्तिकाल t = 0.5s, प्रेरक बल F =sin (90t)N | दोलक का गुणता गुणांक, आयाम और कला ज्ञात कीजिए।
(उत्तर-50.5.2 cm. tan-1 0.095)
- एक प्रणोदित दोलक में दोलनों का आयाम अत्यल्प आवृत्ति पर 0.01 mm है। इसका मान अधिकतम 100 दोलन प्रति सेकण्ड पर 5mm हो जाता है तो गणना करो
(1) विश्रान्तिकाल (2) विशेषता गुणांक (3) बैन्ड-विस्तार
(उत्तर-0.79s. 500.0.36 rad/s]
- सिद्ध कीजिए की प्रणोदित दोलक की अर्ध-शक्ति बिन्दुओं पर कलायें π/4 होती है।।
- 10 gm के एक पिण्ड को एक स्प्रिंग से लटकाते हैं और यह 2 cm आयाम का दोलन करता है। यह 20 rev/s वाले परिवर्ती बल के साथ अननाद उत्पन्न करता है तो स्प्रिंग द्वारा एकत्रित। कुल ऊजो की गणना करो। यदि दोलक का विशेषता गणांक 80 हो तो ऊर्जा-हानि प्रति से. की। भी गणना करो।
[उत्तर- 0.032 j .0.05 j)]
- एक चालित सरल आवर्ती दोलक 1 mwऊर्जा का अवशोषण करता है जब 1000 Nआयाम तथा 200Hz आवृत्ति के परिवर्ती बल द्वारा अनुनादित होता है। यदि दोलक का Q = 400 हो तो 0.5 mW ऊजो-हानि के लिए (i) 200 Hz आवृत्ति के आवर्ती बल के आयाम की गणना करो। (ii) 1000N के आवती बल के लिए अर्ध-शक्ति आवृत्तियों की भी गणना करो।
(उत्तर- 707N. 200 # 0.25]
- एक कमानी पिण्ड निकाय किसी भारी पिण्ड लोलक से चालित होता है। निकाय का गुणता कारक 20 तथा अनुनाद आवृत्ति 0.5 Hz है। दोनों अर्द्ध-शक्ति बिन्दुओं के आवृत्तियों की गणना कीजिए तथा इससे बैंड विस्तार का भी परिकलन कीजिए।
उत्तर-f1 = 5125 Hz, f2 = 0.487 Hz, 2f = 0.025 Hz)
- 200 uH का प्रेरकत्व, 0.0005 uF का संधारित्र एवं 10 ओम् का प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। परिकलन कीजिए- (i) अनुनादी आवृत्ति, (ii) अनुनाद पर वोल्टता आवर्धन, (iii) बैंड-विस्तार। उपरोक्त तीनों उत्तरों में क्या परिवर्तन होगा यदि प्रतिरोध का मान 0.4 ओम हो जाता है ?
[उत्तर-3.16 x 106 rad/s. 63.2.5×104 rad/s ω0 = 0.Q=1517.7; 48000)
- एक दोलनी परिपथ में L= 1 mH तथा C = 0.1 uF समान्तर परिपथ में जुड़े हैं। प्रेरक कुण्डली के प्रतिरोध का अधिकतम मान क्या हो सकता है कि परिपथ दोलनी रहे?
[उत्तर-100]
- एक ओम प्रतिरोध तथा 2 H प्रेरकत्व वाली कुण्डली में से 2 uF के संधारित्र को अनावेशित किया जाता है। परिकलन करो- (i) अनुनादी आवृत्ति, (ii) विशेषता गुणांक, (iii) दोलन का आयाम 99% कम होने में लगा समय।
[उत्तर- 500rad/s. 1000.18.42s]
- एक 55.2 mH तथा 10 Ω की प्रेरक कुण्डली 138 x 10-6 F के संधारित्र से समान्तर क्रम में संयोजित की गई है। ज्ञात करो जब परिपथ में 200 V वर्ग माध्य मूल मान का वि.वा. बल लगाया गया है
(1) अनुनादी आवृत्ति (2) अनुनादी धारा का मान
(3) विशेषता गुणांक (4) बैंड-विस्तार
[उत्तर-49.95 Hz. 5A. 1.75.28.85 Hz]
- एक समान्तर अनुनादी परिपथ की 2.4 MHz पर प्रतिबाधा (1000 + j0) Ω है। प्रेरकत्व का विशेषता गुणांक 4 है। प्रेरकत्व L.धारिता C तथा बैंड विस्तार का मान ज्ञात कीजिए।
(उत्तर- 16.6 uH. 265 pF. 1.9 x104 Hz]
- एक प्रेक्षप धारामापी में आवेश विसर्जित करने पर प्रक्षेप, θ1 = 16 cm तथा θ11 = 14.6 cm प्राप्त होते
हैं। लॉगरिथ्मीय अपक्षय की गणना करो।
(उत्तर : λ = 0.009]
- किसी सरल लोलक के आवर्तकाल में प्रदर्शित परिवर्तन की गणना करो जब लोलक का कोणीय आयाम (i) 45°, (ii) 90° होता है।
[उत्तर : 4.62%, 12.5%]
- 10 gm के दोलक की स्थितिज ऊर्जा (1000x2 + 500x3 + 200x4 )erg है। लघु आयाम के दोलन की आवृत्ति ज्ञात करो। यदि मूल आवृत्ति के दोलन का आयाम 4 cm है तो दोलक की आवृत्ति क्या। होगी? अधिस्वरों के आवृत्ति एवं आयाम भी ज्ञात करो।
– [उत्तर : 447.21 Hz, 447.32 Hz, 1314.64 Hz, 8 x 10-7m]
- एक 100 cm लम्बाई के सरल लोलक के एक सिरे से 100 gm का एक दोलक दृढ़ आधार से लटका है। यदि लोलक अपनी सन्तुलन स्थिति के इधर-उधर 60° कोणीय आयाम से दोलन करता है तो इसके दोलनों की आवृत्ति का क्या मान होगा ?
[उत्तर : 0.23 Hz]
- लघु दोलनों के लिए आवर्त काल की तुलना में सिद्ध कीजिये कि आयाम π/4 होने पर आवर्तकाल में 6.25% की वृद्धि हो जाती है।
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