संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण 1: किसी पिण्ड के घूर्णन का कोणीय संवेग 94.2 जूल-सेकण्ड तथा घूर्णन की दर 30 चक्कर/सेकण्ड है। पिण्ड के जड़त्व आघूर्ण की गणना कीजिये।
हल :कोणीय संवेग J = l ω = l (2πn)
I = J/2πn = 94.2/2 x 3.14 x 30
= 0.5 किग्रा.-मीटर2
उदाहरण 2: एक वलय का उसके अक्ष के अनुदिश जड़त्व आघूर्ण 8 मात्रक है। वलय का उसके तल में स्थित तथा उसे स्पर्श करते अक्ष के अनुदिश जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिये।
हलः हम जानते हैं वलय के उसके अक्ष के परितः जडत्व आघूर्ण
1 = Mr2
वलय का उसके तल में स्थिति स्पर्श रेखीय अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण
It = Mr2/2 + Mr2 = 3/2 Mr2
It = 3/2 I = 3/2 x 8 = 12 मात्रक
उदाहरण 3 : एक कुम्हार अपने चाक को जो 150 चक्कर प्रति मिनट की दर से घूर्णन कर रहा है, 10 सेकण्ड में रोकता है। कुम्हार ने कितना त्वरण चाक पर लगाया ? इन 10 सेकण्ड में चाक में कितना कोणीय विस्थापन हुआ?
हल :कोणीय गति के प्रथम समीकरण से
Ω = ωo + at
या a = ω – ω0/t
चाक का अन्तिम कोणीय वेग ω = 0 तथा प्रारम्भिक वेग
Ω0 = 150 x 2π/60 रेडियन/सेकण्ड
या ωo = 5π रेडियन/सेकण्ड
अतः कोणीय त्वरण a = 0 – 5 π/10 = – 0.5 π रेडियन/सेकण्ड2
a का ऋणात्मक मान यह बतलाता है कि चाक पर मन्दन बल-आघूर्ण कार्य करता है। कोणीय गति के द्वितीय समीकरण से
θ = ωo t + 1/2 at2
प्रश्नानुसार मान रखने पर
θ = (5 π) x 10 x 1/2 (-0.5 π) x 102
= 50 π – 25 π = 25 π रेडियन
उदाहरण 4: यदि पृथ्वी सहसा इतनी संकुचित हो जाये कि उसकी परिवर्तित त्रिज्या वर्तमान। त्रिज्या की आधी रह जाये तो दिन की अवधि कितनी होगी?
हल :कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
Iω = Iω
प्रश्नानुसार, I = 2/5 MR2 (पृथ्वी को समांगी गोला मानते हुए)
तथा = ω = 2 π/T
जहाँ घूर्णन काल T (= 24 घण्टे) है।
I = 2/5 M (R/2)2 ω = 2 π/T
अतः कोणीय संवेग संरक्षण से
2/5 MR2 x 2 π/T = 2/5 M (R/2)2 x 2 π/T
या 4T = T
दिन की अवधि T= T/4 = 24/4 = 6 घण्टे
उदाहरण 5: 100 ग्राम द्रव्यमान के एक कण का वेग V = -3i + j +5 मीटर/सेकण्ड है जबकि उसकी स्थिति बिन्दु r = 7i +3j +k मीटर पर है। मूल बिन्दु (0, 0,0) के सापेक्ष कण का कोणीय संवेग ज्ञात करो।
हल : द्रव्यमान m = 100 ग्राम = 0.1 किग्रा.
R = rp – ro = rp (क्योंकि निर्देश बिन्दु मूल बिन्दु है)
कोणीय संवेग J = m(r x v)
= 0.1 [(7i + 3j + k)x (-3 i + j + 5k)
|I j k|
= 0.1 |7 3 1|
|-3 1 5|
= 0.1 [i (3 x 5 –1 x 1)] + j [1 x (-3)-7 x 5] + k [7 x 1 – 3x (-3)]
= 0.1 – [14 I – 38j +16k]
कोणीय संवेग J =1.4 i -3.8j + 1.6k जूल-सेकण्ड
उदाहरण 6 : एक किग्रा. द्रव्यमान एवं 0.20 मीटर त्रिज्या का धातु का एक वृत्ताकार छल्ला अपने केन्द्र से गुजरते हुए तथा तल के अभिलम्बवत् अक्ष के चारों ओर 10 चक्कर/सेकण्ड के वेग से चक्कर लगाता है। अब यदि इस घूर्णी छल्ले के रिम पर 0.5 न्यूटन का स्पर्श रेखीय बल 10 सेकण्ड के लिये लगाया जाये तो उसी अक्ष पर कोणीय संवेग का अन्तिम मान ज्ञात कीजिये।
हल : छल्ले का जड़त्व आघूर्ण
I = MR2 = 1 x 0.2 x 0.02 = 0.04 किग्रा.मी.2
छल्ले का प्रारम्भिक कोणीय संवेग
J1 = lω = 12πn = 0.04 x 2π x 10 = 0.8π किग्रा.-मी./सेकण्ड
छल्ले पर कार्यरत बल आघूर्ण का परिमाण (r व F लम्बवत है)
T = rF = 0.2 x 0.5 = 0.1 न्यूटन मीटर
T = J2 – J1/t = J2 – 0.8π /10
0.1 = J2 – 0.8 π/10
J2 = 1 + 0.8 π = 1 + 0.8 x 3.14 = 3.512
= 3.512 जूल-सेकण्ड
उदाहरण 7: एक वृत्ताकार चकती जिसकी त्रिज्या 0.5 मी. एवं द्रव्यमान 25 किग्रा है अपनी धुरी पर 12 चक्कर/मिनट की रफ्तार से घूर्णन करती है। चकती का जड़त्व आघूर्ण एवं घूर्णन की गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिये।
हल :चकती का द्रव्यमान M= 25 किग्रा.. त्रिज्या R= 0.5 मीटर
चकती का जड़त्व आघूर्ण = 1/2 MR2
= 1/2 x 25 x (0.25)= 3.12 किग्रा.-मी2
चकती का कोणीय वेग ω = 2 πn = 2π x (120/60)
= 2 x 3.14 x 2 = 12.56 रेडियन/से.
अतः घूर्णन की गतिज ऊर्जा
Erot = 1/2 I ω2 = 1/2 x 3.12 x (12.56)2
= 2.46 x 102 जूल